Sunday, April 26, 2015

कोटा के बच्चों ने सर्विस टैक्स में दिए 1.20 अरब

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। कोटा में आईआईटी और मेडिकल की कोचिंग ले रहे 1.30 लाख बच्चों ने वर्ष 2014-15 में 1.20 अरब रुपए का सर्विस टैक्स दिया है। यह प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी के पहले आम बजट में दक्ष भारत कार्यक्रम के लिए आवंटित राशि 100 करोड़ से 20 फीसदी ज्यादा है।
एक तरफ सरकार एजुकेशन लोन को बढ़ावा दे रही है और दूसरी तरफ देश की बड़ी मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों से भारी भरकम टैक्स ले रही है। इस समय कोटा में शीर्ष कोचिंग संस्थानों की फीस सालाना एक लाख रुपए के आसपास है। 12.36 फीसदी की दर से हर छात्र 10 से 12 हजार रुपए सर्विस टैक्स सरकारी खजाने में दे रहा है। 
120 करोड़ रुपए की यह राशि इतनी बढ़ी है कि इससे एक नया मेडिकल कॉलेज खोला जा सकता है। या बालीवुड की क्रिश-3 जैसी बड़े बजट की फिल्म आसानी से बनाई जा सकती है। 2010 में कोचिंग संस्थानों की फीस 35 से 45 हजार रुपए थी और सर्विस टैक्स की दर भी कम थी। उस समय यह राशि ज्यादा नहीं थी। लेकिन अब जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, उससे यह उन हजारों छोटे शहरों आने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों पर बोझ है। जो या तो सामान्य स्कूलों में पढ़े, या उनका बोर्ड कमजोर था और अब वे बड़े लक्ष्य को लेकर कोटा आए हैं। इनमें से कई के माता पिता ने कर्ज लेकर यहां भेजा है।
कोटा में कोचिंग छात्रों से टैक्स कलेक्शन 
साल सर्विस टैक्स (राशि करोड़ में
2012-13 75.39
2013-14 92.11
2014-15 120
स्रोत: कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट


Saturday, April 25, 2015

ऐप से बुक करिए रेलवे के जनरल टिकट

कोटा। अब रेल टिकट लेने के लिए काउंटर पर जाने और घंटों लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं। आप घर पर बैठे महज कुछ ही मिनटों में टिकट हासिल कर सकते हैं। हैरान हो गए न, जी हां ये सच है और ये सब आप पा सकते हैं अपने स्मार्ट फोन की मदद से।
वो दिन चले गए जब एक टिकट लेने के लिए हमें घंटों काउंटर पर लाइन में खड़े होना पड़ता था। कागज की बचत और अपने यात्रियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने जा रहा है। इस ऐप की मदद से आप कहीं से भी खुद ही टिकट बुक कर सकते हैं।
फिलहाल ये सुविधा सिर्फ अनारक्षित श्रेणी की टिकटों के लिए शुरू की जाएगी। इस टिकट के बुक हो जाने के बाद यात्रियों को प्रिंट लेने की जरूरत नहीं। ट्रेन में चेकिंग के दौरान मोबाइल से ही टिकट दिखाया जा सकता है।योजना के मुताबिक ये मोबाइल ऐप किसी भी स्मार्टफोन में गूगल ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। ऐप के डाउनलोड हो जाने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा, जिसकी मदद से रेलवे ई-वॉलेट बनाया जा सकता है।
टिकट बुक करने के लिए ई-वॉलेट मोबाइल पेमेंट सिस्टम या ऑनलाइन पेमेंट किया जा सकता है। इसके अलावा किसी भी रेलवे स्टेशन के काउंटर से भी टिकट खरीदा जा सकता है।
 ई-वॉलेट में रेलवे टिकट काउंटर से टॉपअप डाला जा सकता है। या आप चाहें तो आईआरसीटीसी की वेबसाइट से भी क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए ई-वॉलेट में पैसे डाल सकते हैं।ये ऐप अनारक्षित श्रेणी के यात्रियों के काफी मददगार साबित होगा। इससे न सिर्फ टिकट बुक सकते हैं बल्कि सीजन टिकटों की दोबारा वैधता भी हासिल की जा सकती है। बता दें कि ऐप आधारित टिकट की सुविधा मुंबई के कुछ इलाकों में पायलट योजना के तहत शुरू की गई थी। कल से ये ऐप सभी एंड्राएड स्मार्टफोन में डाउनलोड किया जा सकता है। ब्लैकबेरी फोन पर ये सुविधा बाद में शुरू की जाएगी।

Monday, April 20, 2015

वॉट्सऐप यूजर्स को मिलेगा अपडेट वर्जन

कोटा। आखिरकार, एंड्रॉयड स्‍मार्टफोन्‍स पर वॉट्सऐप की बनावट के नए लेटेस्‍ट वर्जन 2.12.38 को इसकी मटीरियल डिजाइन के साथ जारी कर दिया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आपके एंड्रॉयड फोन पर तो अभी भी वॉट्सऐप पुराने डिजाइन के साथ ही काम कर रहा है।न तो उसको अपडेट करने का कोई मैसेज आया और न ही वह प्‍ले स्‍टोर पर उपलब्‍ध है। आपको बता दें कि इसके नए वर्जन को कंपनी की वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा।
क्‍या है जानकारी
इस नए वर्जन को अपडेट करने के लिए अब जिन चीजों की जरूरत होगी, वह हैं एंड्रॉयड स्‍मार्टफोन का 2.1 या उससे ऊपर का वर्जन और जाहिर तौर पर एक इंटरनेट कनेक्शन। हां, ये ऐप अभी तक आपके टैबलेट पर नहीं चलेगा।
देखने को मिलेगा बेहतरीन रंगों का मेल
वॉट्सऐप का नया मटीरियल डिजायन कुल मिलाकर एक रिफाइंड किया हुआ लुक लेकर आया है। हालांकि इसका सामान्‍य लेआउट पहले जैसा ही है। हां, अब इसमें नए बेहतरीन रंगों का विकल्‍प जरूर मिलेगा। इसका टाइटल बार गहरे हरे रंग का हो जाएगा, जिसपर कॉल, चैट और कॉन्‍टेक्‍ट्स के तीन टैब दिखाई देंगे।
इस नए वर्जन में चैट विंडो पर वॉयस मैसेज को रिकॉर्ड करने के लिए नए बटन दिए गए हैं। इसके साथ ही अटैचमेंट में पॉप-अप ऑप्‍शन को भी जगह दी गई है।
ग्रुप चैट में भी नया
ग्रुप चैट के दौरान हर किसी को साफ लेआउट और बड़ी कवर इमेज मिलेगी। मीडिया सलेक्‍शन स्‍क्रीन की ओर से किए गए कॉस्‍मेटिक चेंजेस को आप भी बड़ी आसानी के साथ देख सकेंगे। ऐप मेकर्स अभी भी इसके विजुअल अपडेट्स में बदलाव लाने पर काम कर रहे हैं। इसके मद्देनजर यूजर्स के लिए यह सलाह है कि अभी वह इसकी आधिकारिक घोषणा का इंतजार करें।

Sunday, April 19, 2015

इनकम टैक्स रिफंड चाहिए तो आपको भरना ही होगा ई-रिटर्न

कोटा। आम आदमी के लिए आयकर विभाग से रिफंड हासिल कर पाना सदा से ही दुश्वारी भरा काम रहा है। अब उनके ऊपर एक और जिम्मेदारी थोपी जा रही है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने नियम बनाया है कि असेसमेंट वर्ष 2015-16 के दौरान यदि किसी को आयकर विभाग से रिफंड चाहिए, तो वह ऑनलाइन रिटर्न भरें। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो विभाग कोई रिफंड नहीं देगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा पिछले दिनों जारी अधिसूचना संख्या 41 के मुताबिक अब चाहे जो भी रिटर्न फार्म भरने वाले आयकरदाता हों, उन्हें यदि रिफंड लेना है, तो ऑनलाइन रिटर्न फार्म भरना होगा।
इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर या ओटीपी
उसमें आयकर दाता यदि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर करते हैं तो अति उत्तम। यदि इलेक्ट्रानिक सिगनेचर की व्यवस्था नहीं है, तो इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन के लिए आधार संख्या भरें या फिर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जैसी प्रक्रिया अपनाएं।
हालांकि, आयकर विभाग ने 80 वर्ष से ऊपर के सुपर सीनियर सिटीजन को इस प्रक्रिया से छूट दी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का कहना है कि सुपर सीनियर सिटीजन पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार पहले से ही पांच लाख रुपये से अधिक आमदनी वालों के लिए ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किए हुए है।
टैक्स भरने के बाद अब बेंगलुरु नहीं भेजने होंगे पेपर
इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन भरने वाले लोगों के लिए आयकर विभाग का सेंट्रल बोर्ड ऑफ डारेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) एक खुशखबरी लेकर आया है।
अब आपको इनकम टैक्स भरने के बाद आईटीआर-वी का फॉर्म नहीं भेजना होगा। दरअसल, अब आपके वैरिफिकेशन के लिए आपका आधार कार्ड इस्तेमाल किया जाएगा।
सीबीटीडी ने घोषणा की है कि अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद आईटीआर-वी फॉर्म पोस्ट के जरिए भेजने की कोई जरूरत नहीं होगी। अब वैरिफिकेशन आधार के जरिए इलेक्ट्रॉनिक वैरिफिकेशन कोड का इस्तेमाल करके होगा।
आपको बता दें कि मौजूदा नियमों के तहत ऑनलाइन इनकम टैक्स भरने वाले लोगों को टैक्स भरने के 120 दिनों के अंदर आईटीआर-वी फॉर्म भरकर सीपीसी (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर), बेंगलुरु को भेजना होता है।
वन टाइम पासवर्ड से होगा वैरिफिकेशन
सीबीडीटी ने 2015-16 के इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों को एक नया विकल्प दिया है, जिसमें वह अपना आधार नंबर दे सकते हैं। यह आयकर विभाग की वेबसाइट पर वन टाइम पासवर्ड के जरिए वैरिफाई किया जाएगा।आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों के लिए नए तरीके के तहत इलेक्ट्रॉनिक वैरिफिकेशन कोड शुरू किया है।
उनके अनुसार जल्द ही यह सुविधा आयकर विभाग की वेबसाइट पर ई-फाइलिंग लिकं के साथ शुरू कर दी जाएगी। इसके बाद ऑनलाइन टैक्स भरने वाले लोगों को आईटीआर-वी फॉर्म को बेंगलुरु में सीपीसी को नहीं भेजना होगा।

Saturday, April 18, 2015

रिटर्न के नए फॉर्म में इस्तेमाल या बंद हुए बैंक खातों का ब्योरा जरूरी

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।  इस बार आयकर रिटर्न जमा करते समय करदाता को एक बैंक खाते की नहीं, बल्कि सभी बैंक खातों की जानकारी देनी होगी। इसमें उन सभी खातों का उल्लेख होगा जो वर्ष 2014-15 में इस्तेमाल किए गए हों और बंद कर दिए गए हों। इसके अलावा पिछले साल में की गई विदेश यात्राएं, निवेश आदि का ब्योरा भी रिटर्न में देना होगा। काले धन को रोकने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वर्ष 2015-16 के आयकर रिटर्न फॉर्म में बदलाव किए हैं। आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आईटीआर-1, 2, 4एस और पांच (रोमन फाइव) फार्म में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इनमें आधार नंबर के लिए भी एक कॉलम है।
आधार नंबर से लिंक होने के बाद ऑनलाइन भरे जाने वाले रिटर्न का वेरीफिकेशन आसान होगा। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया भोपाल के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन के अनुसार, इन बदलावों से कालेधन को रोकना आसान होगा। बैंक अकाउंट का ऑपरेशन भी बेहतर होगा। अब यदि कोई भी खाता छिपाया गया तो पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
अब ये जानकारियां भी देनी होंगी 
1. जिन बैंकों में खाता है उनका नाम, पता, अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड। ज्वाइंट अकाउंट हैं तो दूसरे व्यक्ति का नाम भी देना होगा।
2. वित्तीय वर्ष खत्म होने तक खातों में कितनी रकम थी।
3. पासपोर्ट नंबर, कहां से जारी हुआ। कितनी विदेश यात्राएं कीं। खर्च कितना हुआ।
4. विदेशी फर्म में निवेश या फाइनेंशियल इंटरेस्ट है या भारत के बाहर प्रॉपर्टी खरीदी या ट्रस्ट बनाया है तो उसकी जानकारी भी देनी होगी।
5. जो करदाता आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं रखते और अनुमान के आधार पर टैक्स भरते हैं, उन्हें भी बैंक खातों की सभी जानकारी, आधार नंबर व इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन कोड देना होगा।

Friday, April 17, 2015

किसी भी बैंक की मशीन से खाते में जमा होगी रकम

कोटा । जैसे आप किसी भी एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं, जल्द ही उसी तरह किसी भी बैंक की डिपॉजिट मशीन से अपने खाते में नकदी जमा कर सकेंगे। रिजर्व बैंक (आरबीआई) इसे संभव बनाने के लिए सभी कैश डिपॉजिट मशीनों को नेशनल फाइनेंशियल स्विच (एनएफएस) से जोड़ने की योजना बना रहा है।
केंद्रीय बैंक के डिप्टी गर्वनर एचआर खान के मुताबिक एटीएम फिलहाल एनएफएस सुविधा से जुड़े हैं। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ने प्रस्ताव दिया है कि अब सभी कैश डिपॉजिट मशीनों को भी इससे जोड़ दिया जाए। इससे कोई भी ग्राहक किसी भी बैंक की मशीन से पैसा डिपॉजिट कर पाएगा।
खान के मुताबिक दैनिक ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए ऐसे अतिरिक्त विकल्प लाने पर विचार है। एक दूसरे की मशीन के जरिये नकदी जमा करने पर ली जाने वाली इंटरचेंज फीस के मुद्दे पर अभी बैंक आपस में चर्चा कर रहे हैं। इस फीस पर फैसले के लिए आरबीआइ ने बैंकों को मंजूरी दे दी है। रिजर्व बैंक ने साइबर सिक्योरिटी पर भी फोकस फोकस बढ़ाया है।

Tuesday, April 14, 2015

ऐसे मिल सकता है खोया हुआ एंड्रॉयड फोन

दिनेश माहेश्वरी 
 कोटा। फोन का खो जाना काफी बेचैनी वाला क्षण होता है, क्‍योंकि इसके बाद न तो आपको केवल दूसरा फोन खरीदने का झंझट आ जाता है बल्कि फोन के साथ आपकी काफी सारी महत्‍वपूर्ण चीजें भी चलीं जाती हैं जो उसमें स्‍टोर होता है। आपकी प्राइवेसी और सिक्‍योरिटी दूसरे के हाथ में चली जाती है, और आपसे जुडे महत्‍वपूर्ण सूचनाओं को कोई दूसरा एक्‍सेस कर सकता है जैसे कुछ निजी तस्‍वीरें, फोन नंबर, एड्रेस, फिनांशल इंफो आदि।
लेकिन अब ऐसे कई तरीके उपलब्‍ध हैं, जिनसे आप अपने खोऐ हुए एंड्रॉयड फोन की लोकेशन का पता लगा सकते हैं और उसे खोज भी सकते हैं। हमेशा अपने फोन को लॉक रखें- लॉक स्‍क्रीन पैटर्न या पासवर्ड एनेबल करें। खो गए फोन को मिलने में यह कोई मदद नहीं करेगा पर फोन के खो जाने पर स्‍क्रीन लॉक होने की वजह से कोई आपकी निजी जानकारियों को एक्‍सेस नहीं कर सकेगा।
एंड्रायड डिवाइस मैनेजर को एनेबल कर उपयोग करें- आपका प्राइमरी ऑप्‍शन ये होना चाहिए कि आप अपने फोन को लोकेट कर सकें ताकि आप अपने डिवाइस के उचित रजिस्‍ट्रेशन को सुनिश्चित कर सकें और यह एंड्रायड डिवाइस मैनेजर के द्वारा एक्‍सेस हो सके।
गूगल ने इस फीचर को वर्ष 2013 में ही रिलीज किया था ऐंड्रॉयड डिवाइस मैनेजर गूगल की ऐसी सर्विस है, जिसके जरिए आप कहीं भूला अपना ऐंड्रॉयड फोन या टैबलेट कहीं रखकर भूल गए हैं, तो इससे खोज सकते हैं। इसमें पहले लॉक फीचर नहीं था।
इस सर्विस की मदद से आप फोन से दूर रहते हुए भी उसे लॉक कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि फोन आस-पास ही कहीं है, तो फोन के साइलेंट होने पर भी उसे पूरे वॉल्यूम पर रिंग कर सकते हैं। आप मैप पर देख सकते हैं कि आपका फोन कहां पर है। अगर आपका फोन चोरी हो गया है, तो आप अपने फोन का डाटा डिलीट कर सकते हैं।
मैनेजर को करें एनेबल- इसलिए आप सुनिश्चित कर लें कि आपके डिवाइस पर यह मैनेजर एनेबल है कि नहीं- सेटिंग्‍स>सिक्‍योरिटी एंड स्‍क्रीन लॉक> डिवाइस एडमिनिस्‍ट्रेटर।
एंड्रायड लॉस्‍ट– इस एप का नाम इसके काम को देखते हुए रखा गया है। यह आपको खोए हुए एंड्रायड फोन को पाने में मदद करेगा। इस एप को आप अपने फोन पर गूगल प्‍ले स्‍टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
इस ऐप से आप यह काम कर सकते हैं:
यदि खोया हुआ फोन ऑन है तो उसके मैसेज पढ़ सकते हैं और मैसेज भेज सकते हैं।
फोन का सारा डेटा डिलीट कर सकते हैं।
फोन को लॉक कर सकते हैं।
एसडी कार्ड को फॉरमेट कर सकते हैं।
जीपीएस के माध्‍यम से फोन की लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं।
स्‍क्रीन की लाइट फ्लैश करते हुए अलार्म चालू कर सकते हैं।
फोन के फ्रंट और रियर कैमरे से तस्‍वीरें खींच सकते हैं।
माइक्रोफोन से आवाज रिकॉर्ड कर सकते हैं।

Tuesday, April 7, 2015

मजीठिया वेज: प्रेस की आय अनुमान से ज्यादा

मजीठिया वेज अर्थात् कम से कम 40 हजार वेतन, इतनी बड़ी राशि सुनने के बाद अधिकांश लोगों की जुबान से यही बात निकलती है कि इतना वेतन कोई नहीं दे पाएगा, प्रेस बंद हो जाएगे। जो मिथ्था सोच से बढ़कर कुछ नहीं है। हाल में पेश समाचार पत्रों के सरकुलेशन रिपोर्ट को सभी समाचार पत्रों ने बढ़-चढ़कर छापा। मैं राजस्थान पत्रिका का सरकुलेशन देख रहा था। जिसमें कहा गया था कि 2 करोड़ 40 लाख का प्रसार है। अर्थात् इतना पेपर प्रति दिन छपता, वो भी रंगीन। एक 12 पेज के अखबार की कीमत कम से कम 10 से 12 रूपए पड़ती है और दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका जिस क्वालिटी के रंग और पेपर का उपयोग करते है उसकी कीमत 20 से 25 रूपए पड़ती है। सोचो जो प्रतिदिन 2 करोड़ 40 लाख कापी छापता है तो उसकी लागत क्या होगी। जी हां यदि 10 रूपए के हिसाब से जोड़े तो 24 करोड़ रूपए प्रतिदिन का खर्च आता है। और एक माह में यह आंकड़ा 7 अरब 20 करोड़ पहुंचा है और साल में 8640 करोड़ पहुंचता है। अब साधारण सी बात है जो मालिक एक दिन में 24 करोड़ खर्च कर सकता है वो कर्मचारियों को एक माह में 24 करोड़ का अतिरिक्त वेतन नहीं दे सकता क्या। दे सकता है लेकिन वर्षों की मानसिकता की जिद के आगे कोई झुकने को तैयार नहीं। 
कोई घाटे में नहीं
मजीठिया वेतन के नाम पर हर प्रेस मालिक घाटे का रोना रोते हैं, प्रेस बंद होने की दुहाई देते हैं लेकिन सच्चाई यही है कि किसी को घाटा नहीं हो रहा है। यदि होता तो पाठकों को हर माह गिफ्ट नहीं बांटे जाते। नए एडीशनों की लांचिंग नहीं होती। दैनिक भास्कर और जागरण शेयर मार्केट में पंजीबद्ध है जो 1 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार दर्शाते है। माना मजीठिया वेतनमान देने पर वास्तव में घाटा होता है तो गुमास्ता एक्ट का पालन करों। रविवार का समाचार पत्र संस्थान बंद रखो। लेकिन तो रविवार को भी छापना है इसके लिए रविवार पेज के नाम से अलग से पंजीयन होता है। तब घाटा नहीं होता ? दरअसल मजीठिया वेतनमान को लेकर पत्रकारों के मन में यह भ्रम है कि इतने वेतनमान से प्रेस बंद हो जाएगा इसी शब्दावली का फायदा प्रेस मालिक उठा रहे है। पत्रकारों को पहले जागरूक होना जरूरी है। 
इतनी जिद क्यों?
मजीठिया वेतनमान ना देने की जिद इसलिए है कि मालिक यह रोना रो देते है कि इस वेतनमान में हमारा संस्थान बंद हो जाएगा। जिसपर सबको तरस आ जाता है कोई सच्चाई नहीं जानना चाहता। दूसरा सच यह है कि 1955 से आज तक किसी ने वेजबोर्ड की मांग ही नहीं की। इंडियन एक्सप्रेस और नवभारत के कर्मचारी यूनियन ने सफल आंदोलन कर वेज प्राप्त किया। जिससे सबक लेते हुए प्रेस संस्थान नौकरी ज्वाइन करते ही हर व्यक्ति को मौखिक फरमान सुनने लगे कि आप किसी संगठन से नहीं जुड़ोगे जो सरासर अन्याय है। अभी पत्रकार साथी मजीठिया वेतनमान को लेकर संसय में है और अपने हक के लिए ज्यादा तत्परता नहीं दिखा रहे है लेकिन जनवरी 2016 में मजीठिया वेतनमान अप्रासंगिक हो जाएगा। क्योंकि जर्नलिस्ट एक्ट के अनुसार पत्रकारों का वेतन किसी भी हालत में केन्द्रीय कर्मचारियों के सेकेंड क्लास अधिकारी से कम नहीं होना चाहिए। और तब तक राजपत्रित अधिकारियों का वेतन 150000 रूपए हो जाएगा तो क्या होगा।
महेश्वरी प्रसाद मिश्र 
पत्रकार