Tuesday, October 25, 2016

जब ATM से निकलें नकली नोट क्या करें

नई  दिल्ली। इस महीने चेन्नई  के कॉर्पोरेशन बैंक के एक कर्मचारी ने जब एक एटीएम से 27 नकली नोट निकाले तब से एटीएम सिक्यॉरिटी पर फिर से एक बार लोगों और अधिकारियों का ध्यान जा रहा है। जिन ग्राहकों को एटीएम से नकली नोट मिलते हैं उनके लिए कोई ऐसी कानूनी सहायता मौजूद नहीं है क्योंकि यह साबित करना बहुत मुश्किल होता है कि नकली नोट कहां से आया है।
तमीज़ारसन बैंक कर्मचारी हैं जिसकी वजह से वे तुरंत नकली नोट को पहचान गए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बैंक ने उन्हें हर्जाने में पूरी राशि देने का वादा किया है। लेकिन ग्राहकों के मामले में ऐसा नहीं होता है। एक साइबर क्राइम अधिकारी ने बताया, 'जब आपको किसी एटीएम से नकली नोट मिलता है तो आप उसका स्रोत नहीं साबित कर सकते। इसमें बैंक नेटवर्क की गलती है न कि ग्राहक की। बैंक कभी भी कस्टमर के दावे पर असली नोट नहीं देते। वास्तव में यह चिंता की बात क्योंकि महीनेभर में ही शहर में नकली नोटों का यह दूसरा मामला सामने आया है।' हालांकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइंस घोषित कर रखी हैं जिसके मुताबिक, बैंकों को जमाकर्ताओं से करेंसी लेते समय सावधानीपूर्वक जांच लेना चाहिए कि नोट नकली तो नहीं है। इसके साथ ही, बैंक को एटीएम में पैसा डालते समय दोबारा भी करेंसी की पूरी जांच करनी चाहिए।
आमतौर पर कोई बैंक एक शहरी एटीएम में 3-4 लाख जबकि अर्ध-शहरी इलाको में 1-2 लाख रुपये डालता है। हालांकि, भीड़भाड़ वाली जगहों पर बैंक एक दिन में 10 लाख रुपये तक डालते हैं। लक्ष्मी विलास बैंक के वाइस प्रेजिडेंट एन रघुनाथन ने कहा, 'हमारे पास करेंसी चेक करने की मशीने हैं और नकली, चिपाकाए गए या फटे हुए नोट रोजाना अलग किए जाते हैं। हम सुबह 9.30 बजे से ही नोट चेक करना शुरू कर देते हैं और एटीएम वैन कैश लेने के लिए दोपहर 11 से 12 के बीच आती हैं।' पुलिस ने ग्राहकों को सलाह दी है कि जिसे भी एटीएम से नकली नोट मिलें वह सीसीटीवी कैमरे के सामने नकली नोट को दिखाएं। अगर कैमरा काम नहीं कर रहा है तो हर एटीएम पर एक गार्ड भी रहता है। यह बेहतर होगा कि इसकी शिकायत तुरंत एटीएम पर ही की जाए क्योंकि एक बार एटीएम से बाहर आने के बाद यह साबित करना बहुत कठिन होगा कि वह नोट एटीएम मशीन से ही निकला है।
एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नॉलजी लिमिटेड के चेयरमैन रवि गोयल ने कहा, 'अधिकतर नई एटीएम मशीनों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है कि कैश डालते और निकालते वक्त नकली नोट को पहचान लेती हैं। लेकिन बहुत सारे बैंक अभी भी 12 से 14 साल पुरानी मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं। अब रिजर्व बैंक ने ऐसी गाइडलाइंस बनाई हैं जिनके मुताबिक सुरक्षा के लिहाज से सभी बैंकों को अपने एटीएम सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी होगा।'

टीडीएस कटौती की जानकारी एसएमएस से मिलेगी

कोटा। देशभर के करीब ढाई करोड़ वेतनभोगी करदाताओं को उनकी तिमाही टीडीएस कटौती की जानकारी आयकर विभाग एसएमएस भेजकर देगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वेतनभोगी तबके के लिए उनकी स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस के बारे में एसएमएस अलर्ट सेवा की सोमवार को शुरुआत की। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जल्द ही इस सुविधा को मासिक आधार पर भी चलाएगी। जेटली ने इस सुविधा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वेतनभोगी तबका अपनी आय पर दो बार कर नहीं दे सकता है। न ही वह कर भुगतान को लेकर विवाद में पड़ना चाहता है इसलिए उन्हें उनकी टीडीएस कटौती के बारे में लगातार अद्यतन रखने की जरूरत है।
जेटली ने कहा कि इससे करदाताओं को फायदा होगा, वह अपनी वेतन पर्ची के साथ एसएमएस पर मिली जानकारी का मिलान कर सकेंगे। साल के आखिर में वह किसी भी संभावित कर देनदारी के बारे में अवगत होंगे। जेटली ने सीबीडीटी से टीडीएस संबंधित शिकायतों के निपटारे की प्रणाली को ऑनलाइन करने को कहा ताकि करदाता को कर विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ें।a
वित्त मंत्री ने कहा कि ई-निवारण अच्छा काम कर रही है और सीबीडीटी इस तरह के अनेक करदाताओं के लिए अनुकूल पहल कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीबीडीटी जल्द ही एसएमएस सुविधा 4.4 करोड़ गैर-वेतनभोगी करदाताओं को भी उपलब्ध कराएगा। एसएमएस भेजने के समय को कम से कम किया जाएगा।


Wednesday, October 12, 2016

इन बैंकिंग सेवाओं के लिए नहीं होती है KYC की जरूरत

कोटा। बैंक से जुड़ी किसी भी सेवा का फायदा लेने के लिए आमतौर पर केवाईसी की जरूरत होती है। फिर वो चाहे बैंक अकाउंट खुलवाना हो या फिर खोए हुए एटीएम कार्ड के बदले मिले नए एटीएम कार्ड का पिन एक्टीवेशन। लेकिन अगर आप सजग हैं तो आपको यह जरूर जानना चाहिए कि बैंक से जुड़ी चार सेवाएं ऐसी भी होती हैं जिनके लिए आपको केवाईसी डॉक्यूमेंट देने की जरूरत नहीं होती। जानिए कौन सी हैं वो सेवाएं-बैंक अकाउंट को ट्रांसफर करवाना
मान लीजिए की इलाहाबाद बैंक शाखा में आपका बैंक खाता है और आप इसे इलाहाबाद बैंक की किसी दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर करवाना चाहते हैं तो आपको इस स्थिति में दोबारा केवाईसी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अगर आप बैंक में दर्ज पते की जगह कहीं और रह रहे हैं तो आपको अपने मौजूदा एड्रेस के बारे में बैंक को डिक्लेयरेशन देना ही होगा।एक ही बैंक में कई खाते खोलने के लिए
अगर आपने किसी बैंक में केवाईसी मानकों को पूरा किया है और आप उसी बैंक में कोई दूसरा अकाउंट भी खोलना चाहते हैं तो आपको नए सिरे से केवाईसी की औपचारिकता पूरी नहीं करनी होगी। मसलन पंजाब नेशनल बैंक में अगर आपका सेविंग बैंक अकाउंट है और आप उसी बैंक में एफडी या फिर पीपीएफ अकाउंट खुलवाना चाहते हैं तो आपको दोबारा से केवाईसी डॉक्यूमेंट देने की जरूरत नहीं होगी।बैंक से नया डेबिट कार्ड लेने के लिए
डेबिट कार्ड कहीं गुम हो जाने या फिर खराब हो जाने की सूरत में अगर आप बैंक में नए डेबिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं तो आपको फिर से केवाईसी नहीं देना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि डेबिट कार्ड किसी खाता धारक को ही जारी किया जाता है और खाता खुलने के दौरान ही केवाईसी की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है।
इन्श्योरेंस ओर म्युचुअल फंड लेने के लिए
वहीं अगर आप अपने बैंक (जहां आपका खाता हो) से इन्श्योरेंस और म्युचुअल फंड प्रोडक्ट की खरीद करना चाहते हैं तो इसके लिए भी आपको केवाईसी डॉक्युमेंट देने की जरूरत नहीं होती है।

UPI सर्विस, आपके लिए पेमेंट करना हो जाएगा आसान


दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
अगस्त में लांच हुई यूपीआई सर्विस को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन तेजी से एक्सपेंशन करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत मार्च 2017 तक 50 बैंक यूपीआई के जरिए सर्विस शुरू कर देंगे। अभी करीब 24 बैंक यूपीआई सर्विस दे रहे हैं। यूपीआई एक पेमेंट सॉल्यूशन है, जिसके जरिए स्मार्टफोन से किसी भी बैंक में पैसा बिना अकाउंट नंबर फीड किए ट्रांसफर किया जा सकता है।
कैसे काम करता है यूपीआई
UPI एक यूनि‍क पेमेंट सॉल्‍यूशन है जो कि रि‍सि‍प्‍ट के तौर पर काम करता है। इसके जरि‍ए स्‍मार्टफोन से पेमेंट किया जा सकता है। कस्‍टमर वर्चुअल एड्रेस के लि‍ए शॉर्ट नेम की जगह मोबाइल नंबर का यूज कर सकते हैं। उदाहरण के लि‍ए 1234567890@sbi।‘वर्चुअल एड्रेस’ को पैसे भेजने और पैसे कलेक्‍ट.के लि‍ए पेमेंट आइडेंटि‍फायर के तौर पर माना जाएगा। इसके अलावा, यह केवल दो सिंगल क्‍लि‍क फैक्‍टर ऑथेंटि‍केशन पर काम करता है।
नेशनल पेमेंट की ये है तैयारी
यूपीआई सर्विस की शुरूआती सफलता को देखते हुए इसे तेजी से बढ़ाने की तैयारी है। जिससे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिले। अभी तक 24 बैंक यूपीआई बेस्ट ऐप लांच कर चुके हैं। जिसे मार्च 2017 तक 50 बैंकों तक शुरू करने की तैयारी है। अभी तक सबसे तेजी से आईसीआईसीआई बैंक के साथ यूपीआई के जरिए एक लाख वर्चुअल.कर चुके हैं। जिसे मार्च 2017 तक 50 बैंकों तक शुरू करने की तैयारी है। अभी तक सबसे तेजी से आईसीआईसीआई बैंक के साथ यूपीआई के जरिए एक लाख वर्चुअल... कर चुके हैं। जिसे मार्च 2017 तक 50 बैंकों तक शुरू करने की तैयारी है। अभी तक सबसे तेजी से आईसीआईसीआई बैंक के साथ यूपीआई के जरिए एक लाख वर्चुअपेमेंट एड्रेस बनाए जा चुके हैं। मिली जानकारी के अनुसार अभी तक यूपीआई के जरिए औसतन 4000 ट्रांजैक्शन प्रतिदिन हो रहे है

24घंटे कर सकेंगे पेमेंट
UPI के जरिए मल्टीपल बैंक अकाउंट को एक साथ हैंडल किया जा सकता है।इसके अलावा किसी भी बैंक अकाउंट में पेमेंट करने के लिए बैंक अकाउंट नंबर. की जरूरत नहीं रह जाएगी।कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के बैंक अकाउंट में पेंमेंट उसके मोबाइल नंबर या बैंक के साथ लिंक ई-मेल एड्रेस के जरिए कर सकेगा। यानी... अगर इनमें से कोई भी एक जानकारी अगर रिसीवर के बैंक अकाउंट से लिंक है, तो उसके अकाउंट में फंड ट्रांसफर किया जाना संभव होगा।इसके साथ ही इसके जरिए फंड ट्रांसफर रियल टाइम में किया जा सकेगा। साथ ही यूजर को यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध रहेगी।...

Wednesday, October 5, 2016

सुप्रीम कोर्ट में भास्कर हुआ 'बेनकाब'

मंगलवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान  माननीय सुप्रीमकोर्ट में सबसे ज्यादा नंगा किया गया दैनिक भास्कर को। इस सुनवाई के दौरान सभी सीनियर वकीलों ने दैनिक भास्कर की सच्चाई से माननीय सुप्रीमकोर्ट को अवगत कराया । देश भर के पत्रकारों की मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट उमेश  शर्मा ने सुप्रीमकोर्ट को अवगत कराया कि एक हजार करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर की इस कंपनी ने आज तक किसी भी वेज बोर्ड का पालन नहीं किया, चाहे वो पालेकर वेज बोर्ड हो, बछावत हो, मणिसाना वेज बोर्ड हो या फिर मजीठिया वेज बोर्ड। एक एडवोकेट ने तो सुप्रीमकोर्ट को यहां तक अवगत कराया कि दस से ज्यादा राज्यों में इसके तमाम संस्करण हैं और सबसे ज्यादा यहाँ शोषण है, जिसके बाद इस मामले की सुनवाई कर रहे विद्वान् न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी आश्चर्य व्यक्त किया !
माना जा रहा है कि जिस तरह दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को सुप्रीमकोर्ट ने अगली सुनवाई में तलब कर लिया, उसी तरह अगली बार दैनिक भास्कर के मालिकों चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल और मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल को भी सुप्रीमकोर्ट के सामने  आने को तैयार रहना होगा। मंगलवार को हुयी सुनवाई में मालिकों की तरफ से एडवोकेट सलमान खुर्शीद का एकदम शांत रहना भी लोगों की समझ से परे था। वैसे आपको बता दें कि अपने घमंड में चूर दैनिक भास्कर के मालिकों को अगर सुप्रीमकोर्ट ने बुला लिया और दो चार मालिकों को जेल में डाल दिया तो तय मानिये कि देश भर के अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ अपने कर्मचारियों को देना ही पड़ेगा।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार एवं आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335