Monday, May 25, 2015

जर्मनी से आई गुलाब के फूलों की डिमांड

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। झालावाड़ जिले के मानपुरा गांव में अब जर्मनी से गुलाब के फूलों की डिमांड आई है। इसको लेकर यहां इस साल 500 किलो गुलाब की पैदावार की जाएगी। इसके लिए बगीेचे तैयार किए जा रहे हैं। जर्मनी की एक कंपनी ने यहां से गुलाब के सैंपल मंगवाया था. जो उनकी लैब में पास हो गए। इसके बाद यह डिमांड भेजी गई है। यहां से मंगवाए जाने वाले गुलाब की पंखुड़ियों काे ग्रीन टी बनाने के काम में लिया जाएगा। 
भारतीय किसान संघ के जैविक खेती प्रदेश प्रमुख हुकमचंद पाटीदार ने बताया कि 2003 में मानपुरा गांव में केवल एक हैक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती शुरू की गई थी। उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह खेती इतने फायदा का सौदा बनेगी। इसके बाद अब 40 एकड़ में जैविक खेती के रजिस्टर्ड फार्म हैं। इसके अलावा प्रदेश के कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, अजमेर, पाली, बीकानेर, हनुमानगढ़, भीलवाड़ा, चित्तौड़ जिलों में 360 हैक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। किसान इसमें लाखों रुपए का फायदा देखने के बाद साल दर साल अधिक संख्या में जुड़ते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती देश में कई तरीकों से हो रही है, लेकिन यहां पर प्रकृति एवं गोवंश आधारित जैविक खेती हो रही है। 
जिले के छोटे से गांव मानपुरा में जैविक खेती से तैयार उत्पादों की मांग अब विदेशी में हो रही है। यहां की मेथी और धनिया जापान, तो लहसुन पाउडर तैयार होकर न्यूजीलैंड तक जा रहा है। शनिवार को फ्रांस की कंपनी का एक प्रतिनिधिमंडल मानपुरा पहुंचा। यहां के उत्पादों को जर्मन कंपनियों तक पहुंचाने का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल ब्रोसर्ड पीर्रे ने यहां के जैविक उत्पादों में धनिया, मेथी, गेहूं सहित अन्य फसलों को देखा। यहां के प्रॉसेसिंग प्लांट का जायजा लिया और जर्मन की कंपनियों से सीधे सौदा करने के लिए किसानों को तैयार किया। उन्होंने कहा कि यहां तैयार माल को जर्मन की कंपनियां सीधे खरीदेंगी। इसमें बिचौलियों का कोई रोल नहीं होगा। इस साल यहां से पांच हजार किलो धनिया पैकिंग होकर जापान गया है। इसके अलावा 10 क्विंटल मेथी जापान गई है। यहां जैविक खेती से पैदा लहसुन का अंता के कृषि विज्ञान केंद्र में पाउडर बनाया जाता है। यह पाउडर न्यूजीलैंड गया है। इस साल 820 किलो लहसुन पाउडर यहां के किसान न्यूजीलैंड पहुंचा चुके हैं। हालांकि अभी किसान सीधे विदेशों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इनके बीच में कोलकाता की आरिश ट्रेडिंग कंपनी मुंबई के ईटर्नल हेल्थ केयर कंपनी के एक्सपोर्टर मानपुरा से माल खरीद विदेशों तक पहुंचाते हैं। 
दोगुना से ज्यादा दाम 
भारतीयबाजार में जहां धनिए का दाम 70 रुपए किलो तक चल रहा है, वहीं विदेशों में इस साल 160 रुपए किलो में खरीद हुई। मेथी विदेशों में 120 रुपए किलो बिकी है। इसी तरह लहसुन पाउडर 240 रुपए किलो में खरीदा गया। इससे यहां के किसानों को काफी फायदा मिला। 

Sunday, May 24, 2015

स्‍मार्टवॉच में 80 पेज की ई-बुक, नकल में पकड़ाया

कोटा। बीई की सेमेस्टर परीक्षा में  एक छात्र स्मार्ट रिस्ट वॉच से नकल करते पकड़ा गया। छात्र स्मार्ट वॉच में 80 पेज की बुक डाउनलोड कर लाया था। छात्र को घड़ी से नकल करता देख यूनिवर्सिटी की फ्लाइंग स्क्वाड की टीम व परीक्षा केंद्र के इनविजिलेटर भी चकित रह गए। छात्र पर नकल प्रकरण दर्ज कर लिया गया है
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) की अप्रैल-जून की सेमेस्टर परीक्षाएं चल रही थी।  इसके तहत श्री शंकराचार्य टेक्नीकल कैंपस के एस-1 जुनवानी में बीई छठे सेमेस्टर की परीक्षा थी। इसमें ईईई के पावर इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइज सर्किट विषय की परीक्षा में संतोष रूंगटा कॉलेज समूह के आरसीईटी भिलाई का छात्र नकल करता पकड़ा गया।
एसएसटीसी आरसीईटी कोहका का परीक्षा केंद्र है। छात्र ने नई टेक्नोलॉजी की रिस्ट वॉच में विषय से संबंधित 80 पेज की बुक डाउनलोड कर रखी थी। बताते हैं कि परीक्षा के दौरान छात्र द्वारा बार-बार घड़ी देख कर आंसर लिखने के कारण इनविजिलेटर का शक हुआ। फिर छात्र के पास जाने पर उसे नकल करते पकड़ा गया।
इसी दौरान यूनिवर्सिटी की फ्लाइंग स्क्वॉड टीम भी मौके पर पहुंच गई। इस टीम ने स्मार्ट वॉच को जब्त करके छात्र पर नकल प्रकरण दर्ज कर लिया गया।
तो गिनाईं खूबियां
नकल करते पकड़े जाने पर छात्र ने यूनिवर्सिटी की फ्लाइंग स्क्वॉड टीम को सात हजार ヒपए कीमत वाली इस स्मार्ट वॉच की खूबियां भी गिनाईं। बताते हैं कि छात्र ने घड़ी को स्मार्ट फोन के टूल की तरह काम करना बताया। इसमें बुक डाउनलोड होने के अलावा सोशल नेटवर्किंग साइट भी ऑपरेट की जा सकती हैं।

Thursday, May 21, 2015

खोया हुआ मोबाइल ऐसे मिलेगा

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। अपना मोबाइल फोन सभी 
को प्‍यारा होता है फिर वो चाहे महंगा हो या फिर सस्‍ता। ऐसे में अगर आपका मोबाइल फोन खो जाए तो कितनी दिक्‍कत का सामना करना पड़ सकता है इसे आप सोंच भी नहीं सकते, इसीलिए मोबाइल लेने के बाद एतियातन कुछ जरूरी बातों का हमेशा ध्‍यान रखना चाहिए, वैसे भी आए दिन मोबाइल चोरी की घटनाएं तो होती ही र‍हती है। हम आपको आज 10 ऐसे उपाए बताएंगे जिनकी मदद से आप अपने खोए हुए मोबाइल फोर दोबारा तलाश सकते हैं।
आईएमईआई हर स्‍मार्टफोन का अपना अलग आईएमईआई नंबर होता है। अगर आप को अपने फोन का आईएमईआई नंबर नहीं पता तो अपने फोन से *#06# नंबर डायल करके आप हैंडसेट का आईईएमआई नंबर पता कर सकते हैं। अगर कभी भविष्‍य में आपका मोबाइल खो जाता है तो इसी यूनीक आईएमईआई नंबर की मदद से आप अपने खोए हुए मोबाइल का ट्रैक भी कर सकते हैं, इसके अलावा ज्‍यादातर हैंडसेटों के बैक पैनल को ओपेन करने पर उसके बैटरी के नीचे आईईएमआई नंबर का स्‍टीकर लगा होता है। आप चाहें तो अपने फोन की बैटरी को निकाल कर फोन के पैनल में लगे स्‍टीकर से आईएमईआई नंबर देख सकते हैं। लेकिन इसे कहीं पर नोट करके रख लें क्‍योंकि अगर आपका फोन कहीं खो जाता है तो फिर हैंडसेट का आईईएमआई नंबर ढ़ूड़ना मुश्‍किल हो जाएगा।
अवास्‍त मोबाइल सिक्‍यो‍रिटी अपने मोबाइल को चोरी होने के बचाने के लिए आप कई एप्‍लीकेशन भी डाउनलोड कर सकते हैं जैसे अवास्‍त की मोबाइल सिक्‍योरिटी जिसकी मदद से आप अपने मोबाइल को ट्रैक कर सकते हैं और साथ ही इसे कंट्रोल भी कर सकते हैं। दरअसल अगर आपके फोन में अवास्‍त मोबाइल सिक्‍योरिटी एप्‍लीकेशन इंस्‍टॉल है तो आप अपने खोए हुए मोबाइल में एक एसएमएस करके उसकी लोकेशन के बारे में जान सकते हैं।मोबाइल चेस लोकेशन ट्रैकर मोबाइल चेस एप्‍लीकेशन की मदद से आप अपने खोए हुए मोबाइल में किसी दूसरे सिम के होने का पता लगा सकते हैं। मोबाइल चेस एप्‍लीकेशन जीपीएस कनेक्‍टीविटी के द्वारा आपको फोन की सही लोकेशन बता देगा साथ ही आपके फोन में लोकेशन आईडी भी मैसेज द्वारा सेंड कर देगा। थीफ ट्रैकर थीफ ट्रैकर एप्‍लीकेशन न सिर्फ आपको फोन चोरी करने वाले व्‍यक्ति के बारे में पूरी जानकारी देगी बल्‍कि आपके मोबाइल फोन लॉक भी कर देगी ताकि कोई दूसरा आपके मोबाइल का गलत इस्‍तेमाल न कर सके। इसके अलावा इसका जो सबसे खास फीचर है वो हैं इसका कैमरा, एप्‍लीकेशन ऑटोमैटिक आपको मेल द्वारा फोटो खींचकर सेंड भी कर देगी जिससे आप मोबाइल की उस समय कौन सी लोकेशन है उसके बारे में जान सकते हैं।
स्‍मार्ट लुक स्‍मार्ट लुक भी थीफ ट्रैकर की तरह आपको मोबाइल फोन चुराने वाले व्‍यक्ति की फोटो कैपचर करके मेल कर देगी। एप्‍लीकेशन जीपीएस की मदद से आपको मोबाइल फोन की लोकेशन भी बताती रहेगी जिससे आप अपने फोन को ट्रैक कर सकें।
एंटी थेफ्ट एलार्म जैसा की आपको नाम से ही लग रहा होगा, एंटी थेफ्ट एलार्म एप्‍लीकेशन को डाउनलोड करने के बाद आपको बस इसे फोन में एक्‍टीवेट करना होगा। इसके बाद अगर कोई आपका मोबाइल छूने की कोशिश करता है तो आपके मोबाइल में तेज  एलार्म बजने लगेगा। जिससे आप जान जाएंगे कि आपके मोबाइल से कोई छेड़-छाड़ कर रहा है।
कैसपरस्‍काए मोबाइल सिक्‍योरिटी अवास्‍त एप्‍लीकेशन की तरह कैसपरस्‍काए मोबाइल सिक्‍योंरिटी भी आप अपने फोन में डाउनलोड कर सकते हैं। इस एप्‍लीकेशन की मदद से न सिर्फ आप अनवांटेड एसएमएस और टेक्‍ट फिल्‍टर कर सकते हैं बल्‍कि इसके स्‍कैनर एलर्ट भी है जो आपके मोबाइल में किसी वॉयरस एप्‍लीकेशन को इंस्‍टॉल करने से पहले आपको इसकी सूचना दे देगा।
लुकआउट सिक्‍योरिटी और एंटीवॉयरस लुक आउट फ्री एप्‍स में कई फीचर दिए गए हैं। जैसे इसमे आप गूगल मैप की मदद से आपने फोन की लोकेशन पता कर सकते हैं। साथ ही अगर आपका फोन ऑफ कर दिया जाता है तो लुकआउट एप्‍लीकेशन फोन की आखिरी लोकेशन बता देगी। जिससे आप अपने फोन को आसानी से खोज सकते हैं।
ट्रैंड माइक्रो मोबाइल सिक्‍योंरिटी एंड एंटीवॉयरस टॉप सेलिंग एप्‍लीकेशनों में शुमार ट्रेंड माइक्रो मोबाइल सिक्‍योंरिटी की मदद से आप अपने फोन में वॉयरस के साथ प्राइवेसी स्‍कैनर की मदद से उसे चोरों से दूर रख सकते हैं। साथ ही अगर आपके बच्‍चे फोन में बार बार जरूरी कांटेक्‍ट डिलीट की देते हैं तो किड्स फीचर की मदद से आप अपने फोन की कुछ चीजे ब्‍लॉक कर सकते हैं।
प्‍लान बी लुकआउट मोबाइल सिक्‍योरिटी प्‍लान बी लुकआउट मोबाइल सिक्‍योरिटी एप्‍लीकेशन की मदद से आप खोए हुए फोन को की लोकेशन आसानी से ट्रैक कर सकते हैं। एप्‍लीकेशन जीपीएस की मदद से आपको अपने फोन की लोकेशन बताती रहती है। इसमें प्‍लान ए और बी दिए गए हैं अगर कोई आपके फोन में जीपीएस ऑफ कर देता है तो एप्‍लीकेशन आपको मेल द्वारा इस बात की जानकारी दे देगी कि आपके फोन की आखिरी लोकेशन ये थी।

Sunday, May 17, 2015

पैसा भेजने के लिए मोबाइल या ईमेल ही है काफी

कोटा। किसी दोस्त या रिश्तेदार को पैसा भेजने के लिए अब उसके बैंक अकाउंट नंबर की जरूरत नहीं होगी। बैंकों ने इसके लिए नई तकनीक अपनाई है। बैंकों ने सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज को देखते हुए इस तरह के एप लॉन्च किए हैं जिनके जरिए सोशल साइट के जुड़े दोस्त, रिश्तेदार को बिना अकाउंट नंबर के पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। अगर, दोस्त या रिश्तेदार सोशल साइट से नहीं जुड़ा है तब भी निराश होने की जरूरत नहीं। अब संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर या ईमेल से भी मिनटों में पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं। इन बैंकों से भेज सकते हैं पैसा
> एक्सिस बैंक के पिंगपे (PingPay) एप
> एचडीएफसी बैंक के चिल्‍लर एप (Chillr)
> आईसीआईसीआई बैंक के पॉकेट्स (Pockets) एप
> कोटक महिन्‍द्रा बैंक के केपे डॉट कॉम (KayPay)
पिंगपे (PingPay)
एक्सिस बैंक पिंगपे एप से मनी ट्रांसफर और प्राप्‍त करने का सेवा मुहैया कराता है। इस एप के जरिए ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्स एप और ईमेल से जुड़े व्‍यक्ति को पैसा भेज सकते हैं। पैसा भेजने वालों का एक्सिस बैंक का ग्राहक होना चाहिए लेकिन प्राप्‍त करने वाले को एक्सिस का खाताधारक होना जरूरी नहीं है।
पिंगपे से कैसे होता है मनी ट्रांसफर
सबसे पहले गूगल प्‍ले स्‍टोर से इस एप को मोबाइल हैंडसेट पर डाउनलोड करना होगा। इसके बाद एप में आपको अपने बैंक अकाउंट का ब्योरा डालना होगा। अब, इस एप से व्हाट्स एप से जुड़े किसी भी दोस्त को पैसा भेज सकते हैं। आपके द्वारा पैसा भेजने पर आपके दोस्त के व्हाट्स एप पर एक लिंक मिलेगा। उस लिंक पर क्लिक कर वह पिंगपे एप गूगल स्टोर से डाउनलोड कर लेगा। इसके बाद वह अपने बैंक अकाउंट का डिटेल उस एम में डालेगा और उसके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर हो जाएगा। यह सेवा आईएमपीएस से जुड़ा हुआ इसलिए पैसा कुछ मिनट के अंदर ट्रांसफर हो जाता है। इसी तरह दूसरे सोशल मीडिया और ईमेल से जुड़े दोस्त या रिश्तेदार को पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इस एप के जरिए पैसा ट्रांसफर करने पर 5 रुपए शुल्‍क लगता है। एक दिन में अधिकतम 50 हजार रुपए इस एप के जरिए पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है।
चिल्‍लर एप (Chillr)
एचडीएफसी बैंक के चिल्‍लर एप से आप किसी भी मोबाइल फोन उपभोक्‍ता को पैसा भेज सकते हैा। इस एप को यूज करने के लिए आपके पास एचडीएफसी बैंक में खाता होना चाहिए। पैसा प्राप्‍त करने वाले के लिए एचडीएफसी बैंक का खाता होना जरूरी नहीं है।
यह एप कैसे करता है पैसा ट्रांसफर
इस एप को इस्‍तेमाल करने के लिए सबसे पहले मोबाइल मनी आईडेंटिफायर (एमएमआईडी) बनाना होता है। यह मोबाइल बैंकिंग या नेट बैंकिंग के जरिए आसानी से बन जाता है। मोबाइल बैंकिंग के जरिए लॉगइन कर थर्ड पार्टी ट्रांसफर के ऑप्शन पर जाना होता है। इसके बाद एमएमआईडी जेनरेट करना होता है। फिर एक बैंक अकाउंट को चुनना और सत्यापित करना होता है। वहीं नेट बैंकिंग के जरिए लॉगइन करने पर एमएमाआईडी नंबर जेनरेट करने के लिए अनुरोध करना होगा। इसके बाद आपको एक टॉल फ्री नंबर पर कॉल करते हैं और मोबाइल पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर (एमपीआईएन) लेते हैं।
इसके बाद आप अपने मोबाइल से जिस कांटेक्ट को पैसा ट्रांसफर करना चाहते हैं उसे सलेक्ट करें। एप में उसका मोबाइल नंबर और ट्रांसफर की जाने वाली रकम भरें। यह एप एमपीआईएन के जरिए पैसा ट्रांसफर होता है। जिसको आपने पैसा भेजा उसको एक एक लिंक प्राप्‍त होगा। वह उस लिंक को डाउनलोड करेगा और अपना रजिस्‍ट्रेशन करेगा। 3 से 4 घंटे में रजिस्‍ट्रेशन प्रोसेस पूरा हो जाएगा और उसके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर हो जाएगा। इस एप के जरिए एक बार में अधिकतम 5 हजार रुपए भेज सकते हैं। एचडीएफसी बैंक 5 रुपए और सर्विस चार्ज लेता है। एक दिन में 10 बार इस एप के जरिए पैसा भेजा जा सकता है।
पॉकेट्स एप
आईसीआईसीआई बैंक के पास मनी ट्रांसफर के लिए दो प्रोड्क्ट है। पहला है पॉकेट्स एप और दूसरा इ-वालेट। एप के जरिए फेसबुक यूजर्स को पैसा भेजा जा सकता है। इ-वालेट एप्लिेकेशन के जरिए फेसबुक फ्रेंड के अलावा ईमेल और मोबाइल यूजर्स को पैसा भेजा जा सकता है।
कैसे काम करता है पॉकेट्स
आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों को इस एप को डाउनलोड कर अपना अकाउंट नंबर फीड कर रजिस्ट्रर करना होता है। यदि आईसीआईसीआई बैंक के कस्टमर नहीं है और दूसरे किसी बैंक के है तो आपको अपना पर्सनल डिटेल जैसे नाम, मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर आदि रजिस्‍ट्रेशन के लिए डालना होगा। रजिस्‍ट्रेशन के बाद एप के अकाउंट में पैसा जमा करना होता है। आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक अपने सेविंग अकाउंट से एप को लिंक कर पैसा जमा कर सकते हैं।
इस एप के जरिए पैसा ट्रांसफर एक कूपन के जरिए होता है। सबसे पहले एप से कूपन क्रिएट करना होता है। इसके बाद जिसे पैसा भेजना है उसे इस कूपन का नंबर भेजना होता है। यह कूपन पासवर्ड प्रोटेक्टेड होता है। पाने वाले व्‍यक्ति को तीन दिन के अंदर कूपन को रीडीम कराना होता है। अगर, वह तीन दिन के अंदर पैसा रीडीम नहीं करता है तो यह पैसा स्‍वत: भेजने वाले के अकाउंट में लौट जाता। आईसीआईसीआई बैंक अभी यह सर्विस फ्री दे रहा है पर आने वाले दिनों में 2.5 से 5 रुपए चार्ज ले सकता है।

केपे (KayPay)
कोटक महिन्‍द्रा बैंक का केपे मनी ट्रांसफर करने वाली एक स्‍पेशल वेबसाइट है। इस साइट के जरिए 30 बैंकों के ग्राहक पैसा प्राप्‍त कर सकते हैं और 28 बैंकों के खाते में पैसा भेज सकता है। यह वेबसाइट फेसबुक यूजर, गूगल प्लस और ईमेल यूजर भी भेज सकते हैं।
कैसे काम करता केपे
इस वेबसाइट पर जा कर आपको रजिस्ट्रर करना होता है। जिस बैंक में आपका अकाउंट है उसका ब्योरा केपे डॉट कॉम पर रजिस्ट्रर करना होगा। इसके बाद फेसबुक फ्रेंड, गूगल प्लस और ईमेल लिस्ट में शामिल दोस्तों में से जिसे पैसा भेजना है उसे सेलेक्ट करें।
पैसे भेजने के लिए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जेनरेट होगा। केपे के जरिए इस साइट पर रजिस्टर नहीं हुए व्‍यक्ति को भी पैसा भेज सकते हैं। बैंक इस पर 5 रुपए और सर्विस टैक्‍स चार्ज करते हैं। इस साइट के जरिए 2500 रुपए अधिकतम एक दिन में भेज सकते हैं। महीने में इसकी अधिकतम लिमिट 25 हजार रुपए है।

Saturday, May 16, 2015

कार्ड से 2,000 रुपये तक की खरीद होगी पिन फ्री

कोटा। अगर आप शॉपिंग के शौकीन हैं तो आपको आरबीआई के इस कदम से बहुत ही राहत मिलेगी। अब आप शॉपिंग करते समय 2000 रुपये तक के ट्रांजैक्शन के लिए बगैर पिन के कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट या डेबिट कार्ड से खरीददारी कर सकेंगे। गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि बैंक पिन प्रमाणित किए बगैर 2,000 रुपये तक के ट्रांजैक्शन के लिए कॉन्टैक्टलेस कार्ड की अनुमति दे सकते हैं। आरबीआई के इस कदम को रिटेल आउटलेट्स और टोल बूथों पर 'टैप ऐंड पे' इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। टैप ऐंड पे का मतलब नीयरफील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी) टेक्नॉलजी का इस्तेमाल। इस टेक्नॉलजी की मदद से 'कॉन्टैक्टलेस कार्ड' के होल्डर्स कार्ड रीडर के समीप कार्ड को हिलाकर या टैप करके पेमेंट कर सकते हैं। आरबीआई की इस छूट से पहले कार्ड होल्डर को अपना पिन नंबर पंच करके प्रमाणित करवाना होता था।
एक दिन में या एक सप्ताह में या एक महीने में एक कस्टमर को इस प्रकार के कितने ट्रांजैक्शन की छूट मिल सकती है, इस बारे में भी बैंकों से निर्णय लेने को आरबीआई ने कहा है।

अब वॉट्सएप पर शॉपिंग का मजा

कोटा। ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स की तर्ज पर अब कोटा जैसे स्मार्ट सिटी  में भी वॉट्सएप के जरिए भी बिजनेस होने लगा है। नामी शॉपिंग वेबसाइट्स की तरह ही इसमें ऑनलाइन ऑर्डर और होम डिलेवरी की जाती है। खास बात यह है कि इस बिजनेस में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, जो ग्राहकों और डीलर के बीच मिडिएटर का काम करके मार्जिन मनी भी कमा रही है। शॉपिंग का यह नया फंडा इन दिनों शहर में खूब चल रहा है।
इस तरह होता है बिजनेस
वॉट्सएप पर सबसे ज्यादा कपड़े, एक्सेसरीज, फुटवियर और बैग जैसी चीजें बेची जा रही है। वॉट्सएप पर ग्रुप बनाकर महिलाएं उस पर प्रोडक्ट्स की तस्वीरें और अन्य जरूरी जानकारी अपलोड करती जाती है। कोई चीज पसंद आने पर ग्राहक ग्रुप पर ही उसकी बुकिंग कर देते हैं। इसमें एडवांस पैमेंट नेट-बैंकिंग के जरिए किया जाता है। घर के आसपास का क्षेत्र होने पर महिलाएं सीधे मिलकर भी पैमेंट कलेक्ट कर लेती हैं। फिर ये मिडिएटर महिलाएं बुकिंग की जानकारी और पैमेंट डीलर्स तक पहुंचा देती है और डीलर वह प्रोडक्ट सीधे ग्राहक तक कुरियर कर देते हैं।
जीरो इन्वेस्टमेंट और मार्केट से पहले डिलीवरी
इस बिजनेस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बिना किसी इन्वेस्टमेंट के भी शुरू किया जा सकता है। कपड़ों के अधिकांश डीलर सूरत, दिल्ली और मुंबई के हैं, जिन्हें प्रत्येक शहर में अपना माल बेचना होता है। इनसे शहर की कई महिलाएं संपर्क में हैं। उत्पादक जैसे ही नए कैटलॉग जारी करते हैं, डीलर उन्हें खरीद लेते हैं।
चूंकि मार्केट में आने से पहले यह कैटलॉग वॉट्सएप पर लांच होता है इसलिए मार्केट के एक महीने पहले नया स्टॉक यहां मिल जाता है। इस तरह वॉट्सएप पर बिजनेस करते हुए 15-20 प्रतिशत मार्जिन मनी बतौर प्रॉफिट निकाल ली जाती है।
स्टॉक रखने का झंझट नहीं
वॉट्सएप पर ऑर्डर लेते समय सीधे डीलर से कस्टमर तक सामान पहुंचाया जाता है। यानी जो भी सामान बेचा जा रहा है उसका स्टॉक मिडिएटर महिलाओं को नहीं रखना होता। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि सामान बचने और आउट ऑफ फैशन होने का खतरा नहीं होता।
घर पर किसी तरह का झंझट और अलग से जगह की व्यवस्था भी नहीं करनी पड़ती। पीस में खराबी होने पर सीधे डीलर को वापस भेज दिया जाता है। कई बार मिडिएटर पूरा कैटलॉग भी डीलर्स से खरीद लेते हैं, ऐसे में कुछ पीस न बिकने पर ऑफर्स और एंड ऑफ द सीजन सेल के जरिए भी स्टॉक क्लियर किया जाता है।



Sunday, May 10, 2015

पावर बैंक खरीदने से पहले जाने ..........

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। कॉलिंग डिवाइस नहीं रह गए हैं। स्मार्टफोन्स के आने के बाद से हमारी उनपर निर्भरता काफी बढ़ गई है। खासकर कामकाजी लोगों के लिए फोन डिवाइस का बंद हो जाना धड़कन रुकने से कम नहीं है। इस समस्या के समाधान के लिए आए हैं पावर बैंक्स। बड़ी-बड़ी बैटरियां जिनसे आप अपने डिवाइसेज को फुल चार्ज कर सकते हैं। कहीं भी चलते-फिरते, घूमते! लेकिन इस नई डिवाइस को खरीदते वक्त आपको याद रखनी चाहिए ये खास बातें... अपने फोन से ज्यादा रखें कपैसिटी पोर्टेबल बैटरी चार्जर यानी पावरबैंक खरीदने से पहले उसके ऊपर लिखी mAh कपैसिटी चेक करें। यह कपैसिटी आपके स्मार्टफोन से ज्यादा ही होनी चाहिए। यानी आपके फोन की बैटरी 2000 mAh की है तो आप 2500 mAh से ऊपर का ही पोर्टेबल चार्जर लें। ताकि, जरूरत पड़ने पर यह पोर्टेबल चार्जर आपके फोन को कम से कम एक बार फुल चार्ज देने के लायक हो। 
चेक करें 'करंट ड्रॉ'
पोर्टेबल चार्जर खरीदते वक्त 'करंट ड्रॉ' भी चेक करें। पुराने फोन्स बैटरी चार्ज करने के लिए 1 ऐम्पीयर से ज्यादा करंट नहीं लेते। लेकिन नए हैंडसेट्स और टैबलेट्स को 2.1 ऐम्पीयर इनपुट करंट की ज़रूरत होती है। अपने मोबाइल के ऑरिजिनल प्लग पर करंट ड्रॉ लिखा होगा। अगर संभव हो तो दो तरह के यूएसबी पोर्ट्स- 1A और 2.1A वाला पावरबैंक ही खरीदें। याद रहे, पावर बैंक की कपैसिटी कितनी भी हो, गैजट्स चार्ज करने की बारी आती है तो करंट ड्रॉ ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। 
बैटरी के टाइप पर दें ध्यान
इसके अलावा सेल्स के प्रकार पर भी ध्यान दें- लिथियम आयन है या लिथियम पॉलिमर है। लिथियम आयन सेल्स सस्ते होते हैं और आसानी से मिल जाते हैं। वहीं लिथियम पॉलिमर महंगे होते हैं, पर प्रति युनिट वेट अधिक चार्ज डेनसिटी देते हैं। किसी अच्छे ब्रैंड का ही पावर बैंक खरीदें। खराब क्वॉलिटी के लिथियम आयन पावर बैंक्स न सिर्फ परफॉर्मेंस पर असर करते हैं, बल्कि आगे जाके खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। ये ओवरहीट होने पर फट भी सकते हैं। अपनी सुरक्षा व अच्छे परफॉर्मेंस के लिए ऐसा मॉडल खरीदें जो ओवर वोल्टेज प्रोटेक्शन, ओवर चार्ज प्रोटेक्शन और ओवर टेम्प्रेचर प्रोटेक्शन के साथ आ रहा हो।

Friday, May 8, 2015

सितंबर से सिर्फ चिप, पिन वाले डेबिट व क्रेडिट कार्ड

कोटा। रिजर्व
बैंक ने बैंकों को सितंबर से सिर्फ ईएमवी चिप और पिन वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी करने को कहा है। इस कदम का मकसद ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाना है। ईएमवी का तात्पर्य यूरो पे मास्टरकार्ड वीजा से है, जबकि पिन का मतलब 'पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर' से है।
कुछ बैंकों ने ईएमवी चिप और पिन कार्ड इश्यू करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में बैंक अब भी मैग्नेटिक पट्टी वाले कार्ड ही जारी कर रहे हैं।
रिजर्व बैंक सुरक्षा संबंधी उपायों को बढ़ाने के साथ जोखिम घटाने की दिशा में प्रयासरत है। उसने कहा है कि ईएमवी चिप और पिन कार्ड को स्वीकार करने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। उसने बैंकों को कहा है कि एक सितंबर, 2015 से वे ईएमवी चिप और पिन वाले नए कार्ड ही जारी करें। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि मैग्नेटिक पट्टी वाले मौजूदा कार्डों के लिए माइग्रेशन प्लान हितधारकों के साथ विचार विमर्श कर तैयार किया जाएगा। इसके लिए समयसीमा पर सुझाव भी दिए जाएंगे। कार्ड ट्रांजैक्शन में जोखिम घटाने संबंधी उपायों के क्रियान्वयन को आरबीआइ ने चरणबद्ध तरीके से अपनाया है। यह उचित समय है जब मैग्नेटिक पट्टी वाले कार्डों की बजाय चिप और पिन कार्डों को अपनाया जाए। ईएमवी चिप कार्ड नकली कार्ड की धोखधड़ी से बचाव करते हैं। कार्ड खो या चोरी हो जाने पर पिन से सुरक्षा मिलती है।

Tuesday, May 5, 2015

चेहरे को पढ़ लेगा माइक्रोसॉफ्ट का चश्‍मा

दिनेश माहेश्वरी 
 कोटा। क्षेत्र में अपना दायरा लगातार बढ़ाती जा रही है। गूगल ग्लास से मुकाबले के लिए कंपनी ने अपना ग्लास बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।वॉल स्ट्रीट जरनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे संकेत मिले हैं कि उसने इस तरह की डिवाइस के प्रोटोटाइप पर ट्रायल शुरू कर दिए हैं। कंपनी को इसके लिए पेटेंट भी मिल गया है।खास बात यह है कि इस ग्‍लास को पहनने के बाद आप अपने सामने आने वाले इंसान के भावों (इमोशंस) को समझ जाएंगे।
चश्‍मे को पहनने वाला अपनी दृष्टि में आने वाले एक इंसान या इंसानों के समूहों के भाव को समझने में सक्षम हो जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट ने अक्‍टूबर 2012 में इस तकनीक का पेंटेंट फाइल किया था। जिसे हाल ही में स्‍वीकृति मिली है।इस ग्‍लास में खास तौर पर बनाए गए सेंसर्स और डेप्‍थ कैमरा तथा माइक्रोफोन लगाया गया है, जो डेटा एकत्रित करेगा। यह चश्‍मा व्‍यक्ति का चेहरा, आवाजा, शब्‍दों का चयन और शरीर के हाव-भाव को रिकॉर्ड करके उसका एनालिसिस करेगा तथा परिणाम को चश्‍मे के अंदर के ग्‍लास में लगी छोटी सी स्‍क्रीन पर प्रदर्शित करेगा।वहीं गूगल के ग्लास में कैमरा, मॉनिटर और माइक्रोफोन लगा रहता है। इस फ्रेम में एक छोटी स्क्रीन लगी रहती है, जो वीडियो और टेक्स्ट संदेश प्रदर्शित करती है।

Saturday, May 2, 2015

कोटा एवं बारां में किसान बनाएंगे कंपनियां

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। कोटाएवं बारां जिले के किसान मिलकर बनाएंगे कंपनियां। नाबार्ड का दोनों जिलों में मिलाकर 25 कंपनियां बनाने का लक्ष्य है। जिनके माध्यम से किसान अपनी उपज की मार्केटिंग कर सकेंगे और रियायती दर पर खाद-बीज आदि खरीद सकेंगे। इससे किसानों को अब 25 प्रतिशत तक की बचत होगी। 
नाबार्ड के नए एजीएम राजीव दायमा ने शुक्रवार को कोटा में कार्यभार संभालने के दौरान  बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी में प्रति किसान एक हजार रुपए का शेयर होगा। इसमें 500 से 1000 किसान सदस्य होंगे। कंपनी की पूंजी करीब 10 लाख रुपए की होगी। कंपनी का गठन होने के बाद इसका रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास रजिस्ट्रेशन होगा। 
कंपनी का संचालन करने के लिए नाबार्ड की ओर से मार्केटिंग के अनुभवी सीईओ नियुक्त किया जाएगा। पहले तीन साल पी एफपीओ (प्रमोशन ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) के तहत इन कंपनियों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की कंपनियां बनाने के बाद देश की कोई भी बड़ी कंपनी उनका उत्पाद खरीदेगी, जिससे उनकी उपज के दाम भी अच्छे मिलेंगे। किसानों को मूल्य संवर्धन, विपणन संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। 
नाबार्ड के सहयोग से सुधरेंगी सीएडी की नहरें 
नाबार्ड के डीजीएम बीके सिंगल ने बताया कि सीएडी की नहरों का पानी टेल तक पहुंचाने के लिए 1274 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसमें से 900 करोड़ रुपए पहले साल में देने हैं। अभी तक सीएडी को 239 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इस राशि से सीएडी की दांयीं एवं बायीं नहरों को पक्की करने का काम किया जा रहा है। नहरें जीर्ण-शीर्ण हालत में होने के कारण टेल तक पानीं नहीं पहुंच पाता। इससे नहरों की स्थिति सुधरेगी और किसानों को अंतिम छोर तक पानी मिलेगा। समय-समय पर नाबार्ड की विजिलेंस टीम इसकी मोनेटरिंग करती है। अब इस महीने टीम मॉनिटरिंग के लिए आने वाली है