Thursday, July 28, 2016

फ़ोन से डिलीट हुई कांटेक्ट लिस्ट पाने का तरीका

कैसे पाये एंड्राइड की संपर्क सूची mobileslatestअगर आप एंड्रायड फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और आपके फोन से आपकी कांटेक्ट लिस्ट गायब हो गयी है तो उसे वापस लाया जा सकता है। डाटा रिकवरी सॉफ्टवेयर की मदद से ये काम आसान हो सकता है। आजकल डिलीट हुए डेटा को रिकवर करने के लिए बहुत से सॉफ्टवेयर आ गए है जिनकी मदद से हम अपने फ़ोन के जरूरी डेटा को वापस से प्राप्त कर सकते है
आसानी से पाये अपनी एंड्राइड की खोई हुई संपर्क सूची-
यह बहुत ही आसान तरीका है सबसे पहले आप कांटेक्ट के डिस्प्ले मेनू में जाए
कांटेक्ट एप्प को ओपन करे
सबसे ऊपर राइट कार्नर पर मेनू को सेलेक्ट करे
कांटेक्ट डिस्प्ले में जाए और जो भी कांटेक्ट आपको चाहिए उन्हें सेलेक्ट करे
अन्य तरीकों से भी आप अपने फ़ोन का खोया हुआ डेटा पा सकते है-
आप कांटेक्ट को रिस्टोर कर सकते है.
आप अपने एंड्राइड फ़ोन पर डेटा रिकवरी टूल भी इनस्टॉल कर सकते है अपने फ़ोन के कांटेक्ट लिस्ट को वापस पा सकते है
आप फ़ोन को स्कैन करके भी अपने एंड्राइड फ़ोन के खोये हुए कांटेक्ट लिस्ट को फिर से पा सकते है
यदि आपके फ़ोन का कोई भी जरूरी डेटा जैसे की फ़ोन की कांटेक्ट लिस्ट डिलीट हो जाती है तो उसके लिए आप इन आसान उपायों या फिर तरीकों के द्वारा उस खोये हुए डेटा या कांटेक्ट लिस्ट को फिर से आसानी से प्राप्त कर सकते है

Monday, July 25, 2016

आइये भरें इनकम टैक्स रिटर्न

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। फाइनैंशल इयर 2015-16 या असेसमेंट इयर 2016-17 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। अगर आपने अभी तक अपना रिटर्न नहीं भरा है, तो जल्दी से जल्दी भर दें। रिटर्न के बारे में जानकारी और ऑनलाइन रिटर्न भरने का तरीका एक्सपर्ट्स की मदद से बता रहे हैं प्रभात गौड़:
सबसे पहले जानें कुछ बेसिक टर्म्स
इनकम टैक्स रिटर्न
देश के हर टैक्सपेयर की यह ड्यूटी है कि वह इनकम टैक्स विभाग को हर फाइनैंशल इयर के अंत में उस फाइनैंशल इयर में हुई आमदनी का ब्योरा दे। यह ब्योरा उसे विभाग द्वारा तय फॉर्म में भरकर देना होता है। इस फॉर्म के जरिये दी गई पूरी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न कहलाती है।
फाइनैंशल इयर
1 अप्रैल से 31 मार्च तक के समय को फाइनैंशल इयर कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक के समय को फाइनैंशल इयर 2015-16 कहा जाएगा। अभी हम जो रिटर्न भर रहे हैं, वह फाइनैंशल इयर 2015-16 के लिए है।
असेसमेंट इयर
असेसमेंट इयर फाइनैंशल इयर से आगे वाला साल होता है यानी जिस साल उस फाइनैंशल इयर के टैक्स संबंधी मामलों का आकलन किया जाता है। मसलन फाइनैंशल इयर 2015-16 के लिए असेसमेंट इयर 2016-17 होगा क्योंकि फाइनैंशल इयर 2015-16 की जो आमदनी है, उस पर टैक्स भरा या नहीं जैसा आकलन इनकम टैक्स विभाग फाइनैंशल इयर 2016-17 में करेगा इसलिए फाइनैंशल इयर 2015-2016 के लिए असेसमेंट इयर 2016-17 होगा। अभी हम जो रिटर्न भर रहे हैं, वह फाइनैंशल इयर 2015-16 या असेसमेंट इयर 2016-17 का रिटर्न कहा जाएगा।
डिडक्शंस
विभिन्न तरह के इन्वेस्टमेंट पर इनकम टैक्स विभाग की ओर से आपको टैक्स में छूट मिलती है। ये कई तरह के आइटम होते हैं, जहां इन्वेस्टमेंट करके टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है। मसलन सेक्शन 80सी से सेक्शन 80यू तक जो भी आइटम हैं, उन्हें डिडक्शन के तहत माना जाता है।
ग्रॉस इनकम
टैक्स फ्री आमदनी और भत्तों को छोड़कर आपकी साल की कुल आमदनी जो भी है, उसे ग्रॉस इनकम कहा जाता है। ग्रॉस इनकम हमेशा 80 सी से 80 यू तक मिलने वाले डिडक्शन से पहले वाली इनकम होती है।
टैक्सेबल इनकम
ग्रॉस इनकम में से 80 सी से 80 यू तक मिलने वाले डिडक्शन क्लेम कर लेने के बाद जो इनकम आती है, उसे टैक्सेबल इनकम कहते हैं। यानी डिडक्शन से पहले वाली इनकम ग्रॉस इनकम और डिडक्शन के बाद वाली इनकम को टैक्सेबल इनकम कहते हैं।
टीडीएस
आपकी जो भी आमदनी होती है, सरकार उस पर टैक्स काटती है। इसे टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स कहा जाता है। जो संस्था आपको पेमेंट कर रही है, वही टैक्स की इस रकम को काटकर बाकी रकम आपको पे करती है। मसलन आपकी कंपनी आपको जो सैलरी देती है, वह उस पर बनने वाले टैक्स को काटकर बाकी रकम आपके खाते में ट्रांसफर करती है। टीडीएस काटने का काम एंम्प्लॉयर या पेमेंट करने वाली संस्था का है। इसे काटना या जमा करना लेने वाले की जिम्मेदारी नहीं है। आमतौर पर जब कोई संस्था किसी काम के बदले आपको पे करती है, तो वह 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटती है।
सीनियर सिटिजन
जिन लोगों की उम्र 31 मार्च 2016 को 60 साल या उससे ज्यादा है, उन्हें सीनियर सिटिजन माना जाएगा।
सुपर सीनियर सिटिजन इसी तरह जिन लोगों की उम्र 31 मार्च 2016 को 80 साल से ज्यादा है, वे सुपर सीनियर सिटिजंस होंगे। आप जिस फाइनैंशल इयर का रिटर्न भर रहे हैं, उसके अंतिम दिन 31 मार्च को उम्र की गणना की जाती है।
इनकम टैक्स रिफंड
अगर किसी टैक्सपेयर ने सरकार को ज्यादा टैक्स दे दिया है, तो वह उस रकम को सरकार से वापस ले सकता है। इस वापस आई रकम को ही रिफंड कहा जाता है। टैक्स रिटर्न भरकर आप इस एक्स्ट्रा रकम को इनकम टैक्स विभाग से क्लेम करते हैं। इसके बाद रिफंड की यह रकम आपको इनकम टैक्स विभाग की ओर से आपके अकाउंट में भेज दी जाती है।
फॉर्म 26 AS
फॉर्म 26एएस एक कंसॉलिडेटेड टैक्स स्टेटमेंट है। इसमें खासतौर से तीन तरह के ब्योरे होते हैं। पहला टीडीएस का ब्योरा, दूसरा टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स का ब्योरा और तीसरा टैक्सपेयर द्वारा बैंक में जमा कराया गया एडवांस टैक्स/सेल्फ असेसमेंट टैक्स का ब्योरा। फॉर्म 26 एएस से आप यह पता लगा सकते हैं कि कंपनी या बैंक ने आपका जो टीडीएस काटा है, उसे सरकार के पास जमा कराया भी है या नहीं। इस टीडीएस का ब्योरा आप दो तरह से देख सकते हैं। पहले incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं। अगर आप पिछले सालों में रिटर्न भर चुके हैं तो आपके पास यूजर नेम और पासवर्ड होगा। इसी से लॉग-इन करें। अगर पहली बार रिटर्न भर रहे हैं तो Register Yourself पर जाकर रजिस्टर करें। वैसे यूजर नेम आपका पैन नंबर होता है और पासवर्ड आप खुद जेनरेट करेंगे। लॉग-इन करने के बाद View Form 26 AS पर क्लिक करें। अगर आप नेट बैंकिंग इस्तेमाल करते हैं तो बैंक की वेबसाइट पर जाकर View Your Tax Credit पर क्लिक करके फॉर्म 26 एएस देख सकते हैं, लेकिन इससे केवल उस बैंक में चल रही आपकी एफडी, सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज आदि का ही पता चलेगा।
फॉर्म 16 A
अगर सैलरी के साथ-साथ दूसरे जरियों से भी आपको आमदनी हुई हो और उस पर टीडीएस कट चुका हो तो उस संस्था से भी टीडीएस सर्टिफिकेट ले लें। इस सर्टिफिकेट को ही फॉर्म 16ए कहा जाता है। यहां हम रेंटल इनकम, शेयर, एफडी वगैरह से होने वाली इनकम की बात कर रहे हैं। एफडी के मामले में आपका बैंक आपको यह सर्टिफिकेट देगा।
फॉर्म 16 
अगर आप कहीं नौकरी करते हैं तो आपका एम्प्लॉयर आपको एक फॉर्म 16 देता है। यह फॉर्म अब तक आपके एम्प्लॉयर ने आपको दे दिया होगा। यह इस बात को साबित करता है कि एम्प्लॉयर ने आपकी सैलरी से अगर टैक्स बनता है, तो टीडीएस काटा है। इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक हर एम्प्लॉयर के लिए जरूरी है कि वह फॉर्म 16 अपने कर्मचारियों को दे। अगर आपका एम्प्लॉयर आपको यह फॉर्म नहीं दे रहा है तो आप इसकी रिक्वेस्ट उसे रजिस्टर्ड डाक से भेजें और इसका सबूत अपने पास रखें। इनकम टैक्स विभाग के पूछताछ करने पर यह सबूत दिखाया जा सकता है।
कैसे भरें इनकम टैक्स रिटर्न: इनकम टैक्स रिटर्न: यहां है हर सवाल का जवाब
किसके लिए कौन सा फॉर्म
ITR 1 (Sahaj)
ऐसे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है: सैलरी या पेंशन एक मकान का किराया। कमर्शल प्रॉपर्टी से आ रहे किराये को भी इसी में माना जाएगा ब्याज
इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
आपको एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से आमदनी होती हो।
कोई फॉरेन इनकम या असेट हो।
कैपिटल गेंस हुआ हो।
5000 रुपये से ज्यादा की आमदनी खेती से हो।
बिजनस या प्रफेशन से आमदनी होती हो।
इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में लॉस दिखाया हो।
जिन लोगों को सैलरी या पेंशन से इनकम होती है और उनके पास एक घर है या कोई घर नहीं है, वे इसे भरेंगे।
ITR 2A
ऐसे टैक्सपेयर्स और एचयूएफ के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है: सैलरी या पेंशन। एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी। दूसरे सोर्स से आमदनी, जिसमें लॉटरी भी शामिल है।
इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
कैपिटल गेंस हुआ हो।
बिजनस या प्रफेशन से आमदनी होती हो।
फॉरेन इनकम या असेट है या विदेशों में ब्याज से आमदनी हुई हो।
ITR 2
ऐसे टैक्सपेयर्स और एचयूएफ के लिए, जिन्हें इन तरीकों से आमदनी होती है :
सैलरी या पेंशन
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी
कैपिटल गेंस हुआ हो।
दूसरे सोर्स से आमदनी, लॉटरी समेत
इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
बिजनस या प्रफेशन से आमदनी
ITR 3
फर्म में ऐसे पार्टनर्स के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:
सैलरी या पेंशन
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी
कैपिटल गेंस
दूसरे सोर्स से, जिसमें लॉटरी भी शामिल है।
पार्टनरशिप फर्म का प्रॉफिट
इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर
आपके पास सोल प्रॉपराइटरशिप फर्म से इनकम है।
ITR 4
यह फॉर्म ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:
प्रॉपराइटरशिप
प्रफेशन
कमिशन
ITR 4 s
ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:
प्रिजम्प्टिव टैक्स रूल के तहत आने वाले बिजनस से
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी
5 हजार से ज्यादा की आमदनी खेती से
कमीशन 
विदेशी स्रोतों से
ITR v
रिटर्न की ई-फाइलिंग करने वाले सभी टैक्सपेयर्स के लिए, जिन्होंने :
रिटर्न वेरिफाई करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल नहीं किया है।
रिटर्न को वेरिफाई करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड का इस्तेमाल नहीं किया है।
रिटर्न भरने की आखिरी तारीख
31 जुलाई 2016 - सैलरीड लोगों के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख। बिजनस वाले, प्रफेशनलों के लिए यही लास्ट डेट है, बशर्ते आमदनी की ऑडिटिंग न कराते हों। बिजनस में ऑडिटिंग की जरूरत उन्हें है, जिनकी टैक्सेबल इनकम 1 करोड़ से ज्यादा होती है।
30 सितंबर 2016 - असेसमेंट इयर 2016-17 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की लास्ट डेट 30 सितंबर उन लोगों, फर्मों और कंपनियों के लिए है, जिनके लिए अपनी सालाना आमदनी की ऑडिटिंग कराना जरूरी होता है।
31 मार्च 2017 - अगर आपका टीडीएस आपकी कंपनी ने काट लिया है और आप पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती तो आप 31 मार्च 2017 तक भी बिना किसी पेनल्टी के टैक्स रिटर्न भर सकते हैं।

किसे भरना है रिटर्न और किसे नहीं
फाइनैंशल इयर 2015-16 के स्लैब के हिसाब से छूट की सीमा 60 साल से कम के पुरुषों और महिलाओं के लिए ढाई लाख रुपये है। 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए यह सीमा तीन लाख रुपये है और 80 साल या उससे ज्यादा उम्र के सुपर सीनियर सिटिजन के लिए 5 लाख तक आमदनी टैक्स-फ्री है।
अगर चैप्टर VI A के इनवेस्टमेंट और ब्याज की छूट लेने से पहले आपकी इनकम इस सीमा से ज्यादा है तो आपको रिटर्न भरना होगा यानी इनवेस्टमेंट पर मिलने वाली छूट के बाद अगर टैक्सेबल इनकम इस लिमिट से कम हो रही है, तो भी रिटर्न भरना होगा। मान लें, आपकी ग्रॉस इनकम 3 लाख रुपये है और उम्र 60 साल से कम है। आपने 80 सी में पीपीएफ और इंश्योरेंस पॉलिसी में 60 हजार रुपये इनवेस्ट कर दिए। इससे आपकी टैक्सेबल इनकम हो गई 2 लाख 40 हजार रुपये। अब यह ढाई लाख की एग्जेंप्शन लिमिट से कम है, लेकिन रिटर्न भरना होगा क्योंकि डिडक्शन से पहले की इनकम तीन लाख है।
ग्रॉस इनकम डिडक्शन से पहले एग्जेंप्शन लिमिट से कम, तो रिटर्न की जरूरत नहीं। मसलन अगर किसी 60 साल से कम उम्र के शख्स की ग्रॉस इनकम 2 लाख 30 हजार रुपये है तो उसे रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है।
डिडक्शंस की लिस्ट
80 सी, 80 सीसीसी और 80 सीसीडी में इन आइटम में छूट मिलती है। इसकी सीमा फाइनैंशल इयर 2015-16 के लिए 1.5 लाख रुपये है।
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (EPF)
पांच साल की बैंक एफडी
दो बच्चों की ट्यूशन फीस
सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम
होम लोन के रीपेमेंट में प्रिंसिपल अमाउंट के तौर पर दी जाने वाली रकम
लाइफ इंशूरंस पॉलिसी प्रीमियम जो आप चुकाते हैं।
NSC viii इश्यू
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS
सुकन्या समृद्धि योजना में किया गया इन्वेस्टमेंट
डेढ़ लाख के अलावा
इन आइटमों में भी छूट मिलती है, जो 1.5 लाख की सीमा से अलग है:
80 D : हेल्थ इंशूरंस पॉलिसी का प्रीमियम 15 हजार की सीमा तक।
24 b : होम लोन के रीपेमेंट में ब्याज की रकम पर। इसकी सीमा दो लाख रुपये है।
80 E : हायर स्टडीज के लिए लिए गए एजुकेशन लोन के रीपेमेंट में ब्याज की रकम पर। कोई सीमा नहीं।
80 G : किसी संस्था को दी जाने वाली डोनेशन।

Sunday, July 24, 2016

Man Dole Mera Tan Dole – Harmonium Notes

Music:
रे सा ग सा    रे *नि सा *नि
रे सा ग सा    रे *नि सा
रे सा ग सा    रे *नि सा *नि
रे सा ग सा    रे *नि सा
रे ग    पप   धध  पप  धध
पप   धध   पप
रेग   मम   पप   मम  पप
मम   गमगरेसा
रे सा ग सा    रे *नि सा *नि
रे सा ग सा    रे *नि सा
रे सा ग सा    रे *नि सा *नि
रे सा ग सा    रे *नि सा
सा सा      रे म ग       रे सा
मन        डो~ले          मेरा
Or
सा सा      रे म मग    रे सा
सा सा      रे मग
तन        डो~ ले,
रे सा     रे ग    रे सा
मेरे       दिल    का
रे ग रे    सा रे ~ रे  सा
गया       करार      रे
*नि *ध    सा~ रे       रे ग रे सा
ये            कौन         बजाये
सा~ सा सा सा
बांसुरिया
रे *ध  सासा  रेरे मम गग
सासा  रेरे  मम  गग
सासा  रेरे  गग  रेरे
गग रेरेसा
प प प   ध ध सा*  सा* सा* नि   ध प
मधुर     मधुर       सपनों          में
ध नि   ध नि   ध प नि    ध प प
देखी     मैने     राह        नवेली
प प        ध ध सा*    सा*
छोड़        चली         मैं
नि ध प     ध नि
लाज का     पहरा
ध नि      ध प नि     ध प प
जाने        कहाँ         अकेली
ध प         म       ग~ मग
चली         मैं       जाने
रे सा ग        रे सा सा
कहाँ            अकेली
सा सा      रे म म ग
रस         घो ले~
रे सा     सा    रे म म ग   रे सा
धुन      यूँ       बोले       जैसे
रे ग रे सा   रे ग रे    सा रे ~ रे सा
ठंडी           चले      फुहार रे
*नि *ध   सा~ रे     रे ग रे सा
ये           कौन       बजाये
सा~ सा सा सा
बांसुरिया
प प प      ध ध सा*    सा* सा*
कदम        कदम         पर
नि ध      प ध ध नि
रंग         सुनहरा
ध     नि नि ध प    नि ध प प
ये       किसने         बिखराया
प प ध      ध सा*     सा* सा*
नागिन      का         मन
नि नि  ध    प  ध नि
बस       में    करने
ध नि     नि ध प नि     ध प प
कौन        सपेरा          आया
ध     प म      ग म
न     जाने      कौन
ग रे सा ग रे      सा सा
सपेरा              आया
सा सा      रे म म ग
पग           डोले,
रे सा  सा       रे म म ग
दिल    यूँ        बोले,
रे सा   रे ग रे सा    रे ग रे
तेरा      हो के        रहा
सा रे ~ रे सा
शिकार रे
*नि *ध   सा~ रे       रे ग रे सा
ये          कौन         बजाये
सा~ सा सा सा
बासुरीयां

Saturday, July 23, 2016

आधार है तो पैन कार्ड बनाना आसान

 कोटा । ऑनलाइन नया पैन कार्ड बनवाने वालों को अब दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं रहेगी। ऑनलाइन आवेदन करने वालों को सिर्फ आधार नंबर डालना होगा। जिसे सिस्टम अपने आप वेरिफाई कर लेगा। इस नई सुविधा के शुरू होने से पैन बनवाने वालों को लंबा इंतजार नहीं कराना पड़ेगा।
  सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्‍स (सीबीडीटी) जल्द ही पैन कार्ड की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के लिए बड़े बदलाव करने जा रहा है। पैन को आधार से लिंक करने से टैक्स विभाग को नकली पैन की पहचान कर उसे समाप्त करने में आसानी होगी। सीबीडीटी के मुताबिक सरकार द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की कोशिश के तहत पैन और टैन नंबर की प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। अब कारोबारी अपने डिजिटल सिग्नेचर के जरिए टैन नंबर के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इसके चलते यह प्रक्रिया मात्र एक दिन में ही पूरी हो जाएगा।
 पैन कार्ड के लिए ऐसे करें आवेदन
 जो करदाता पैन कार्ड बनवाना चाहते हैं वे ऑनलाइन एनएसडीएल या यूटीआई एसएल की वेबसाइट पर पैन नंबर के लिए आवेदन कर सकते हैं। उसमें जहां आधार नंबर दर्ज करने हैं, वह दर्ज करने के बाद सिस्टम अपने आप वेरिफाई कर लेगा। आधार में लगे फोटो से ही करदाता की पहचान हो जाएगी।
  

इनकम डिसक्लोजर स्कीम -घोषित इनकम में से ही देना होगा टैक्स

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 केन्द्र सरकार की इनकम डिसक्लोजर स्कीम (आईडीएस) में घोषित इनकम में से ही 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी समेत भरना है, न कि अलग से। इस मामले में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पिछले सप्ताह ही एक संशोधित नोटिफिकेशन जारी कर स्पष्ट किया है। माना कि कोई व्यक्ति अपनी एक करोड़ रुपए इनकम घोषित करता है, तो उसमें से टैक्स की राशि को अघोषित मानते हुए ही टैक्स चुकाया जाएगा। अगर वह घोषित आय के अलावा अलग से टैक्स देगा तो उस राशि को अघोषित आय में गिना जाएगा।
 केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 14 जुलाई को जारी स्पष्टीकरण में कहा है कि घोषित की गई आय पर टैक्स सरचार्ज एवं पेनल्टी जोड़कर 45 प्रतिशत चुकाना है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। 1 जून 2016 को कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति में निवेश किए गए 100 लाख रुपए की उचित बाजार दर अघोषित आय की घोषणा करता है।  उस पर 45 लाख रुपए अघोषित आय पेनल्टी, सरचार्ज और टैक्स का भुगतान करता है। यह राशि उसकी घोषणा में शामिल नहीं है। यह राशि जो टैक्स के रूप में जमा कराई गई है ,उसमें राहत (प्रतिरक्षा) नहीं मिलेगी। उसकी यह राशि 145 लाख रुपए अघोषित आय मानते हुए उस पर 45 प्रतिशत टैक्स पेनल्टी और सरचार्ज जोड़कर 65.25 लाख रुपए जमा कराने होंगे। इस मामले में काफी दिनों से करदाताओं के मन में इस स्कीम को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई थी। जब यह बात वित्त मंत्रालय के पास पहुंची तो वित्त मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी किया।
 क्या है स्कीम
 टैक्स एक्सपर्ट अनिल काला का कहना है कि स्कीम 1 जून से 30 सितंबर 16 तक जारी रहेगी। स्कीम के मुताबिक जिस व्यक्ति को अपनी आय उजागर करनी है, उसे अपनी संपत्ति की वेल्यु 1 जून 2016 के हिसाब से निकालनी होगी। इसके लिए उसे वेल्युअर की मदद लेनी होगी। जो वेल्यु आएगी, उस पर उसे टैक्स पेनल्टी के साथ जमा कराना होगा।
 इस स्कीम में आय की घोषणा करने वाला व्यक्ति अपनी आय की सही घोषणा करेगा। हालांकि आय घोषित करने वाला व्यक्ति अपनी घोषणा की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक रिवाइज कर सकता है, लेकिन पूर्व में घोषित आय को कम नहीं कर सकता। 45 प्रतिशत में 30 प्रतिशत टैक्स, 7.5 प्रतिशत पेनल्टी और 7.5 प्रतिशत कृषक कल्याण उपकर शामिल है। अपनी आय घोषित करने वाला करदाता तीन किश्तों में टैक्स जमा करा सकता है।
  
  

Monday, July 18, 2016

मेरा दिल ए पुकारे आजा-------- गीत स्वरलिपि

सारे    गपप      पप धप    गप
मेरा   दिल ये    पुका रे     आजा
धप    मप म     गमग     रेग
मेरे    ग़म के     सहारे    आजा
गरे        सारेसा       सासा
भीगा      भीगा है     समा
गरेसारे          सासासा
ऐसे में है        तू कहाँ
सारे     गपप    पपधप     गप
मेरा    दिल ये   पुका रे    आजा
संगीत:
धनिसा*      रे* निसा*
सा* रे* ग*    रे* म*
ग* प* म*    सा* रे* ग*
रे* म*        रे* ग* सा*
रे* निसा*
पपग*        ग* रे* ग* ग*
तू नहीं       तो ये रुत
म* ग* रे*      निसा* रे*
ये हवा          क्या करूँ
पध    सा* सा* नि   सा* रे* सा*
दूर     तुझ से          मैं रह के
निसा*    पधनि        धनिधप
बता      क्या करूँ,     क्या करूँ
पध       निनिध         पम
एक       छोटी सी        झलक
मप      धधप       मग
मेरे      मिटने       तलकगम     पम      गम    गगरेग

ओ      चाँद     मेरे    दिखलाजा
गरेसारेसा      सासा
भीगा भीगा है   समा
गरेसारे     सासासा
ऐसे में है   तू कहाँ

सारे  गपप  पपधप     गप
मेरा  दिल   ये पुकारे   आ जा
पपग*        ग*      रे* ग*
आँधियाँ     वो      चलीं
म* ग* रे*      निसा* रे*
आशियां        मिट गया
निसा* रे*
मिट गया
पध       निनिध      पम
सूना      सूना है      जहाँ
मप       धधप        मग
अब      जाऊँ मैं      कहाँगम      पपम        गम
बस      इतना       मुझे
गगरेग
दिखला जा
गरेसारेसा          सासा
भीगा भीगा है     समा
गरेसारे         सासासा
ऐसे में है       तू कहाँ
सारे  गपप    पपधप      गप
मेरा  दिल    ये पुकारे    आ जा

Sunday, July 17, 2016

आईआईटी : इंट्रेस्ट फ्री लोन के लिए आय सीमा 9 लाख तक होगी

नई दिल्ली। सालाना नौ लाख रुपये से कम आय वाले परिवार के बच्चों को आईआईटी में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इंट्रेस्ट फ्री लोन मिल सकेगा। अभी तक इंट्रेस्ट फ्री लोन उन्हीं स्टूडेंट्स को मिल पा रहा था जिनके परिवार की सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है।
एचआरडी मिनिस्ट्री के अधिकारी के मुताबिक अब यह तय किया गया है कि उन स्टूडेंट्स को भी इंट्रेस्ट फ्री लोन दिया जाएगा जिनके परिवार की सालाना आय 5 से ज्यादा और 9 लाख से कम है। इसके लिए बैंको को लोन के इंट्रेस्ट का हिस्सा आईआईटी के फीस फंड से दिया जाएगा। यह इंट्रेस्ट फ्री लोन 5 साल के लिए होगा। इसके बाद लोन पर इंट्रेस्ट लगने लगेगा। मिनिस्ट्री का यह प्रस्ताव फाइनैंस डिपार्टमेंट ने अप्रूव कर दिया है।
कुछ वक्त पहले जब एचआरडी मिनिस्ट्री ने आईआईटी की फीस 90 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव मंजूर किया था उस वक्त कहा गया था कि किसी भी स्टूडेंट को बढ़ी फीस की वजह से पढ़ाई करने में दिक्कत नहीं आएगी। तब मिनिस्ट्री ने कहा था कि ट्युइशन फीस सभी एससी, एसटी और विकलांग छात्रों के लिए पूरी तरह माफ होगी। साथ ही उन स्टूडेंट्स की भी जिनके परिवार की सालाना इनकम 1 लाख रुपये से कम है। साथ ही यह भी कहा था कि कोई भी स्टूडेंट्स विद्या लक्ष्मी स्कीम के तहत इंट्रेस्ट फ्री लोन का हकदार होगा। लेकिन अब यह दिक्कत सामने आ रही थी कि विद्या लक्ष्मी स्कीम के तहत उन्हीं स्टूडेंट को इंट्रेस्ट फ्री लोन मिल सकता है जिनके परिवार की सालाना आय 4.5 लाख रुपये तक हो। इससे बहुत से जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट जिनके परिवार की सालाना आय इससे ज्यादा है उन्हें लोन नहीं मिल पा रहा है। अब मिनिस्ट्री ने इनके लिए अलग इंतजाम करने का ऐलान किया है।

Friday, July 15, 2016

ब्लैक मनी स्कीम : अब तीन किश्तों में कर सकेंगे भुगतान

नई दिल्ली। सरकार ने काला धन घोषित कर टैक्स और पेनल्टी के पेमेंट वाली स्कीम की आखिरी तारीख बढ़ा दी है। काला धन का ऐलान करने वालों को अगले साल 30 सितंबर तक तीन किस्तों में टैक्स के भुगतान की अनुमति दी गई है। 
इनकम डिक्लेयरेशन स्कीम (आईडीसी) 2016 के तहत 25 फीसदी की पहली किस्त का भुगतान नवंबर 2016 तक किया जा सकेगा, जबकि 25 फीसदी की एक और किस्त 31 मार्च 2017 तक की जा सकेगी। फ़ाइनैंस मिनिस्ट्री के बयान के मुताबिक, सरकार को बाकी रकम का भुगतान 30 सितंबर 2017 तक किया जा सकेगा। इससे पहले काले धन की घोषणा के तहत टैक्स, सरचार्ज और पेनल्टी का भुगतान इस साल 30 नवंबर तक किया जाना था। फ़ाइनैंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, संबंधित पक्षों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने पेमेंट के लिए समयसीमा को बढ़ाने का फैसला किया है।  बयान में कहा गया है, 'देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई बैठकों और सेमिनार के दौरान संबंधित पक्षों ने कहा कि टैक्स, सरचार्ज और पेनल्टी को लेकर जो 30 सितंबर 2016 तक की समयसीमा तय की गई है, वह काफी छोटी है। यह भी बताया गया कि पेमेंट की 30 नवंबर 2016 की समयसीमा के कारण इनकम घोषित करने वालों को औने-पौने दाम में अपनी संपत्तियों को बेचना पड़ सकता है।' फ़ाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली के साथ हुई बैठक में इंडस्ट्री असोसिएशंस, सीए और टैक्स प्रफेशनल्स ने कंप्लायंस विंडो के तहत पेमेंट शेड्यूल को लेकर चिंता जताई थी। कई ट्रेड असोसिएशंस ने टैक्स के पेमेंट में थोड़ी राहत मांगी थी और नवंबर के आसपास कैश फ्लो की समस्या से निपटने के लिए स्कीम के एक्सटेंशन की मांग की थी। केंद्र सरकार के बजट 2016-17 में देश में काला धन रखने वालों को अपनी संपत्ति घोषित कर टैक्स चुकाने के लिए 4 महीने का वक्त दिया गया था। इसके तहत 45 फीसदी टैक्स और पेनल्टी का भुगतान कर किसी भी तरह की सजा से छूट की बात है। यह स्कीम 1 जून को शुरू हुई और 30 सितंबर को खत्म हो जाएगी। मूल स्कीम के तहत घोषित इनकम पर टैक्स और पेनल्टी का भुगतान नवंबर तक किया जाना था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) पहले ही अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के फॉर्मेट में कई स्पष्टीकरण जारी कर चुका है। यह स्कीम देश के नागरिकों और एनआरआई दोनों पर लागू होती है। 

बिना यूएएन PF निकालना हुआ आसान

कोटा। रिटायरमेंट फंड मैनेज करने वाली संस्था ईपीएफओ ने उस प्रविज़न में रियायत दी है, जिसमें पीएफ विदड्रॉल जैसे सेटलमेंट क्लेम्स के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) देना जरूरी था। यह प्रावधान ऐसे सभी सब्सक्राइबर्स के लिए था, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 के बाद मेंबरशिप छोड़ी है।
एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने क्लेम ऐप्लिकेशन फॉर्म्स पर यूएएन देना पिछले साल दिसंबर से अनिवार्य बना दिया था। एक अधिकारी ने बताया, 'इस शर्त में रियायत देने का फैसला ऐसे मेंबर्स की मुश्किलों को देखते हुए किया गया है, जिन्हें यूएएन अलॉट नहीं किया गया था। यूएएन को शुरुआत में ऐसे सभी मेंबर्स को अलॉट किया गया था, जो जनवरी से जून 2014 के दौरान सब्सक्राइबर्स थे। यह फैसला ऐसे मेंबर्स को राहत देने के लिए किया गया है, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 से पहले नौकरी छोड़ दी थी।'
यह फैसला किया गया है कि क्लेम फॉर्म बिना यूएएन के भी स्वीकार किया जा सकता है अगर मेंबर के छोड़ने की तारीख 1 जनवरी 2014 से पहले की है। इसके अलावा, कुछ मामलों में ऑफिसर इंचार्ज अपनी समझ से बिना यूएएन के क्लेम फॉर्म जमा करने की इजाजत दे सकता है। यूएएन को क्लेम फॉर्म पर कोट करना इस मकसद के साथ अनिवार्य बनाया गया था कि इससे गलतियों की आशंका कम होगी। चूंकि यूएएन आधार, बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जुड़ा रहता है, ऐसे में यह क्लेम दाखिल करने वालों को बिना किसी दिक्कत के अपना बकाया हासिल करने में मदद देता है। ईपीएफओ ने जुलाई 2015 में यूएएन नंबर देना शुरू किया था। वह मेंबर्स को अब तक चार करोड़ यूएएन अलॉट कर चुका है। मेंबर्स अपना यूएएन खुद भी ऐक्टिवेट कर सकते हैं और इसे किसी अन्य ऑनलाइन बैंक अकाउंट की तरह मैनेज कर सकते हैं।

Wednesday, July 13, 2016

भास्कर पर 40 लाख का क्लेम ठोंका तो प्रबंधन मांगने लगा इस्तीफा

अपने कर्मचारियों को हमेशा तंग करने, कम भुगतान देने और उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बदनाम डीबी कोर्प ग्रुप के अखबार दैनिक भास्कर से एक बड़ी खबर आ रही है। इस अखबार के लिए मुम्बई में बतौर प्रिंसपल करस्पांडेंट कार्यरत तेजतर्रार पत्रकार धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने भास्कर प्रबंधन के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 40 लाख रुपये का एरियर और अंतरिम राहत का ब्याज के साथ क्लेम किया है। इस मामले में एक नोटिस दैनिक भास्कर प्रबंधन को श्रम आयुक्त कार्यालय ने भी भेजा है जिस पर 14 जुलाई को श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर में सुनवाई होगी।
इस नोटिस के बाद भास्कर प्रबंधन में हड़कंप मच गया और अब धर्मेन्द्र प्रताप सिंह पर प्रबंधन त्यागपत्र देने के लिए तरह तरह से दबाव बना रहा है। मगर धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने साफ़ कह दिया है कि वे भास्कर प्रबंधन के आगे नहीं झुकेंगे और रिजाइन भी नहीं देंगे। खुद धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने इस खबर की पुष्टि की है और बताया है कि सोमवार को ठीक ४:३० बजे मेरे मोबाइल पर हमारे समूह संपादक कल्पेश यागनिक का फोन आया। वह बोले कि न्यूज़ क्यों नहीं भेज रहे हो? मैंने कहा कि आपको न्यूज़ का सोर्स चाहिए,  टाइम भी कि कब मैंने किससे बात करके न्यूज़ बनाई है, जो कि (सोर्स) दे पाना मेरे लिए संभव नहीं है।
इस दौरान (१३ मिनट ४८ सेकंड) बहुत-सी बातें हुईं। बातचीत के दौरान वह एक ही बात पर जोर दे रहे थे कि नैतिकता के लिहाज से इस्तीफा दे देना चाहिए। मैंने कहा कि आप मुझे नैतिकता पर भाषण मत दो। जब धर्मेंद्र इस्तीफे की कल्पेश याज्ञनिक की रट सुन-सुन कर तंग आ गए तो बोले कि आप यही मांग, इस्तीफा देने संबंधी, लिखकर दे दो, किंतु वह बात को घुमा-फिरा कर मुझसे ही इस्तीफा लिखने की बात पर अड़े रहे। धर्मेंद्र ने कहा कि आप मुझे इतना बुद्धू कैसे समझ रहे हैं कि आप कहें और मैं इस्तीफा दे दूं? आप कंपनी में अपना नंबर बढ़वाने के लिए जैसी बात कर रहे हैं, मानो अनाज आप ही खाते हैं। इस पर उन्होंने फोन काट दिया।
धर्मेन्द्र प्रताप सिंह मुम्बई के फ़िल्म पत्रकारों में काफी जुझारू पत्रकार माने जाते हैं और उन्होंने भास्कर प्रबंधन के खिलाफ माननीय सुप्रीम कोर्ट में केस भी दायर कर रखा है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335
साभार भड़ास 4मीडिया डॉट कॉम 

Tuesday, July 12, 2016

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों पर खींचतान

मीडियाकर्मियों के लिए उचित वेतनमान और दूसरी सहूलियतों के लिए गठित किए गए विभिन्न आयोगों की सिफारिशें अधिकांश मीडिया संस्थान लागू नहीं करते. मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों का भी यही हाल है
इस आयोग की सिफारिशें मीडिया कर्मचारियों के लिए सिर्फ सपना बनकर रह गई हैं, जिसे हकीकत बनाने के लिए तमाम मीडिया मालिकान के खिलाफ मुट्ठी-भर पत्रकार ही संघर्ष कर रहे हैं. न्यायपालिका के सख्त आदेशों के बावजूद मीडिया संस्थान इसे लागू करने में आनाकानी कर रहे हैं. सिफारिशें न लागू करने के हर तरह के हथकंडे संस्थान अपना रहे हैं. मसलन उनके खिलाफ कोर्ट में जाने वाले पत्रकारों का शोषण, कंपनी को छोटी यूनिटों में बांटना, कम आय दिखाना, कर्मचारियों से कांट्रैक्ट साइन करवाना कि उन्हें आयोग की सिफारिशें नहीं चाहिए. इतने झंझावातों के बावजूद पत्रकार अपने हक के लिए लगातार लड़ रहे हैं. हालांकि इस लड़ाई में अभी भी पत्रकारों की एकजुटता काफी कम है. पत्रकारों के लिए दिवतिया आयोग, शिंदे आयोग, पालेकर आयोग, बछावत आयोग, मणिसाना आयोग और उसके बाद मजीठिया वेतन आयोग आया है, जिनका उद्देश्य पत्रकारों को एक समान वेतनमान दिलाना और उनके आर्थिक पहलू को मजबूत करना है. हाल ये है कि आज भी बड़े-बड़े अखबारों में होने वाला सबसे छोटे पद ‘उपसंपादक’ का मासिक वेतनमान 12 से 15 हजार रुपये है, जबकि आयोग की सिफारिशें लागू करने पर यह तनख्वाह कम से कम 35 हजार हो जाएगी.
मजीठिया आयोग ने अखबारी और एजेंसी कर्मियों के लिए 65 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि की सिफारिश की है. साथ में मूल वेतन का 40 प्रतिशत तक आवास भत्ता और 20 प्रतिशत तक परिवहन भत्ता देने का सुझाव दिया है, जिसे आज तक मीडिया मालिकों ने लागू नहीं किया. आयोग की सिफारिशों के अनुसार पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों के मूल वेतन और डीए में, 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि और 35 प्रतिशत वैरिएबल पे को जोड़कर तय किया गया है. समाचार पत्र उद्योग के इतिहास में किसी आयोग ने इस तरह की सिफारिश पहली बार की है. महंगाई भत्ता मूल वेतन में शत प्रतिशत ‘न्यूट्रलाइजेशन’ के साथ जुड़ेगा. ऐसा अब तक केवल सरकारी कर्मचारियों के मामले में होता आया है. वेतन बोर्ड ने 60 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सकल राजस्व वाली समाचार एजेंसियों को शीर्ष श्रेणी वाले समाचार पत्रों के साथ रखा है. इस प्रकार समाचार एजेंसी पीटीआई शीर्ष श्रेणी में जबकि यूएनआई दूसरी श्रेणी में है. उदाहरण के अनुसार सिफारिशें लागू हों तो 1000 करोड़ की कंपनी में वरिष्ठ उप संपादक का वेतन 85 हजार से ऊपर हो जाएगा लेकिन इस समय उसे मात्र 17 हजार से 25 हजार के बीच ही वेतन मिल रहा है. इसके अलावा शहरों की श्रेणी के अनुसार पत्रकारों को तमाम दूसरी तरह की सहूलियतें देने की भी सिफारिश की गई हैं.
नवंबर 2011 से लागू करने की बात
सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2014 को अखबारों और समाचार एजेंसियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने का आदेश दिया और कहा कि वे अपने कर्मचारियों को संशोधित पे स्केल के हिसाब से भुगतान करें. न्यायालय के आदेश के अनुसार यह वेतन आयोग 11 नवंबर 2011 से लागू होगा जब इसे सरकार ने पेश किया था और 11 नवंबर 2011 से मार्च 2014 के बीच बकाया वेतन भी पत्रकारों को एक साल के अंदर चार बराबर किस्तों में दिया जाएगा. आयोग की सिफारिशों के अनुसार अप्रैल 2014 से नया वेतन लागू किया जाएगा. तत्कालीन चीफ जस्टिस पी. सतशिवम और जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके सिंह की बेंच ने इस आयोग की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दीं. बेंच ने सिफारिशों को वैध ठहराया और कहा कि सिफारिशें उचित विचार-विमर्श पर आधारित हैं और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इसमें हस्तक्षेप करने का कोई वैध आधार नहीं है. बहरहाल तमाम अखबारों के प्रबंधन मजीठिया आयोग के विधान, काम के तरीके, प्रक्रियाओं और सिफारिशों से नाखुश थे. इनका मानना था कि अगर इन सिफारिशों को पूरी तरह माना गया तो वेतन में एकदम से 80 से 100 फीसदी तक इजाफा करना पड़ सकता है, जो छोटे और कमजोर समूहों व कंपनियों पर तालाबंदी का अंदेशा बढ़ा सकता है. दलील यह भी थी कि अन्य उद्योगों की तुलना में प्रिंट मीडिया में गैर-पत्रकार कर्मचारियों को वैसे भी ज्यादा वेतन दिया जा रहा है. अगर सिफारिशें लागू की गईं तो वेतन में अंतर का यह दायरा और बढ़ जाएगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इनमें से किसी दलील को तवज्जो नहीं दी. साथ ही कहा कि यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है कि वह सिफारिशों को मंजूर करें या खारिज कर दंे. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार ने कुछ सिफारिशें मंजूर नहीं कीं तो यह पूरी रिपोर्ट को खारिज करने का आधार नहीं है. इसके बाद मीडिया घरानों की रिव्यू पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में 10 अप्रैल 2014 को खारिज हो चुकी है.
मीडिया मालिक यहां फंसा रहे पेंच
सूत्रों की मानें तो दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर,  हिन्दुस्तान व अन्य बड़े अखबारों के प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों से एक फॉर्म पर साइन ले लिए हैं, जिस पर लिखा है कि उन्हें मजीठिया आयोग नहीं चाहिए, वे कंपनी प्रदत्त वेतन एवं सुविधाओं से संतुष्ट हैं. कंपनी उनकी सुख-सुविधा का ध्यान रखती है. समय से उन्हें प्रमोशन मिलता है, अच्छा इंक्रीमेंट लगता है, बच्चों (अगर हैं) की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य-चिकित्सा, उनकी बेहतरी का पूरा ख्याल कंपनी रखती है.
सुप्रीम कोर्ट में दे रहे ये दलील
एक बड़े अखबार में काम करने वाले वरिष्ठ उप संपादक सुरेश राय (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि कागजों पर हस्ताक्षर को लेकर ये दलील दी जा रही है कि कर्मचारी लिखित में दे चुका है कि वह मौजूदा वेतन से संतुष्ट है. मामले को लेकर कर्मचारी और अखबार सुप्रीम कोर्ट तक चले गए हैं. सुनावाई के दौरान कुछ अखबार मालिकों ने अपने यहां कार्यरत पत्रकारों के बारे में दलील दी है कि वे प्रबंधकीय कार्य करने वाले कर्मचारी हैं और वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के अनुसार प्रबंधकीय कार्य करने वाले कर्मचारियों पर वेज बोर्ड लागू नहीं होता है. सवाल यह है कि ऐसे फार्मों-बांडों-कागजों-करारनामों पर साइन-दस्तखत करा लेने का कोई कानूनी-वैधानिक आधार है? कानून की किताबें तो इसे गैरकानूनी, अवैध, गलत बताती हैं. विशेष रूप से द वर्किंग जर्नलिस्ट्स एंड अदर न्यूजपेपर इंप्लाइज (कंडीशन ऑफ सर्विस) एंड मिस्लेनियस प्रोविजंस एक्ट 1955 के चैप्टर चार का अनुच्छेद 16, वर्किंग जर्नलिस्ट्स (कंडीशन ऑफ सर्विस) एंड मिस्लेनियस प्रोविजंस रूल्स 1957 के चैप्टर छह का अनुच्छेद 38 और द पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936 का अनुच्छेद 23 तो यही कहता है. इन कानूनों का निचोड़ यही है कि इनके कोऑर्डिनेशन से हुआ या किया गया कोई भी समझौता अमान्य, निष्प्रभावी, अशक्त, अकृत, शून्य हो जाता है.
सुप्रीम कोर्ट का उड़ा रहे मखौल
भारतीय लोकतंत्र की अन्योन्याश्रित चार प्रमुख शक्तियां हैं:- विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया, लेकिन आयोग की सिफारिशें लागू न करने का ताजा प्रसंग अब ये संदेश देने लगा है कि अब तक सिर्फ राजनेता, अफसर और अपराधी ही ऐसा करते रहे हैं, अब मीडिया भी डंके की चोट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मजाक बनाने लगा है. मजीठिया वेज बोर्ड से निर्धारित वेतनमान न देने पर अड़े मीडिया मालिकों को जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन का फैसला दिया तो उसे अनसुना कर दिया गया. इस समय मीडियाकर्मी अपने हक के लिए दोबारा सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं.
यूनिट बनाकर कम दिखा रहे लाभ
सूत्रों की माने तो अखबार मालिक यूनिट के लाभ को आधार बनाकर सिफारिशें लागू करने की फिराक में हैं. कुछ अखबारों ने ऐसा किया भी है. ये कंपनी को कई यूनिटों में बांटकर लाभ को कम करके दिखा रहे हैं, जबकि यह सरासर गलत है. वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के अनुसार कंपनी एक है तो उसे यूनिट में विभाजित कर लाभ-हानि नहीं दिखाए जा सकते. एक कंपनी के कई अखबार और कई प्रदेशों से प्रकाशन होने पर भी मदर कंपनी का ही लाभ और हानि देखा जाएगा.
प्रताड़ना, तबादला और बर्खास्तगी
मध्यप्रदेश में राजस्थान पत्रिका समूह में काम कर रहे पत्रकार दुर्गेश दत्त (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘पत्रिका प्रबंधन को यकीन था कि उनके खिलाफ कोर्ट में कोई नहीं जाएगा. हालांकि हुआ इसके उलट. सुप्रीम कोर्ट के फैसला लागू नहीं होने पर कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अखबार मालिक के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर कर दी. इससे अखबार मालिक आग बबूला हो गए. उन्होंने कर्मचारियों के जबरन तबादला और नौकरी से निकाले जाने की प्रताड़ना शुरू कर दी. भोपाल पत्रिका में दो कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया 
अखबारों में शोषण की परंपरा
संस्थानों में पत्रकारों का शोषण आज की देन नहीं है. यह काफी समय से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है. मजीठिया आयोग की सिफारिशों के बाद ये शोषण और बढ़ा है. यह आयोग पत्रकारों के लिए एक उम्मीद लेकर आया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों को यकीन का था कि मीडिया घराने कम से कम देश की न्यायपालिका को तो ठेंगा नहीं दिखाएंगे. मीडिया मालिकों ने मई 2015 में सिफारिशों के अनुसार वेतन तो नहीं दिया बल्कि उनका शोषण और बढ़ा दिया. उनसे अधिक काम लिया जाने लगा ताकि वे मजीठिया के बारे में सोच भी न पाए और उन्हें हमेशा अपनी नौकरी बचाने की ही चिंता रहे.
राज्य सरकारों को दिया निर्देश
मजीठिया वेज बोर्ड में 28 अप्रैल 2015 को कंटेम्प्ट पिटीशंस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मजीठिया वेज बोर्ड लागू होने की जानकारी वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 17 बी के तहत मांगी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को तीन माह का वक्त दिया था, जो वक्त पूरा हो गया है. कोर्ट ने विशेष लेबर इंस्पेक्टर नियुक्त करने को कहा ताकि देश में मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू होने की सही स्थिति की जानकारी मिल सके. अगस्त में इस मामले में सुनवाई होनी है. इस बीच दिल्ली को छोड़ शायद ही किसी राज्य ने मजीठिया बोर्ड के फैसले पर कोई सकारात्मक काम किया है. दिल्ली सरकार ने राज्य के पत्रकारों को मजीठिया आयोग की सिफारिशें दिलाने की घोषणा की है. मीडिया में ये स्थितियां कुछ वैसी ही हैं जैसी 1989 में बनी थीं. तब भी मीडिया कंपनियां बछावत आयोग की सिफारिशें लागू करने में ना-नुकुर कर रही थीं लेकिन तब राजीव गांधी की सरकार ने सख्ती बरतते हुए उन्हें आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए बाध्य किया लेकिन वर्तमान में ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.


Monday, July 11, 2016

पत्रकार की छुट्टी और ड्यूटी टाइम क्या होनी चाहिए

प्रबंधन 9 घंटे ड्यूटी कराता है। क्या करना चाहिए। ऐसे तमाम सवाल पूछे जाते हैं। कुछ के जवाब तुरंत देता हूँ लेकिन कुछ के लिए डॉटा खोजना पड़ता है। दोस्तों आपको बता दें कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का चैप्टर 3 साफ़ कहता है कि दिन में 6 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं ली जा सकती और चार घंटे से ज्यादा लगातार काम नहीं कराया जा सकता। दूसरी चीज, चार घंटे के बाद कर्मचारी को 30 मिनट का रेस्ट मिलना चाहिए।
इसी तरह नाइट शिफ्ट में साढ़े पांच घंटे से ज्यादा ड्यूटी टाइम नहीं होनी चाहिए। इसमें साढ़े तीन घंटे बाद 30 मिनट का कर्मचारी को रेस्ट मिलना चाहिए। इसी तरह चैप्टर 3 की धारा 10 कहती है अगर किसी कर्मचारी ने जितने घंटे अतिरिक्त काम किया है, उतने घंटे उसे अतिरिक्त अवकाश दिया जायेगा। वर्किंग जर्नलिस्ट के चैप्टर 3 में धारा 11 कहती है किसी भी कर्मचारी से लगातार एक सप्ताह से ज्यादा नाइट शिफ्ट नहीं कराया जा सकता। अगर ऐसा बहुत आवश्यक हुआ तो सम्बंधित श्रम आयुक्त या सम्बंधित प्राधिकरण से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है और इसकी ठोस वजह बतानी पड़ती है।
आपको बता दूं कि देश भर के अधिकाँश समाचार पत्र प्रतिष्ठान इसका पालन नहीं करते और अपने कर्मचारियों से कई कई साल तक नाइट ड्यूटी कराते हैं जो पूरी तरह गलत है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के चैप्टर 4 में धारा 16 में बताया गया है कि अगर किसी कर्मचारी को उसके अवकाश के दिन बुलाया जाता है तो उसे उस दिन का वेतन दिया जाएगा। बहुत से समाचार पत्र के प्रबंधन अवकाश के दिन अपने कर्मचारियों को बुलाते हैं तो उन्हें वेतन की जगह एक दिन अतिरिक्त अवकाश देते हैं, जो पूरी तरह गलत है।
चैप्टर 4 की धारा 15 में यह भी लिखा है कि सभी कर्मचारियों को साल में 10 सार्वजानिक अवकाश मिलना चाहिए। सार्वजनिक अवकाश के दिन अगर कर्मचारी ड्यूटी करता है तो उस दिन का वेतन देने का प्रावधान है। बहुत सी कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को सार्वजानिक अवकाश के दिन ड्यूटी पर बुलाती हैं मगर उन्हें वेतन न देकर बदले में किसी दूसरे दिन अवकाश देती हैं।
वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के चैप्टर 5 में लिखा है अगर आपका अवकाश रद्द होता है तो उसकी वजह प्रबंधन को लिखित रूप से कर्मचारी को बताना पड़ेगा। चैप्टर 5 की धारा 20 कहती है सार्वजानिक अवकाश के दिन लिए गए अवकाश को दूसरे किसी भी अवकाश में शामिल नहीं किया जा सकता है। अगर बहुत जरूरी हुआ तो इसके लिए सम्बंधित प्राधिकरण से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है।
चैप्टर 5 की धारा 34 में ये भी लिखा है कि सभी कर्मचारियों को साल में 15 दिन का कैजुअल लीव (सीएल) मिलना चाहिए और एक साथ 5 दिन से ज्यादा सीएल नहीं लिया जा सकता। इसको अगले साल भी कैरी फारवर्ड नहीं किया जा सकता। ये नियम संपादक, संवाददाता और न्यूज़ फोटोग्राफर पर लागू नहीं होता, ऐसा चैप्टर 3 की धारा 7 में लिखा है।

Sunday, July 10, 2016

इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग

दिनेश माहेश्वरी
कोटा । इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। अगर आप खुद रिटर्न फाइल करने के बारे में सोच रहे हों तो आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट या किसी प्राइवेट वेबसाइट से इलेक्ट्रॉनिकली रिटर्न फाइल करने की बारीकियां पता होनी चाहिए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ऑफिशल वेबसाइट के जरिए टैक्स रिटर्न फाइल करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आपकी मदद करेंगे,-
I-T वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन
आपको http:www.incometaxindiaefiling.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसमें आपको अपने PAN और दूसरे पर्सनल और कॉन्टैक्ट डिटेल्स देने होंगे। इसके बाद आपको ईमेल से एक ऐक्टिवेशन लिंक और एक मोबाइल PIN आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, जिससे आप अपना अकाउंट ऐक्टिवेट कर सकेंगे।
I-T रिटर्न ऑफलाइन
आप वेबसाइट के डाउनलोड्स सेक्शन में उपलब्ध XML यूटिलिटी को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें अपने रिटर्न की डिटेल्स भरने के बाद आप इसे I-T वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।
ऑनलाइन रिटर्न की तैयारी
दूसरा रास्ता यह है कि आप ई-फाइल टैब पर जाएं और 'प्रिपेयर ऐंड सबमिट आईटीआर ऑनलाइन' को सिलेक्ट करें। इसके जरिए आप संबंधित जानकारी आप ऑनलाइन दे सकते हैं। इसके बाद आपको आईटीआर फॉर्म का नाम, असेसमेंट ईयर और दूसरे अनिवार्य विवरण मेन्यू से सिलेक्ट करने होंगे।
DSCEVC के साथ जमा करें
रिटर्न डिजिटल सिग्नेचर या इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड का इस्तेमाल करते हुए फाइल किया जा सकता है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) ई-फाइलिंग वेबसाइट पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कर हासिल किया जा सकता है।
ITR-V के साथ जमा करें
दूसरा रास्ता यह है कि ITR-V फॉर्म जेनरेट किया जाए। यह एक तरह का अकनॉलेजमेंट और वेरिफिकेशन फॉर्म है। रिटर्न की ई-फाइलिंग के 120 दिनों के भीतर इस पर दस्तखत कर इसे सीपीसी के पास भेजना होता है।
प्रोसेसिंग
DSCEVC या ITR-V के जरिए रिटर्न की ई-फाइलिंग हो जाए तो विभाग उसकी प्रोसेसिंग करता है और उसके मुताबिक आपको सूचना देता है।

Friday, July 8, 2016

एप की मदद से दाखिल करें आयकर रिटर्न

अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए परेशान हो जाते हैं तो चिंता छोड़िए क्योंकि अब आप एप की मदद से आसानी से आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और वह भी बहुत आसानी से। स्टार्टअप कंपनी एंजल पैसा ने आयकर दाखिल करने की परेशानी को दूर करने के लिए हैले टैक्स एप पेश की है। यह एप एंड्रॉयड, विंडोज और एपल प्लेटफर्म पर आसानी से उपलब्ध है।
4 मिनट में पूरा काम
इस एप की मदद से तीन-चार मिनटों में बिना किसी को अपनी जानकारी दिए आयकर रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। यह ऐप एंड्रॉयड, विंडोज व एप्पल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए कोई भी स्मार्टफोन धारक अपने फोन पर हैलो टैक्स ऐप को डाउनलोड कर सकता है। डाउनलोड करने के बाद ऐप में जाकर उसे अपना फ्रेश रजिस्ट्रेशन करना होता है, जिसमें एक मिनट से भी कम का समय लगता है।
फिर आईटीआर में जाकर आवेदक को अपनी जानकारी देनी होती है और इस काम में तीन-चार मिनट का समय लगता है। इसके बाद आवेदक को इंटरनेट बैंकिंग के जरिए 125 रुपये देने होते हैं और आईटीआर का काम पूरा हो जाता है। हैलो टैक्स एप को विकसित करने का काम तीन युवा उद्यमियों ने किया है और अब तक लगभग 15 हजार लोग इस ऐप के जरिए इस साल अपना आईटी रिटर्न भर चुके हैं। हैलो टैक्स के सह-संस्थापक व पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, हिमांशु कुमार के मुताबिक उन्होंने नॉन प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखते हुए इस ऐप को बनाया है। इस एप के माध्यम से आईटीआर के दौरान आपकी निजी जानकारी किसी को नहीं मिलती है कि आपकी सैलरी कितनी है और आप कहां काम करते हैं। इस डिजिटल युग में आपकी निजी जानकारी को कहीं भी शेयर किया जा सकता है और उसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। इससे आईटीआर भरने से यह समस्या समाप्त हो जाती है। दूसरा फायदा यह है कि आपको आईटीआर दाखिल करने वाले किसी विशेषज्ञ के पीछे नहीं भागना पड़ता है और उसे दी जाने वाली फीस भी बच जाती है

Thursday, July 7, 2016

शेयरों से ज्यादा रिटर्न सोने-चांदी ने दिया

दिनेश माहेश्वरी। 
निवेशकों को इस साल अब तक सोने और चांदी में सबसे अधिक फायदा हुआ है। इस साल सोने की कीमत जहां 22.29 प्रतिशत ऊंची हुई है, वहीं चांदी का दाम भी 41.14 प्रतिशत चढ़ चुका है। इसके विपरीत बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स मात्र 4 प्रतिशत ही सुधरा है।
इस साल 29 फरवरी को सेंसेक्स अपने एक साल के निचले स्तर 22,494.61 अंक पर आ गया था। इसके अलावा सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 30,024.74 अंक से 9.5 प्रतिशत नीचे आ चुका है। यह स्तर इसने 4 मार्च, 2015 को हासिल किया था। इससे पहले साल के दौरान बाजार धारणा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव तथा चीन की अर्थव्यवस्था की सेहत से प्रभावित हुई थी। हालांकि, मार्च से कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों, घरेलू कारकों में सुधार तथा मॉनसून के रफ्तार पकड़ने से बाजार में मजबूती लौटी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने ने अन्य संपत्ति श्रेणियों को पीछे छोड़ दिया है क्योंकि निवेशक इसे निवेश का सुरक्षित विकल्प मानते हैं। सोने का भाव 31 दिसंबर, 2015 के 25,390 रुपये से 31,050 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच चुका है। वहीं, चांदी इस दौरान 33,000 रुपये से 47,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है। ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि सोने ने पिछले 15 सालों में 12 साल निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है। हालांकि, पिछले साल शेयर और सोना दोनों ने निवेशकों को नेगेटिव रिटर्न देकर दोहरा झटका दिया था।

आधार कार्ड दिखाकर रेल यात्रा कर सकेंगे यात्री

कोटा। वह दिन दूर नहीं जब सिर्फ आधार कार्ड दिखाकर आप रेल की यात्रा करेंगे। रेलवे टिकट काउंटर और इंटरनेट पर ही आपको ट्रेन का कोच व बर्थ नंबर बता दिया जाएगा और आप बिना टिकट के ही यात्रा कर सकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के तहत रेलवे की कोशिश है कि आधार कार्ड दिखाकर ही यात्रियों को सफर का आनंद मिल सके। इसके पहले चरण में रेलवे जल्द ही टिकट बुक कराने के लिए आधार कार्ड को जरूरी बनाने जा रहा है। रेलवे यात्री टिकट सेवा को आधार कार्ड से जोड़ने जा रहा है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय से डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करने को कहा गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस योजना का मकसद टिकटों की कालाबाजारी पर अंकुश लगाना भी है।पहले चरण में वरिष्ठ नागरिक को रेल किराए में मिलने वाली छूट को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। यानी, आधार कार्ड दिखाने पर ही टिकट पर छूट मिल सकेगी। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी और दिव्यांगों को आरक्षित बर्थ की छूट के लिए आधार कार्ड नंबर रेलवे को देना जरूरी किया जाएगा। करीब दो महीने में इस तरह के नियम को रेलवे लागू करेगा। टिकट पर आधार नंबर भी दर्ज किया जाएगा। इस नियम के बाद रेलवे टिकट बुक कराने के लिए आधार कार्ड की जरूरत होगी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार शुरुआती दौर में आधार कार्ड की जरूरत सिर्फ आरक्षित टिकट बुक कराने के लिए ही जरूरी होगा, बाद में इसे सभी प्रकार के टिकटों के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा।रेलवे अधिकारी का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 96 प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड है, लिहाजा इस योजना को लागू करने में कठिनाई नहीं होगी।
भविष्य की योजना: कैसे काम करेगा
योजना के मुताबिक टिकट बुकिंग के समय दिए गए आधार कार्ड को कंप्यूटर में दर्ज कर लिया जाएगा। यात्रा के दौरान आधार कार्ड नंबर टिकट निरीक्षक को बताने पर उसके मोबाइल डिवाइस में यात्री की सभी सूचनाएं फोटो समेत दिख जाएगी। यात्री को चेहरा व यात्रा डिटेल देखकर यात्रा करने की इजाजत देगा।

Wednesday, July 6, 2016

मीडिया कर्मियों को नहीं मिलता वेतन आयोग का लाभ

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिये कैबिनेट की मंज़ूरी मिलते ही केन्द्रीय कर्मचारियों की तन्ख्वाह में बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ ही इसका असर राज्यों के कर्मचारियों की सैलरी पर भी पड़ेगा । आमतौर पर सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर अमल से कर्मचारियों के अलावा अन्य लोगों में भी धुंधली सी ही सही उम्मीद की एक किरण तो नज़र आ रही है कि शायद उनकी तन्ख्वाह भी ज्यादा हो जाये । हालांकि ये उम्मीद परवान चढ़ेगी भी या नहीं कोई नही जानता । आज यहां पर मैं किसानों, मज़दूरों, प्राईवेट नौकरी करने वाले या ठेके पर काम करने वाले लोगों की बात नही करुगां । मैं बात कर रहा हूँ एक ऐसे जागरुक वर्ग की जो ये सारी खबरें आप तक पहुंचाते हैं यानी मीडियाकर्मियों की । देश - दुनिया की तमात खबरें आप तक पहुंचाने वाले, लोगों के भिन्न भिन्न आन्दोलनों को कवर करके उनकी माँगों पर सरकार के ऊपर दबाव डालने वाले, समाज की हर अच्छी बुरी खबर से आपको रुबरु करवाने वाले ये मीडियाकर्मी ही हैं चाहे वो प्रिन्ट के हों या इलैक्ट्रानिक मीडिया के..... सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर उनके दिल में क्या हलचल है क्या किसी ने समझने की कोशिश की है। 
मीडिया के लोगों की पूरी जमात ये जरुर सोच रही होगी कि उनके हालात पर कब कोई रिपोर्ट देगा । 1886 में अमेरिका के शिकागों में मजदूरों के व्यापक संघर्ष के बाद काम करने के घंटे तय होने के सवा सौ सालों के बाद भी क्या मीडिया के लोगों के लिये काम के घंटे तय हो पाये हैं । पूरी दुनिया और जनता की समस्याओं को सामने रखने वाला वर्ग खुद अपनी परेशानियों पर खामोश क्यूँ है । लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानी प्रेस की आजादी के बारे में बड़ी बड़ी बातें करने वाले क्या कभी पत्रकारों की पीड़ा से रुबरु होगें । आज के समय में रिक्शा वाले, तांगें वाले, किसान, मजदूर किसी भी तरह एक हो सकते हैं, किसी भी बैनर के तहत अपनी मांग रख सकते हैं लेकिन हमारे सम्मानित पत्रकार अन्दर ही अन्दर घुट जायेगें, बीमार पड़ जायेगें, सहते रहेगें लेकिन अपना दुखड़ा किसी के सामने नही रखेगें आखिर सम्मान जो कम हो जायेगा । वैसे भी अभी तो किसी दूसरे का नम्बर है हमारा नम्बर जब आयेगा तब देखा जायेगा। 
अगर इस पेशे को सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र कहा जाये तो अतिश्योक्ति नही होगी। मीडिया के मालिकों की जो भी विचारधारा हो, सत्ता के साथ कैसा भी गठजोड़ हो । अपने कर्मचारियों के हितों की शायद ही उन्हे कोई चिन्ता होती है । मुनाफा कमाने की होड़ में, आपसी गलाकाट प्रतियोगिता के इस दौर में मालिकों का रुझान कर्मचारियों की परेशानियों पर कम अपने हितों पर ज्यादा होता है । ऐसे प्रतिकूल माहौल में हर कर्मचारी का पूरा ध्यान अपनी नौकरी बचाने में लगा रहता है क्योकि संगठन की तरफ से कब बाँय बाँय बोल दिया जाये कहा नही जा सकता । सैलरी बढ़ना किसे अच्छा नही लगता । सभी की अपनी फैमली है, सामाजिक जिम्मेदारी है और आज के मंहगाई के दौर में जीवन यापन करना वैसे भी आसान नहीं हैं, आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली कहावत यहां पर फिट बैठती है और ऊपर से मीडिया के लोगों को कोई सामाजिक सुरक्षा का लाभ भी तो नही है। कुछ बड़े मठाधीशों को छोड़ दिया जाये तो कमोबेश अधिकतर लोगों की स्थिति बहुत अच्छी नही कही जा सकती । आखिर कब तक अन्याय का ये सिलसिला चलता रहेगा।
अब तो हालात ये है कि मीडिया ग्रुप भी पूरी तरह बंट चुके हैं । ये बात तो सही थी कि मीडिया ग्रुप अपने हितों के चलते सत्ता किसी की भी हो उसके करीब ही रहतें हैं लेकिन अब तो हालात ज्यादा ही खराब हैं । कुछ मीडिया संगठनों ने तो खुलेआम सत्ता की दलाली शुरु कर दी है । संपादकीय पालिसी कुछ भी हो सकती है । विचारधारा जो भी हो लेकिन जनता के प्रति सच दिखाने का नैतिक साहस भी कुछ लोग दलाली के चलते बेच चुके हैं । ऐसे निर्दयी संगठनों से कर्मचारी क्या उम्मीद कर सकते हैं । कर्मचारियों की ये हालत आमतौर पर सभी जगह है । कर्मचारियों के लिये अपने संगठन की नीतियों का अनुसरण करना जरुरी है लेकिन अपने बच्चों की अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था करना, अपने परिवार को एक बेहतर जीवन प्रदान करना और अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को सही से पूरा करना शायद मीडिया कर्मियों की हाथ की रेखाओं में शामिल नही है । तभी तो अपनी पूरी ड्यूटी करने के बाद भी साल दर साल बिना किसी मानसिक प्रताड़ना के तन्ख्वाह बढ़ने का सपना एक सपना ही बना हुआ है । सातवें वेतन आयोग की सिफारिश से मीडियाकर्मी कब तक खुश रहते हैं ये देखना होगा ।

कोटा से वसूल होगा इस बार 1146 करोड़ का कॉमर्शियल टैक्स

बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
 राज्य सरकार इस बार चालू वित्त वर्ष 2016-17 में कोटा संभाग के उपभोक्ताओं से 1146 करोड़ रुपए कॉमर्शियल टैक्स के रूप में वसूल करेगी। सरकार ने कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट को इस बार 32 प्रतिशत टार्गेट बढ़ाकर दिया है। पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में हाड़ौती के चारों जिलों से मिलाकर उपभोक्ताओं ने 908 करोड़ रुपए वैट एवं अन्य टैक्स के रूप में चुकाए थे। यह टैक्स वैट, एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स एवं एंटरटेनमेंट टैक्स के रूप में उपभोक्ताओं से वसूला जाता है।
 कामर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट का चालू वित्त वर्ष में वैट का 1025 करोड़ रुपए का टारगेट है, जो 80 करोड़ रुपए अधिक है। पिछले वित्त वर्ष में वैट का 945 करोड़ रुपए का टारगेट मिला था, जिसका 82 प्रतिशत यानी 774 करोड़ रुपए ही वसूल हो पाया था। इसी तरह एंट्री टैक्स का 117 करोड़ रुपए का टारगेट है, जो पिछले साल से 100 करोड़ रुपए कम है। समाप्त हुए वित्त वर्ष में वाणिज्यिक कर विभाग को 130 करोड़ रुपए एंट्री टैक्स से प्राप्त हुए थे। क्योंकि सरकार का मानना है कि एंट्री टैक्स से ज्यादा रेवेन्यु प्राप्त नहीं होती। इसलिए टारगेट कम कर दिया। एंटरटेनमेंट टैक्स का तीन करोड़ रुपए का टारगेट है, जबकि पिछली बार 10 लाख का था। पिछली बार एंटरटेनमेंट टैक्स के रूप में विभाग को इस बार 2.82 करोड़ रुपए मिले थे। लक्जरी टैक्स भी 2.20 करोड़ रुपए से घटाकर 94 लाख रुपए किया गया हे। क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में लक्जरी टैक्स के रूप में 59 लाख रुपए की ही आय हुई थी। कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर एनके गुप्ता ने बताया कि सरकार का इस बार वैट पर ही ज्यादा फोकस है। इसलिए वैट का टारगेट 32 प्रतिशत बढ़ाकर दिया है। उन्होंने बताया कि डिपार्टमेंट ने इस बार डीलर्स का मई माह तक असेसमेंट कर दिया है। जिसमें वैट में 143.32 करोड़, एंट्री टैक्स में 24.78 करोड़, एंट्री टैक्स में 50 लाख और लक्जरी टैक्स में 17 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।

Tuesday, July 5, 2016

AC से सेहत को होते हैं नुकसान

गर्मी हो या सर्दी, ऑफिस का एसी हर वक्त चलता रहता है। ऐसे में जिन लोगों को दिनभर एसी के सामने बैठने की आदत नहीं है, उन्हें सर्दी-जुखाम या फिर बुखार होने की संभावना बनी रहती है। एक रिसर्च के अनुसार, आपको आराम पहुंचाने वाला एसी, स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। एसी, हमारे आस-पास एक आर्टिफिशल टेम्परेचर बनाता है, जो इम्यून सिस्टम के लिए खतरनाक है। तो अगर आप बार-बार बीमार पड़ते हैं, तो उसका एक यह भी कारण हो सकता है। वे लोग जो एसी में 4 घंटे से ज्यादा देर तक बैठते हैं, उन्हें साइनस होने का खतरा रहता है। क्योंकि ठंडी हवा म्यूकस ग्रंथि को कठोर बना देती है। आइये एयर कंडिशनर के नुकसान पर डालते हैं एक नजर:-
मोटापा बढ़ता है
ज्यादा देर तक एसी में बैठने से मोटापा बढ़ता है। दरअसल, ठंडी जगह पर हमारे शरीर की ऊर्जा ज्यादा खर्च नहीं होती है। इससे चर्बी चढ़ने लगती है।
मांसपेशियों में खिंचाव
लगातार एसी वाली जगह पर बैठे रहने से मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है, जो सिरदर्द का भी कारण बन जाता है।
सांस की परेशानी 
एसी के फिल्टर गंदे होने के चलते सांस की भी परेशानी हो सकती है। इससे गले में खराश और छींक की समस्या हो जाती है। ट्रैवल करते वक्त एसी ऑन रहने से सांस में दिक्कत होती है क्योंकि गाड़ी में माइक्रो जर्म्स होते हैं।
बुखार या थकान महससू होना
अगर आपको गर्मियों में भी हल्की ठंड महससू होती है तो आप खुद को थका हुआ महसूस करने लगते हैं। एक स्टडी के अनुसार, ज्यादा देर एसी में बैठने पर थकान होती है। जिन लोगों का पूरा ऑफिस एयर कंडिशंड है उन्हें जुकाम या फ्लू जैसी बीमारी हो सकती है।
ड्राई स्किन 
ज्यादा समय तक एसी में बैठे रहने से स्किन ड्राई हो जाती है। इसलिए 1-2 घंटे के बीच में मॉइश्चराजर लगाते रहें, ताकि स्किन ढीली न हो।
गर्मी सहन न होना
जिन लोगों को एसी में रहने की आदत पड़ जाती है। उनके लिए गर्मी या धूप सहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दरअसल, ठंडे वातावरण में होने की वजह से आप जब गर्मी में जाते हैं तो बॉडी में स्ट्रेस बढ़ता है। एसी में रहने पर गर्मी सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है।
जोड़ों में दर्द
एसी से निकलने वाली हवा कई बार शरीर के जोड़ों में दर्द पैदा करती है। गर्दन, हाथ और घुटनों का दर्द ठंडी हवा लगने की वजह से बढ़ जाता है, जो कि अगर लंबे समय तक रहे, तो बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकता है।

Friday, July 1, 2016

स्मार्टफोन में पाएं फिंगरप्रिंट स्कैनर

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। आपके बजट फोन में फिंगर स्कैनर नहीं है मगर आप उसका अनुभव लेना चाहते हैं तो इसके लिए मुफ्त एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही गूगल प्ले स्टोर पर कुछ ऐसे भी एप हैं जो बतौर पासवर्ड चेहरे और वॉयस का इस्तेमाल करते हैं।
आईसीई अनलॉक फिंगरप्रिंट स्कैनर
अधिकतर स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने अपने प्रीमियम फोन में यह फीचर पेश कर दिया है और उनकी कीमत भी अधिक होती है। इसके बावजूद आप अपने बजट फोन में इस फीचर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो गूगल प्ले से ICE Unlock Fingerprint Scanner एप को फोन में इंस्टॉल कर सकते हैं। इससे फोन अनलॉक करने के लिए फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए आपके फोन में फिंगर स्कैनर की जरूरत नहीं है। इसके लिए पीछे वाले कैमरे में एलईडी फ्लैश होना चाहिए। यह एप बिना फ्लैश वाले फोन में काम नहीं करता है। यह फोन के रियर कैमरे से फोटो खींचता है और फिर फोन को अनलॉक करता है।
फेस डिटेक्शन एप भी उपयोगी
किसी अन्य यूजर को फोन देते वक्त अक्सर लोगों को यह डर रहता है कि कहीं वह उनके किसी व्हाट्सएप या फेसबुक जैसे एप के मैसेज न देख लें। अपनी प्राइवेसी बरकरार रखने के लिए आप अपने फोन में हाइटेक सिक्योरिटी फीचर देने वाले एप डाउनलोड कर सकते हैं। AppLock Face/Voice Recognition एप को फोन में इंस्टॉल करने के बाद किसी भी एप को अनलॉक करने के लिए चेहरे और आवाज को पासवर्ड बना सकते हैं। इसकी खूबी यह है यह है कि आपकी बिना अनुमति के फोन में कोई भी इन एप को खोल नहीं पाएगा। इसमें आप अपना चेहरा और आवाज दोनों पासवर्ड के तौर पर सेव कर सकते हैं। गूगल प्ले पर इसे 4.1 रेटिंग दी गई है। इस एप्लीकेशन का साइज 16 एमबी है।