Sunday, August 31, 2014

बिना सरकारी प्रूफ के भी खुलेगा बैंक में खाता

कोटा। अगर आपके पास किसी भी तरह का कोई सरकारी दस्तावेज पहचान के लिए नहीं है, तो भी आपका बैंक खाता खोला जा सकता है। मोदी सरकार की ओर से देश के 7.5 करोड़ लोगों के बैंकिंग खाता खोलने के अभियान को जोर देने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह पहल की है।
आरबीआई की इस पहल के तहत कोई भी व्यक्ति बैंक जाकर अपना स्वहस्ताक्षरित फोटो और बैंक अधिकारी के सामने हस्ताक्षर या अंगूठा लगाकर अपना खाता खुलवा सकता है।
हालांकि, खाते को चालू रखने के लिए खाताधारक को एक साल के अंदर अपनी पहचान के लिए सरकारी दस्तावेज पेश करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो उसका खाता बंद किया जा सकेगा।आरबीआई की यह पहल खास तौर से असंगठित क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने में मदद करेगी। अभी भी देश के एक बड़े हिस्से के पास आधार कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, लाइसेंस, निवास स्थान प्रमाण पत्र आदि नहीं हैं, जो कि बैंक खाता खोलने में जरूरी होता है।
रिजर्व बैंक ने बिना सरकारी दस्तावेज से खुलने वाले खातों पर कुछ सीमाएं भी लगाई हैं। इन खातों को ‘छोटा खाता’ कहा जाएगा। इसके अलावा इन खातों के आधार पर साल में एक लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज नहीं दिया जा सकेगा। इसी तरह महीने में 10 हजार रुपये से ज्यादा की राशि नहीं निकाली जा सकेगी। साथ ही किसी भी समय खाते में 50 हजार रुपये से ज्यादा की राशि नहीं रखी जा सकती है।आरबीआई ने यह भी कहा है कि बिना सरकारी दस्तावेज के खुलने वाले खाते 12 महीने तक वैध रहेंगे। इस अवधि में खाताधारक को पहचान के सरकारी दस्तावेज पेश करने होंगे। यदि खाताधारक ने दस्तावेज के लिए आवेदन कर रखा है, और उसे 12 महीने के अंदर दस्तावेज नहीं मिले हैं, तो आवेदन करने का प्रमाण दिखाने पर बैंक उस आधार पर खाते को अगले 12 महीने के लिए सक्रिय रख सकता है। हालांकि उसके बाद दस्तावेज न होने पर खाते को बंद कर दिया जाएगा।
स्थायी निवास प्रमाण पत्र होना जरूरी नहीं
ऐसे लोग जिनके पास आईडी प्रूफ है, लेकिन जहां वह रहते हैं उसका प्रमाण पत्र नहीं है, तो वह लोग अपने गांव या जहां का उनके पास स्थायी निवास पत्र है, उसके जरिए भी अपना बैंक खाता खुलवा सकेंगे।

इसी तरह खाता ट्रांसफर करने के लिए अलग से केवाईसी की जरूरत नहीं रहेगी।

Thursday, August 28, 2014

अब आपकी आवाज पर चलेगा गूगल मैप एप्‍लीकेशन

कोटा।  यदि आप यात्रा करते समय गूगल मैप का अक्सर इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में गूगल ने अपने गूगल मैप एप्लीकेशन को अपडेट कर उसमें 'वॉइस कंट्रोल' की सुविधा डाली है जिसकी मदद से आप ऑडियो निर्देशन को सुनते हुए रास्ता खोज सकते हैं। गूगल द्वारा किए गए इस अपडेट से यात्रियों को खासा फायदा होगा।
सूचना के अनुसार वॉइस कंट्रोल के अलावा एप में एक 'एलीवेशन' यानि कि ऊंचाई बताने वाले फीचर को भी जोड़ा गया है जो कि साइकिल चलाने वाले यात्रियों के लिए फायदेमंद है। यह अपडेट एंड्रायड वर्जन 8.2 के लिए किया गया है। वॉइस कंट्रोल फीचर को इस्तेमाल करना काफी आसान है। एप्लीकेशन के सर्च बार के नेवीगेशन इंटरफेस में एक माइक्त्रोफोन बटन लगाया गया है।
इस बटन को क्लिक करने पर 'नेवीगेशन टू' व 'शो ट्रैफिक' के ऑप्शन दिखाए देंगे जिनकी मदद से आप रास्ता व आगे कितना ट्रैफिक है दोनों ऑडियो कमांड से जान सकते हैं। समय-समय पर आपको इस माइक्रोफोन बटन को दबाते रहना होगा। सूचना के अनुसार यह बताया गया है कि यदि कंपनी द्वारा इस एप्लीकेशन में 'हॉटवर्ड डिटेक्शन' फीचर शुरू कर दिया जाए तो बार-बार माइक्रोफोन बटन को क्लिक करने के झंझट से बचा जा सकता है। अपडेट में दिए गए एलीवेशन फीचर की बात करें तो यह साइकिल चलाने वालों को आगे आने वाली चढ़ाई व ढलान की सीमा बताएगा। यह सभी जानकारी यूजर को 'लाइन ग्राफ' के जरिए दी जाएगी। आप को बता दें कि फिलहाल गूगल मैप्स का एंड्रायड 8.2 वर्जन विश्व स्तर पर उपलब्ध है लेकिन अभी तक भारत में नहीं आया है। यूजर इस अपडेट का इंतजार कर सकते हैं या फिर इसे 'फैनड्रायड' से डाउनलोड कर सकते हैं। पिछले हफ्ते ही कंपनी द्वारा आईओएस 3.2.0 वर्जन के लिए भी इस एप्लीकेशन को अपडेट किया गया था जिसके फलस्वरूप इसमें यूजर्स को गूगल मैप एप के द्वारा ही अपने जी-मेल अकाउंट पर नियंत्रण करने की सुविधा दी गई थी।

गूगल की ड्राइवरलेस कार हो गई है तैयार

 इंटरनेट सर्च इंजन फर्म गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार (बिना ड्राइवर की कार) अब तक 11.27 लाख किलोमीटर चल चुकी है। इस दौरान कोई इंसानी हस्तक्षेप नहीं किया गया।गूगल की यह कार भविष्य में ड्राइविंग को नया आयाम देगी। इसे चलाने के लिए ड्राइवर की दरकार नहीं होती, लिहाजा पीछे की सीट पर आराम से बैठकर सफर किया जा सकता है। पिछली सीट पर बैठा व्यक्ति सो सकता है, खा-पी सकता है और लैपटॉप पर काम कर सकता है। उसे सोचने की जरूरत नहीं है कि कब कौन सी दिशा में मुड़ना है। गूगल की योजना ऐसी कार बनाने की है, जो खुद ही ऑपरेट होती रहे।
गूगल शॉफर का कमाल
यह कार गूगल शॉफर सॉफ्टवेयर से संचालित होती है। गूगल के आधिकारिक ब्लॉग पर लिखा गया है कि सेल्फ ड्राइव कार अब तक कई लाख मील चलाकर देखी जा चुकी है। कंपनी ने सॉफ्टवेयर को पहले से ज्यादा दुरुस्त किया है, ताकि यह बिजी रोड पर बसों, अन्य वाहनों एवं पैदल चलने वालों को पहचान सके और उसी के मुताबिक फैसले कर सके। ट्रैफिक सिग्नल्स को पहचान सके और यदि कोई साइकल सवार अपने हाथ या चेहरे से टर्न लेने का इशारा कर रहा हो तो यह समझ सके।
फुलप्रूफ टेक्नोलॉजी
गूगल कार को एकदम वैसे ही ऑपरेट करने लायक बना रही है, जैसा कि किसी व्यक्ति द्वारा कार ऑपरेट की जाती है। कंपनी का कहना है कि अप्रैल 2014 से लेकर अब तक यह कार 7 लाख मील (11.27 लाख किलोमीटर) चल चुकी है। इसे चलाकर गूगल ने जो भी अनुभव हासिल किए, उसके आधार पर इसमें कई बदलाव और सुधार किए गए हैं। गूगल की ओर से कहा गया है कि ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि अब पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर टेक्नोलॉजी मौजूद है। ऐसी तकनीकी सिस्टम जो स्कैन, सेंस, प्रॉसेस और रिऐक्ट कर सकता है, महज सेकंड के सौंवे हिस्से से भी कम समय में। यह तकनीक पांच साल पहले नहीं थी।
थोड़ा समय लगेगा
गूगल फिलहाल इसे 'सेफ मोड' में चला रही है। जाहिर है, अभी इसे पूरी तरह से एरर-फ्री (परेशानी रहित) होने में थोड़ा समय लगेगा। गूगल ने अब तक इस प्रॉजेक्ट को लेकर कोई डेडलाइन नहीं दी है। कंपनी की तरफ से यह भी नहीं बताया गया है कि यह कार आम लोगों के लिए कब उपलब्ध होगी।
पहली टेस्ट ड्राइव 2010 में 
गूगल के इंजिनियरों ने 2010 में इस कार को पहली बार टेस्ट ड्राइव किया था। तभी यह दावा किया जा रहा है कि यदि यह कार सफलतापूर्वक तैयार कर ली जाती है तो सड़क पर हादसों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

Tuesday, August 26, 2014

हार्ड कॉपी को ऐसे करें सॉफ्ट में कन्वर्ट

मान लीजिए आपके पास 10-12 पेज का कोई लेख है, जो पेपर पर लिखा है और आपको उसकी सॉफ्ट कॉपी चाहिए। ऐसे में क्या आप 10-12 पेज दोबारा टाइप करने बैठेंगे? नहीं, यह काम आप अपने गूगल ड्राइव के जरिये कर सकते हैं।
कम लोगों को यह जानकारी है कि जब वे किसी अच्छे ब्रैंड का स्कैनर या फिर एमएफडी (मल्टी फंक्शनल डिवाइस) खरीदते हैं तो उसके साथ एक सॉफ्टवेयर भी मिलता है, जिसका नाम है- ऑप्टिकल कैरक्टर रेकग्निशन (ओसीआर)। आमतौर पर हम स्कैन किए जाने वाले दस्तावेजों को इमेज या पीडीएफ फॉर्मैट में कंप्यूटर में सहेजते हैं, लेकिन ओसीआर सॉफ्टवेयर की मदद से उन्हें टेक्स्ट फॉर्मैट में भी स्टोर किया जा सकता है। ये दस्तावेज थोड़े-बहुत संशोधनों के बाद उसी तरह इस्तेमाल किए जा सकते हैं जैसे आपने उन्हें कंप्यूटर में खुद टाइप किया हो। बाकायदा एडिटिंग कीजिए, काटिए, जोड़िए, कहीं भी पेस्ट कीजिए। पूरी तरह से एक टेक्स्ट फाइल की तरह से इन्हें आसानी से यूज किया जा सकता है।
वैसे यह सेवा ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। अच्छी बात यह है कि ऑनलाइन यह सेवा सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं बल्कि हिंदी और दूसरी तमाम भाषाओं में भी मिलती है। इसी की बदौलत गूगल और दूसरी ऑनलाइन पुस्तक सेवाएं लाखों किताबों को डिजिटल रूप में परिवर्तित करती हैं। अगर ऐसा हो रहा है तो फिर भला आप इस सुविधा का फायदा क्यों नहीं उठाते?
गूगल ड्राइव के जरिए OCR
हालांकि स्कैनर और एमएफडी के साथ आमतौर पर आपको एक अलग ओसीआर सॉफ्टवेयर मिलता है, जिसका इस्तेमाल डॉक्युमेंट स्कैन करते समय किया जा सकता है, लेकिन ऐसे कंप्यूटर यूजर्स की संख्या बहुत कम है, जिनके पास स्कैनर या एमएफडी हों। वैसे भी कुछ सस्ते स्कैनर और एमएफडी के साथ ओसीआर सॉफ्टवेयर नहीं मिलता। ऐसे यूज़र्स इंटरनेट के जरिए उपलब्ध गूगल की ओसीआर सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उसकी दूसरी सेवाओं की ही तरह मुफ्त है और इस्तेमाल में आसान। पहले यह सेवा गूगल डॉक्स का हिस्सा हुआ करती थी लेकिन अब डॉक्स और ड्राइव दोनों को एक ही प्लैटफॉर्म में समाहित कर दिया गया है।
गूगल के वेब ओसीआर का इस्तेमाल करने के लिए आपके पास गूगल का अकाउंट होना चाहिए। दूसरी जरूरत ऐसे दस्तावेज की है, जिसे स्कैन किया गया हो। याद रहे, गूगल ड्राइव की यह सुविधा हिंदी की फाइल को बदलती तो है, लेकिन सारा मटीरियल गड़बड़ हो जाता है। सभी शब्द उलट-पुलट हो जाते हैं जिन्हें ठीक करना पड़ता है।

गूगल ओसीआर का इस्तेमाल करने के लिए यह प्रोसेस अपनाएं :
1. drive.google.com पर लॉगिन करें।
2. अब खुलने वाले पेज पर आपकी वे सभी फाइलें दिखाई जाएंगी, जिन्हें आपने कभी गूगल ड्राइव पर अपलोड किया होगा। यदि वहां कोई फाइल नहीं दिख रही तो इसका मतलब है- आपने अब तक कोई फाइल अपलोड नहीं की है।
3. सबसे पहले गूगल ड्राइव वेब पेज के राइट साइड में Settings वाले आइकन को क्लिक करें और वहां दिखने वाले विकल्पों में Upload Settings पर क्लिक करें।

Monday, August 25, 2014

Sunday, August 24, 2014

मोबाइल घर पर भूले, तो भी ऑफिस से पढ़िए मैसेज

हम में से ज्यादातर के साथ कभी न कभी ऐसा जरूर हुआ होगा। घर से निकलने के बाद याद आया कि मोबाइल फोन घर पर छूट गया। कई बार दफ्तर पहुंचने पर यह बात याद आई, सो वापस घर लौटा भी न जा सका।लेकिन अब ऐसा होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हवा से बात करती टेक्‍नोलॉजी ने यह मुमकिन बना दिया है कि आप मोबाइल फोन घर या कहीं और भूलने के बावजूद इनकमिंग कॉल और मैसेज देख सकते हैं। आपको सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन आप भी इस छोटी सी ट्रिक से ऐसा कर सकते हैं।
मान लीजिए आप एक दिन अपना मोबाइल फोन घर पर ही भूल जाते हैं और ऑफिस निकल जाते हैं, तो क्या करेंगे? अगर आपके पास एंड्रॉयड फोन है, तो घर लौटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एंड्रॉयड यूजर्स के लिए गूगल प्ले पर ऐसी बहुत सी ऐप्लीकेशंस मौजूद है, जो आपके मुश्किल से मुश्किल काम को आसान बना देती हैं।
एंड्रॉयड यूजर्स के लिए गूगल प्ले पर एक ऐसी ही शानदार ऐप्लीकेशन भी मौजूद है, जिनसे आप घर पर रखे मोबाइल फोन के इनकामिंग मैसेज पढ़ सकते हैं।
माइटीटेक्‍स्ट ऐप का कमाल
गूगल प्ले पर माइटीटेक्स्ट के नाम से यह ऐप्लीकेशन आपको मिल जाएगी। आपका मोबाइल कहीं भी हो, मैसेज और कॉल को आप अपने कंप्यूटर पर देख सकते हैं।free google app mighty टेक्स्ट
ही, मैसेज का जवाब भी दे सकते हैं। इसके लिए बस माइटीटेक्स्ट ऐप्लीकेशन को मोबाइल फोन में इंस्टॉल कीजिए। कुछ मिनट में मासारे मैसेज सिंक हो जाएंगे और फिर https://mightytext.net/app/ लिंक पर कंप्यूटर से लॉगइन हो जाएं। लॉगइन होने के लिए यहां भी गूगल आईडी और पासवर्ड डालना होगा।
इसके बाद आपके सारे मैसेज कॉन्टैक्ट सहित कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देंगे। इसके लिए आप फायरफॉक्स और गूगल क्रोम ब्राउजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। नए आने वाले मैसेज या कॉल स्क्रीन पर पॉपअप नोटिफिकेशन के रूप देख सकते हैं।
एमएमएस भी भेजना मुमकिन
एसएमएस के अलावा आप एमएमएस भी भेज सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त शुल्क चुकाने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आपने मैसेज पैक ले रखा है, तो ये मैसेज आपके लिए फ्री होंगे। आप जो मैसेज भेजेंगे, वे आपके मोबाइल नंबर से ही लोगों को मिलेगा।
खामी की बात करें, तो यहां से आप किसी का नंबर डायल कर सकते हैं, लेकिन डायल करने के बाद उसे काटने या इनकमिंग कॉल को रिसीव करने का कोई विकल्प दिखाई नहीं देता।

इस तरह पता करें आपका वेटिंग टिकट कंफर्म होगा या नहीं

कोटा। ट्रेन में सफर करने वाले उन यात्रियों के लिए अच्छी खबर है, जो टिकट कन्फर्म न होने के चलते कई परेशानियों से गुजरते हैं। एक वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.कन्फर्मटीकेटी.कॉम (www.confirmtkt.com) ने इसका समाधान निकाला है।इसके माध्यम से यह पता चलता है कि वेटिंग टिकट कंफर्म होगा या नहीं। वेबसाइट आपको मेल करके सूचित करती है कि आपके वेटिंग टिकट के कन्फर्म होने की संभावना कितनी है। यह टिकट कन्फर्म होने पर आपको सूचना भी देती है।
एंड्रॉयड यूजर्स इस एप्लिकेशन को अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर सकते हैं। यह आपके वेटिंग लिस्ट टिकट के बारे में भविष्यवाणी करके बताएगा कि आपकी टिकट कंफर्म होगा या नहीं।जिस तरह मनुष्य अपने अतीत के अनुभवों से सीखता है, ठीक उसी तरह से यह एप हर ट्रेन के वेटिंग लिस्ट टिकट के इतिहास को देखकर भविष्यवाणी करता है। यह इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वर्तमान के अनुभवों को भी समेटता जाएगा।रेलवे के अनुसार इस एप को दो इंजीनियरों दिनेश और श्रीपद ने मिलकर बनाया है। उन्होंने कई तरह  के एप बनाए और अंत में टिकट कन्फर्मेशन के बारे में बताने वाले इस एप को बनाने में सफल रहे। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता अजय माइकल ने बताया कि रेलवे बोर्ड युवा इंजीनियरों को सम्मानित करने पर विचार कर रहा है। जिन्होंने टिकट कंफर्मेशन के लिए एक नई वेबसाइट का निर्माण किया है। अब यात्रियों को टिकट आरक्षित कराने में राहत मिलेगी।

Saturday, August 23, 2014

आप माउस को कह देंगे अलविदा

सोचिए, अगर माउस न हो, तो कंप्यूटर पर काम करना कितना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन अब एक ऐसा डिवाइस आया है, जो माउस की जगह ले सकता है। अंगुली में पहनने वाले इस डिवाइस का आकार माउस से काफी छोटा है। हालांकि माउस के इस्तेमाल से केवल 2डी मूवमेंट्स तक ही सीमित रह जाते हैं। 
अब अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ वयोमिंग में अन नुएन और एमी बैनिक ने एक इंटेलिजेंट डिवाइस बनाई है, जो 3डी के जरिए सटीक पोजिशन पहचान सकती है। इसमें 3डी एक्सेलरोमीटर, 3डी मैग्नेटोमीटर और 3डी जाइरेस्कोप है। 3डी टच में एक ऑप्टिकल फ्लो सेंसर भी है, जो किसी माउस की तरह 2डी सरफेस पर डिवाइस की मूवमेंट को मापता है। यह 3डी के काम के लिए माउस से बेहतर साबित हो सकता है।
अलाइव कोर डिवाइसअब स्मार्टफोन का कवर बच्चों में हार्ट की प्रॉब्लम को जांचेगा। इस कवर का नाम अलाइवकोर है। इसके बैक में दो मेटल प्लेट्स लगे हैं। इसका इस्तेमाल फोन में मौजूद एप के साथ किया जा सकता है। यह इलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (ईसीजी) करता है, जिसे स्मार्टफोन के जरिये डॉक्टर को भेज सकते हैं।हालांकि यह डिवाइस इसीजी का पूरक नहींहै। यह केवल हार्ट का रिदम और रेट को काउंट करता है। यह डिवाइस पैरेंट्स के लिए काफी यूजफुल है, जो बच्चों की हार्ट बीट देख कर डॉक्टर को सूचित कर सकते हैं।

Friday, August 22, 2014

परफेक्ट रेज्यूम के टिप्स

रेज्युमे अच्छा होने भर से आपको नौकरी नहीं मिल सकती, लेकिन किसी इंटरव्यू में शॉर्टलिस्ट होने का यह अहम हथियार है। अगर आप किसी इंटरव्यू कॉल में सिलेक्ट होना चाहते हैं तो इस हथियार का सही तरीके से इस्तेमाल करिए। कोई रेज्युमे तभी असरदार होगा, जब उसमें पैनापन हो। हम यहां आपको बता रहे हैं कि आप कैसे अपने रेज्युमे को दूसरों से अलग बना सकते हैं।असरदार रेज्युमे से नौकरी पाने की आधी लड़ाई जीती जा सकती है। आइए जानते हैं असरदार रेज्युमे कैसे तैयार करें…
एक्सपीरियंस पर फोकस करें 

अपनी तारीफों के पुल मत बांधिए। एक्सपीरियंस बताते हुए हर जॉब के नीचे सिर्फ अपने अचीवमेंट्स और उससे जुड़ी स्किल्स का जिक्र करें। 4-6 पॉइंट्स में सारी बातें रख दें। 'जबरदस्त प्रदर्शन' जैसे शब्दों के बजाय डेटा का इस्तेमाल करें। यह ज्यादा प्रभावी साबित हो सकता है।
परफेक्ट रेज्युमे के टिप्स 

रिक्वायरमेंट बताएं 
क्या आपको पता है कि जिस कंपनी में आपने जॉब के लिए अप्लाई किया है वह क्या काम करती है और आप किस पद के लिए अप्लाई करना चाहते हैं? अगर नहीं तो रिसर्च करें और रिक्वायरमेंट्स को स्किल्स के 3 पैमाने पर बांटें। हाइजीन स्किल्स, पेड स्किल्स और डिफरेंशल स्किल्स।
अगर आप कंसल्टिंग रोल के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो प्रेजेंटेशन और एक्सेल शीट्स में मास्टरी हाइजीन स्किल्स में आएगी। हालांकि, कंपनी एनालिटिकल अबिलिटी और क्लाइंट्स के साथ कम्युनिकेशन स्किल्स के आधार पर आपको सैलरी ऑफर करेगी। यह पेड स्किल्स हुई। अपने जिस हुनर की वजह से आप दूसरे आवेदकों से अलग हैं, वह डिफरेंशल स्किल है।
टेक्नॉलजी में मास्टरी

आजकल सभी बड़ी कंपनियां रिक्रूटमेंट वर्कलोड मैनेज करने के लिए ऐप्लिकेंट ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं। पहले फेज में आपका रेज्युमे उनके डेटाबेस से गुजरता है। उसके बाद रिक्रूटर मैन्युअली या कंप्यूटर के जरिये उन कीवर्ड को सर्च करते हैं, जो उस पद के लिए आवश्यक होते हैं।
ऐसे में आप रेज्युमे तैयार करते हुए इसका ध्यान रखें कि आप जिस इंडस्ट्री के लिए आवेदन कर रहे हैं, उसमें इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जरूर शामिल करें। इससे आप सही कंपनी को टारगेट कर सकते हैं।
जोखिम से बचें

क्या आपने कम समय में बहुत ज्यादा नौकरियां बदली हैं? क्या बीच में नौकरी छोड़कर आपने अपना बिजनस शुरू किया था? क्या आपने किसी दूसरे शहर में लंबे समय तक काम किया है? क्या आप अपने बॉस से ज्यादा क्वॉलिफायड हैं? ये बातें नई नौकरी के लिए खतरा बन सकती हैं। इससे यह इंप्रेशन बन सकता है कि आप एक कंपनी में टिककर काम नहीं कर सकते। रेज्युमे में ऐसी बातों का जिक्र कम से कम करें।
प्रेजेंटेशन

इन सबके साथ रेज्युमे का प्रेजेंटेशन बेहतर होना भी काफी जरूरी है। रेज्युमे की शुरुआत अपने नाम से करें। इसके बाद ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर लिखें। अगर कंपनी आपमें इंटरेस्टेड हो तो वह आसानी से आपसे संपर्क कर सकती है। अपनी खूबियों के बारे में लिखें। एक्सपीरियंस, एजुकेशन, अवॉर्ड्स, लीडरशिप स्किल्स के बारे में बताने के लिए सब हेड्स का इस्तेमाल करें।

Monday, August 18, 2014

तो कोई नहीं कर पाएगा आपके ईमेल और फेसबुक पासवर्ड को हैक

हाल ही में एक रूसी हैकर ने 4.5 अरब यूजरनेम, पासवर्ड और ईमेल एड्रेस हैक कर लिया। अगर आप अपने मेल अकाउंट, बैंक अकाउंट पासवर्ड और एटीएम पासवर्ड को हैकर्स से बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक मजबूत पासवर्ड का होना बहुत जरूरी है। कुछ खास बातों को फॉलो करें, तो आपका पासवर्ड और डाटा दोनों सुरक्षित रह सकता है। जानिए स्ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाने के टिप्स.. 
लंबा हो पासवर्ड
आपका पासवर्ड जितना लंबा होगा, उसे ब्रेक करना उतना ही मुश्किल होगा। आमतौर पर एक्सपर्ट कम से कम 8 डिजिट तक का पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर पासवर्ड इससे बड़ा यानी 14 या 25 डिजिट तक का होगा, तो वह उतना ही ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
व‌र्ड्स और नंबर का सही कॉम्बिनेशन
पासवर्ड में नंबर और व‌र्ड्स दोनों का कॉम्बिनेशन रखें। संभव हो तो नंबर और व‌र्ड्स के साथ सिंबल का भी यूज कर सकते हैं। हालांकि कुछ सर्विसेज इस तरह के पासवर्ड के लिए अनुमति नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी एक कोशिश जरूर करें।
सेंटेंस का करें उपयोग
पासवर्ड के लिए किसी ऐसे वाक्य के बारे में सोचें जो केवल आप जानते हों, जैसे-अपने ई-मेल के लिए आप द क्विक ब्राउन फॉक्स जंप्स ओवर द लेजी डॉग जैसे वाक्य को बेस बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं। इस वाक्य के प्रत्येक वर्ड के पहले लेटर को आप पासवर्ड के लिए यूज कर सकते हैं टीक्यूठएफजेओटीएलडी। इसके अलावा, पासवर्ड के लिए कुछ ट्रिक भी अपना सकते हैं, जैसे- सिंपल पासवर्ड 123456 के बजाय पीएएस123एसडब्ल्यूओआरडी का यूज करें। इस तरह की ट्रिक पासवर्ड को सिक्योर करने में ज्यादा मददगार साबित होती है।
सब्टीट्यूट कैरेक्टर को करें यूज
सब्टीट्यूट कैरेक्टर का प्रयोग करें, जैसे-अंग्रेजी के ड शब्द की जगह जीरो न्यूमेरिकल (0) का और र शब्द की जगह डॉलर साइन का प्रयोग करें।
बचें साधारण पासवर्ड से
ऐसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में न चूज करें, जो बहुत कॉमन हों, जैसे-अपना नाम, कंपनी का नाम या अपने होमटाउन का नाम आदि। यही नहीं, अपने किसी खास रिलेटिव्स या पालतू जानवर या अपनी जन्मतिथि, जिप कोड या टेलीफोन नंबर को भी पासवर्ड के रूप में यूज न करें। अगर करना ही चाहते हैं, तो थोड़ा कॉम्प्लेक्स पासवर्ड यूज करें, जैसे-जिप कोड या फोन नंबर को रिवर्स ऑडर में यूज कर सकते हैं।
पासवर्ड रिपीट न करें
एक पासवर्ड का यूज एक जगह पर ही करें। सेम पासवर्ड को दूसरे अकाउंट के लिए यूज न करें। नॉर्मल काम के लिए लंबे पासवर्ड की जगह छोटा और आसान-सा पासवर्ड रखें, जैसे- किसी न्यूज वेबसाइट को पढ़ने के लिए आसान-सा पासवर्ड रखें या जनरल वेबसाइट में अकाउंट बनाते वक्त आसान-सा और कॉमन पासवर्ड रखें, ताकि याद करने में आसानी हो।
फोन से कनेक्ट करें
पासवर्ड कुछ सर्विसेज,जैसे-जीमेल पासवर्ड को मोबाइल फोन से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। अपने ईमेल को सुरक्षित रखने के लिए ईमेल पर मोबाइल नंबर का होना सबसे आसान और विश्वसनीय तरीकों में से एक है। उदाहरण के लिए, जब आप अपना जीमेल अकाउंट एक्सेस करते हैं, तो सर्विस प्रोवाइर की तरफ से एक वेरीफाई कोड मोबाइल पर भेजा जाता है।
कोड को यूज कर आप अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं। यही प्रकिया दूसरे के लिए भी लागू होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका अकाउंट ओपन करना चाहेगा, तो सर्विस प्रोवाइडर कोड नंबर मोबाइल पर भेजगा, जिसके बिना अकाउंट एक्सेस नहीं होगा। इस तरह ई-मेल अकाउंट को मोबाइल से कनेक्ट करके भी अपने मेल सर्विस को सेफ किया जा सकता है।


हाल ही में एक रूसी हैकर ने 4.5 अरब यूजरनेम, पासवर्ड और ईमेल एड्रेस हैक कर लिया। अगर आप अपने मेल अकाउंट, बैंक अकाउंट पासवर्ड और एटीएम पासवर्ड को हैकर्स से बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक मजबूत पासवर्ड का होना बहुत जरूरी है। कुछ खास बातों को फॉलो करें, तो आपका पासवर्ड और डाटा दोनों सुरक्षित रह सकता है। जानिए स्ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाने के टिप्स..
लंबा हो पासवर्ड
आपका पासवर्ड जितना लंबा होगा, उसे ब्रेक करना उतना ही मुश्किल होगा। आमतौर पर एक्सपर्ट कम से कम 8 डिजिट तक का पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर पासवर्ड इससे बड़ा यानी 14 या 25 डिजिट तक का होगा, तो वह उतना ही ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
व‌र्ड्स और नंबर का सही कॉम्बिनेशन
पासवर्ड में नंबर और व‌र्ड्स दोनों का कॉम्बिनेशन रखें। संभव हो तो नंबर और व‌र्ड्स के साथ सिंबल का भी यूज कर सकते हैं। हालांकि कुछ सर्विसेज इस तरह के पासवर्ड के लिए अनुमति नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी एक कोशिश जरूर करें।
सेंटेंस का करें उपयोग
पासवर्ड के लिए किसी ऐसे वाक्य के बारे में सोचें जो केवल आप जानते हों, जैसे-अपने ई-मेल के लिए आप द क्विक ब्राउन फॉक्स जंप्स ओवर द लेजी डॉग जैसे वाक्य को बेस बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं। इस वाक्य के प्रत्येक वर्ड के पहले लेटर को आप पासवर्ड के लिए यूज कर सकते हैं टीक्यूठएफजेओटीएलडी। इसके अलावा, पासवर्ड के लिए कुछ ट्रिक भी अपना सकते हैं, जैसे- सिंपल पासवर्ड 123456 के बजाय पीएएस123एसडब्ल्यूओआरडी का यूज करें। इस तरह की ट्रिक पासवर्ड को सिक्योर करने में ज्यादा मददगार साबित होती है।
सब्टीट्यूट कैरेक्टर को करें यूज
सब्टीट्यूट कैरेक्टर का प्रयोग करें, जैसे-अंग्रेजी के ड शब्द की जगह जीरो न्यूमेरिकल (0) का और र शब्द की जगह डॉलर साइन का प्रयोग करें।
बचें साधारण पासवर्ड से
ऐसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में न चूज करें, जो बहुत कॉमन हों, जैसे-अपना नाम, कंपनी का नाम या अपने होमटाउन का नाम आदि। यही नहीं, अपने किसी खास रिलेटिव्स या पालतू जानवर या अपनी जन्मतिथि, जिप कोड या टेलीफोन नंबर को भी पासवर्ड के रूप में यूज न करें। अगर करना ही चाहते हैं, तो थोड़ा कॉम्प्लेक्स पासवर्ड यूज करें, जैसे-जिप कोड या फोन नंबर को रिवर्स ऑडर में यूज कर सकते हैं।
पासवर्ड रिपीट न करें
एक पासवर्ड का यूज एक जगह पर ही करें। सेम पासवर्ड को दूसरे अकाउंट के लिए यूज न करें। नॉर्मल काम के लिए लंबे पासवर्ड की जगह छोटा और आसान-सा पासवर्ड रखें, जैसे- किसी न्यूज वेबसाइट को पढ़ने के लिए आसान-सा पासवर्ड रखें या जनरल वेबसाइट में अकाउंट बनाते वक्त आसान-सा और कॉमन पासवर्ड रखें, ताकि याद करने में आसानी हो।
फोन से कनेक्ट करें
पासवर्ड कुछ सर्विसेज,जैसे-जीमेल पासवर्ड को मोबाइल फोन से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। अपने ईमेल को सुरक्षित रखने के लिए ईमेल पर मोबाइल नंबर का होना सबसे आसान और विश्वसनीय तरीकों में से एक है। उदाहरण के लिए, जब आप अपना जीमेल अकाउंट एक्सेस करते हैं, तो सर्विस प्रोवाइर की तरफ से एक वेरीफाई कोड मोबाइल पर भेजा जाता है।
कोड को यूज कर आप अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं। यही प्रकिया दूसरे के लिए भी लागू होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका अकाउंट ओपन करना चाहेगा, तो सर्विस प्रोवाइडर कोड नंबर मोबाइल पर भेजगा, जिसके बिना अकाउंट एक्सेस नहीं होगा। इस तरह ई-मेल अकाउंट को मोबाइल से कनेक्ट करके भी अपने मेल सर्विस को सेफ किया जा सकता है।
- See more at: http://naidunia.jagran.com/technology/tech-guide-then-no-one-can-hack-your-password-162907#sthash.UWfsr6ZA.dpuf
हाल ही में एक रूसी हैकर ने 4.5 अरब यूजरनेम, पासवर्ड और ईमेल एड्रेस हैक कर लिया। अगर आप अपने मेल अकाउंट, बैंक अकाउंट पासवर्ड और एटीएम पासवर्ड को हैकर्स से बचाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक मजबूत पासवर्ड का होना बहुत जरूरी है। कुछ खास बातों को फॉलो करें, तो आपका पासवर्ड और डाटा दोनों सुरक्षित रह सकता है। जानिए स्ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाने के टिप्स..
लंबा हो पासवर्ड
आपका पासवर्ड जितना लंबा होगा, उसे ब्रेक करना उतना ही मुश्किल होगा। आमतौर पर एक्सपर्ट कम से कम 8 डिजिट तक का पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर पासवर्ड इससे बड़ा यानी 14 या 25 डिजिट तक का होगा, तो वह उतना ही ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
व‌र्ड्स और नंबर का सही कॉम्बिनेशन
पासवर्ड में नंबर और व‌र्ड्स दोनों का कॉम्बिनेशन रखें। संभव हो तो नंबर और व‌र्ड्स के साथ सिंबल का भी यूज कर सकते हैं। हालांकि कुछ सर्विसेज इस तरह के पासवर्ड के लिए अनुमति नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी एक कोशिश जरूर करें।
सेंटेंस का करें उपयोग
पासवर्ड के लिए किसी ऐसे वाक्य के बारे में सोचें जो केवल आप जानते हों, जैसे-अपने ई-मेल के लिए आप द क्विक ब्राउन फॉक्स जंप्स ओवर द लेजी डॉग जैसे वाक्य को बेस बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं। इस वाक्य के प्रत्येक वर्ड के पहले लेटर को आप पासवर्ड के लिए यूज कर सकते हैं टीक्यूठएफजेओटीएलडी। इसके अलावा, पासवर्ड के लिए कुछ ट्रिक भी अपना सकते हैं, जैसे- सिंपल पासवर्ड 123456 के बजाय पीएएस123एसडब्ल्यूओआरडी का यूज करें। इस तरह की ट्रिक पासवर्ड को सिक्योर करने में ज्यादा मददगार साबित होती है।
सब्टीट्यूट कैरेक्टर को करें यूज
सब्टीट्यूट कैरेक्टर का प्रयोग करें, जैसे-अंग्रेजी के ड शब्द की जगह जीरो न्यूमेरिकल (0) का और र शब्द की जगह डॉलर साइन का प्रयोग करें।
बचें साधारण पासवर्ड से
ऐसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में न चूज करें, जो बहुत कॉमन हों, जैसे-अपना नाम, कंपनी का नाम या अपने होमटाउन का नाम आदि। यही नहीं, अपने किसी खास रिलेटिव्स या पालतू जानवर या अपनी जन्मतिथि, जिप कोड या टेलीफोन नंबर को भी पासवर्ड के रूप में यूज न करें। अगर करना ही चाहते हैं, तो थोड़ा कॉम्प्लेक्स पासवर्ड यूज करें, जैसे-जिप कोड या फोन नंबर को रिवर्स ऑडर में यूज कर सकते हैं।
पासवर्ड रिपीट न करें
एक पासवर्ड का यूज एक जगह पर ही करें। सेम पासवर्ड को दूसरे अकाउंट के लिए यूज न करें। नॉर्मल काम के लिए लंबे पासवर्ड की जगह छोटा और आसान-सा पासवर्ड रखें, जैसे- किसी न्यूज वेबसाइट को पढ़ने के लिए आसान-सा पासवर्ड रखें या जनरल वेबसाइट में अकाउंट बनाते वक्त आसान-सा और कॉमन पासवर्ड रखें, ताकि याद करने में आसानी हो।
फोन से कनेक्ट करें
पासवर्ड कुछ सर्विसेज,जैसे-जीमेल पासवर्ड को मोबाइल फोन से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। अपने ईमेल को सुरक्षित रखने के लिए ईमेल पर मोबाइल नंबर का होना सबसे आसान और विश्वसनीय तरीकों में से एक है। उदाहरण के लिए, जब आप अपना जीमेल अकाउंट एक्सेस करते हैं, तो सर्विस प्रोवाइर की तरफ से एक वेरीफाई कोड मोबाइल पर भेजा जाता है।
कोड को यूज कर आप अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं। यही प्रकिया दूसरे के लिए भी लागू होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका अकाउंट ओपन करना चाहेगा, तो सर्विस प्रोवाइडर कोड नंबर मोबाइल पर भेजगा, जिसके बिना अकाउंट एक्सेस नहीं होगा। इस तरह ई-मेल अकाउंट को मोबाइल से कनेक्ट करके भी अपने मेल सर्विस को सेफ किया जा सकता है।
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लंबा हो पासवर्ड
आपका पासवर्ड जितना लंबा होगा, उसे ब्रेक करना उतना ही मुश्किल होगा। आमतौर पर एक्सपर्ट कम से कम 8 डिजिट तक का पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर पासवर्ड इससे बड़ा यानी 14 या 25 डिजिट तक का होगा, तो वह उतना ही ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
व‌र्ड्स और नंबर का सही कॉम्बिनेशन
पासवर्ड में नंबर और व‌र्ड्स दोनों का कॉम्बिनेशन रखें। संभव हो तो नंबर और व‌र्ड्स के साथ सिंबल का भी यूज कर सकते हैं। हालांकि कुछ सर्विसेज इस तरह के पासवर्ड के लिए अनुमति नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी एक कोशिश जरूर करें।
सेंटेंस का करें उपयोग
पासवर्ड के लिए किसी ऐसे वाक्य के बारे में सोचें जो केवल आप जानते हों, जैसे-अपने ई-मेल के लिए आप द क्विक ब्राउन फॉक्स जंप्स ओवर द लेजी डॉग जैसे वाक्य को बेस बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं। इस वाक्य के प्रत्येक वर्ड के पहले लेटर को आप पासवर्ड के लिए यूज कर सकते हैं टीक्यूठएफजेओटीएलडी। इसके अलावा, पासवर्ड के लिए कुछ ट्रिक भी अपना सकते हैं, जैसे- सिंपल पासवर्ड 123456 के बजाय पीएएस123एसडब्ल्यूओआरडी का यूज करें। इस तरह की ट्रिक पासवर्ड को सिक्योर करने में ज्यादा मददगार साबित होती है।
सब्टीट्यूट कैरेक्टर को करें यूज
सब्टीट्यूट कैरेक्टर का प्रयोग करें, जैसे-अंग्रेजी के ड शब्द की जगह जीरो न्यूमेरिकल (0) का और र शब्द की जगह डॉलर साइन का प्रयोग करें।
बचें साधारण पासवर्ड से
ऐसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में न चूज करें, जो बहुत कॉमन हों, जैसे-अपना नाम, कंपनी का नाम या अपने होमटाउन का नाम आदि। यही नहीं, अपने किसी खास रिलेटिव्स या पालतू जानवर या अपनी जन्मतिथि, जिप कोड या टेलीफोन नंबर को भी पासवर्ड के रूप में यूज न करें। अगर करना ही चाहते हैं, तो थोड़ा कॉम्प्लेक्स पासवर्ड यूज करें, जैसे-जिप कोड या फोन नंबर को रिवर्स ऑडर में यूज कर सकते हैं।
पासवर्ड रिपीट न करें
एक पासवर्ड का यूज एक जगह पर ही करें। सेम पासवर्ड को दूसरे अकाउंट के लिए यूज न करें। नॉर्मल काम के लिए लंबे पासवर्ड की जगह छोटा और आसान-सा पासवर्ड रखें, जैसे- किसी न्यूज वेबसाइट को पढ़ने के लिए आसान-सा पासवर्ड रखें या जनरल वेबसाइट में अकाउंट बनाते वक्त आसान-सा और कॉमन पासवर्ड रखें, ताकि याद करने में आसानी हो।
फोन से कनेक्ट करें
पासवर्ड कुछ सर्विसेज,जैसे-जीमेल पासवर्ड को मोबाइल फोन से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। अपने ईमेल को सुरक्षित रखने के लिए ईमेल पर मोबाइल नंबर का होना सबसे आसान और विश्वसनीय तरीकों में से एक है। उदाहरण के लिए, जब आप अपना जीमेल अकाउंट एक्सेस करते हैं, तो सर्विस प्रोवाइर की तरफ से एक वेरीफाई कोड मोबाइल पर भेजा जाता है।
कोड को यूज कर आप अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं। यही प्रकिया दूसरे के लिए भी लागू होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका अकाउंट ओपन करना चाहेगा, तो सर्विस प्रोवाइडर कोड नंबर मोबाइल पर भेजगा, जिसके बिना अकाउंट एक्सेस नहीं होगा। इस तरह ई-मेल अकाउंट को मोबाइल से कनेक्ट करके भी अपने मेल सर्विस को सेफ किया जा सकता है।
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लंबा हो पासवर्ड
आपका पासवर्ड जितना लंबा होगा, उसे ब्रेक करना उतना ही मुश्किल होगा। आमतौर पर एक्सपर्ट कम से कम 8 डिजिट तक का पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं, लेकिन अगर पासवर्ड इससे बड़ा यानी 14 या 25 डिजिट तक का होगा, तो वह उतना ही ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
व‌र्ड्स और नंबर का सही कॉम्बिनेशन
पासवर्ड में नंबर और व‌र्ड्स दोनों का कॉम्बिनेशन रखें। संभव हो तो नंबर और व‌र्ड्स के साथ सिंबल का भी यूज कर सकते हैं। हालांकि कुछ सर्विसेज इस तरह के पासवर्ड के लिए अनुमति नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी एक कोशिश जरूर करें।
सेंटेंस का करें उपयोग
पासवर्ड के लिए किसी ऐसे वाक्य के बारे में सोचें जो केवल आप जानते हों, जैसे-अपने ई-मेल के लिए आप द क्विक ब्राउन फॉक्स जंप्स ओवर द लेजी डॉग जैसे वाक्य को बेस बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं। इस वाक्य के प्रत्येक वर्ड के पहले लेटर को आप पासवर्ड के लिए यूज कर सकते हैं टीक्यूठएफजेओटीएलडी। इसके अलावा, पासवर्ड के लिए कुछ ट्रिक भी अपना सकते हैं, जैसे- सिंपल पासवर्ड 123456 के बजाय पीएएस123एसडब्ल्यूओआरडी का यूज करें। इस तरह की ट्रिक पासवर्ड को सिक्योर करने में ज्यादा मददगार साबित होती है।
सब्टीट्यूट कैरेक्टर को करें यूज
सब्टीट्यूट कैरेक्टर का प्रयोग करें, जैसे-अंग्रेजी के ड शब्द की जगह जीरो न्यूमेरिकल (0) का और र शब्द की जगह डॉलर साइन का प्रयोग करें।
बचें साधारण पासवर्ड से
ऐसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में न चूज करें, जो बहुत कॉमन हों, जैसे-अपना नाम, कंपनी का नाम या अपने होमटाउन का नाम आदि। यही नहीं, अपने किसी खास रिलेटिव्स या पालतू जानवर या अपनी जन्मतिथि, जिप कोड या टेलीफोन नंबर को भी पासवर्ड के रूप में यूज न करें। अगर करना ही चाहते हैं, तो थोड़ा कॉम्प्लेक्स पासवर्ड यूज करें, जैसे-जिप कोड या फोन नंबर को रिवर्स ऑडर में यूज कर सकते हैं।
पासवर्ड रिपीट न करें
एक पासवर्ड का यूज एक जगह पर ही करें। सेम पासवर्ड को दूसरे अकाउंट के लिए यूज न करें। नॉर्मल काम के लिए लंबे पासवर्ड की जगह छोटा और आसान-सा पासवर्ड रखें, जैसे- किसी न्यूज वेबसाइट को पढ़ने के लिए आसान-सा पासवर्ड रखें या जनरल वेबसाइट में अकाउंट बनाते वक्त आसान-सा और कॉमन पासवर्ड रखें, ताकि याद करने में आसानी हो।
फोन से कनेक्ट करें
पासवर्ड कुछ सर्विसेज,जैसे-जीमेल पासवर्ड को मोबाइल फोन से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। अपने ईमेल को सुरक्षित रखने के लिए ईमेल पर मोबाइल नंबर का होना सबसे आसान और विश्वसनीय तरीकों में से एक है। उदाहरण के लिए, जब आप अपना जीमेल अकाउंट एक्सेस करते हैं, तो सर्विस प्रोवाइर की तरफ से एक वेरीफाई कोड मोबाइल पर भेजा जाता है।
कोड को यूज कर आप अकाउंट एक्सेस कर सकते हैं। यही प्रकिया दूसरे के लिए भी लागू होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका अकाउंट ओपन करना चाहेगा, तो सर्विस प्रोवाइडर कोड नंबर मोबाइल पर भेजगा, जिसके बिना अकाउंट एक्सेस नहीं होगा। इस तरह ई-मेल अकाउंट को मोबाइल से कनेक्ट करके भी अपने मेल सर्विस को सेफ किया जा सकता है।
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Sunday, August 17, 2014

मुश्किल घड़ी में ही निकालें पीएफ के पैसे

वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है। 
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।
न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी
पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।
मकान या आवासीय प्लॉट के लिए
मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।
होम लोन चुकाने के लिए
राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।
शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए
अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए
खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।
अक्षमता कम करने के लिए
शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।
रिटायरमेंट से एक साल पहले
रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।
5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स
यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है। कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।   मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥  ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें 
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो। * जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।
भरपाई की तैयारी 
ऐसेकुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।

वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है।
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।

न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी

पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।

मकान या आवासीय प्लॉट के लिए

मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।

होम लोन चुकाने के लिए

राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।

शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए

अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।

गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए

खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।

अक्षमता कम करने के लिए

शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।

रिटायरमेंट से एक साल पहले

रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।

5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स

यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है।

  • कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।

  • मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥

  • ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो।
* जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।

भरपाई की तैयारी ऐसे

कुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।
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वैसे तो भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) में जमा रकम रिटारयरमेंट के बाद इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा नौकरी में रहते हुए भी निकाला जा सकता है। इसके कुछ नियम-कायदे होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है।
नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में वेतन का एक निर्धारित हिस्सा जमा कराते हैं। इसे अंशदान कहा जाता है, जो हर माह पीएफ खाते में जमा होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भविष्य की जरूरतों के लिए बचत का शानदार माध्यम है। यहां भविष्य का अर्थ नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद का जीवन है। लिहाजा इसमें जमा रकम ब्याज के साथ रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त मिलती है। लेकिन, मौजूदा दौर में अधिकांश आम लोगों की आमदनी और खर्च का अंतर इस कदर कम हो गया है कि बचत न के बराबर हो गई है। ऐसे में कई बार मोटी रकम की जरूरत होने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, होम लोन चुकाने में परेशानी या किसी तरह की आपात स्थिति में ऐसे मौके आ सकते हैं। ऐसे हालात में पर्सनल लोन लेकर काम चलाया जा सकता है। चूंकि इस तरीके से रकम जुटाने की लागत ज्यादा होती है और सभी को आसानी से ऐसे कर्ज नहीं मिल पाते, लिहाजा पीएफ खाते से आंशिक निकासी मजबूरी बन जाती है।

न्यूनतम 5 साल की सदस्यता जरूरी

पीएफ खाते से आंशिक निकासी तभी की जा सकती है, ईपीएफ की सदस्यता कम-से-कम 5 वर्षों की हो। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ही पीएफ की रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, ऐसी स्थिति में खाता बंद हो जाएगा। दरअसल, इपीएफ खाते से निकासी के कुछ नियम और शर्तें हैं।

मकान या आवासीय प्लॉट के लिए

मकान निर्माण, खरीदने या घर बनाने योग्य जमीन लेने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। ऐसी जरूरतों के लिए 36 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या अंशदान (नियोक्ता की तरफ से अंशदान और ब्याज समेत) या निर्माण की लागत या फिर प्लॉट की कीमत में से जो कम हो, कम-से-कम उतनी रकम निकाली जा सकती है। यहां इस बात पर गौर करना मुनासिब होगा कि इस तरह की आंशिक निकासी नौकरी की पूरी अवधि में केवल एक बार की जा सकती है। मेंबरशिप की अवधि कम-से-कम पांच साल।

होम लोन चुकाने के लिए

राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य हाउसिंग बोर्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों से लिए गए होम लोन चुकाने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है। इस मकसद से निकाली जा सकनेवाली रकम का हिसाब-किताब उसी नियम से किया जाता है, जो मकान बनाने, खरीदने या फिर रिहायशी प्लॉट के लिए है। यह भी कार्यकाल के दौरान केवल एक बार की जा सकनेवाली आंशिक निकासी है। इसके लिए कम-से-कम 10 साल की सदस्यता जरूरी है।

शादी, पढ़ाई संबंधी जरूरतों के लिए

अपनी या बच्चों की शादी के लिए या बच्चों की उधा शिक्षा (10वीं से ऊपर की पढ़ाई) के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अपनाया जा सकता है। निकासी की रकम अंशदान और ब्याज की राशि के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती। इस तरह की निकासी मुकम्मल सेवाकाल में तीन बार की जा सकती है। पहली निकासी के लिए कम-से-कम इपीएफ की सात साल की मेंबरशिप जरूरी है।

गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए

खुद गंभीर रूप से बीमार हो जाने या फिर परिवार के किसी सदस्य को ऐसी बीमारी (टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर, मानसिक रोग, हृदय रोग आदि) होने की स्थिति में इलाज या बड़ी सर्जरी के लिए (रोगी का न्यूनतम एक माह तक अस्पताल में भरती रहना अनिवार्य शर्त) आंशिक निकासी की जा सकती है। अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या कुल अंशदान व ब्याज (इनमें से जो कम हो) के बराबर रकम मिलेगी। इस मामले में न्यूनतम सेवाकाल की कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी निकासी जरूरत पड़ने पर हर बार की जा सकती है।

अक्षमता कम करने के लिए

शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी अपनी अक्षमता कम करने के वास्ते उपकरण खरीदने के लिए पीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकता है। ऐसी स्थिति में निकासी की रकम अधिकतम 6 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते या संचित अंशदान व ब्याज या उपकरण की कीमत (इनमें से जो कम हो) के बराबर होगी।

रिटायरमेंट से एक साल पहले

रिटायर होने से एक साल पहले पीएफ खाते की 90 फीसद रकम निकाली जा सकती है। लेकिन, शर्त यह है कि निकासी के समय कर्मचारी की उम्र कम-से-कम 54 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा देश से बाहर काम पर जाने या बसने और नौकरी छोड़ने की स्थिति में कभी भी पूरी निकासी की जा सकती है।

5 वर्ष से पहले निकासी पर टैक्स

यदि सदस्या की अवधि 5 वर्ष पूरी होने से पहले पीएफ खाते से निकासी की जाती है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स देना पड़ता है।

  • कर्मचारी के अंशदान पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत जितनी छूट मिली होती है, उतनी आय निकासी के साल करयोग्य मानी जाएगी।

  • मूल वेतन के 12 फीसद तक नियोक्ता के अंशदान को वेतन की आय के रूप में करयोग्य माना जाएगा॥

  • ईपीएफ खाते में ब्याज की रकम पर अन्य स्रोत से आमदनी के रूप में इनकम टैक्स देना होगा।
टैक्स से छूट की शर्तें
1. कर्मचारी की नौकरी पांच साल से पहले खराब स्वास्थ्य या ऐसे किसी कारण से छूटी हो जिसके लिए वह जिम्मेदार न हो।
2. पुराने ईपीएफ खाते से नए नियोक्त के जरिए खुले ईपीएफ खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई हो।
* जाहिर है, पांच साल से पहले नौकरी बदलने पर पीएफ खाते से पैसा निकालने के बजाय उसे ट्रांसफर कराना फायदेमंद होता है।

भरपाई की तैयारी ऐसे

कुल मिलाकर अन्य व्यावहारिक उपाय न होने पर ही नौकरी करते हुए पीएफ खाते से आंशिक निकासी का विकल्प अनाना चाहिए। फिर भी, यदि निकासी करनी पड़े तो इसकी भरपाई की तैयारी भी होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका है अपनी इच्छा से हर माह कुछ रकम स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में जमा कराना। यह रकम पीएफ के तौर पर काटी जा रही राशि के अतिरिक्त होगी। कुछ वर्षों के बाद आपने जो पैसा पीएफ से निकाला था, वीपीएफ के जरिए जमा हो रही रकम से उसकी भरपाई हो जाएगी।
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Friday, August 15, 2014

एप से भेजें फेसबुक पर दोस्तों को पैसा

दूर-दराज क्षेत्रों में अपने परिचितों को पैसा भेजना अब मोबाइल वॉलेट ने ज्यादा सुविधाजनक बना दिया है। इसके जरिए आप किसी भी परिचित को पैसा भेज सकते हैं। मनी ट्रांसफर के क्षेत्र में काम करने वाली ऑक्सीजन ने बुधवार को मोबाइल एप के जरिए फेसबुक और अन्य सोशल साइट पर अपने दोस्तों को पैसा भेजने की सुविधा की भी शुरुआत कर दी।
क्या है मोबाइल वॉलेट
यह एक तरह का एप है जिसे आप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं। आप सुविधा और तय नियमों के मुताबिक एक खास रकम बैंक खाते से इसमें डाल सकते हैं। इसकी मदद से आप अपना या किसी परिचित का मोबाइल, डीटीएच टीवी रिचार्ज कर सकते हैं। मोबाइल या किसी अन्य तरह का बिल भर सकते हैं। इसके जरिये ऑनलाइन खरीदारी भी कर सकते हैं।

खाते में भेज सकते हैं रकम
मोबाइल वॉलेट से एक बार में अधिकतम 5,000 रुपये की लेन-देन कर सकते हैं। इसके तहत जिसको पैसा भेजना है उसका बैंक खाता संख्या और नाम की जरूरत है।

छोटी राशि पर केवाईसी नहीं
मोबाइल वॉलेट से 10 हजार रुपये तक लेन-देन करने के लिए केवाईसी जरूरी नहीं है। नाम, मोबाइल संख्या, ईमेल और जन्म तिथि की जानकारी पर इसकी सुविधामिल रही है। लेनदेन की अधिकतम सीमा 50 हजार रुपये है।

ऑनलाइन खरीदारी में भी फायदेमंद
मोबाइल वॉलेट ऑनलाइन खरीदारी में ज्यादा फायदेमंद हैं क्योंकि उसमें पासवर्ड हैक होने की स्थिति में आपको ज्यादा नुकसान होने का खतरा नहीं रहता है। ऑक्सीजन ने इसे और सुरक्षित बनाने के लिए हर लेनदेन पर एक पासवर्ड (वन टाइम पासवर्ड) की सुविधा दे रही है जो रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आ जाता है। इसकी सुरक्षा का स्तर ऑनलाइन बैंकिंग के स्तर का है। कंपनी का कहना है कि ऑनलाइन खरीदारी की औसतन राशि 10 हजार रुपये से कम है जिसकी वजह से यह उसके लिए ज्यादा उपयोगी हैं।

युवा उपभोक्ताओं पर नजर
देश में 90 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता और 10 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता हैं। इसमें से ज्यादातर संख्या युवाओं की है। ऑक्सीजन के संस्थापक और सीमडी प्रमोद सक्सेना ने कहा कि इसे देखते हुए कंपनी ने वैश्विक मोबाइल ट्रांसफर कंपनी फास्टकैश के साथ करार किया है।

पराया एटीएम सिर्फ तीन बार होगा मुफ्त

मुंबई। बार-बार एटीएम से पैसा निकालने की आदत बदलनी होगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरे बैंक के एटीएम से मुफ्त ट्रांजैक्शन की संख्या को घटा दिया है। एक नवंबर से हर महीने में पांच के बजाय सिर्फ तीन ही मुफ्त ट्रांजैक्शन किए जा सकेंगे। अनुमत संख्या से अधिक प्रत्येक लेन-देन पर 20 रुपये चुकाने होंगे। यह व्यवस्था दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलूर, कोलकाता और हैदराबाद में लागू होगी। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने इस बाबत केंद्रीय बैंक से सिफारिश की थी। अपने बैंक के एटीएम के संदर्भ में आरबीआइ ने कहा है कि बैंकों को कम से कम प्रत्येक महीने पांच मुफ्त ट्रांजैक्शन की अनुमति देनी ही होगी।

रिटर्न जांच के दायरे में आने पर घबराने की जरूरत नहीं

ज्यादातर करदाताओं के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की ऑडिट या जांच-पड़ताल का मतलब लंबे समय तक जारी रहने वाली परेशानी होती है। लेकिन, असल में ऐसा नहीं है। कई मामलों में यह औपचारिक प्रक्रिया भर होती है। 
वास्तव में जांच के लिए टैक्स रिटर्न छांटने की कोई गंभीर वजह नहीं होती, बल्कि कुछ रिटर्न यूं ही छांट लिए जाते हैं। इसके बाद आयकर अधिकारी संबंधित करदाता से अतिरिक्त जानकारी मांगते हैं। ऐसे मामलों में करदाता को इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 143(2) के तहत नोटिस भेजा जाता है।इसके जरिए करदाता को आयकर विभाग के दफ्तर जाकर अतिरिक्त दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा जाता है। ज्यादातर मामलों में यह औपचारिक प्रकिया भर होती है। इससे किसी तरह के अपराध का संकेत नहीं मिलता।इसके जरिए केवल यह पता लगाने की कोशिश होती है कि कोई आमदनी छूट तो नहीं गई है। सभी सवालों के दें जवाब जाहिर है, यदि किसी करदाता का टैक्स रिटर्न जांच के दायरे में आता है तो घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इनकम टैक्स विभाग की तरफ से मांगी गई सभी जानकारी समय पर मुहैया कराना चाहिए।इसके अलावा सभी सवालों के जवाब जरूर देने चाहिए। सवालों के जवाब देने के लिए पत्र व्यवहार किया जा सकता है या फिर दफ्तर जाकर यह काम निपटाया जा सकता है। टैक्स अधिकारी सेलरी सर्टिफिकेट या फॉर्म 16 की मांग कर सकते हैं। फॉर्म 16 में ग्रॉस सेलरी और टैक्स कटौती की विस्तृत जानकारी होती है। इसके अलावा घर के किराए की रसीदें और मकान मालिक के साथ रेंट एग्रीमेंट (यदि इस तरह की कोई छूट ली गई हो तब) और बैंक स्टेटमेंट भी मांगे जा सकते हैं। फार्म 16ए में टीडीएस सर्टिफिकेट जरूर होना चाहिए और इसे आयकर अधिकारी के पास जमा कराना चाहिए। इनकम टैक्स विभाग रिटर्न फाइल किए जाने का महीना खत्म होने से एक साल के अंदर नोटिस भेज सकता है।
ली जा सकती है चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद
इनकम टैक्स रिटर्न से संबंधित नोटिस मिलने पर चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद ली जा सकती है। उसे रिटर्न में दी गई सभी जानकारियों के साक्ष्य दिखाना चाहिए। यदि कोई करदाता आयकर विभाग के पास अधिकृत प्रतिनिधि भेजना चाहता हो, तो इसके लिए उसके पक्ष में एक वैध 'पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होगी।यदि करदाता या उसके प्रतिनिधि समय पर मौजूद नहीं हो पाते, तो ऐसी स्थिति में सुनवाई की तारीख से पहले स्थगन आवेदन दायर किया जाना चाहिए।

Tuesday, August 12, 2014

मुफ्त में सरकारी नौकरी की जानकारी देकर करोड़ों रुपए कमाता है यह शख्स


वाराणसी के एक शख्स अर्पित सेठ ने एक वेबसाइट बनाई है। इससे बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरियों की मुफ्त जानकारी मिलती है। sarkariexam.com की वेबसाइट पर हर विभाग में होने वाली छोटी-बड़ी भर्तियों के बारे में जानकारी उपलब्ध है। साथ ही इसमें नौकरी के लिए आवेदन करने के आसान तरीकों को भी बताया जाता है। इस वेबसाइट के जरिए वह एक करोड़ रुपए सालाना कमा रहे हैं।
 इस वेबसाइट को बनाने वाले अर्पित सेठ महमूरगंज के रहने वाले हैं। बीटेक करने के बाद उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत टाटा कंपनी से की थी। उस वक्त उन्हें 25 हजार रुपए की तनख्वाह मिलती थी। उसके बाद वह सालाना 18 लाख रुपए के पैकेज पर मलेशिया चले गए। वहां उन्होंने इंटरनेशनल कंपनी आईगेट में करीब डेढ़ साल तक काम किया। 
विदेश में नहीं लगा मन
विदेश में उनका मन नहीं लगता था। माता-पिता की बहुत याद आती थी। ऐसे में वह नौकरी छोड़कर वाराणसी आ गए। मन में कुछ अलग करने की चाहत थी। शहर में बेरोजगार युवकों को देखकर उन्हें काफी तकलीफ होती थी। ऐसे में उन्होंने यह वेबसाइट बनाने की सोची, ताकि युवाओं को सरकारी भर्तियों के बारे में जानकारी दे सकें। आज उनके वेबसाइट से करीब 15 लाख लोग जुड़कर इसका फायदा उठा रहे हैं।  
 कैसे हुई शुरुआत
अर्पित ने बताया कि बदलते जमाने में हर कोई इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। सब कुछ ऑनलाइन प्रक्रिया से जुड़ रहा है। ऐसे में उन्होंने सरकारी नौकरियों की जानकारी देने का एक नया तरीका तलाशा। नई तकनीक के सहारे वेबसाइट बनाई। इसे अपडेट करने की जिम्मेदारी पत्नी श्वेता पर है। इस प्रॉजेक्‍ट पर बीएचयू आईआईटी के 10 छात्र भी काम करते हैं। 
 sarkariexam.com के अचीवमेंट 
1. इस वेबसाइट का गूगल, याहू और कॅरियर बिल्‍डर जैसी बड़ी कंपनियों से करार हुआ है।
2. अमेरिका की मशहूर कंपनी मैट्रिक्स लैब द्वारा कॅरियर कैटगरी के अंतर्गत वेबसाइट ऑफ द ईयर-2013 का अवॉर्ड मिला।
3. व्‍हाट्स एप के जरिए इस वेबसाइट को एक साथ 50 हजार लोगों ने शेयर किया।
4. देश-दुनिया से करीब 12 लाख जी-मेल के जरिए इस वेबसाइट पर रजिस्‍टर्ड हैं। इन्‍हें नौकरी की जानकरी नि:शुल्‍क दी जाती है।
5. फेसबुक पर इस वेबसाइट से तीन लाख 60 हजार से ज्‍यादा लोग जुड़े हैं।

Monday, August 11, 2014

पहली सैलरी से ही करोड़पति बन गए इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स

कोटा। गूगल की वजह से नॉन-आईआईटी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट सीजन की शानदार शुरुआत हुई है। गूगल ने बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ऐंड साइंस (BITS), पिलानी के स्टूडेंट्स को 2,35,000 डॉलर (1.44 करोड़ रुपये) तक की पेशकश की है। माइक्रोसॉफ्ट ने अमेरिका में अपने हेडक्वॉर्टर में जॉब्स के लिए स्टूडेंट्स को 79.51 लाख रुपये का ऑफर दिया है। पिछले वर्ष गूगल ने 68.34 लाख रुपये और माइक्रोसॉफ्ट ने 60 लाख रुपये की टॉप सैलरी ऑफर की थी।
अमेजॉन, ईबे, फ्लिपकार्ट, स्कूमबर्गर और कोड नेशन जैसी स्टार्टअप्स ने भी सैलरी पैकेज पिछले वर्ष के मुकाबले 25 पर्सेंट तक बढ़ा दिया है। साथ ही, ये कंपनियां बड़ी संख्या में हायरिंग कर रही हैं।
बिट्स पिलानी यूनिवर्सिटी के चीफ प्लेसमेंट ऑफिसर जी. बालासुब्रमण्यन ने कहा, 'इस वर्ष रिक्रूटर्स की संख्या में 40 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। गोवा कैंपस में तो आंकड़ा 100 पर्सेंट का है।' बिट्स के पिलानी, गोवा, हैदराबाद और दुबई में कैंपस हैं। वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ यूनिवर्सिटी के डिप्टी डायरेक्टर (प्लेसमेंट) सैमुअल राजकुमार ने बताया, 'कई कंपनियों ने सैलरी पैकेज औसतन 20 पर्सेंट बढ़ाए हैं।' नॉन-आईआईटी कॉलेजों में प्लेसमेंट आईआईटी में कैंपस हायरिंग से पहले होता है। आईआईटी में इसकी शुरुआत दिसंबर में होती है। इन इंस्टिट्यूट्स के शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि जॉब मार्केट में खुशी के दिन लौट आए हैं। एपिक सिस्टम्स ने 1,08,300 डॉलर (66.4 लाख रुपये) और स्कूमबर्गर ने 1,05,000 डॉलर (64.4 लाख रुपये) के साथ भारी-भरकम सैलरी की पेशकश करने वाली कंपनियों में जगह बनाई है। कैम्पस के सूत्रों ने बताया कि गोल्डमैन सैक्स ने इस वर्ष टेक्नॉलजिकल डिविजन में जॉब के लिए 13 लाख रुपये दिए हैं। पिछले वर्ष यह पेशकश 11 लाख रुपये की थी। स्ट्रैटेजी रोल्स के लिए इनवेस्टमेंट बैंक ने कुछ कैम्पस में 35 लाख रुपये तक ऑफर किए हैं। अमेजॉन ने मोतीलाल नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, इलाहाबाद और एनआईटी, कालीकट में 3 स्टूडेंट्स को 25 लाख रुपये ऑफर किए हैं। एनआईटी, वारंगल और एनआईटीके, सूरतकल में ऑफर 18 लाख रुपये तक हैं। ये ऑफर डोमेस्टिक जॉब्स के लिए हैं। इसकी राइवल फ्लिपकार्ट अपनी कंपनियों और सब्सिडियरी मिंट्रा के लिए स्टूडेंट्स को 15 लाख रुपये से कुछ ज्यादा की सैलरी की पेशकश कर रही है। स्टार्टअप्स भी सैलरी ऑफर देने में पीछे नहीं रहना चाहती। हाई-क्वॉलिटी एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर बनाने वाली कोडनेशन सभी कैम्पस में 24 लाख रुपये का ऑफर दे रही है, जो फ्लिपकार्ट से कुछ ज्यादा है। इसने एनआईटी, वारंगल, वीआईटी यूनिवर्सिटी से हायरिंग की है।

Saturday, August 9, 2014

मोदी सरकार ने खोजा नया तरीका, खुद कीजिए एलपीजी सब्सिडी से तौबा

कोटा।  देश पर सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए मोदी सरकार ने एक नया तरीका खोजा है। सरकारी तेल कंपनियां आम जनता से यह अपील कर रही हैं कि वे राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए खुद ही सब्सिडी वाले सिलेंडर वापस कर दे। सरकार को उम्मीद है कि उसकी अपील से कम से कम एक करोड़ लोग सब्सिडी वाले सिलेंडर छोड़कर एलपीजी की पूरी कीमत देना शुरू कर देंगे। इससे सब्सिडी बिल में 3,500 करोड़ रुपये की सालाना बचत हो सकेगी।
देश की दिग्गज पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन [आइओसी] ने तो फैसला किया है कि सब्सिडी वाले कनेक्शन लौटाने वालों का नाम वेबसाइट पर डालकर उनका सम्मान करेगी। कंपनी का कहना है कि अभी तक 1470 ग्राहकों ने सब्सिडी वाले सिलेंडर लौटाए हैं। ये ग्राहक उनकेस्थान पर एलपीजी सिलेंडर की पूरी कीमत चुकाने को तैयार हो गए हैं। इससे 88.20 लाख रुपये की सालाना बचत हो रही है। आइओसी अपना अभियान राष्ट्र निर्माण से जोड़ कर चला रही है। इस बारे में ग्राहकों को जो एसएमएस भेजा जा रहा है उसमें यह पूछा जा रहा है, 'क्या आप राष्ट्र निर्माण में भागीदार होना चाहते हैं। यह बहुत आसान है। अपने सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर को वापस कीजिए।'
तेल कंपनियों ने पहले यह अभियान सिर्फ अपने कर्मचारियों के लिए शुरू किया था, लेकिन अब इसमें आम जनता को भी शामिल कर लिया गया है। दिल्ली में सब्सिडी और बगैर सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत में 450 रुपये का अंतर है। ऐसे में जो भी ग्राहक तेल कंपनियों की अपील को स्वीकार करेगा, उस पर सालाना 5,400 रुपये का बोझ पड़ेगा। लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय और तेल कंपनियों को भरोसा है कि देश में करोड़ो ग्राहक ऐसे हैं जो रसोई गैस की पूरी कीमत देने में सक्षम है। यह वर्ग राष्ट्र हित में सब्सिडी वाले सिलेंडर लौटा सकता है। कंपनियों का कहना है कि सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की वापसी से जो राशि बचेगी उसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्र में एलपीजी के विस्तार पर खर्च किया जाएगा।
इसके पहले संप्रग के कार्यकाल में भी एलपीजी सब्सिडी बचाने के लिए कई अभियान चलाए गए थे। एक ही पते पर एक से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन को काटने का अभियान चलाया गया था। साथ ही हर परिवार को साल में सब्सिडी वाले सिर्फ नौ सिलेंडर देने का फैसला किया गया था।

वेतन को भत्तों में बांट कर कंपनियां कम कर लेती हैं पीएफ देनदारी, होगी जांच

कोटा।  कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने नियोक्ताओं द्वारा वेतन को विभिन्न मदों में बांट देने के मसले से निपटने की तैयारी कर ली है। ईपीएफओ ने अपने 120 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालयों को कहा है कि वे ऐसी कंपनियों की जांच करें, जो कर्मचारियों के कुल वेतन के 50 फीसदी या कम राशि पर पीएफ की कटौती कर रही हैं।
 नियोक्ता अक्सर कर्मचारियों के कुल वेतन को अलग-अलग भत्तों आदि में बांट देते हैं, ताकि उनकी पीएफ देनदारी कम हो जाए। इस कोशिश में नियोक्ता अपने कर्मचारियों की टेक होम सैलरी भी बढ़ा देते हैं। ध्यान रहे कि किसी कर्मचारी के मूल वेतन (बेसिक वेजेज) के आधार पर उसका पीएफ काटा जाता है।
 क्या है नियम
 मौजूदा नियम यह है कि पीएफ में योगदान के लिए किसी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 फीसदी कर्मचारी से लिया जाता है, जबकि इतनी ही राशि का योगदान नियोक्ता की ओर से भी लिया जाता है।  
 कहां गड़बड़ी करते हैं नियोक्ता
 ईपीएफओ को ऐसी जानकारियां मिली हैं जहां कर्मचारियों के कुल वेतन को नियोक्ताओं ने इस तरह विभाजित किया है कि उनकी पीएफ देनदारी घट जाए। 
क्या है आदेश
 ईपीएफओ के एक आदेश में कहा गया है, ‘क्षेत्रीय कार्यालयों के सभी प्रमुखों को यह निर्देश दिया गया है वे उन सभी संस्थानों की जांच करें जहां कुल वेतन के 50 फीसदी या उससे कम राशि के आधार पर पीएफ काटा गया है।’आदेश में कहा गया है कि यह जांच 31 अगस्त 2014 तक पूरी कर ली जानी चाहिए। ईपीएफओ मुख्यालय ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा है कि वे इस बारे में अपनी रिपोर्ट 7 सितंबर 2014 तक पेश कर दें।
क्या कहता है एक्ट
 इम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड एंड मिसलेनियस प्रॉविजन्स एक्ट 1952 के सेक्शन 2 (बी) के तहत पीएफ कटौती के लिहाज से मूल वेतन में उन सभी लाभों को शामिल किया जाता है जो कोई कर्मचारी अपनी ड्यूटी के दौरान हासिल करता है। हालांकि इस सेक्शन में आगे यह भी कहा गया है कि फूड कन्सेशन की कैश वैल्यू, डियरनेस अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, ओवरटाइम अलाउंस, बोनस, कमीशन या इसी तरह का अन्य अलाउंस और नियोक्ता की ओर से दिया गया गिफ्ट उस कर्मचारी के मूल वेतन में शामिल नहीं होता।
 नवंबर 2012 में जारी की थी अधिसूचना
 ईपीएफओ ने इस संबंध में इससे पहले नवंबर 2012 में वेतन आपस में जोडऩे के लिए अधिसूचना जारी की थी, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया था। नवंबर 2012 की इस अधिसूचना में कहा गया था, ‘ऐसे सभी भत्ते, जो कर्मचारियों को सामान्यतः, अनिवार्यतः और एकसमान तरीके से अदा किए जाते हैं, मूल वेतन माने जाने चाहिए।’    
 

Wednesday, August 6, 2014

यात्रियों को ऑनलाइन रिजर्वेशन अब पड़ेगा सस्ता

कोटा।  महंगे सफर का झटका खा चुके यात्रियों के लिए कुछ राहत जल्द मिली है। ऑनलाइन रिजर्वेशन के दौरान बार-बार तमाम जानकारी देने के झंझटों से छुटकारा मिलेगा तो टिकट बुक करना भी सस्ता होगा। इसके लिए आइआरसीटीसी ने अपनी वेबसाइट पर आरडीएस सुविधा शुरू की है, जिसके इस्तेमाल से ग्राहक सीधे रिजर्वेशन करा सकेंगे। हां, इस पूरी प्रक्रिया में बैंक खाते से रकम तभी कटेगी, जब उनका रिजर्वेशन हो जाएगा।
आइआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड) को रिजर्वेशन के दौरान होने वाली गड़बड़ी की लंबे समय से शिकायत मिल रही थीं। इनमें टिकट बुक न होने पर भी बैंक खाते से रकम कट जाने की दिक्कत प्रमुख थी। बैंकों का मनमाना सर्विस चार्ज भी ग्राहकों की जेब काट रहा था। आइआरसीटीसी ने इस मुसीबत का तोड़ ढूंढ निकाला है। जुलाई में फास्ट सर्वर एन-गेट लगाकर तत्काल टिकट पाना आसान बनाया। अब इस सुविधा को और मजबूत बनाते हुए आइआरसीटीसी ने यात्रियों को रूलिंग डिपोजिट स्कीम (आरडीएस) की सौगात दी है।
यह होगी सुविधा
पहले रिजर्वेशन कराने के लिए आइआरसीटीसी की साइट पर जाने के बाद एटीएम, कैश कार्ड और स्मार्ट कार्ड का नंबर डालना होता था। अन्य जानकारी भी भरनी होती थी। अब ऐसा नहीं होगा। आरडीएस का लाभ उठाने के लिए आए दिन सफर करने वाले यात्री आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपनी रिक्वेस्ट भेजेंगे। इसके बाद यात्री से पर्सनल और बैंक खाते की डिटेल मांगी जाएगी, जिसे उपलब्ध कराते ही उसे आरडीएस की सुविधा मिल जाएगी। उसे गोपनीय पासवर्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा।
रिजर्वेशन के दौरान यात्रियों को आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर आरडीएस ऑप्शन को खोलकर वहां सीधे टिकट बुक कर देंगे। बैंक या अन्य व्यक्तिगत जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी। टिकट बुक खुद ब खुद रकम खाते से कट जाएगी।
बैंक का सर्विस चार्ज घटेगाअभी तक आइआरसीटीसी वेबसाइट पर रिजर्वेशन कराने पर एटीएम, कैश और स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल होता था। इसके जरिये एक हजार रुपये तक के टिकट पर बैंक 10 रुपये सर्विस चार्ज काट लेते थे, लेकिन नई सुविधा से चार्ज भी घट जाएगा। 2000 रुपये के टिकट पर 0.75 फीसद और इससे अधिक के टिकट पर मात्र एक फीसदी कटौती होगी। यानी एक हजार रुपये के टिकट पर 07.50 रुपये जाएंगे।
सर्वर फेल से नहीं अटकेगा टिकट
अक्सर टिकट बुक करते वक्त आइआरसीटीसी का सर्वर फेल होने पर रिजर्वेशन नहीं हो पाता था, अलबत्ता खाते रकम जरूर कट जाती थी। दोबारा रकम वापसी के लिए कड़ी मशक्कत करनी होती थी। आरडीएस का इस्तेमाल करने पर टिकट बुक होने के बाद ही खाते से रकम कटेगी।
बड़ी राहत
यात्रियों के लिए यह बड़ी राहत है। उन्हें तमाम झंझटों से आइआरसीटीसी ने मुक्ति दी है। अब वे आसानी से रिजर्वेशन प्राप्त कर सकेंगे। - राजेंद्र सिंह, पीआरओ इज्जतनगर रेल मंडल

Monday, August 4, 2014

नाभि का आकार खोलता है महिलाओं से जुड़े कई राज

सामुद्रिक शास्त्र में नाभि का भी जिक्र किया गया है। नाभि पेट पर मौजूद हमारे शरीर का एक बेहद खूबसूरत हिस्सा है। वैसे, आप चाहे जैसे भी नाभि की खूबसूरती बढ़ा लें, लेकिन सच यह है कि इसकी वास्तविक स्थिति आपसे जुड़ी कई सचाइयां बयां करती है। आइए, जानें किसी महिला की नाभि उनसे जुड़े कैसे राज को खोलती है।
यदि नाभी खड़ी हो
कहते हैं जिस महिला की नाभि खड़ी हो वह काफी हिम्मत वाली और स्वभाव से निडर होती हैं। अपना कोई भी काम मन लगाकर करती हैं। हां, काम में सफाई उन्हें काफी पसंद होता है। जबतक काम करने के बाद संतुष्टि न हो तबतक उस काम के पूरा होने पर भी उन्हें अधूरेपन का एहसास रहता है।
जिसकी नाभि हो गोल
कई महिलाओं की नाभि का आकार गोल होता और उन महिलाओं के बारे में माना जाता है कि वे स्वभाव से काफी सरल और सौम्य होती हैं। तन से स्वस्थ्य और सोच-विचार के मामले में दूसरों से हमेशा एक कदम आगे रहती हैं ऐसी महिलाएं।
जिनकी नाभि एकदम बीच में न हो
कुछ महिलाओं की नाभि पेट के बीच न होकर थोड़ी अलग हटकर होती है। कहते हैं ऐसी महिलाएं बातें करने में काफी तेज होती हैं। मूड स्विंग ज्यादा होता रहता है इनका और स्पोर्ट्स में इनकी काफी ज्यादा रुचि होती है।
हॉरिज़ॉन्टल हो नाभि जिनकी
जिनकी नाभि का शेप हॉरिजॉन्टल हो, उस महिला से थोड़ी दूरी बनाकर चलना बेहतर है। आपकी अच्छी बातों में से भी गलत पॉइंट्स निकाल लेंगी ये और ये हर वक्त दूसरों में मौजूद कमियों को निकालने में लगी होती हैं।
जिस महिला की नाभि अंदर की ओर हो
कहते हैं कि जिस महिला की नाभि दिखने में खोखली यानी अंदर की ओर हो, स्वभाव से वह बहुत ही अच्छी होती हैं। उनका नेचर ही है, जो उन्हें हमेशा सबके करीब रखता है। काफी इमोशनल और दूसरों का खूब खयाल रखना आता है इन्हें।
जिनकी नाभि हो ज्यादा सेंसिटिव
जिन महिलाओं की नाभि काफी ज्यादा सेंसिटिव हो उन्हें हंसना-हंसाना बेहद पसंद है। ऐसी महिलाओं का साथ है तो समझिए कि दुखी होने के बाद भी आप दुखी रह नहीं पाएंगे, क्योंकि वह आपको हसं बगैर रहने नहीं देगी।
जिनकी नाभि बाहर की ओर मुंह किए हो
बाहर की ओर झांकती हुई नाभि जिस महिला की हो उसे भाग्य की धनी कह सकते हैं। हमेशा पॉज़िटिव सोच रखती हैं और हर चीज को लेकर उत्साहित रहती हैं ये।
नाभि के बीच का हिस्सा अंदर हो
जिनकी नाभि के बीच का हिस्सा अंदर हो, कहते हैं ऐसी महिलाएं आसानी से गर्भवती हो जाती हैं। स्वभाव से सरल होती हैं ये।
जिनकी नाभि सेंसिटिव न हो
जिस महिला की नाभि सेंसिटिव न हो वे स्वभाव से काफी कठोर होती हैं। हालांकि, बात-बात पर इन्हें इमोशनल होना भी खूब आता है। वैसे, एक बात आप यह जरूर जान लें कि ऐसी महिलाएं यदि रूठ जाएं तो उन्हें मनाना उतना आसान नहीं जितना आप समझते हैं।
नाभि के बीच का हिस्सा ज्यादा बाहर निकला हो
कहते हैं जिस महिला की नाभि के बीच का हिस्सा बाहर की ओर निकला हुआ हो उन्हें कंसीव करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसा भी कहते हैं कि कुछ मामलों में ऐसी महिलाएं मां बनने से वंचित भी रह जाती हैं।
यदि नाभि के बीच का हिस्सा थोड़ा बाहर हो
जिस महिला की नाभि के बीच का हिस्सा हल्का सा बाहर हो उन्हें भी कंसीव करने में काफी दिक्कतें आती हैं। कहा जाता है ऐसा महिलाओं को एक ही बच्चा होता है।

हाड़ौती के धनिए पर लगेगा 120 करोड़ रुपए का वैट

कोटा । राज्य सरकार की ओर से धनिए और अन्य मसालों पर लगाए गए पांच फीसदी वैट का असर व्यापारियों, किसानों के अलावा आम नागरिक पर भी पड़ रहा है। व्यापारी को तो वैट में दी गई राशि का तीन फीसदी वापस मिल जाता है। लेकिन, इस राशि को सेल्सटैक्स विभाग से पाने के लिए उसके पसीने छूट जाते हैं। व्यापारी इसका इसलिए विरोध कर रहे हैं कि उनकी एक नंबर की करोड़ों की राशि राज्य सरकार के पास जमा हो जाती है। जिससे उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता है।
राज्य सरकार ने जैसे ही 14 जुलाई को धनिया और अन्य मसालों पर पांच प्रतिशत वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लागू किया, व्यापारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि इससे व्यापारियों के पैसे सरकार के पास उलझ जाएंगे। जिसका भार किसानों और आम लोगों पर भी पड़ेगा। अब यह विरोध मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है।

हाड़ौती में 2400 करोड़ के धनिए का उत्पादन
व्यापारीशिवकुमार जैन अविनाश राठी के अनुसार हाडौती में 60 लाख बोरी धनिए का उत्पादन होता है, जिसकी कीमत 24 सौ करोड़ है। व्यापारी इसे खरीदते हैं तो उन्हें 120 करोड़ रुपए पांच प्रतिशत के रूप में वैट देना होगा।
मंडी में 5 तरह का टैक्स:
किसानसे खरीदे गए धनिए पर पांच प्रकार का टैक्स लगता है। इसमें आढ़तिए का दो प्रतिशत, मंडी शुल्क 1.60 प्रतिशत, एसो का धर्मादा प्वाइंट 03 प्रतिशत, दलाली शुल्क 15 पैसे प्रति बोरी तथा वैट पांच प्रतिशत शामिल है। यह सभी टैक्स व्यापारी किसान से अढ़तिए के माध्यम से जिंस खरीदने पर बेचते समय वसूल करता है।
पहलेभी लगाया था टैक्स:
 भाजपाकी पिछली सरकार के समय 1 अप्रैल 06 को पांच प्रतिशत वैट लागू हुआ था। इसके अलावा 4% सीएसटी (केन्द्र सरकार के टैक्स) भी लागू थे, वर्ष 2007 में इसे तीन और बाद में 2% कर दिया गया। 6 मार्च-13 को राज्य सरकार ने इसे खत्म कर दिया। अब सरकार ने 14 जुलाई-14 को इसे फिर से लागू कर दिया है।

किसान और आम आदमी पर भार
वैटका असर किसानों पर भी पड़ता है। आम आदमी पर तो इसका दोहरा भार पड़ता है। व्यापारी किसानों से धनिया पांच प्रतिशत वैट को आधार बनाकर कम राशि में खरीदता है। यानि चार हजार रुपए का एक बोरी धनिया 200 रुपए कम में खरीदा जाएगा। इसे पांच प्रतिशत वैट लगाकर बड़े व्यापारियों को बेचा जाता है। वहां से रिटेलर के पास पहुंचने में उसका लाभ भी इसमें जुड़ जाता है। जो धनिया अभी मंडी में 100 से 120 रुपए किलो है, वह बाजार में 140 रुपए किलो तक बिक रहा है।

Sunday, August 3, 2014

इन टोटकों में छिपा है आपकी समस्या का समाधान

अक्सर ऐसा होता है कि हमारा सोचा हुआ काम वक्त पर पूरा नहीं होता या फिर कुछ अच्छा हाथ आते-आते सब गड़बड़ हो जाता है। चाहे समस्या कोई भी हो, लेकिन तंत्र शास्त्र में उपायों को काफी अहमियत है। तंत्र शास्त्र के अनुसार आपकी हर समस्या का समाधान उनके पास अवश्य होता है। प्रस्तुत हैं कुछ ऐसे अचूक टोटके जिसे लोग अपनाकर अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होते हैं।
हींग -आपके काम बनाने में हींग का भी एक टोटका काम करता है। कहते हैं, जब काफी कोशिशों के बाद भी आपका मनचाहा काम नहीं हो पा रहा हो तो एक चुटकी हींग अपने सिर के ऊपर से घुमाकर उत्तर की दिशा में फेंक दें और उसके बाद घर से बाहर निकलें।
इलायची -जब आप किसी खास काम से घर से बाहर निकल रहे हों तो तीन हरी इलायची अपने दाएं हाथ में रखें और श्रीं श्रीं के उच्चारण के बाद इसे खा लें। इलायची खाने के बाद घर से बाहर कदम रखें, लेकिन ध्यान रहे कि घर से निकलने के दौरान घर की ओर पलट कर न देखें। कहते हैं कि ऐसा करने से आप जिस काम से बाहर निकल रहे हैं वह बन जाता है।
नीला धागा -आप किसी ऐसे जरूरी काम से निकल रहे हों, जिसके होने का आपको लंबे समय से इंतजार है तो इसके सफल होने के लिए यह टोटके अपना सकते हैं। आप हाथ में नीले रंग का धागा लेकर घर से निकलिए और रास्ते में जो भी तीसरे नंबर पर खंभा नजर आए उस खंभे पर उस धागे को लपेट दें। लपेटते वक्त अपनी मनोकामना मन ही मन जरूर कहें।
कौए को रोटी -आप घर से बाहर निकल रहे हों तो हाथ में रोटी रख लें। रास्ते में ध्यान रखें कि जहां भी कोई कौआ नजर आए उस कौओ को यह रोटी डाल दें। देख लें कि यदि कौए ने उस रोटी में मुंह लगा दिया है तो आप आगे बढ़ सकते हैं। लोग मानते हैं कि ऐसा करने से काम बनने के रास्ते नजर आने लगते हैं।
सिंदूर -हनुमान जी की मूर्ति से सिंदूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएं। इसके बाद मां सीता से एक सांस में अपनी कामना श्रद्धापूर्वक कहें। कहते हैं ऐसा करने से हर तरह की दिक्कत दूर होती है और काम बन जाता है।