Saturday, May 31, 2014

LIfe is art


फोन से फोटो क्लिक और हो जाएगा ट्रांसलेशन

अगर आपको किसी भाषा का अनुवाद करने में दिक्कत आ रही है तो एक खास ऐप आपकी मदद कर सकता है। ये ऐप उन लोगों के लिए काफी काम का साबित हो सकता है जिन्हें अक्सर विदेशों में ट्रैवल करना होता है। Quest Visual द्वारा बनाया गया Word Lens Translator ऐप इसी काम के लिए है। सबसे खास बात ये है कि इस ऐप के लिए किसी भी तरह की नेटवर्क कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती है। ट्रांसलेशन का रिजल्ट सीधे आपकी स्क्रीन पर दिखेगा। इस ऐप का इस्तेमाल दुनिया के किसी भी कोने से किया जा सकता है। ये ऐप अंग्रेजी से रूसी, स्पैनिश, फ्रेंच, इतालवी, जर्मन और पुर्तगाली में ट्रांसलेट कर सकता है। इसी के साथ, ऊपर दी गई सभी भाषाओं से अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट किया जा सकता है। हालांकि, इस ऐप में एक बुरा फीचर ये भी है कि ये हैंडराइटिंग और स्टाइलिश फॉन्ट भी नहीं पहचान सकता है। ये ऐप गूगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।

केसर से महकी घोली घाटी

केसर का जायका थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन इसी केसर ने कश्मीर की वादियों में आज नई खुशबू और मिठास घोल दी है। एक जमाने में केसर को करीब-करीब अलविदा कह चुके किसान अब केसर की ज्यादा से ज्यादा खेती करना चाहते हैं। केसर के जरिए किसानों की जिंदगी में नए रंग घोलने में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) और यहां की शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने अहम रोल अदा किया है।
कभी थी मायूसी
केसर को जाफरान के नाम से भी जाना जाता है। कश्मीरी में इसे कुंग कहा जाता है। एक जमाना था जब कश्मीर को इसके लिए खासतौर पर पहचाना जाता था। लेकिन, राज्य के बदलते हालात के साथ ही खेती के पुराने तौर-तरीकों ने केसर की पैदावार पर खासा असर डाल दिया था। किसान केसर की जगह दूसरी फसलों की खेती करने लगे थे और इसके खत्म होने का खतरा पैदा हो गया था। 1996-97 तक कश्मीर में करीब 5707 हेक्टेयर जमीन में केसर की खेती की जाती थी। लेकिन, 2008-09 में इसका रकबा सिमटकर 3280 हेक्टेयर और उत्पादन 16 मीट्रिक टन से घटकर 7.70 मीट्रिक टन पर पहुंच गया था। शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के प्रफेसर डॉ. एफ. ए. नेवी बताते थे कि हालात ऐसे हो गए थे कि राज्य से केसर का नोमेनिशां कभी भी मिट सकता था।
तकनीक का कमाल
इन हालात में आईसीएआर ने फरवरी 2009 में अपने नैशनल एग्रीकल्चरल इनोवेशन प्रोजेक्ट (नैप) के जरिए केसर को नई जिंदगी देने का बीड़ा उठाया। उसने किसानों को परंपरागत तरीकों से हटकर केसर की खेती के नए तरीकों से रूबरू कराया। उन्हें नई तकनीक देने के साथ ही फसल को बर्बाद करने वाले कीड़ों और फंगस से निपटने के लिए दवाएं मुहैया कराईं। मिट्टी की हेल्थ सुधारने और सिंचाई करने के नए तरीके बताए। उन्हें बताया कि केसर के बीज (कॉर्म) को खेत में ज्यादा से ज्यादा कितने समय तक रखना चाहिए। उन्हें यह भी बताया कि केसर के फूल चुनने और उसमें से केसर निकालने के वैज्ञानिक तरीके क्या हैं। इसी के साथ उन्हें केसर को सुखाने के मॉडर्न तरीकों से वाकिफ कराया। नतीजतन आज किसान केसर को सुखाने के लिए सोलर पावर तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। केसर की खेती को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने सैफरन मिशन भी शुरू किया है। इसके जरिए किसानों को केसर पैदा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 5 लाख रुपये की मदद दी जा रही है।
बदल गई तस्वीर
एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के ही डॉ. गौहर बताते हैं कि इन कोशिशों का नतीजा यह है कि आज 3785 हेक्टेयर क्षेत्र में केसर की खेती की जा रही है और किसान इस रकबे को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। नई तकनीक के इस्तेमाल से पहले जहां एक किलो फूलों से 25 ग्राम केसर निकला करती थी, वह अब बढ़कर 37 ग्राम हो गई है। इस समय राज्य में 15 मीट्रिक टन केसर का उत्पादन हो रहा है। नैप का कार्यकाल इस साल जून में खत्म होने जा रहा है। किसान चाहते हैं कि इस योजना को आगे बढ़ाया जाए। किसान सैफरन मिशन को भी अभी जारी रखने के पक्ष में हैं।

आम क्यों खाने चाहिए?

मिर्जा गालिब को आम बहुत पसंद थे। एक बार उनका एक दोस्त उनसे मिलने आया तो देखा दरवाजे के बाहर एक टोकरी भरकर आम के छिलके और गुठलियां पड़ी हैं। वहां से एक गधा गुजरा। उसने छिलके सूंघे और बढ़ गया। दोस्त ने गालिब को छेड़ा- देखिए मियां, गधे भी आम नहीं खाते। गालिब ने पलट कर कहा - हां, गधे आम नहीं खाते। आप आम खाते हैं या नहीं? खाया कीजिए, बहुत फायदे की चीज है। क्लिक कीजिए और जानिए क्यों...
आम में quercetin, isoquercitrin, astragalin, fisetin, gallic acid जैसे ऐंटि ऑक्सिडेंट्स होते हैं जो ब्रेस्ट, लुकेमिया और प्रॉस्टेट कैंसर से बचाते हैं।आम में विटामिन सी, पेक्टिन और फाइबर खूब होते हैं। ये कॉलस्ट्रॉल कम रखने में मदद करते हैं।आम त्वचा के बंद छिद्रों को खोलता है और आपके चेहरे को तरोताजा रखता है। हर तरह की त्वचा वाले आम खा सकते हैं।

ऐसा शीशा जो कभी नहीं टूटेगा!

कोटा। क्या  आप अपने घर में शीशे से बने सजावटी सामान रखने से डरते हैं क्योंकि आपके शैतान बच्चे इन्हें ज्यादा दिन नहीं टिकने देते? तो अब ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं होगा। भविष्य में नेक्स्ट जेन ग्लास (अगली पीढ़ी का शीशा) बनने जा रहा है जो मुड़ जाएगा लेकिन गिरने पर टूटेगा नहीं। मैक्गिल यूनिवर्सिटी, कनाडा के इंजीनियरों ने एक तकनीक विकसित की है जो ऐसा शीशा बनाती है जो आसानी से मुड़ सकता है और गिरने पर थोड़ा ही खराब होता है। शीशे की मजबूती बढ़ाने की प्रेरणा सीप जैसी प्राकृतिक ढाचों से मिली। मैक्गिल के मैकेनिकल इंजीनिरिंग विभाग के प्रोफेसर फ्रेंकोइस बाथ्रेलत ने बताया कि घोंघे के गोले लगभग 95 प्रतिशत चाक से बने होते हैं जो इसके शुद्ध रूप में बहुत नाजुक होते हैं। लेकिन सीप का अंदरूनी भाग सूक्ष्म पट्टियों से बना होता है जो लेगो इमारत ब्लॉक के छोटे रूप की तरह होता है और बहुत मजबूत माना जाता है। शोधकर्ताओं ने शीशे की स्लाइडों में 3-डी सूक्ष्म दरारों का तंत्र उत्कीर्ण करने के लिए लेजर का प्रयोग किया। इसके परिणाम चौंकाने वाले थे। शोधकर्ता, गैर उत्कीर्ण स्लाइडों के अपेक्षा, शीशे की स्लाइडों की मजबूती को 200 गुना ज्यादा बढ़ाने में सक्षम थे। सूक्ष्म दरारों के तंत्र को उत्कीर्ण करने से वे इसे फैलाने और बड़ा करने में दरारों को रोकने में सक्षम थे।

गैस कनेक्शन लेने के साथ ही हो जाता है आपका बीमा

कोटा।  रसोई गैस उपभोक्ता जब किसी भी गैस एजेंसी से कनेक्शन लेता है तो स्वत: उसका दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके लिए उपभोक्ता को कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं देनी पड़ती। दुर्घटना की स्थिति में मृतक आश्रित को दावा करने पर 10 लाख रुपये तक दिए जाते हैं।
इंडियन ऑयल कारपोरेशन के क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव रंजन के अनुसार ईश्वर न करे कि कभी किसी के साथ कोई हादसा हो मगर ऐसा कभी कुछ हो ही जाए तो बीमा प्राप्त करने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा कर मृतक आश्रित को धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होंने बताया कि कंपनी के निर्देश पर उपभोक्ताओं का बीमा गैस एजेंसी संचालकों द्वारा कराया जाता है। हादसा होने पर उपभोक्ता या उनके परिजन को क्लेम के लिए एजेंसी के पास जाना होता है। साथ में कनेक्शन के मूल कागजात व ब्लू बुक देनी होती हैं। एजेंसी द्वारा सभी मूल कागजात इंडियन ऑयल कारपोरेशन को प्रेषित कर दिए जाते है। जांच के बाद कंपनी द्वारा बीमा कंपनी को अवगत करा दिया जाता है। बीमा कंपनी जांच के दौरान यदि थोड़ा नुकसान हुआ है तो उसके मुताबिक क्षति पूर्ति देती है। यह 10 हजार या फिर दस लाख भी हो सकता है।


Friday, May 30, 2014

डाटा सिक्योरिटी में बनिए स्मार्ट

आपकी जेब में रखा मोबाइल या बैग में पड़ा टैबलेट पर्सनल डाटा का चलता-फिरता बैंक है। हममें से कई लोग मोबाइल और टैबलेट की सुरक्षा के तो उपाय कर लेते हैं, लेकिन इसमें मौजूद डाटा को महफूज रखने को लेकर बेफिक्र रहते हैं। लेकिन मोबाइल की ही तरह उसके डाटा को सिक्योर करना जरूरी है...  
सिक्योरिटी
इंटरनेशनल डाटा कॉर्पोरेशन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2017 तक स्मार्टफोन खरीदने के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होगा। अपने मुल्क में लोग स्टेटस सिंबल और जरूरत दोनों वजहों से स्मार्टफोन रखते हैं। दूसरी रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में स्मार्टफोन की चोरी भी बढ़ी है। स्मार्टफोन से हम न सिर्फ एक-दूसरे से बात करते हैं बल्कि बैंकिंग, मेलिंग, शॉपिंग जैसे टास्क भी करते हैं। ऐसे में हमें स्मार्टफोन को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। हमें इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि डाटा में सेंध लगी तो नुकसान बड़ा हो सकता है। तो आइए अपने स्मार्टफोन के डाटा को सिक्योर्ड करते हैं...
होम स्क्रीन पासवर्ड
हर दस में तीन मोबाइल डिवाइस यूजर अपने फोन में किसी भी तरह का पासवर्ड नहीं इस्तेमाल करते। यह सिक्योरिटी का पहला कदम है। अपने मोबाइल की सेंटिग में जाकर होमस्क्रीन पासवर्ड को ऑन करें। मोबाइल में कोई न कोई पासवर्ड होना जरूरी है।
मोबाइल सिक्योरिटी एप्स
मोबाइल में ऐसे सिक्योरिटी एप्स का इस्तेमाल करिए जो वायरस से भी फोन को प्रोटेक्ट करता हो। कई एप्स फोन गुम होने पर भी डाटा सुरक्षित रखते हैं। एंड्रॉयड फोन यूजर्स इसे गूगल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। वहीं, एपल के स्मार्टफोन्स में इस तरह का एप- 'फाइंड माय फोन' प्रीलोडेड होता है।
पब्लिक वाई-फाई
अगर आपके स्मार्टफोन का इंटरनेट कनेक्शन सुरक्षित नहीं है यानी पब्लिक वाई- फाई से कनेक्टेड है तो किसी भी तरह की ऑनलाइन बैंकिंग या शॉपिंग न करिए। इसके अलावा वेबसाइट एक्सेस करने से बचें, क्योंकि वेबसाइट के साथ खुलने वाले पॉप-अप के जरिये फोन में मौजूद डाटा करप्ट या हैक हो सकता है।
एप्स अपडेट
मोबाइल फोन में जो एप्लीकेशन आपने डाउनलोड किए हैं उन्हें अपडेट करते रहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि एप्स को रन करने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम लेटेस्ट है या नहीं।
अनोन सोर्स
अक्सर हम अपने स्मार्टफोन में एंड्रायड एप्स और गेम्स डाउनलोड करते हैं। हमेशा ध्यान रखिए कि इसे अनोन सोर्स से डाउनलोड न करें। अनोन सोर्स से किसी एप को डाउनलोड करने पर वायरस आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपका फोन एंड्रायड 4.0 या उससे अपग्रेड है तो फोन की सेटिंग में जाएं। वहां सिक्योरिटी में अनोन सोर्स का ऑप्शन मिलेगा इसे डिसेबल कर दें।
यदि आपका फोन एंड्रायड 4.0 से पुराने वर्जन का है तो फोन की सेटिंग में जाएं। वहां सिक्योरिटी में अनोन सोर्स का ऑप्शन मिलेगा। यदि इस विकल्प पर टिक का निशान है तो इसे तुरंत डीसिलेक्ट कर दें।
एप को डाउनलोड करने से पहले जांचे-परखें
गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद सभी एप्स को सुरक्षित मानकर डाउनलोड नहीं कर लेना चाहिए। कई दफा एप स्टोर्स भी मिसगाइड करते हैं। ऐसे में एप्स की के रिव्यू और रेटिंग के बारे में अच्छी तरह से सर्च करना मुनासिब रहता है। जब कई वेबसाइट्स या लोगों के ऑनलाइन रिस्पॉन्स सही लगें तभी कोई एप डाउनलोड करें।

मोबाइल खरीदने से पहले
कुछ लोग बजट कम होने की वजह से सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदते हैं। कई बार खरीदने के बाद पता चलता है कि मोबाइल चोरी का है या फिर गलत तरीके से बेचा गया है। इसलिए इसके आईएमईआई नंबर को वैधता को जरूर  जांचे।  http://swappa.com/esn - इस वेबसाइट पर जाकर आप किसी भी मोबाइल का आईएमईआई
नंबर जांच सकते हैं।

याद रखें या नोट करें आईएमईआई
ये 15 अंकों की इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी है। इससे मोबाइल लोकेशन सर्च की जा सकती है। फोन चोरी होने पर एफआईआर करें। वहां इस नंबर की जरूरत पड़ेगी। आईएमईआई नंबर याद रखें। इसे जानने के लिए अपने मोबाइल पर *#0{# डॉयल करें। इससे चोरी हुए हैंडसेट को लॉक किया जा सकता है। फिर कोई भी फोन इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

डाटा जेनेटिक्स ब्लॉग ने पिछले साल चार डिजिट वाले पिन नंबर्स की खोजबीन की थी। इसके आंकड़े कुछ चौंकाने वाले थे। पूरी दुनिया में पिन पासवर्ड के लिए सबसे ज्यादा और सामान्य तरीके से इस्तेमाल होने वाले करीब पचास पिन पासवर्ड ब्लॉग ने रिलीज किए। कमोबेश हम भी मोबाइल, एटीएम के लिए ऐसे सामान्य पासवर्ड का इस्तेमाल सिक्योरिटी के लिए करते हैं इसलिए इन्हें इस्तेमाल करने से परहेज करें 
माइक्रोसॉफ्ट सेफर ऑनलाइन पोल की खास बातें:
फोन लॉक करने के लिए 35 फीसदी पुरुष पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं जबकि इस मामले में केवल 33 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।
35 फीसदी पुरुष सुरक्षित वायरलेस नेटवर्क इस्तेमाल करते हैं जबकि सिर्फ 32 फीसदी महिलाएं ऐसा करती हैं।
32 फीसदी पुरुष अपने मोबाइल डिवाइस को अपडेट करते हैं जबकि 24 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।
40 फीसदी महिलाएं अपनी जानकारी ऑनलाइन मीडियम पर सार्वजनिक नहीं करती हैं जबकि 37 फीसदी पुरुष ही ऐसा करते हैं।
34 फीसदी महिलाएं मोबाइल से ऑनलाइन मैसेज भेजने में सजग रहती हैं जबकि केवल 31 फीसदी पुरुष ही ऐसा कर पाते हैं।
70 फीसदी पुरुष अनजान आईडी से आए मेल या मैसेज को तुरंत रिसीव कर लेते हैं, जबकि 65 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।

टॉप बिजनस स्कूलों के स्टूडेंट्स करेंगे नमो

कोटा। आईआईएम समेत देश के कई टॉप बिजनस स्कूल नए ऐकडेमिक इयर से नरेंद्र मोदी की चुनावी जीत को सिलेबस में शामिल करेंगे। नए बैच (2014-2016) के स्टूडेंट्स को सेंकंड इयर में बीजेपी की मार्केटिंग तकनीक, सोशल मीडिया और टेक्नॉलजी के इस्तेमाल और मी
आईएसबी के असोसिएट प्रोफेसर सिद्धार्थ शेखर सिंह ने बताया, 'भारतीय राजनीति से कई अहम केस स्टडी मिलती है।' बिजनस स्कूल इस साल से अपनी नए प्रॉडक्ट डिवेलपमेंट ऐंड मैनेजमेंट की क्लास में ब्रांड स्ट्रैटिजी, प्रॉडक्ट पोजिशनिंग और टारगेट ऑडियंस को समझाने के लिए मोदी के कैंपेन का इस्तेमाल करेगा। संस्थान ने पिछले ऐकडेमिक इयर में आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी के ब्रैंडिंग मेथड में समानताओं और विरोधाभासों का इस्तेमाल किया था।
एक्सएलआरआई के 2015 बैच के स्टूडेंट्स यह सीखेंगे कि मोदी और उनकी टीम ने सोशल मीडिया, मोबाइल फोन के मेसेज और होलोग्राम के जरिए किस तरह से वोटरों से जुड़ाव हासिल किया। जमशेदपुर के इस कॉलेज में मार्केटिंग ऐंड स्ट्रैटिजिक मैनेजमेंट के प्रोफेसर शरद सरीन ने बताया, 'मोदी के कैंपेन में टेक्नॉलजी का जबरदस्त इस्तेमाल, लोगों को संबोधित करने का अंदाज और पार्टी स्लोगन काफी अहम रहे। इस बारे में हम स्टूडेंट्स को बताएंगे।'
इससे पहले आईआईएम रायपुर ने बराक ओबामा के सत्ता में पहुंचने की कहानी को केस स्टडी के तौर पर पेश किया था। इस केस स्टडी का इस्तेमाल कोर मार्केटिंग, ब्रैंड मैनेजमेंट और इंटिग्रेटेड मार्केटिंग कॉन्सेप्ट बताने के लिए किया गया था। इस संस्थान में मार्केटिंग ऐंड कम्युनिकेशन की असोसिएट प्रोफेसर ए शुक्रे ने बताया कि ब्रैंड ग्लैमर को किस तरह से स्थापित किया जाता है और प्रॉडक्ट को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की गई स्ट्रैटिजी को बताने के लिए पीएम की केस स्टडी का हवाला दिया जाएगा। एचआर में लीडरशिप जैसे इलेक्टिव विषयों में मोदी की मैनेजमेंट स्टाइल के बारे में भी पढ़ाया जा सकता है।
आईआईएम बैंगलोर स्टूडेंट्स को यह पढ़ाएगा कि मोदी ने जवाबदेही और पारदर्शिता बरतते हुए किस तरह से कई पक्षों को मैनेज किया और टेक्नॉलजी का भरपूर इस्तेमाल किया। इस संस्थान में कॉर्पोरेट स्ट्रैटिजी ऐंड पॉलिसी के प्रोफेसर एस रघुनाथ ने बताया, 'सीनियर कॉर्पोरेट लीडर्स टेक्नॉलजी का इस्तेमाल, सभी कस्टमर्स को मैनेज करना और सामाजिक समग्रता लाने की कला सीखना चाहते हैं।'
एमडीआई, गुड़गांव मोदी केस स्टडी का इस्तेमाल यह दिखाने में करेगा कि किस तरह से एक नेता समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए जबर्दस्त पॉजिटिव इमेज तैयार कर सकता है। संस्थान में ऑर्गेनाइजेशन डिजाइन और चेंज मैनेजमेंट क्लासेज के प्रोफेसर ए के जैन इस बात पर चर्चा करेंगे कि किस तरह से नेता उम्मीद पर फोकस कर सपोर्ट हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया, 'अगर हम भारत को कंपनी और मोदी को इसका उत्तराधिकारी मानें तो क्लास को चेंज मैनेजमेंट के बारे में बेहतर तरीके से बताया जा सकता है।'

डिया मैनेजमेंट से जुड़ी केस स्टडी पढ़ाई जाएगी। इन संस्थानों में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस (आईएसबी), एक्सएलआरआई, एमडीआई, गुड़गांव भी शामिल हैं।

सूटकेस पर बैठकर कर सकते सफर

अपने आविष्कार से दुनिया तेजी से बदल रही है। रोत होते नए प्रयोगों से कुछ न कुछ बेहतरीन निकल कर आ ही रहा है।  डेली मेल के अनुसार चीन के चंगशा में रहने वाला ही लियांगकाय ने ऐसी जबरदस्त गाड़ी तैयार की है जिसपर आप चाहें तो अपना सूटकेस लादकर उसपर खुद ही सवार होकर उसे किसी गाड़ी की तरह चलाकर कहीं भी जा सकते हैं। ये गाड़ी जब सड़कों पर फर्राटें भरती है तो जैसे सब इसे देखते ही रह जाते हैं।
जीपीएस भी है
आपको बताएं कि इस अनोखी गाड़ी में जीपीएस नैविगेशन और अलार्म सिस्टम भी है।
किसी मुसीबत में फंसने पर या फिर रास्ता भटकने पर ये नन्हीं सी गाड़ी आपको सही जगह पर पहुंचा देगी।
37 मील तक चल सकती है
इस स्कूटर की खास बात ये है कि फटाफट आपका ये साथ नहीं छोड़ेगी। ये 37 मीलों तक चलने के काबिल है। इसमें खास बात ये भी है कि एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जैसी जगहों पर लोगों को अपने लगेज के साथ कहीं दूर और देर तक भागना पड़ता है।इस अद्भुत स्कूटर से सारी मुसीबतें अब खत्म की जा सकेंगी।

बस दो चुटकी हल्दी, दिला सकती है धन -सम्पदा

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। प्रकृति ने हमें बहुत सी वस्तुएं दी हैं उनमें से एक है हल्दी। वैसे तो हल्दी खाने के स्वाद को बढ़ाती ही है साथ ही यह जीवन से समस्याएं भी दूर कर देती है। नजर दोष, कुंडली में बृहस्पति को करती है मजबूत करना हो तो हल्दी कारगर सिद्ध होती है। हल्दी के इतने ज्यादा गुण है कि आप उत्तम स्वास्थ्य, धन और विवाह की मनोकामना को पूरा कर सकते हैं।
हल्दी का रंग पीला होता है। पीला रंग शुभता का प्रतीक होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में पीले रंग को शुभ रंग माना गया है। हल्दी एक विशेष प्रकार की औषधि है जिसमें दैवीय गुण होते हैं। खाने का स्वाद को बढ़ाती है, जीवन में संपन्नता लाती है। हल्दी नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट कर देती है। हल्दी का प्रयोग हवन और औषधियों में किया जाता है।
दो चुटकी हल्दी
बृहस्पति महिलाओं के विवाह का कारक होता है। अगर कन्याएं विवाह की इच्छुक हैं तो स्नान करते समय जल में दो चुटकी पिसी हुई हल्दी मिलाइए और उससे स्नान कीजिए रोज। इसी जल से भगवान को अर्ध्य दीजिए। जल चढ़ाने के बाद लोटे के किनारे जो हल्दी लगी रह जाती है।
इसी हल्दी को अपने माथे और कंठ पर लगाएं। यह प्रयोग लगातार लगभग एक महीने तक करते रहिए। यह उपाय अगर आप गर्मियों में करते हैं तो बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है। उस समय सूर्य की किरणें इस हल्दी के साथ मिलकर अंदर मौजूद बृहस्पति को मजबूत कर देती हैं।
विवाह में इसलिए लगाते हैं हल्दी
कहते हैं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए हल्दी से अच्छी कोई चीज नहीं होती है। इसलिए विवाह में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। दरअसल विवाह के समय बहुत सारे लोग घर में आते हैं। जो तमाम तरह की निगेटिव एनर्जी को फैंकते रहते हैं।
जिससे देखा जाता है कई बहुओं और वरों की तबियत खराब हो जाती है। ऐसे में अगर उनको हल्दी लगी हो तो यह समस्या उन्हें नहीं आती यह शरीर को सुंदर भी बनाती है। औक इस पर पांच सात दिनो तक किसी भी तरही की नकारात्मक ऊर्जाका प्रभाव नही पड़ता है। ताकि वो नजर दोष से बचे रें ।
धन की प्राप्त के लिए
अगर आपके पास धन हमेशा बना रहे तो थोड़ी सी हल्दी लीजिए और जरा सा इसमें गुलाब जल मिला लीजिए। अब एक कागज लीजिए और अंगुली कागज पर 'श्रीं' लिखें। अब इसे पूजा स्थान पर रखकर धूप बत्ती दिखाकर शुद्ध कर लीजिए। अब इस कागज को मोढ़कर अपने पास रख लीजिए अब इसे अपने पर्स में रख लीजिए।
ध्यान रखिए अगर किसी गुरुवार को पुष्य नक्षत्र पढ़ता है तो इस विधि को जरूर करें। निश्चित रूप से यह प्रयोग विशेष लाभकारी होगा। इसे रखने पर आपको धन का अभाव नहीं होगा और अगर गुरु पुष्य नक्षत्र लंबे समय तक नहीं आ रहा है तो किसी भी गुरुवार को प्रातः काल कर लीजिए। हर महीने पुराना कागज जल में प्रवाहित कर दीजिए और नया कागज रख लीजिए। जब तक इस कागज पर 'श्रीं' लिखा हुआ है और तब तक आपको धन की कमी नहीं होगी।
ज्योतिष में महत्व
ज्योतिष में हर किसी भी वस्तु का संबंध ग्रह से माना गया है। हल्दी का संबंध रंगो के आधार पर अलग-अलग ग्रहों से होता है। ज्योतिष की नजर से अगर हल्दी को देखा जाए तो हल्दी कई रंगों की होती है। हल्दी पीले रंग, काले रंग और नारंगी रंग की होती है। हल्दी बृहस्पति से संबंध रखती है।
जब हल्दी कच्ची होती है तो वह अदरक की तरह दिखाई देती है। इस समय उसका छिलका हटाने पर यह नारंगी दिखाई देती है। नारंगी हल्दी मंगल से संबंध रखती है। काली हल्दी शनि से संबंध रखती है। पीली हल्दी को ज्योतिष में बृकस्पति को मजबूत करने के लिए और समस्याओं के दूर करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
भोजन में हल्दी
भोजन में अगर संतुलित मात्रा में हल्दी का प्रयोग करेंगे तो आपको किसी तरह की बीमारियों का समाना नहीं करना पड़ेगा। शरीर में जो विष जमा हो गया है उसको निकालने के लिए हल्दी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। ज्यादा हल्दी के सेवन से आपको डाइजेशन भी शिकार हो सकता है। पेट या कैंसर संबंधी समस्या हो तो पीली हल्दी का दान बेहद लाभकारी माना गया है।
रोज सुबह अगर आप हल्दी का तिलक लगाए तो व्यक्ति को वाणी की शक्ति मिलती है। अगर आप माथे पर नहीं लगाते तो कंठ पर तो जरूर लगाएं ऐसे में आपकी वाणी जरूर प्रभावी होगी। जीवन में सात्विकता बढ़ती है। आप हल्दी की माला से बृहस्पति देव के मंत्र या ज्ञान के मंत्रों का जाप करते हैं तो व्यक्ति बुद्धिमान बनता है।
हल्दी की माला पहन सकते हैं ध्यान रहे कि आपको त्वचा संबंधी कोई एलर्जी न हो इससे भी आपको प्रभाव बढ़ता है।
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3डी इमेज कैप्चर करने वाला टैबलेट आ सकता है अगले माह

गूगल इंक 3डी इमेजेस को कैप्चर करने में सक्षम 7 इंच का टैबलेट उतारने की तैयारी कर रही है। कई कैमरों वाले इस टैबलेट को कंपनी ने 'प्रोजेक्ट टैंगो' नाम दिया है।
टैबलेट के प्रोटोटाइप अगले माह तक लांच हो सकते हैं। वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टैबलेट कंपनी के एडवांस टेक्नोलॉजी एंड प्रोजेक्ट्स ग्रुप 'प्रोजेक्ट टैंगो' से संबंधित है। इस टैबलेट में दो रियर कैमरे, इन्फ्रारेड डेप्थ सेंसर्स व एडवांस सॉफ्टवेयर दिए जाएंगे। ये कैमरे 3-डाइमेंशनल इमेज कैप्चर कर सकेंगे।
एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर चलने वाला यह टैबलेट अपने आसपास के माहौल का मैप भी बनाएगा। कंपनी इसकी 4,000 यूनिट्स बाजार में उतारने की योजना बना रही है। हालांकि इस टैबलेट का उपयोग आम ग्राहक की बजाय ऐप डेवलपमेंट से जुड़े लोगों के लिए ज्यादा रहेगा।

ऑनलाइन करें स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान

कोटा। प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।   इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।  ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।   हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्थान, दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।
* अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।
* अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।
*   सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

  • इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।

  • ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।

  • हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।

  • अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।

  • अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।

  • सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
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प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

  • इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।

  • ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।

  • हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।

  • अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।

  • अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।

  • सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
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Thursday, May 29, 2014

चोर- पुलिस


स्मार्टफोन खुद आपको भेजेगा चोर का फोटो!

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।  अब अगर आपका स्मार्टफोन और टैबलट चोरी होता है, तो चोर को खोजने के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपका फोन या टैबलट खुद ही उसका फोटो खींचकर आपको भेज देगा। यह फीचर मोबाइल सिक्यॉरिटी कंपनी लुकआउट ने पेश किया है।
कंपनी ने लुकआउट ऐप की प्रीमियम सर्विस में नया थेफ्ट अलर्ट फंक्शन जोड़ा है। यह फीचर पता लगाएगा कि आपका चोरी हुआ फोन कहां पर है और यह चोर की तस्वीर तक खींच लेगा।
लुकआउट ने कहा, 'हम आपको बस इतनी ही जानकारी नहीं देते कि आप खुद चोर को खोजें, बल्कि इतनी जानकारी देते हैं कि आप उसे पुलिस को देकर चोर को खोजने के लिए कह सकें।'
लुकआउट के प्रीमियम वर्ज़न का चार्ज 3 डॉलर हर महीने या 30 डॉलर सालाना है। यह पहले से ही डेटा बैकअप और चोरी हुए फोन को खोजने का फीचर देता है।
नए फीचर से फ्रंट फेसिंग कैमरा चोर का फोटो खींच लेगा। कंपनी के मुताबिक यह ऐंड्रॉयड डिवाइस पर काम करेगा, लेकिन ऐपल पर काम नहीं करेगा क्योंकि ऐपल का ऑपरेटिंग सिस्टम इसकी इजाजत नहीं देता है।
फोन चोरी होने के बाद अगर कोई लॉक स्क्रीन खोलने की कोशिश करेगा, उसे ऑफ करने की कोशिश करेगा, सिम कार्ड निकालेगा या नेटवर्क बंद करने के लिए 'एयरप्लेन' मोड में डालेगा, तो फोन थेफ्ट अलर्ट भेज देगा। फोन के मालिक को आए ईमेल में फोन की लोकेशन और चोर का फोटो भी होगा।


एक से ज्यादा बैंक अकाउंट रखने में अक्लमंदी नहीं

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
किसी एक इंसान को कितने सेविंग अकाउंट की जरूरत हो सकती है? इन दिनों फाइनेंशियल एडवाइजर्स इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं। रिजर्व बैंक के हालिया आदेश के बाद अब निष्क्रिय सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखे जाने पर किसी कस्टमर को पेनाल्टी नहीं देनी होगी। आम तौर पर किसी एक शख्स के पास एक से अधिक बैंक अकाउंट होता है। नौकरी
एडवाइजरों के मुताबिक पेनाल्टी खत्म किए जाने का यह मतलब नहीं है कि आप वैसे अकाउंट को भी चालू रखें, जिसका आप नियमित तौर पर इस्तेमाल नहीं करते। बैंक ऑफ इंडिया समर्थित अभय क्रेडिट काउंसलिंग सेंटर के चीफ क्रेडिट काउसंलर वी एल कुलकर्णी ने कहा, 'आदर्श स्थिति यह है कि आप एक या दो सेविंग अकाउंट रखें।' उन्होंने कहा कि दोनों अकाउंट ज्वाइंट होने चाहिए, लेकिन अगर आप ज्वाइंट अकाउंट नहीं रखना चाहते तो नॉमिनी जरूर बनाना चाहिए। अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेड करते हैं या फिर बिजनेस करते हैं तो आपको ओवरड्राफ्ट अकाउंट रखना चाहिए। रेगुलर बिजनेस अफेयर के मामले में करंट अकाउंट की जरूरत होती है।
मल्टीपल अकाउंट से जुड़े रिस्क
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आपके पास कई अकाउंट हैं तो आपको सभी पर नजर रखनी होती है। ज्यादातर लोगों को इसमें मुश्किलें आती हैं। डोएचे बैंक में डिपॉजिट एंड वेल्थ मैनेजमेंट, प्राइवेट एंड बिजनेस क्लाइंट के डायरेक्टर जपजीत बेदी ने कहा, 'अगर आप किसी अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो उसे बंद कर देना चाहिए। कई अकाउंट होने पर फ्रॉड का खतरा बढ़ जाता है।' अगर आप रेजिडेंशियल एड्रेस में हुए बदलाव की जानकारी बैंक को नहीं देते हैं तो इससे खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आपका बैंक पुराने पते पर ही सभी पेपर भेजता रहता है। इससे आपको फ्रॉड की जानकारी भी समय पर नहीं मिल पाती।
अकाउंट को बंद कराना या फिर से ओपन कराना

बदलने के दौरान ज्यादातर लोग पुराने अकाउंट बंद नहीं कराते और जरूरत के हिसाब से वे उसी अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, जिसे ऑपरेट करना आसान होता है।
अगर आपको लगता है कि आप एक से अधिक अकाउंट को सही ढंग से नहीं मैनेज कर पा रहे हैं तो उन अकाउंट को बंद करा देना ही ठीक है। इसके लिए आपको बहुत अधिक मशक्कत नहीं करनी होती। बेदी ने कहा, 'सभी बैंकों ने अकाउंट को बंद कराने के लिए एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया अपना रखी है। आपको एक फॉर्म भरकर बैंक को देना होता है और उसके साथ ही सभी चेक और डेबिट कार्ड या तो बैंक को लौटाना होता है या फिर उसे नष्ट करना होता है।' अगर आपको अकाउंट में बैलेंस है तो उसे ऑपरेटिव अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सकता है। बेदी ने कहा, 'कुछ बैंक समय से पहले अकाउंट बंद करने की एवज में कुछ फीस भी लेते हैं।'
अगर आप फिर से अपने अकाउंट को चालू करना चाहते हैं तो यह देखना होता है कि बैंक ने आपके बकाये का भुगतान किया या नहीं। कुलकर्णी ने कहा , ' अकाउंट को फिर से शुरू किए जाने के बाद आपको यह देखना चाहिए कि आपको इंटरेस्ट का भुगतान किया गया है या नहीं। ' रिजर्व बैंक के आदेश के मुताबिक सभी बैंकों को रेगुलर बेसिस पर इंटरेस्ट का भुगतान करना है , चाहे वह अकाउंट बंद ही क्यों न हो। रिजर्व बैंक के ही आदेश के मुताबिक कोई बैंक बंद पड़े अकाउंट को फिर से चालू करने के लिए कोई फीस नहीं ले सकते।

अब घरों की सुरक्षा भी करेगा गूगल

कोटा।  इंजन सर्च कंपनी गूगल अब आपके घरों की सुरक्षा करने की कवायद कर रही है। गूगल सिक्योरिटी फर्म ड्रॉपकैम को खरीदने वाली है। इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी कैमरे बेचने वाली ये हाईटेक कंपनी खरीदकर गूगल पहले से खरीदी गई सॉफ्टवेयर कंपनी नेस्ट के साथ एक विशेष प्रकार का एप्लीकेशन तैयार करेगा जो घर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा प्रणाली को क्रांतिकारी बना देगा।ड्रॉपकैम कंपनी फिलहाल अपनी सीसीटीवी प्रणाली 150 डॉलर (करीब 8500 रुपये) में बेचती है। ड्रापकैम एक क्लाउड आधारित वाईफाई एचडी वीडियो निगरानी सेवा है। इसमें अत्यधिक गुणवत्ता वाले मुफ्त सजीव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिग हासिल होती है। इसमें दोनों तरफ से बातचीत और हरेक कोने में कैमरे को घुमाकर देखना भी संभव होता है।
अब गूगल की नेस्ट कंपनी के तैयार किए ऐप की मदद से इस सेवा को और बेहतर बना देगी। इस खास ऐप से यूजर जूम, लाइव फीड और रिकॉर्डिग भी देख सकेगा। दोनों तरफ से बेहतर तरीके से लगातार आवाज कटे बगैर बात हो सकेगी। नाइट विजन मोड भी सेट हो सकेगा। इस कैमरे को आसानी से स्मार्ट फोन और ई-मेल से भी जोड़ा जा सकेगा। ताकि आप कहीं से भी और कभी भी अपने घर या दफ्तर पर नजर रख सकें। इस कैमरे में ई-मेल और स्मार्टफोन अलर्ट भी हैं। यानी कोई भी गड़बड़ी होने पर ये तत्काल आपको स्वत सूचित करेगा।
कंपनी का दावा है कि वह इन वीडियो को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में इस्तेमाल की जाने वाली उच्च स्तरीय ऑनलाइन सुरक्षा व्यवस्था रखता है। ताकि सॉफ्टवेयर को हैक या खराब न किया जा सके। सैनफ्रांसिस्को की कंपनी ड्रापकैम का कहना है कि उनका एचडी कैमरा 720 पी स्ट्रीमिंग के साथ मिलता है। 2009 में स्थापित इस कंपनी के मालिक ग्रैग डफी और आमिर वीरानी का कहना है कि उनकी कंपनी ने पिछले साल ही 300 लाख डालर का कारोबार किया है।

Wednesday, May 28, 2014

गलत मद में भरे गए सर्विस टैक्‍स पर नहीं मिलेगी राहत

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।  सर्विस टैक्‍स जमा करने में हुई भूल कंपनियों पर भारी पड़ सकती है। हाल ही में मुंबई के सर्विस टैक्‍स-1 कमिश्‍नरेट ने एक ट्रेड नोटिस जारी किया है। जिसमें सर्विस टैक्‍स को दूसरी मद में जमा करने की गलती को अक्षम्‍य माना है। ऐसे में यदि कोई कंपनी गलत अकाउंट नंबर पर सर्विस टैक्‍स जमा करती है तो उसे दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।
 इस आदेश को स्‍पष्‍ट करते हुए कमिश्‍नर ने बताया है कि गलत अकाउंट में सर्विस टैक्‍स जमा करने के संबंध में कमिश्‍नरेट के पास बड़ी संख्‍या में प्रार्थनापत्र प्राप्‍त हो रहे हैं। जिसमें दो प्रकार की गलतियां प्रमुखता से सामने आई हैं। इसमें पहली गलती सर्विस टैक्‍स गलत अकाउंट कोड में अदा करने से संबंधित है।
 ऐसी गलती गलत अकाउंटिंग कोड की डेटा एंट्री के कारण होता है। इसमें या तो एक ही सेवा के अकाउंट कोड या फिर एजुकेशन सेस के अकाउंटिंग कोड में जमा हो जाती है। इस प्रकार एक ही सर्विस टैक्‍स कोड की दशा में एसेसी को डिप्‍टी कमिश्‍नर(टेक्निकल) को सर्विस टैक्‍स अदायगी के चालान के साथ लिखित में सूचना देनी होगी।वहीं, प्राय: सामने आने वाली दूसरी प्रकार की गलती किसी और असेसी के सर्विस टैक्‍स कोड में अपना सर्विस टैक्‍स अदा करने से जुड़ी होती है। यह गलती मुख्‍यतया तब होती है जब एसेसी के पास विभिन्‍न कमिश्‍नरेट या फिर एक ही कमिश्‍नरेट की विभिन्‍न शाखाओं में एक ही पैन पर कई सारे सर्विस टैक्‍स कोड होते हैं। इसमें वे मामले भी शामि होते हैं जिसमें एसेसी द्वारा तय स्‍थान से बिजनेस रोक देने की दशा में रजिस्‍ट्रेशन के निरस्‍त हो जाते हैं। वहीं गलती से इन्‍हीं गलत सर्विस टैक्‍स कोड में सर्विस टैक्‍स जमा कर दिया जाता है।
इसके अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंसल्‍टेंट द्वारा भी नियोक्‍ता के गलत सर्विस टैक्‍स कोड में टैक्‍स अदा करने के अनेक मामले कमिश्‍नरेट में आते हैं। इन प्रार्थनापत्रों में कई नियोक्‍ता सर्विस टैक्‍स की राशि को एक कोड से दूसरे सर्विस टैक्‍स कोड में स्‍थानां‍तरित करने की मांग करते हैं।
इन मामलों की जांच के बाद यह बात साफ कर देना बहुत जरूरी है कि मौजूदा समय में गलत सर्विस टैक्‍स कोड में जमा की गई राशि को सही टैक्‍स कोड में ट्रांसफर करने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। यहां तक कि कानूनी संस्‍था जिसके एक ही पैन नंबर पर विभिन्‍न टैक्‍स कोड हैं, उसके लिए भी एक सर्विस टैक्‍स कोड से दूसरे सर्विस कोड में राशि का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, गलती के सुधार के लिए कुछ कानूनी उपचार अवश्‍य दिए गए हैं। सर्विस टैक्‍स के नियम 6(4ए) गलत अदा किया सर्विस टैक्‍स को अगले महीने या फिर तिमाही में समायोजित किया जा सकता है। वहीं सेंट्रल एक्‍साइज टैक्‍स एक्‍स के सेक्‍शन 11बी के तहत एसेसी रिफंड के लिए आवेदन दे सकता है। इन उपायों के बावजूद एसेसी को अपने सही सर्विस टैक्‍स कोड में टैक्‍स अदा करना होगा। देरी के चलते आप पर ब्‍याज की मार भी पड़ सकती है।

अलमारी जो बिना ढूढें निकाल देगी कपड़े

अब आपको अपने कपड़े ढूंढने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ऐसी अलमारी बन चुकी है, जो एक क्लिक करने से आपके हाथ में पसंद वाले कपड़े पकड़ा देगी। जी हां, यह कोई कल्पना नहीं है बल्कि हकीकत है। इसमें आप अपने कपड़ों को आराम से रख सकते हैं और इसे स्मार्टफोन और टैबलेट के जरिए हैंडल कर सकते है। इस अलमारी के अंदर नॉर्मल अलमारी से ज्यादा जगह होगी और ज्यादा कपड़े रखे जा सकते हैं। इस अलमारी के अंदर एक ऑटोमैटिक रेल मशीन लगी होती है, जिस पर ज्यादा कपड़े टांगे जा सकते हैं। इसे इटली के डिजाइनर अमांडा ने तैयार किया है। यह कॉन्सेप्ट सबसे पहले 1995 में आई एक हॉलिवुड फिल्म 'क्लूलेस' से लिया गया है, जिसमें कपड़े खोजने के लिए कंप्यूटर सिस्टम जुड़ा होता है। असल में कपड़े रखने से पहले कपड़ों की टैबलेट और स्मार्टफोन के जरिए फोटो खिंची जाती है। अलमारी में लगी ऑटोमैटिक रेल मशीन में एक सेंसर लगा होता है, जिसका कनेक्शन स्मार्टफोन से होता है।
जब ओनर अपने स्मार्टफोन या टैबलेट के जरिए एक निश्चित कपड़ा खोजने के लिए क्लिक करता है तो सेंसर यह जानकारी दे देता है कि कपड़ा कहां रखा गया है। सेंसर में लगी ऑटोमैटिक रेल घूमती है और कपड़ों को ओनर के सामने पेश कर देती है। इस अलमारी की बेसिक कॉस्ट 2 लाख 32 हजार रुपए है और इसके डबल मॉडल की कॉस्ट 3 लाख 44 हजार रुपये है।


Tuesday, May 27, 2014

अब रिस्ट वॉच से कर सकेंगे बातचीत

कोटा। कैसा हो अगर आपकी कलाई में बंधी घड़ी से आप किसी को कॉल कर सकें या कॉल रिसीव कर सकें और बात करने के लिए आपको अपनी कलाई को मुंह के पास ले जाने भर की जरूरत हो। टेक्नॉलजी के क्षेत्र में यह अगला बड़ा धमाका कहा जा सकता है। सैमसंग कंपनी एक ऐसी कलाई घड़ी तैयार कर रही है, जो समय बताने के साथ स्मार्ट फोन का भी काम करेगी। यह वाच-फोन जून या जुलाई महीने में बाजार में उतारी जाएगी।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, दक्षिण कोरियाई निर्माता कई दूरसंचार कंपनियों के साथ अपनी स्मार्ट घड़ी को स्मार्ट फोन के रूप में ग्राहकों के बीच पेश करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं। यह वॉच-फोन सैमसंग के टिजेन स्मार्टवॉच संचालन प्रणाली के माध्यम से काम करेगी। सैमसंग ने इससे पहले गैलक्सी गियर उपकरण बाजार में उतारा, जिसे आशा के अनुरूप प्रतिक्रिया नहीं मिली।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि सैमसंग का दूसरी पीढ़ी का गियर 2 उपकरण पहले की अपेक्षा हल्की, पतली और ज्यादा शक्तिशाली है।

गूगल प्रोजेक्ट टैंगो टैबलेट से क्लिक करेंगे 3डी इमेज

कोटा। कितना अच्छा हो अगर आप फर्निचर की शॉपिंग के लिए जा रहे हों और आपके घर का डायमेंशन यानि 3 डी नक्शा आपके पास हो ताकि आप उचित सामान खरीद सकें। आपकी इसी चाहत को पूरा करने आ रहा है नया डिवाइस जिससे आप 3 डी इमेज क्लिक कर सकते हैं। गूगल इंक 3डी इमेज को कैप्चर करने में सक्षम 7 इंच का टैबलेट को बाजार में उतारने की योजना बना रही है। कई कैमरे से लैस इस टैबलेट को कंपनी ने 'प्रोजेक्ट टैंगो' नाम दिया है।
टैबलेट के प्रोटोटाइप अगले माह तक लांच हो सकते हैं। वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टैबलेट कंपनी के एडवांस टेक्नोलॉजी एंड प्रोजेक्ट्स ग्रुप 'प्रोजेक्ट टैंगो' से संबंधित है। इस टैबलेट में दो रियर कैमरे, इन्फ्रारेड डेप्थ सेंसर्स व एडवांस सॉफ्टवेयर दिए जाएंगे। ये कैमरे 3-डाइमेंशनल इमेज कैप्चर कर सकेंगे।
एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर चलने वाला यह टैबलेट अपने आसपास के माहौल का नक्शा भी बना सकता है। फिलहाल कंपनी इसकी 4,000 यूनिट्स बाजार में उतारने की योजना बना रही है।
कैसे काम करेगा 3डी कैमरा
गूगल के इस 7 इंची स्क्रीन वाले टैबलेट में 3डी कैमरा होगा जिससे 3डी पिक्चर्स भी क्लिक की जा सकेंगी। इंडस्ट्री जानकारों के अनुसार यह टैबलेट हर सेकेंड में 250 3डी पिक्चर्स क्लिक करेगा और उन्हें 3डी विजुअल में कम्पोज करेगा।
विजुअली इंपेयर्ड यूजर्स के लिए होगा मददगार
गूगल का यह टैबलेट विजुअली इंपेयर्ड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए भी मददगार साबित होगा। यह टैबलेट यूजर्स के आसपास की लोकेशन का 3डी एनालिसिस करेगा और बोलकर संदेश देगा।

Monday, May 26, 2014

विदेश घूमने जाने से पहले क्या हो तैयारी

आप घूमने का प्लान बना रहे हैं तो क्यों न विदेश घूम आएं! अगर ऐसी कोई प्लानिंग है तो आपके फॉरन टूरिज़म को और सुखद बनाने के लिए एक्सपर्ट्स की मदद से जरूरी जानकारी दे रहे हैं
पासपोर्ट रखें तैयार
विदेश जाने की तैयारी की सबसे पहली सीढ़ी है पासपोर्ट बनवाना।
वीज़ा सबसे जरूरी

विदेश जाने के लिए जो सबसे जरूरी डॉक्युमेंट है, वह है वीज़ा। यह एक तरह से दूसरे देश का गेटपास है। इसके बिना आप किसी दूसरे देश में एंट्री नहीं ले सकते। इसे देने की जिम्मेदारी उस देश की होती है, जहां आप घूमने जा रहे हैं।
वीज़ा के बारे में खास बातें :
- वीज़ा बनाने की शर्तें हर देश अपने हिसाब से तय करता है।
- आपको कितने दिन का वीज़ा मिलेगा, यह तय करने का अधिकार संबंधित देश को ही है।
- लगभग हर देश से मिलने वाले वीज़ा की अधिकतम दिनों की सीमा अलग-अलग होती है। मिसाल के तौर पर अमेरिका एक साल में अधिकतम 90 दिन का टूरिस्ट वीज़ा देता है तो तजाकिस्तान 45 दिन का और फिजी 4 महीने का।
- वीज़ा बनवाने के लिए एम्बेसी के नियमानुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा।
- वीज़ा डॉक्युमेंट्स में लगने वाली फोटो में आपका चेहरा साफ दिखना चाहिए। फोटो का बैकग्राउंड सफेद होना चाहिए और फोटो में कान बालों से ढके न होकर साफ नजर आने चाहिए। वैसे तो 4 फोटो से काम चल जाएगा लेकिन कम-से-कम 10 फोटो बनवा लें क्योंकि बाद में भी जरूरत होने पर एक सेट के फोटो देना ही बेहतर है।
तरह-तरह के वीज़ा
टूरिज़म और वीज़ा के लिहाज से दुनिया भर के देशों को चार कैटिगरी में बांटा जा सकता है :
1. वह देश, जो पहुंचने पर वीज़ा देते हैं। इसे ऑन अराइवल वीज़ा कहा जाता है। इस वक्त दुनिया में 57 ऐसे देश हैं, जहां वीज़ा के बिना या वहां जाकर वीज़ा लेने की सुविधा के साथ घूमने का प्लान बना सकते हैं। पहुंचने पर वीज़ा उस देश के एअरपोर्ट पर ही मिल जाता है, जहां ऑन अराइवल वीज़ा की सुविधा होती है (थाईलैंड, सिंगापुर आदि)।
2. ऐसे देश, जहां भारतीय नागरिकों को वीज़ा की जरूरत नहीं है (भूटान, नेपाल)।
3. ऐसे देश, जहां जाने से पहले आपको वीज़ा लेना पड़ता है (अमेरिका, यूके आदि)।
4. ऐसे देशों का ग्रुप, जिनका वीज़ा एक साथ ले सकते हैं। मसलन, शेनजेन वीज़ा कई यूरोपीय देशों में घूमने के लिए वैलिड होता है। मिसाल के तौर पर इटली, फ्रांस आदि।
किस बजट में कहां जाएं
ट्रैवल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर पहली बार विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं तो बेहतर है किसी अच्छी ट्रैवल एजेंसी से पैकेज ही लेकर जाएं। इससे कई तरह के झंझटों से बच सकते हैं। टूर प्लानिंग के हिसाब से हम आपको सुझा रहे हैं कुछ ऐसे पैकेज, जिनसे आपको अपना बजट बनाने में मदद मिलेगी।
30,000-40,000 रुपये तक
भारत के पड़ोसी खूबसूरत देश सिंगापुर, थाईलैंड, मलयेशिया, हॉन्गकॉन्ग आदि
40,000-60,000 रुपये तक
मॉरिशस, मालदीव, चीन, इंडोनेशिया, यूएई (दुबई) और पूर्वी यूरोप के कुछ देश
60,000-1,50000 रुपये तक
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित यूरोप के कई देश जैसे कि स्विट्जरलैंड, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ग्रीस आदि
1,50000- 3,00000 रुपये तक
अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको जैसे देश (कीमतें 4 दिन, 3 रात के टूर के लिए 1 व्यक्ति पर आधारित)
करें स्मार्ट पैकिंग
पासपोर्ट और वीज़ा बन जाने के बाद अब वक्त है विदेश जाने की जमीनी तैयारी करने का, मतलब सामान पैक करने का। विदेश जाने के लिए आपको साथ में ले जा रहे सामान को लेकर भी सतर्क होना पड़ेगा।
- अच्छा होगा सामान पैक करने से पहले मोटे तौर पर एक लिस्ट बनाएं और जरूरत के हिसाब से बैग्स में पैक करें।
- क्या सामान हाथ में (केबिन बैग) लेकर जाना है और क्या सामान चेकइन (वह सामान, जो विमान के कार्गो सेक्शन में जाता है) करवाना है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि
क्या ले जाने की छूट है और क्या नहीं।
- केबिन में या हाथ में ले जाने बैग की लंबाई 55 सेमी चौड़ाई 40 सेमी और ऊंचाई 20 सेमी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसका वजन भी 8 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बेहतर होगा आप इसे सही तरह से जांच लें, वरना बैग साथ न जाकर चेकइन करवाना पड़ेगा।
- बेहतर होगा ट्रॉली वाले ऐसे बैग लें, जिनमें चार पहिए हों। ऐसे बैग एयरपोर्ट और बाहर भी ले जाने के लिहाज से सुविधाजनक होते हैं।
- बैग बनाने वाली कई ब्रैंडेड कंपनियों के केबिन बैग भी मार्केट में मिल जाएंगे, जो पहले ही इंटरेनैशनल फ्लाइट की निर्धारित सीमा के हिसाब से बने होते हैं।
- बैग का वजन करने के लिए आप घर में मौजूद इंसानी वजन नापने वाली मशीन का भी सहारा ले सकते हैं।
- चेकइन बैग का वजन दुनिया भर की एअरलाइंस में अलग-अलग है। फिर भी यह 20 से 40 किलो के बीच है। अपनी एअरलाइंस या जिस ट्रैवेल एजेंसी से आपने टूर पैकेज लिया है, उससे सामान के वजन को लेकर मदद ली जा सकती है।
- तय सीमा से ज्यादा सामान होने पर आपको एक्स्ट्रा सामान के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
कहीं इनको न भूल जाना
समझें कस्टम के नियम कायदे
विदेश में खरीदारी का अपना आनंद है लेकिन खरीदारी करते वक्त यह भी ध्यान रहे कि विदेश से अपने देश में सामान लाने की भी सीमा है :
- विदेश से आने पर कस्टम क्लीयरेंस के लिए दो चैनलों रेड चैनल और ग्रीन चैनल से गुजरना पड़ता है।
- रेड चैनल के जरिए उस सामान को लाया जाता है, जिन पर ड्यूटी भरी जानी है और ग्रीन के जरिए उस सामान को क्लियर करवाया जाता है, जो ड्यूटी भरने के दायरे में नहीं आते।
- सीधा-सा नियम है कि 35,000 रुपये से ज्यादा कीमत के सामान पर 15 फीसदी के हिसाब से ड्यूटी भरनी पड़ेगी।
- 35,000 रुपये की इस लिमिट को फ्री-कैप कहते हैं। आपके सामान की कीमत का अंदाजा लगाते वक्त कस्टम आपके कपड़ों से लेकर बाकी सामान की कीमत भी जोड़ता है।
- फ्री-कैप को एक साथ जोड़ा नहीं जा सकता। मिसाल के तौर पर अगर कोई कपल विदेश यात्रा पर हैं तो उसके लिए कैप 70,000 रुपये न होकर 35,000 रुपये ही रहेगा।
- किसी भी तरह के नशे के सामान को न तो लेकर देश के बाहर जाने की इजाजत है और न ही देश में लेकर आने की इजाजत है।
- जूलरी से लेकर गैजेट्स भी उतने ही ला सकते हैं, जिनको लेकर कस्टम आश्वस्त हो कि यह केवल पर्सनल इस्तेमाल के लिए लाए जा रहे हैं।
- मिसाल के तौर पर एक इस्तेमाल किया हुआ लैपटॉप (अनपैक किया हुआ), पहनी हुई जूलरी, एक इलेक्ट्रॉनिक डायरी, एक विडियो कैमरा या स्टिल कैमरा आदि सामान आराम से लाए जा सकते हैं। बस ध्यान रहे कि मॉडल ज्यादा महंगे न हों और इस्तेमाल किए हुए जान पड़ रहे हों।
इनका साथ सबसे जरूरी
देश के बाहर घूमने का प्लान बनाने से पहले इनका साथ बहुत जरूरी है :
- मैट्रिक्स सहित रिलायंस और एयरटेल जैसी कंपनियां इंटरनैशनल कॉलिंग कार्ड उपलब्ध करा रही हैं। बेहतर होगा इसे यहीं से खरीद लें, ताकि आप पहुंचने से पहले ही यहां घरवालों को नंबर दे सकें। ये कंपनियां अब इंटरनेट डेटा भी उपलब्ध करवाती हैं। हो सके तो वह भी ले लें। इससे आप हर वक्त घरवालों से कनेक्ट रह सकेंगे। आप किसी देश जाकर भी प्री-पेड सिम खरीद सकते हैं। इसके लिए आपके पासपोर्ट और वीज़ा की कॉपी देनी होगी। बाहर जाकर खरीदे कनेक्शन को ऐक्टिवेट होने में एक दिन का वक्त तो लग ही जाता है।
- कई भारतीय बैंक कैश कार्ड की सुविधाएं दे रहे हैं। इसमें आप मनचाहे अमाउंट का रिचार्ज करा सकते हैं। इसकी अच्छी बात यह है कि इसमें पैसे खत्म हो जाने पर यहां मौजूद कोई दोस्त या घर का सदस्य इसे बताई रकम के साथ रिचार्ज करा सकता है।
- अपने मोबाइल और डिवाइस को चार्ज करने के लिए जिस देश में जा रहे हैं, वहां की पावर सप्लाई के हिसाब से एडॉप्टर खरीदना न भूलें। यूरोप और अमेरिका में एडॉप्टर के पिन भी अलग तरीके के होते हैं इसलिए इलेक्ट्रॉनिक शॉप या Amazon.in और eBay India जैसी साइट्स से भी आसानी से खरीद सकते हैं।
मनी मैनेजमेंट को जानें
विदेश जाने से पहले रुपयों के गणित को अच्छी तरह से समझ लें :
- विदेश यात्रा में आप 7500 रुपये कैश ही ले जा सकते हैं। यह नियम नेपाल और भूटान यात्रा पर लागू नहीं होता।
- साथ ही 50 हजार रुपये तक की विदेशी करेंसी ले जाई जा सकती है। - विदेशी करेंसी में 2000 यूएस डॉलर या इसके बराबर कैश और बाकी बची रकम को ट्रैवलर चेक या कैश कार्ड की तरह से ले जाया जा सकता है।
- फॉरन करेंसी को खरीदने के 60 दिन के अंदर उसे इस्तेमाल करने का नियम है। अगर इससे ज्यादा वक्त लग रहा है तो ऑथराइज्ड एजेंट के पास इसे सरेंडर कर दें।
- किसी भी कैलेंडर इयर में (जनवरी-दिसंबर) में 10,000 यूएस डॉलर तक फॉरन करेंसी ली जा सकती है।
- कोशिश करें कि कैश कम ले जाएं और पैसा ट्रैवलर चेक या कैश कार्ड के जरिए ही लेकर जाएं। इस तरह से न तो आपको कैश संभालने का टेंशन होगा और न फॉरेन करेंसी के हिसाब-किताब में आपको सिर खपाना पड़ेगा।
- विदेश से वापस आते वक्त फॉरन करेंसी लाने की कोई सीमा नहीं है। अगर करेंसी नोट या ट्रैवेलर चेकों की कीमत 10,000 यूएस डॉलर से ऊपर है या 5000 यूएस डॉलर से ज्यादा कैश है, तो एयरपोर्ट पर कस्टम के करेंसी डिक्लेरेशन फॉर्म (सीडीएफ) भरकर इसे डिक्लेयर करना पड़ेगा।

Sunday, May 25, 2014

पति - पत्नी

क्या चाहिए???

जज-तुम तलाक क्यों लेना चाहते हो?

पति-जी क्योंकि मैं अपनी बीबी से संतुष्ट नही हूं।

पत्‍‌नी-जज साहब सारा मोहल्ला खुश है, बस पता नहीं इसे क्या चाहिए।

 

परमेश्वर आप !!

पति-मेरा अंदाजा यह कह रहा है कि इस डिब्बे मे कोई खाने की चीज है।

पत्‍‌नी- अरे वाह मेरे पति परमेश्वर आप ने बिलकुल सही अंदाजा लगाया है इसमें मेरे नए सैंडल है।


जहर 

पति-पत्नी में लड़ाई हो रही थी। पति ने सोचा इस रोज-रोज के झगड़े से तो बेहतर है आत्महत्या की जाए।

वह बाजार से जहर लेकर आया और खा लिया, लेकिन मरा नहीं।

पत्‍‌नी (गुस्से में) - हजार बार समझाया है कंपनी की चीज लिया करो। समझ तो तुम्हारे अंदर है नहीं। अब देखों पैसे भी गए और काम भी नहीं हुआ।


Saturday, May 24, 2014

टीवीएस ने उतारी मॉडर्न स्टाइल, कंफर्ट और माइलेज बाइक

टू व्हीलर कंपनी टीवीएस ने अपनी नई बाइक टीवीएस स्टार सिटी प्लस को नई दिल्ली में लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने इस बाइक को मॉर्डन स्टाइल, शानदार परफॉर्मेंस और कंफर्ट फीचर्स के साथ पेश किया है। टीवीएस स्टार सिटी प्लस की कीमत 41,500 से 44,500 रुपए (एक्स शोरूम दिल्ली) तय की गई है।
इंजन और परफॉर्मेंस
कंपनी टीवीएस स्टार सिटी प्लस को ऑटो एक्सपो 2014 के दौरान प्रदर्शित कर चुकी है।
कंपनी ने इसमें 110 सीसी डीएलआई तकनीक वाला इंजन इस्तेमाल किया है। जो 8.1 बीएचपी का पावर और 8.1 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। ये 5 स्पीड गियरबॉक्स पर काम करती है।
टीवीएस सिटी प्लस की अधिकतक स्पीड की बात करें तो ये 90 किमी प्रति घंटा है। ये 7.6 सेकेंड में 60 किमी की रफ्तार पकड़ सकती है। टीवीएस स्टार सिटी प्लस बाजार में पहले से मौजूद महिंद्रा सेंच्युरो, हीरो पेशन एक्सप्रो और होंडा ड्रीम युगा जैसी बाइक्स को चुनौती देने वाली है। कंपनी का दावा है कि टीवीएस स्टार सिटी प्लस बाइक 86 किमी प्रति लीटर माइलेज देने में सक्षम है। ये बाइक स्कारलेट, ऑस्कर ब्लैक, शो स्टॉपर ब्लू और टाइटेनियम ग्रे रंगों में मौजूद है।

माँ अब क्या होगा


सत्ता का हाथी

छह अंधे बहुत दिनों से बेकार बैठे हुए थे। एक दिन उन्हें पता चला कि लोकतंत्र के जंगल में सत्ता का हाथी भटक रहा है। पहले वे एक हाथी को छूकर ज्ञानी हो चुके थे। उन्होंने सोचा, चलो इस बार सत्ता के इस हाथी का परीक्षण करते हैं। सभी उसके पास पहुंचे। पहले अंधे ने हाथी के पेट को हाथ लगाया तो वह बोला, ‘अरे यह तो दीवार है। यानी सत्ता दीवार होती है।’ बाकी अंधे बोले, ‘एक्सप्लेन इट।’ पहला अंधा बोला, ‘दीवार और सत्ता का निकट संबंध है। पहले वोटों के लिए जाति, धर्म, संप्रदाय की दीवारें खड़ी कर दो और फिर कुर्सी के लिए विचारधारा की दीवारों को गिरा दो। देखना, दिल्ली में एक-दो दिन में यही सब होने वाला है।’ 
अब दूसरा अंधा हाथी के मुंह की तरफ बड़ा। उसने सूंड को हाथ लगाया तो बोल उठा, ‘यह दीवार नहीं, सर्प है, घातक जहरीला सांप।’ उसने टीवी पर किसी के मुंह से सुन रखा था कि सत्ता जहर के समान होती है। तो उसने अपना फैसला सुना दिया कि सत्ता या तो सांपनाथ होती होगी या नागनाथ। वैसे भी पिछले डेढ़ महीनों के दौरान लोकतंत्र के जंगल में इतना विष वमन हो चुका था कि उसे यह फैसला करने में देर नहीं लगी। तीसरा अंधा हाथी की पूंछ के पास पहुंचा। उसे छूकर बोला, ‘सत्ता रस्सी होती है, रस्सी। इसके सहारे खुद ऊपर चढ़ते जाओ। फिर अपने सगे-संबंधियांे को भी चढ़ा लो। सुना है कि कोई जीजाश्री सत्ता की ऐसी ही रस्सी के सहारे काफी ऊपर तक पहुंच गए हैं।’ अब चौथे की बारी थी। उसने हाथी के पैर को छुआ तो ऐसा उत्साह से भर गया मानो सत्ता का रहस्य उसी ने ढूंढ़ लिया हो। चिल्लाकर बोला, ‘सत्ता और कुछ नहीं, पेड़ का तना है। आंधी चल रही हो तो इससे चिपक जाओ। उड़ोगे नहीं और फिर लता की तरह उस पर रेंगते रहो। देखना, अब जल्द ही ऐसी ही कई लताएं फलती-फूलती नजर एंगी।’पांचवें अंधे ने हाथी के कानों को छुआ तो बोला, ‘तुम सब गलत हो। सत्ता तो सूपड़ा है। सूपड़े का तो नेचर ही होता है कि जो काम के नहीं हैं, हल्के हैं, उन्हें झटक दो। भारी वहीं बने रहते हैं। पिछले 60 साल से सत्ता का यह हाथी ऐसे ही काम करते आया है।
’छठे ने सोचा, बहुत बकवास हो गई। मैं देखता हूं। वह हाथी के दांतों के पास पहुंचा और उन्हें छूकर बोलो, ‘अरे मूर्खो, सत्ता तो तलवार है, दोधारी तलवार। सही इस्तेमाल करोगे तो यह आपकी जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी, लेकिन जरा-सी लापरवाही आपको ही काट देगी। सुना है कोई नया आदमी अब तलवार घुमाने आने वाला है।’तो छह अंधे, छह बातें। यानी कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन। इतने में पास से एक समझदार किस्म का बंदा गुजरा। शायद वह कोई विश्लेषक था और पिछले डेढ़ महीने से टीवी पर आ-आकर और भी समझदार बन गया था। अब अंधों ने उसे ही फैसला करने को कहा। उसने कहा, ‘तुम सब सही हो। सत्ता का हाथी ऐसा ही होता है। अच्छी बात यह है कि तुम लोगों ने अंधे होकर भी सत्ता के इस हाथी को पहचान लिया, जबकि अनेक आंख वाले देखकर भी अंधे बने रहते हैं। इसीलिए सत्ता का यह हाथी अपनी चाल चलता रहता है।’

अब माएं अपने बच्चों को ऐसे डांटेंगी...

मोदी बनना है न?


.फिर राहुल जैसी हरकत क्यों की?
 


.अब मनमोहन की तरह चुप 
क्यों खड़ा है?
 

.बोल नहीं तो केजरीवाल की तरह थप्पड़ खाएगा...

Friday, May 23, 2014

23000 तक आ सकता है सोना

कोटा। आने वाले 3 से 4 महीनों में सोने के भाव 23,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक आ सकते हैं। पिछले दो दिन में सोने की कीमतों में 1000 रुपए तक की गिरावट आई है। हाजिर बाजारों में सोना 28,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के नीचे आ गया है। मुंबई, जयपुर और अहमदाबाद में भी सोने का दाम काफी गिर गया है। वहीं वायदा बाजार में सोना गिरावट के साथ 27,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
 ज्वैलरों के मुताबिक अगले 3 से 4 महीने में सोना 23000-24000 रुपये हो जाएगी। दरअसल आरबीआई के सोने के आयात में ढील देने से सोने पर लगने वाला प्रीमियम कम हो गया है। जिसके कारण कीमतों में भारी गिरावट आई है।
 क्यों आ रही गिरावट ?
पिछले साल आरबीआई ने वित्तीय घाटे को कम करने के लिए और रूपए को मजबूत करने सोने के इंपोर्ट के नियम सख्त कर दिए थे। सिर्फ बैंको को सोने के इंपोर्ट की इजाजत दी थी। लेकिन अब आरबीआई ने इन नियमों में ढील देकर स्टार ट्रेडिंग हाउस और प्रीमियर ट्रेडिंग हाउस को भी इंपोर्ट की मंजूरी दे दी है।
 डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार मजबूत हो रहा है जिसके कारण सोने की कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 11 महीने की ऊंचाई पर है। फॉरेक्स एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में एक  डॉलर की कीमत 58 रुपए से  भी कम हो सकती है। जिससे सोना और सस्ता होगा।
 अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1300 डॉलर नीचे कारोबार कर रहा है। जिसका असर घरेलू बाजार पर देखने को मिल रहा है। दरअसल, दुनिया भर के निवेशक अब सोने से पैसा निकाल रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ एसपीडीआर गोल्ड की होल्डिंग गिरकर 780 टन के स्तर पर आ गई है, जो पिछले 6 साल का निचला स्तर है। पिछले 2 महीने में इसकी होल्डिंग से करीब 2,200 डॉलर बाहर हो चुके हैं।

अब हवा से चलेगी गाड़ी

 चंद महीनों बाद आपको गाड़ी दौड़ाने के लिए पेट्रोल, डीजल या अन्य किसी फ्यूल की जरूरत नहीं होगी। आपकी गाड़ी प्राकृतिक हवा से ऊर्जा लेकर चलेगी। सुनने में ये अजीब लग सकता है, लेकिन यह करिश्मा ग्वालियर के यादवेंद्र सिंह परिहार ने कर दिखाया है जो मथुरा के हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में ऑटोमोबाइल की पढ़ाई कर रहे हैं।
यादवेंद्र की कार प्राकृतिक हवा का उपयोग करके अपने लिए ऊर्जा बनाएगी। इसके लिए किसी तरह के फ्यूल या अन्य मेंटेनेंस के भारी खर्चे की जरूरत नहीं पड़ेगी। कॉलेज के निदेशक डॉ. आरके उपाध्याय का कहना है कि ये ऑटोमोबाइल सेक्टर में नए युग की शुरुआत है। इस मॉडल के जरिए गाड़ी तैयार करने में जो भी खर्चा होगा, उसके लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इनके अलावा संस्थान के ऑटोमोबाइल उद्योग के विभागाध्यक्ष वाईसी धोटे ने इस खोज को कार सेक्टर में मील का पत्थर बताया है, क्योंकि ये ईंधन तो बचाएगी ही और ईको फ्रेंडली भी होगी।
इस तरह काम करेगी कार
यह एक हाइब्रिड कार है। सामान्य कारें पेट्रोल के अलावा बिजली से चलती हैं। लेकिन इनकी बैटरी क्षमता कम होती है, उसे बार-बार चार्ज करना पड़ता है। लेकिन यह कार उच्च दाब वाली हवा और बिजली का समावेश है। इसमें ला ऑयन बैटरी से बिजली दी जाएगी और हवा के लिए कार्बन फाइबर सिलेंडर लगाए गए हैं।
इसको चलाने के लिए सिर्फ एक दफा बिजली देनी होगी। इसके बाद चालीस किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड पकड़ने के बाद 4500 पीएसआई (ऊर्जा का मापक) पर एयर सिलेंडर में स्वत: हवा भरने लगेगी। इसका इंजन प्राकृतिक हवा को कंज्यूम करने लगेगा और गाड़ी दौड़ने लगेगी। अभी इसकी गति को चार सौ किलोमीटर तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।
पेटेंट के लिए अमेरिका भेजने की तैयारी
यादवेंद्र के मॉडल को कॉलेज प्रशासन अमेरिका पेटेंट के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जुटा लिए गए हैं। दो महीने के अंदर इसे भेज भी दिया जाएगा।

 - प्रोफेसर पीके शर्मा, अधिशासी निदेशक, हिन्दुस्तान कॉलेज
पिता को किया समर्पित

करीब दो साल पहले मुझे इस मॉडल का ख्याल आया था। मैंने इसे अपने पिता को समर्पित किया है। इसलिए गाड़ी का नाम भी उन्हीं के नाम पर बृजनरेश द नेचर कार रखा है। - 
यादवेंद्र सिंह परिहार, खोजकर्ता

इंटरनेट यूज करने वाले इन बातों का रखें ध्यान

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। 
  सामान्यत: इंटरनेट की सुरक्षा को लेकर यूजर्स सजग और गंभीर नहीं होते। हालांकि टिकट रिजर्वेशन, ऑनलाइन शॉपिंग, मनी ट्रांजैक्शन या इमेल के द्वारा हमारी काफी महत्वपूर्ण और जरूरी चीजें इंटरनेट पर होती है, इन सब के बाद तो हमें इसकी सुरक्षा के प्रति काफी सजग होना चाहिए और इस नजरिए से हमारा मार्केट काफी सजग है। वहां ढेर सारे इंटरनेट सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। परंतु इन्हें अपनाने से पहले उनकी श्रेष्ठता मापना भी काफी आवश्यक है। हम केवल लोकप्रियता और विज्ञापन के जरिए ही ऐसे सॉफ्टवेयर को बेहतर मानकर अपना लेते हैं। इसलिए यहां हम आपकी मदद के लिए महत्वपूर्ण पैरामीटर्स बता रहे हैं जिससे आपको सॉफ्टवेयर खरीदने में आसानी होगी, और बेखौफ होकर आप इंटरनेट पर महत्वपूर्ण दस्तावेज रख सकते हैं।
1. सिस्टम प्रोटेक्शन
आपके सॉफ्टवेयर में सिस्टम को डैमेज होने से बचाने की क्षमता होनी चाहिए। इसके अंदर वायरस, मैक्रो वायरस, वमर््स, मालवेयर, स्पाइवेयर, रूटकिट्स और ट्रोजन को बेअसर करने की योग्यता होनी चाहिए।
जब कभी हम एक्सटर्नल डिवाइस को अपने पीसी के साथ कनेक्ट करते हैं तो ये जरूरी है कि उस सॉफ्टवेयर को स्कैन किया जाए। पीसी को नए तरह के खतरों से बचाने के लिए ये सॉफ्टवेयर कुछ दृष्टिकोणों का अनुसरण कर सकता है। पहला सिग्नेचर पर आधारित दृष्टिकोण जो डेटाबेस में वायरस डिफिनेशन को स्वत: अपडेट करता है, दूसरा अनुगामी दृष्टिकोण जो खतरे की पहचान के लिए अपनी यूनीक आइडेंटिटी एल्गोरिद्म का अनुसरण करे।
2. फायरवाल प्रोटेक्शन
इंटरनेट के उपयोग से आप दुनिया से जुड़ जाते हैं। इस दौरान फायरवाल ही ऐसा सॉफ्टवेयर है जो आपको संदिग्ध इनकमिंग ट्रैफिक से बचाता है। उसी तरह फायरवाल में आउटगोइंग जानकारी को जांचने की भी क्षमता होनी चाहिए। कई सारे ऐसे इंट्रूडर हैं जो आपकी पीसी में प्रवेश कर सकते हैं और उस समय आपका फायरवाल सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और तो और आपको चेतावनी भी देता है। फायरवाल इस तरह की समस्याओं से छुटकारा दिलवाने वाला होना चाहिए। इसलिए आपको ऐसा फायरवाल देखना चाहिए जो इनकमिंग और आउटगोइंग दोनों ही पर नजर रखे।
3. पैरेंटल कंट्रोल
चैटिंग करना, गाने सुनना तथा गेम खेलना इस तरह की चीजें बच्चे इंटरनेट पर ज्यादा करते हैं, लेकिन कब वह गलत वेबसाइट की ओर रुख कर लेते हैं उन्हें भी पता नहीं चलता। ऐसे में पैरेंटल कंट्रोल आपके इंटरनेट सिक्योरिटी सूट पर उपलब्ध अनावश्यक कंटेंट ब्लॉक कर देगा। अधिकतर सॉफ्टवेयर में इस तरह की खूबियां होती हैं। बस आपको निर्णय लेना है कि उनमें से कौन सा सॉफ्टवेयर सही रहेगा।
4. वेबसाइट एडवाइजर
किसी भी तरह की जानकारी के लिए आप सामान्य रूप में सर्च इंजन (गूगल) में कीवर्ड टाइप करते हैं। जवाब में आपको उस कीवर्ड से संबधित कई सारी वेबसाइटों के लिंक उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन इनमें से कौन सी सही वेबसाइट है और कौन सी गलत इसको जानने के लिए आप वेबसाइट एडवाइजर का सहारा ले सकते हैं। वेबसाइट एडवाइजर इस तरह की परिस्थितियों में बहुत ही सहायक साबित होता है।
5. एंटी एडवेयर और एंटी स्पाइवेयर
वर्तमान में ऐसे कई सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं जो स्पांसर्ड फ्रीवेयर कोड मुहैया करवा रहे हैं। इसके लिए सिर्फ आपका रजिस्ट्रेशन चाहिए। सामान्यत: यह एडवेयर की सहायता से किया जाता है। दुर्भाग्य से कुछ फ्रीवेयर एप्लिकेशन ऐसे होते हैं जो कि आपकी सर्फिंग की आदतों के अनुसार एडवेयर ट्रैक फॉलो करते हुए तमाम तरह के एड भेजते हैं। जब भी एडवेयर इस तरह की हानि पहुंचाने वाला रुख अख्तियार कर ले तब हमें स्पाईवेयर कैटगरी की ओर मूव करना चाहिए। ऐसे में वैसे सिक्योरिटी सूट को चुनिए जो अवांछित एडवरटाइजमेंट और ऑफर्स को ब्लॉक कर सके।

आपकी चाल पर घूमेगा आपका 'स्मार्ट' पंखा

कोटा । क्या आपने कभी सोचा है कि आपका पंखा खुद आपकी ओर घूमकर हवा दे? अगर नहीं, तो अब सोचिए। जापान ने एक ऐसा 'स्मार्ट' पंखा तैयार किया है जो आपके हिसाब से घूमेगा। इतना ही नहीं, आपके कमरा छोड़ते ही यह बंद भी हो जाएगा।
ह्यूमन सेंसिंग की खासियत वाला यह पंखा अपनी रेंज में किसी के आते ही उसे हवा देना शुरूकर देता है। खास किस्म के इंफ्रारेड सेंसर से युक्त इस पंखे से हवा सिर्फ उस व्यक्ति को ही मिलती है, इधर-उधर की खाली जगह को नहीं। इसे बनाने वाली जापानी कंपनी आइरिस ओहयामा इंक ने कहा कि यह 85 डिग्री तक घूम सकता है और इससे कमरे में उपस्थित व्यक्ति को हवा मिलती है। यह सामान्य पंखों की तरह घूमकर खाली जगह पर हवा नहीं फेंकता। अगर एक मिनट तक इसकी रेंज में कोई नहीं दिखाई देता तो यह खुद बंद हो जाता है। कंपनी ने कहा कि यह एक से ज्यादा लोगों को भी ट्रैक करता है। अगर इसकी रेंज में एक से ज्यादा व्यक्ति होते हैं तो यह उन सभी की ओर घूमते हुए हवा देता है। इस पंखे की कीमत 176 डॉलर ([लगभग 10,000 रुपए)] रखी गई है।


Thursday, May 22, 2014

एटीएम में नोट डालो और सिक्के निकालो

कोटा। खुल्ले पैसे को लेकर अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। एटीएम में नोट डालो और सिक्के निकालो। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत कुछ बैंकों ने कॉइन वेंडर मशीनें लगाई हैं। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक वीएस राठौड़ ने बताया कि सिक्कों की कालाबाजारी रोकने के लिए बैंक ने कोटड़ी गोरधनपुरा सर्किल शाखा पर कॉइन वेंडर मशीन लगाई है। मशीन से 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्के निकलते हैं। जरूरी नहीं कि हर बार ग्राहक को 5 या 2 के ही सिक्के मिलें। यह उपलब्धता के ऊपर है। ग्राहक एक बार में 100 रुपए से ज्यादा के सिक्के नहीं निकाल सकेगा। फिलहाल पांच के सिक्कों की कमी चल रही है।

विदेश में फजीहत करा आए आईएएस अफसर निरंजन आर्य

कोटा।  भारत स्काउट के स्टेट कमिश्नर एवं सीनियर आईएएस अधिकारी निरंजन आर्य देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अंतर महाद्वीपीय कार्यशाला में मलेशिया के संडाकन शहर तो गए लेकिन वहां कार्यशाला की बजाय घूमने-फिरने में ही समय बिता दिया। खास बात यह रही कि वे अपने साथ ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के डायरेक्टर को भी ले गए। आर्य के इस रवैये पर प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक ने गंभीर एतराज जताते हुए भारत स्काउट गाइड के कमिश्नर को लिखा कि भविष्य में ध्यान रखें कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। घटनाक्रम जून 2012 का है। मलेशिया के संडाकन शहर में 4 से 7 जून तक एपीआर एन्वायरनमेंट पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। स्काउट के तत्कालीन स्टेट चीफ कमिश्नर निरंजन आर्य इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे। वे वर्तमान में भी स्काउट के चीफ कमिश्नर हैं।
 कार्यशाला में 12 देशों के 16 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आर्य द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला को हल्के में लेने का मामला तब उजागर हुआ जब 12 जून 2012 को प्रशांत क्षेत्रीय रीजन के जोनल डायरेक्टर अब्दुल रशीद ने स्काउट गाइड के देश के तत्कालीन चीफ कमिश्नर एवं हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव रहे एमएल जैन को मेल भेजा।

ऐसे हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ खुलासा, कार्यशाला में पहले दो दिन बिताया बहुतक कम समय, अंतिम दिन गए ही नहीं।
उठा सवाल
-आर्य ने बताया कि वे बीमार होने से कार्यशाला में न जा सके। पर वे ये नहीं बता सके कि दोस्त को वहां क्यों लेकर गए?
- कमिश्नर ने सीएस सीके मैथ्यू को भेजी थी रशीद की नाराजगी की कॉपी- दो साल बीते, आज तक इस मामले में न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई
 बिना अनुमति ले गए साथी को  
अब्दुल रशीद ने मेल से भेजे पत्र में नाराजगी जाहिर की है कि आर्य ने कार्यशाला के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। वे कार्यशाला के पहले दिन अधिकांश समय गायब रहे, दूसरे दिन भी ये ही हालात रहे आर्य कमोबेश कार्यशाला में अनुपस्थित ही रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपने साथ संडाकन एक अन्य साथी को लेकर पहुंचे थे। जिन्हें स्काउट लीडर बताया गया। रशीद ने लिखा है कि अन्य प्रतिनिधि को साथ लेकर आने के बारे में आर्य ने न तो पहले से किसी प्रकार का संदेश दिया और न ही मेजबान देश से किसी प्रकार की अनुमति भी ली।   
भविष्य में सही प्रतिनिधि भेजें
 रशीद ने यह भी लिखा कि यह दु:खद पहलू है कि जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हो वह सक्रिय रूप से भाग भी नहीं ले रहा हो। उन्होंने लिखा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन में जिन्हें भेजा जाए, वे गंभीरता पूर्वक इनमें भाग लें तथा जो चीज यहां से सीख कर जाएं उसका प्रमुखता से देश में प्रचार-प्रसार करें। यहां गौरतलब है कि आर्य जिन्हें स्काउट लीडर के बतौर कार्यशाला में ले गए थे वे ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के निदेशक निर्मल तंवर थे। भारत के चीफ कमिश्नर के कार्यकारी निदेशक आरके शर्मा ने मेल की इस कॉपी को तत्कालीन सीएस सीके मैथ्यू को भी कार्यवाही के फॉरवर्ड किया लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है । आर्य उस समय सीएमओ में विशेषाधिकारी के पद पर थे।  

मामला दो साल पुराना है।
 बीमार हो जाने के कारण कार्यशाला में नहीं जा सका था। रशीद साहब के पत्र का उसी समय जवाब भेज दिया गया है।'
- निरंजन आर्य, सदस्य, राजस्व मंडल राजस्थान

फेसबुक लाएगी खुद की वीडियो चैट सर्विस

कोटा। स्नैपचैट को खरीदने में नाकाम रहने के बाद फे
स्लिंगशॉट ऐप के जरिए कंपनी यूजर्स को फोटो या वीडियो भेजने की सुविधा देगी। किसी एक कॉन्टैक्ट को भेजे गए फोटो या वीडियो को डिलीट होने से पहले सिर्फ एक बार देखा जा सकेगा।
वर्ष 2012 में फेसबुक ने स्नैपचैट के मुकाबले 'पोक' नाम से सर्विस लांच की थी, लेकिन यह यूजर्स, खास तौर पर युवाओं के बीच लोकप्रिय नहीं हो पाई।हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल युवा यूजर्स फेसबुक के मुकाबले स्नैपचैट पर ज्यादा फोटो-वीडियो अपलोड करते हैं। स्नैपचैट पर हर रोज करीब 40 करोड़ फोटो-वीडियो अपलोड किए जाते हैं, जबकि फेसबुक पर यह संख्या 35 करोड़ ही है। गौरतलब है कि फेसबुक ने स्नैपचैट को 3 अरब डॉलर में खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई।

सबुक अपनी खुद की वीडियो चैट सर्विस डेवलप करने पर काम कर रही है। फिलहाल कंपनी ने इसका नाम 'स्लिंगशॉट' रखा है।

सरफेस प्रो-3 लेगा लैपटॉप की जगहः माइक्रोसॉफ्ट

कोटा। माइक्रोसॉफ्ट ने तीसरी पीढ़ी का सरफेस प्रो-3 डिवाइस पेश किया, जिसकी स्क्रीन पिछले वाले मॉडल से बड़ी है, लेकिन वजन में ऐपल के मैकबुक एयर से भी कम। उम्मीद जताई जा रही है कि यह लैपटॉप की जगह ले लेगा। माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से सरफेस प्रो-2 पेश किए जाने के साल भर से कम समय में 12 इंच का सर्फेस प्रो-2 पेश किया गया था। इसकी तारीफ टैबलेट के रूप में कारगर पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) के तौर पर की गई थी, लेकिन यह डिवाइस बाजार को आकर्षित नहीं कर सका। इसके बाद कंपनी ने सर्फेस मिनी पेश करने की घोषणा की, लेकिन ऐसा हो पाया। बहरहाल, माइक्रोसॉफ्ट के कॉर्पोरेट उपाध्यक्ष पैनोस पैने ने सरफेस प्रो-3 के बारे में कहा, 'यह ऐसा टैबलेट है जो लैपटॉप की जगह ले सकता है।' माइक्रोसॉफ्ट ने नए डिजाइन में बिजनेस करने वाले प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखा है। कंपनी की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है, 'सरफेस प्रो-3 टैबलेट है और लैपटाप भी। यह मल्टीपल प्रोसेसर, रैम और स्टोरेज विकल्पों के साथ बेहतरीन डिजाईन में उपलब्ध है। यह 11 इंच के मैकबुक एयर से 30 प्रतिशत पतला है।'

आखिरकार भारत 'अंग्रेजों" से मुक्त हुआ

सोलह मई का दिन भारत के इतिहास में एक ऐसे दिन की तरह याद रखा जाए, जब आखिरकार इस देश से अंग्रेजों की विदाई हुई। चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत ने उस लंबे दौर का अंत कर दिया है, जिसमें सत्ता के ढांचे ब्रिटिश राज से बहुत अलग नहीं हुआ करते थे। अनेक मायनों में कांग्रेस पार्टी के राज में भारत में ब्रिटिश राज ही बदस्तूर जारी था। 'आधी रात की संतानें" अब उम्र की सातवीं दहाई में होंगी, लेकिन वास्तव में भारत में यह बदलाव आजादी के समय जन्मी पीढ़ी के परिदृश्य से हट जाने भर से ही नहीं आया है।
जिस भारत में इस पीढ़ी ने अपनी पूरी उम्र बिता दी, वह एक बंधक और बेड़ियों में जकड़ा हुआ भारत था। उस पर अंग्रेजी बोलने वाले चंद गिने-चुने कुलीनों का राज था, जिनका रवैया देश की आम जनता के प्रति कभी हितैषी तो कभी शोषक का भले ही रहता आया हो, लेकिन उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी करने का मौका कभी नहीं दिया गया था। लोकतांत्रिक मताधिकार ने भारतीयों को वोट देने की ताकत तो दे दी, लेकिन वे अपनी आवाज को नहीं खोज पाए थे। अलबत्ता, कभी-कभी उनकी आवाज सुनाई जरूर पड़ती थी, जैसा कि वर्ष 1977 में हुआ, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए अलोकप्रिय आपातकाल के बाद चुनाव हुए और भारतीयों ने अपने देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल डालने के लिए निर्णायक जनादेश दिया। लेकिन आजाद भारत के इतिहास में ऐसे क्षण ज्यादा नहीं थे।
अब एक बार फिर वह आवाज सुनाई दी है। इस आवाज ने नरेंद्र मोदी के रूप में अपना नया नेता चुन लिया है। मोदी नीची जाति से वास्ता रखते हैं। वे बहुत अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल पाते। उनका उन सेकुलर और समाजवादी परंपराओं से भी कोई सरोकार नहीं है, जो कांग्रेस की बुनियाद में थीं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आवाज ने एक नए भारत का जयघोष कर दिया है। पुराने भारत में जब कुलीन वर्ग का मन करता था या जब उसे वोट हासिल करने की, या कहें वोट खरीदने की जरूरत महसूस होती थी, तभी वह गरीबों की मदद करता था। मध्यवर्ग की अनदेखी की जाती थी और कभी-कभी तो अवमानना भी। लेकिन नए भारत की खैरातों में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है और अपमानित होने का भी उसे कोई शौक नहीं है।

एप्‍पल को पछाड़ गूगल बनी दुनिया की टॉप कंपनी

वैल्‍यू के मामले में अमेरिका की सर्च इंजन कंपनी गूगल ने टेक्‍नोलॉजी दिग्‍गज एप्‍पल को पीछे छोड़ दिया है। ग्‍लोबल मार्केट रिसर्च एजेंसी मिलवार्ड ब्राउन ने बुधवार को बताया कि गूगल की ब्रांड वैल्‍यू एक साल में 40 फीसदी की वृद्धि के साथ 158.84 अरब डॉलर हो गई है। गूगल की ब्रांड वैल्‍यू बढ़ाने में गूगल ग्‍लास का अहम योगदान है।
 गूगल ग्‍लास इंटरनेट से जुड़ा एक चश्‍मा है। एप्‍पल की ब्रांड वैल्‍यू में इस साल 20 फीसदी की गिरावट आई है, जो पिछले तीन सालों से लगातार टॉप ब्रांड बना हुआ था । वर्तमान में इसकी ब्रांड वैल्‍यू 147.88 अरब डॉलर है। ब्रांड वैल्‍यू की गणना कंपनी के वित्‍तीय प्रदर्शन और उसकी उपभोक्‍ताओं तक पहुंच के आधार पर की जाती है। आईबीएम
 दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ब्रांड

आईबीएम है। इस साल इसकी ब्रांड वैल्‍यू में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वर्तमान में इस ब्रांड की वैल्‍यू 107.54 अरब डॉलर है। इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉरपोरेशन (आईबीएम) एक अमेरिकन मल्‍टीनेशनल टेक्‍नोलॉजी और कंसलटिंग कंपनी है। इसका मुख्‍यालय न्‍यूयॉर्क के अरमोंक में है। आईबीएम कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का निर्माण और बिक्री करती है। इसके अलावा कंपनी मेनफ्रेम कम्‍प्‍यूटर्स से लेकर नैनोटेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, होस्टिंग और कंसल्टिंग सर्विस भी मुहैया कराती है।
माइक्रोसॉफ्ट
 की ब्रांड वैल्‍यू एक फीसदी वृद्धि के साथ 90.19 अरब डॉलर हो गई है। बावजूद इसके दुनिया की टॉप ब्रांड सूची में इसका स्‍थान चौथा है। माइकोसॉफ्ट कॉरपोरेशन भी एक अमेरिकन मल्‍टीनेशनल कंपनी है, जिसका मुख्‍यालय वॉशिंगटन के रेडमोंड में है। यह कंपनी कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर, कंज्‍यूमर इलेक्‍ट्रोनिक्स और पर्सनल कम्‍प्‍यूटर्स को डेवलप, निर्माण, लाइसेंस, सपोर्ट और बिक्री करती है। राजस्‍व के मामले में यह दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी है।

एटीएम बोलेगा, आपको कितना कैश चाहिए

कोटा।  जल्दी ही आपका वास्ता ऐसे एटीएम से पड़ेगा, जो आपसे बातचीत करेंगे। ये एटीएम आपसे पूछेंगे कि आपको कितना कैश चाहिए। ये एटीएम आपको बताएंगे भी कि आपके खाते में कितना पैसा है। आरबीआई के ताजा निर्देश के बाद बैंकों को अब बातचीत और ब्रेल कीपैड सुविधा से युक्त एटीएम स्थापित करने होंगे। यह निर्देश एक जुलाई 2014 से लागू हो जाएगा। इसके बाद बैंक जितने भी एटीएम स्थापित करेंगे, उनमें यह दोनों सुविधाएं निश्चित तौर पर मौजूद होंगी। इसके अलावा बैंकों को उन सभी एटीएम में भी यह सुविधाएं स्थापित करनी होंगी, जिनमें अभी यह सुविधा नहीं है। बैंकों को एक समय सीमा के भीतर यह काम करना होगा।
 रैम्प की सुविधा भी देनी होगी
इसके अलावा बैंकों को सभी एटीएम के साथ रैम्प की सुविधा भी देनी होगी, ताकि व्हील चेयर इस्तेमाल करने वाले या शारीरिक अक्षमता वाले लोग आसानी से एटीएम तक पहुंच सकें। बैंकों को यह भी ध्यान देना होगा कि एटीएम की ऊंचाई व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वालों के लिए परेशानी पैदा न करे।
 बैंक देंगे मैग्निफाइंग ग्लासेज
यही नहीं, आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी शाखाओं के प्रवेश द्वार (इन्ट्रेन्स) पर रैम्प की सुविधा दें, ताकि ऐसे लोग आसानी से बैंक शाखा में प्रवेश कर सकें। बैंकों को यह भी कहा गया है कि वे कम देख सकने वाले लोगों के लिए मैग्निफाइंग ग्लासेज की व्यवस्था करें।