Saturday, August 27, 2016

छह साल का आईटीआर का अंतिम मौका 31 तक

कोटा। आयकर विभाग ने छह वित्त वर्ष का आटीआर5 एक साथ भरने का मौका दिया है। इसके लिए अंतिम तारीख 31 अगस्त है। किसी वजह से आपका आईटीआर5 आकलन वर्ष 2009-10 से 2014-15 के बीच अधूरा रह गया है तो इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं। आयकर विभाग ने इस मई में इसके लिए अधिसूचना निकाली थी। टैक्स सलाहकारों का कहना है कि इसे किसी भी तरह से दोबारा टैक्स रिटर्न भरने का मौका नहीं समझना चाहिए।
इसका फायदा उन्हीं करदाताओं को मिलेगा जिन्होंने आयकर रिटर्न भरा है और किसी वजह से उनका आईटीआर5 अधूरा रह गया है। आईटीआर5 टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम प्रक्रिया है। ऑनलाइन रिटर्न भरने पर आईटीआर को सत्यापित करने के दो विकल्प दिए जाते हैं। इसके तहत डिजिटल हस्ताक्षर, आधार के जरिये वन टाइम पासवर्ड या बैंक एटीएम से सत्यापन किया जा सकता है। वहीं ऑफलाइन सत्यापन की स्थिति में आईटीआर5 का प्रिंट लेकर उसपर हस्ताक्षर करने के बाद आयकर विभाग को भेजना पड़ता है। किसी भी स्थिति में आयकर विभाग के पास इसके नहीं पहुंचने या हस्ताक्षर नहीं होने की स्थिति में इसे रद्द या अधूरा समझा जाता है।
क्या है आईटीआर 5
यह पावती की तरह है। टैक्स रिटर्न भरने के बाद आईटीआर 5 का प्रिंट लेकर उसपर हस्ताक्षर करके आयकर विभाग को भेजना पड़ता है। जिनका डिजिटल हस्ताक्षर है वह ऑनलाइन ही इसे जमा कर सकते हैं। इसकी प्राप्ति के बाद आयकर विभाग करदाता को इसकी सूचना देता है। इसके बाद ही टैक्स रिटर्न प्रक्रिया पूरी मानी जाती है। इसे किसी भी स्थिति में टैक्स रिटर्न के 120 दिन के भीतर आयकर विभाग में पहुंच जाना अनिवार्य है।
टैक्स रिटर्न भरने वालों को ही लाभ
आईटीआर 5 एक साथ छह साल का भरने का मौका उन्हीं लोगो को मिलेगा जिन्होंने इस दौरान टैक्स रिटर्न भरा है लेकिन किसी वजह से वह आईटीआर 5 नहीं भर सके हैं या आयकर विभाग तक उनका आईटीआर 5 नहीं पहुंच सका है। कई बार आईटीआर 5 पर हस्ताक्षर नहीं होने से भी यह रद्द हो जाता है और उस स्थिति में भी दोबारा भेजना पड़ता है। यह किसी भी तरह से दोबारा छह साल का टैक्स रिटर्न भरने का मौका नहीं है।
कब से होगी गणना
आकलन वर्ष 2009-10 से लेकर 2014-15 तक का आईटीआर एक साथ भरने की छूट दी गई है।
कैसे लें आईटीआर की जानकारी
सबसे पहले आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करें। इसके बाद ई-फाइलिंग टैब पर क्लिक करने पर सर्विसेज (सेवाएं) का विकल्प दिखेगा जिसपर क्लिक करने पर आपको आईटीआर5 रिसिप्ट स्टेटस का विकल्प मिलेगा। यहां क्लिक करने के बाद पैन नंबर और आकलन वर्ष या ई फाइलिंग एक्नॉलेजमेंट नंबर डालकर आईटीआर5 की स्थिति जान सकते हैं।

Friday, August 26, 2016

ईमेल से ट्रांसफर करें पैसा, 21 बैंकों ने लॉन्च की सर्विस

नई दिल्ली।अब आप केवल अपने आधार कार्ड नंबर, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। इस सुविधा के लिए अपने मोबाइल पर 21 बैंकों की तरफ से जारी यूपीआई ऐप को डाउनलोड करना होगा। नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस सर्विस को गुरूवार से शुरू कर किया है।
इन बैंकों के कस्टमर्स को मिलेगा लाभ
एनपीआई ने जिन बैंकों के साथ मिलकर इस सर्विस को शुरू किया है उनमें आंध्रा बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, भारतीय महिला बैंक, केनरा बैंक, केथोलिक सिरीयन बैंक, डीसीबी बैंक, फेडरल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टीजेएसबी सहकारी बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, कर्नाटक बैंक, यूको बैंक, विजया बैंक, यस बैंक, यूनियन बैंक, यूनाइटेड बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, आईडीबीआई बैंक और आरबीएल बैंक शामिल हैं। इन बैंकों के कस्टमर्स को अपने बैंक द्वारा जारी किए गए मोबाइल ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा।
एक लाख रुपए तक का कर सकते हैं ट्रांसफर
इस सर्विस के जरिए कस्टमर्स एक लाख रुपए तक का फंड ट्रांसफर रियल टाइम बेसिस पर कर सकते हैं। इसके लिए कस्टमर्स को केवल अपना वर्चुअल पता बताना होगा और फंड ट्रांसफर हो जाएगा। इसके अलावा कस्टमर्स अपने यूटिलिटी बिल्स का पेमेंट भी कर सकेंगे।
क्या है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)?
यह एक ऐप है, जिसके जरिए यूजर दूसरे बैंकों में आसानी से पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे और पेमेंट कर सकेंगे. NPCI का दावा है कि इस ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन करना टेक्सट मैसेज भेजने से भी सरल होगा.
UPI किस प्लेटफॉर्म पर काम करता है?
यह एक मोबाइल ऐप है, जो सिर्फ मोबाइल को सपोर्ट करेगा. इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा.
यह कैसे काम करता है?
बस एक क्लिक और पेमेंट पूरी. कुछ ऐसा होगा UPI ऐप, जिसके जरिए पेमेंट करते वक्त आपको इंटनेट बैंकिंग लॉग-इन करने की और ओटीपी कोड जुटाने की जरूरत नहीं होगी. यह ऐप आपसे कोई नंबर नहीं मांगेगा और किसी किस्म का कार्ड नंबर इसमें नहीं देना होगा.
इस ऐप को स्टार्ट कैसे करना है?
इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको सबसे पहले चाहिए एक बैंक अकाउंट. साथ में होना चाहिए एक स्मार्टफोन. इसके बाद आपको अपने फोन में प्ले स्टोर में जाकर बैंक का UPI app डाउनलोड करना होगा. इस ऐप को बैंक अकाउंट से कनेक्ट करना होगा, जिसके बाद आपको एक यूनिक आईडी बनानी होगी. आईडी बनाने के बाद आपको मोबाइल पिन जेनरेट करना होगा. इसे आपको आधार नंबर से भी जोड़ना होगा.

Monday, August 22, 2016

घर बैठे सबसे तेज इंटरनेट स्पीड का मजा

नई दिल्ली। अब आपको स्लो इंटरनेट स्पीड का सामना नहीं करना पड़ेगा। आप घर बैठे सबसे तेज इंटरनेट स्पीड का मजा ले सकते हैं। इसके लिए बस आपको TRAI MY SPEED ऐप डाउनलोड करना होगा। यह ऐप टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने लांच किया है। जो आपको किसी भी लोकेशन पर बेस्ट इंटरनेट स्पीड ऑप्शन सेलेक्ट करना का मौका देता है।
इस वेबसाइट पर करें क्लिक ट्राई ने http://www.analytics.trai.gov.in/ पोर्टल लांच किया है। जिसमें आपको मोबाइल पर मिल रही इंटरनेट स्पीड से लेकर टेलिकॉम कंपनियों की कॉल ड्रॉप का स्टेट्स पता चल सकेगा। यानी आप घर बैठे यह जान सकेंगे, कि कौन से लोकेशन पर किस कंपनी की सर्विसेज बेहतर है। इसके अलावा उस एरिया में इंटरनेट स्पीड कितनी मिल रही है। कंपनी की 2जी, 3जी, 4जी पर क्या स्पीड है। ये सब जानकारी आपको ट्राई के नए पोर्टल पर मिल जाएगी।
ऐसे करें डाउनलोड

 इंटरनेट स्पीड चेक करने के लिए आप मोबाइल डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए ट्राई ने TRAI MY SPEED APP लांच किया है। जिसे आप गूगल प्ले स्टोर पर एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड कर सकते हैं। जहां पर आपको टेलिकॉम कंपनियों की डिटेल मिल जाएगी। ऐप डाउनलोड कर आप जिस लोकेशन में इंटरनेट स्पीड चेक करना चाहते हैं, उसे सर्च बार से चेक कर सकते हैं। ये ऐप आपको ये भी बता देगा, कि उस लोकेशन पर बेस्ट सर्विस किस कंपनी की है।इस नई सर्विस से आपको कंपनी का सेलेक्शन करना आसान हो जाएगा। यानी आप जब भी किसी लोकेशन पर कोई कनेक्शन लेना चाहेंगे, तो आपको यह जानकारी होगी कि उस एरिया में किस कंपनी की सर्विसेज बेहतर होगी। इससे आपको के लिए कंपनी का सलेक्शन करना आसान हो जाएगा।
सीधे ट्राई को करिए शिकायत
यहीं नहीं इसके अलावा ऐप के जरिए कंपनी की खिलाफ ट्राई को शिकायत भी कर सकते हैं। जिससे आपकी शिकायत का निपटारा भी जल्द हो सकेगा। इंटरनेट स्पीड के अलावा आप कंपनियों के कॉल ड्रॉप स्टेटस की जानकारी भी ले सकते हैं। जिससे आपको कंपनी के सेलेक्शन लेकर उसके खिलाफ शिकायत सीधे ट्राई को करने में आसानी होगी।

Sunday, August 21, 2016

फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अखबार की सभी यूनिटों को माना है एक..

मजीठिया को लेकर चल रही हक की लड़ाई की 23 अगस्त 2016 की सुनवाई को लेकर सभी साथी बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस दिन माननीय अदालत 20(जे) को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 के अनुसार सुनवाई करेगी। पूरी आशा है कि जीत कर्मचारियों की होगी क्योंकि एक्ट बड़ा है न की मजीठिया की सिफारिशें। चलिए अब बात करते हैं मजीठिया को लेकर अखबार मालिकों द्वारा कई राज्यों के लेबर विभाग के माध्यम से कंपनी का Classification गलत व मनमाने तरीके से अपने आप को lower कैटगरी में बताया गया है उदाहरण के लिए उत्तराखंड द्वारा दी गई रिपोर्ट में दैनिक जागरण अखबार ने अपने आप को 5 वीं कैटगरी में दिखाया है जबकि ये अखबार 1वीं कैटगरी में आता है। वहीं, अमर उजाला ने भी अपने आपको 5वीं कैटगरी का दिखाया है, जबकि उसकी कैटगरी 2वीं है। इसी तरह अन्य अखबारों ने भी अपने आप को दर्शाया होगा।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने 7 फरवरी 2014 के फैसले की पेज संख्या 54 के कॉलम 58 में साफ लिखा है कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के सेक्शन 2(डी) के अनुसार ऑल- इंडिया न्यूजपेपर establishment की financial capacity and gross revenue के लिए अखबार की सभी यूनिटों को एक माना जाएगा। साथ ही माननीय कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि establishment की व्यक्तिगत (Individual) यूनिट आर्थिक रूप से चाहे अक्षम हो तब हम ये नहीं कह सकते की न्यूजपेपर establishments जीने योग्य नहीं है।

58) On the other hand, it is the stand of the Union of India that in the absence of availability of such parameters for the assessment of capacity to pay of the newspaper establishments, it is judicially accepted methodology to determine the same on the basis of gross revenue and relied on the observations in Indian Express Newspapers (Pvt.) Ltd. (supra):-

“16…In view of the amended definition of the “newspaper establishment” under Section 2(d) which came into operation retrospectively from the inception of the Act and the Explanation added to Section 10(4), and in view further of the fact that in clubbing the units of the establishment together, the Board cannot be said to have acted contrary to the law laid down by this Court in Express Newspapers case, the classification of the newspaper establishments on all-India basis for the purpose of fixation of wages is not bad in law. Hence it is not violative of the petitioners’ rights under Articles 19(1)(a) and 19(1)(g) of the Constitution. Financial capacity of an all-India newspaper establishment has to be considered on the basis of the gross revenue and the financial capacity of all the units taken together. Hence, it cannot be said that the petitioner-companies as all-India newspaper establishments are not viable whatever the financial incapacity of their individual units. After amendment of Section 2(d) retrospectively read with the addition of the Explanation to Section 10(4), the old provisions can no longer be pressed into service to contend against the grouping of the units of the all-India establishments, into one class.”

आगे अपने फैसले में माननीय कोर्ट ने लिखा है कि एक्ट के सेक्शन 2(डी) जिसे सेक्शन 10(4) के साथ पड़ा जाए, जिसके अनुसार देश भर में फैली अखबार की सभी यूनिटों को एक ही मानना जाएगा। पुराने प्रावधान सभी यूनिटों को एक होने से नहीं रोक सकते। अब आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि अखबार प्रबंधन किस तरह माननीय सुप्रीम कोर्ट के 07 फरवरी 2014 के फैसले की अवमानना करने पर आमादा हैं।

Wednesday, August 17, 2016

अंगूठे के निशान से मिलेगा नया सिम कार्ड

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।  केंद्र सरकार सिम कार्ड सत्यापन की प्रक्रिया सरल बनाने जा रही है। इसके तहत आने वाले दिनों में मोबाइल सिम कार्ड लेने के लिए बायोमीट्रिक मशीन पर अंगूठे का निशान देना होगा। इसके जरिए टेलीकॉम कंपनियां सत्यापन की प्रक्रिया तत्काल पूरी कर लेंगी और कुछ ही देर में नए सिम कार्ड को चालू कर दिया जाएगा। सितंबर के अंत तक नई प्रक्रिया सेवा प्रदाता कंपनियों के प्रमुख केंद्रों से शुरू हो जाएंगी। इसके बाद नई व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाएगा।
आधार से होगा मिलान
सिम सत्यापन की प्रक्रिया को कागज रहित करने के लिए आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इसमें नया सिम खरीदने वाले ग्राहक से सत्यापन के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। शर्त बस इतनी है कि उसके पास आधार कार्ड हो। नई प्रक्रिया के तहत ग्राहक को सिर्फ अंगूठे या अंगुलियों का निशान टेलीकॉम कंपनियों को देना होगा। इस निशान से आनलाइन सॉफ्टवेयर से जुड़ी मशीन स्वत: आधार कार्ड के निशान से समानता जांचेगी। मिलान होते ही सिम कार्ड चालू हो जाएगा। यानी सत्यापन के साथ ही नया सिम शुरू।
सबको फायदा होगा
दूरसंचार मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि आधार लिंक व्यवस्था से सिम हाथों-हाथ शुरू होगा। पहले से चल रहे सिम को कंपनियां नहीं बेच सकेंगी। साथ ही ग्राहक के सत्यापन में आ रहे टेलीकॉम कंपनियों के खर्च में भी कमी आएगी और ग्राहकों के लिए सिम का शुल्क भी घटेगा।
कंपनियों ने किया स्वागत
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आधार के सर्वर से ग्राहक का सत्यापन किया जाएगा। वैसे तो अंगूठे के निशान को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन कोई परेशानी होने पर अन्य अंगुलियों से भी निशान दिया जा सकेगा। टेलीकॉम कंपनियां ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है।

Friday, August 12, 2016

अक्‍टूबर से ई-अकाउंट होने पर ही करवा पाएंगे बीमा

दिनेश  माहेश्वरी 
कोटा। अब तक आप अपना और अपनी महंगी चीजों का बीमा डायरेक्‍ट करवा लेते थे लेकिन अक्‍टूबर 2016 से ऐसा नहीं हो पाएगा। 1 अक्‍टूबर 2016 से बीमा पॉलिसी इलेक्‍ट्रॉनिक फॉर्म में मिलने लगेगी। यह बिलकुल उस तरह होगा जैसे आप ऑनलाइन शेयर खरीदते हैं और फिर वो डीमेट फॉर्म में जमा हो जाते हैं।
अक्‍टूबर से ज्‍यादातर पॉलिसीज जिसमें मोटर बीमा और ओवरसीज ट्रेवल बीम पॉलिसी केवल डीमेट फॉर्म में ली जा सकेंगी। इसके लिए उपभोक्‍ता को ई-अकाउंट बनाना होगा। अब तक बीमा कोष पहले से मौजूद फीजिकल डॉक्‍युमेंट में होती हैं जिन्‍हें डीमेट में कन्‍वर्ट किया जाता है लेकिन अक्‍टूबर से पॉलिसी को डीमेट फॉर्म में ही जारी किया जाएगा।
इंश्‍युरेंस रेग्‍युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इ‍ंडिया रेगुलेशन 2016 ने डिजिटल इंश्‍युरेंस पॉलिसी के कामकाज के लिए नियम बनाए हैं। ई-इंश्‍युरेंस के फायदे वैसे ही होंगे जैसे डीमेट से सुरक्षा, स्‍टॉक और बॉन्‍ड में निवेश के लिए होते हैं। पॉलिसी जारी करने के लिए एप्‍लीकेशन लिखने से लेकर पॉलिसी जारी होने तक के सारे काम अब पेपरलेस होंगे।
फ्यूचर जनराली इंडिया इंश्‍युरेंस के सीईओ एसवारा नरायणन के अनुसार इसकी सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह होगी कि कोई भी उपभोक्‍ता किसी भी तरह की नकली पॉलिसी और कागजों के चलते धोखाधड़ी का शिकार नहीं होगा। वहीं बजाज कैपीटल के ग्रुप सीईओ और डायरेक्‍टर अनिल चोपड़ा के अनुसार ई-इंश्‍युरेंस को कम ही लोग जानते हैं इसलिए इसका उपयोग भी कम है।
कम जागरूकता और बीमा कंपनियों द्वारा कम प्रचार ई-अकाउंट के लिए दिक्‍कतें पैदा करेगा। इसलिए अगर किसी पॉलिसी को रिन्‍यू करवाना हो तो इस बात का ध्‍यान रखना होगा कि आपका ई-अकाउंट हो।
केम्‍स रिपोजिटरी सर्विस के सीईओ सीवी रामानन बताते हैं कि ई-इंश्‍युरंस को जो प्रतिसाद मिला है वो मिलाजुला है। इसके पीछे कारण यह है कि यह अब भी ज्‍यादा लोगों तक नही पहुंचा। पॉलिसी का मालिक इंश्‍युरेंस करने वाले या सेल्‍स पर्सन की राय ज्‍यादा मानते हैं।
शुरुआती समस्‍याएं 
ई-पॉलिसी के लिए उपभोक्‍ता को ई-अकाउंट खोलना होगा जो अपनी एक समस्‍या है। अकाउंट खोलने के बाद उसे किसी पेपर के बजाय ई-फार्म भरना होगा। जहां तक डिजिटल पहुंच की बात है तो यह अब भी बड़े वर्ग तक अपनी पहुंच नहीं बना पाया है। 

Friday, August 5, 2016

मजीठिया वेज बोर्ड : ऐसे करें आरटीआई के लिए आवेदन


मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे सभी साथी और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिस के तहत वेतन,एरियर और प्रमोशन पाने के इच्छुक देश भर के सभी पत्रकार साथियों से निवेदन है कि इस अधिकार की लड़ाई के लिए आरटीआई का सहारा लें। आप एक बात एकदम स्पष्ट जान लीजिये यही वो ब्रम्हास्त्र है जो मैनेजमेंट के भ्रस्टाचार को आपके सामने लाएगा। उत्तर प्रदेश के एक साथी ने मेरे कहने पर कुछ सवाल आरटीआई से माँगा है।

आप भी इसी तरह आरटीआई का पत्र तैयार करें और जो सवाल इस साथी ने पूछा है वही सवाल आप अपने समाचार पत्र प्रतिष्ठान के बारे में श्रम आयुक्त कार्यालय से पूछे। मेरा दावा है इस आरटीआई का जवाब आने के बाद आप 70 प्रतिशत लड़ाई जीत जाएंगे। चूंकि समय कम है और आरटीआई का जवाब आने में एक माह का समय लगता है इसलिए जल्द से जल्द आरटीआई डालकर सभी सवाल पूछें और सबसे नीचे अपना पूरा नाम, पता और पिनकोड, मोबाइल नंबर और डेट लिखकर साइन करना न भूलें। आप 2007-08, 2008-09, 2009-10 का ही मजीठिया वेज बोर्ड का उल्लेख करते हुए श्रम आयुक्त कार्यालय से सूचना मांगें।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

Wednesday, August 3, 2016

मजीठिया: अदालत में कानून बड़ा होता है

नई दिल्ली। ‘एक्ट बड़ा है ना कि वेजबोर्ड की सिफारिशें’ ये बात माननीय सुप्रीम कोर्ट के 19 जुलाई 2016 के आदेश से साबित हो ही गई। कई दिनों से 20जे को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि अखबार मालिक 20जे का फायदा ले लेंगे। लेकिन अखबार के मालिक शायद ये भूल गए की 20जे का जनक कौन है? कहने का मतलब है कि 19 जुलाई के आदेश में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 20जे को लेकर जो बहस होगी वह Working Journalists Act -1955 में दिए गए संबंधित प्रावधानों के अनुसार ही होगी।
अदालत हमेशा कानून एवं एक्ट के अनुसार ही चलती है न की अखबार मालिकों की मनमर्जी से। मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 के अनुसार बनी हैं। एक्ट की धारा 13 बताती है कि केंद्र सरकार द्वारा वेजबोर्ड को लेकर जारी आदेश के बाद कोई भी संस्थान कर्मचारी को सिफारिशों में दर्शाई गई मजदूरी से किसी भी दशा में कम वेतन नहीं दे सकता।
धारा 16 स्‍पष्‍ट करती है कि यदि आप किसी भी वेजबोर्ड में निर्धारित न्‍यूनतम वेतनमान से ज्‍यादा वेतन प्राप्‍त कर रहे हैं तो यह आपके उस ज्‍यादा वेतन को प्राप्‍त करने के अधिकार की रक्षा करता है।
यानि कोई भी करार आपको ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा देने के लिए हो सकता है ना कि आपको न्‍यूनतम वेतनमान से वंचित करने के लिए। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं की 20जे का खौफ किस तरह बेवजह फैलाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की तरफ से केस लड़ रहे वकीलों में से एक वरिष्‍ठ वकील कोलिन गोनसालविस की केस से संबंधित सभी मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने की प्रार्थना स्‍वीकार कर ली, ताकि माननीय अदालत द्वारा एक सही व प्रभावशाली आदेश पारित किया जा सके।
आपके हितों की रक्षक धारा 13 और 16 इस प्रकार हैं- 
[धारा 13 श्रमजीवी पत्रकारों का आदेश में विनिर्दिष्‍ट दरों से अन्‍यून दरों पर मजदूरी का हकदार होना-- धारा 12 के अधीन केंद्रीय सरकार के आदेश के प्रवर्तन में आने पर, प्रत्‍येक श्रमजीवी पत्रकार इस बात का हकदार होगा कि उसे उसके नियोजक द्वारा उस दर पर मजदूरी दी जाए जो आदेश में विनिर्दिष्‍ट मजदूरी की दर से किसी भी दशा में कम न होगी।]।
धारा 16- इस अधिनियम से असंगत विधियों और करारों का प्रभाव-- (1) इस अधिनियम के उपबन्‍ध, किसी अन्‍य विधि में या इस अधिनियम के प्रारम्‍भ से पूर्व या पश्‍चात् किए गए किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के निबंधनों में अन्‍तर्विष्‍ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे :
परन्‍तु जहां समाचारपत्र कर्मचारी ऐसे किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के अधीन या अन्‍यथा, किसी विषय के संबंध में ऐसे फायदों का हकदार है जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है तो वह समाचारपत्र कर्मचारी उस विषय के संबंध में उन अधिक अनुकूल फायदों का इस बात के होते हुए भी हकदार बना रहेगा कि वह अन्‍य विषयों के संबंध में फायदे इस अधिनियम के अधीन प्राप्‍त करता है।(2) इस अधिनियम की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी समाचारपत्र कर्मचारी को किसी विषय के संबंध में उसके ऐसे अधिकार या विशेषाधिकार जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है, अनुदत्‍त कराने के लिए किसी नियोजक के साथ कोई करार करने से रोकती है।       

Tuesday, August 2, 2016

IDS Scheme - बेनामी संपत्ति के ट्रांसफर पर टैक्स नहीं

नईदिल्ली।  काले धन का ब्योरा देने की योजना के तहत घोषित की गई अचल संपत्ति को बेनामीदार से उसके असली मालिक के नाम ट्रांसफर करने पर कैपिटल गेन टैक्स और एक प्रतिशत टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) नहीं लगेगा। सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक तौर पर स्पष्टीकरण जारी किया है। उसका कहना है कि बेनामीदार के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने वाला असली मालिक पहले ही भुगतान कर चुका है। इसलिए बेनामीदार को किसी राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा। ऐसी स्थिति में उस पर कैपिटल गेन नहीं लगेगा। खास बात यह है कि इस योजना के तहत बेनामी अचल संपत्तियों का ब्योरा देने वालों पर मामला भी नहीं चलेगा। उन्हें बस उस संपत्ति के मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स, सेस और पेनाल्टी का भुगतान करना होगा।
सरकार ने देश के भीतर छुपे कालेधन को निकालने के लिए आय घोषणा योजना एक जून को शुरू की है जो 30 सितंबर तक चलेगी। हालांकि इस अवधि में बेनामी अचल संपत्ति को उजागर करने वाले लोग अगले साल 30 सितंबर तक उक्त संपत्ति को अपने नाम करा सकेंगे। ऐसा करने पर बेनामीदार को कोई कैपिटल गेन टैक्स या एक प्रतिशत टीसीएस नहीं देना होगा। बेनामीदार वह व्यक्ति होता है जिसके नाम से कोई अन्य व्यक्ति संपत्ति खरीदता है।आयकर विभाग के अनुसार आय घोषणा योजना 2016 की अवधि में जो भी लोग बेनामी संपत्ति को इसके असली मालिक के नाम ट्रांसफर करेंगे, वैसे मामलों में बेनामीदार पर कैपिटल गेन टैक्स और एक प्रतिशत टीसीएस नहीं लगेगा। विभाग का कहना है कि ऐसे मामले में बेनामी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए असली मालिक (बेनिफिशियल ओनर) पहले ही भुगतान कर चुका है और अपनी आय का विवरण देते समय इसका बाजार मूल्य घोषित कर चुका है।
बेनामीदार के नाम से वास्तविक मालिक के नाम अचल संपत्ति का ट्रांसफर महज नियमितीकरण के लिए है, इसलिए बेनामीदार को इस पर न तो एक प्रतिशत टीसीएस देना होगा और न ही कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करना होगा। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत कालेधन का ब्योरा देने वालों को अगले 30 सितंबर तक तीन किश्तों में टैक्स, सेस और पेनाल्टी जमा करनी होगी।