Wednesday, November 30, 2016

ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस लगाएं

सबसे पहले अपना ब्‍लॉगर में लागईन होईये. डेशबोर्ड खुलेगा, आप अपने जिस ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस लगाना चाहते हैं उसके दाहिनें तरफ एक छोटा एरो की दिखेगा. उसे क्लिक करने पर नीचे दिए गए चित्रानुसार एक विकल्‍प पट्टी खुलेगी. जिसमें अर्निंग विकल्‍प को क्लिक करें.इसके बाद नीचे दिखाये गए चित्रानुसार पेज खुलेगा जिसमें दो विकल्‍प हैं. पहला- यदि आप अपने मौजूदा जीमेल एकाउन्‍ट से लागईन होना चाहते हैं तो एवं दूसरा- यदि आप मौजूदा जीमेल एकाउन्‍ट
से अलग नया एकाउन्‍ट बनाना चाहते हैं तो-  

पहला विकल्‍प चुनें, आगे के पेजों में अपनी व्‍यक्तिगत जानकारी व पता आदि भरें. आगे के क्रम में , अपने ब्‍लॉग का यूआरएल भरें व उसकी भाषा हिन्‍दी भरें. इसे पूर्ण करने के बाद गूगल लगभग 24 घंटे का समय आपके ब्‍लॉग एवं एडसेंस एकाउन्‍ट को एप्रूव करने का समय लेगा.     गूगल से एडसेंस एप्रूवल मेल आने के बाद अपने ब्‍लॉगर एकाउन्‍ट में पुन: लागईन हों एवं उपर दिए गए क्रम एक को दुहरायें. ब्‍लॉगर आपको गूगल एडसेंस लागईन पेज में रिडायरेक्‍ट करेगा. वहां लागईन हों एवं नीचे दिए गए चित्रानुसार 'माई एड' को क्लिक करें-
यहॉं नये एड बनाने के लिए एक बटन दिया गया है जिसे क्लिक करने पर विज्ञापन के विभिन्‍न विकल्‍प दिए गए है इसमें से अपने पसंद के किसी विकल्‍प को चुनें एवं नीचे दिए गए 'सेव एण्‍ड गेट कोड' बटन को क्लिक करें- 
अब एक विन्‍डो खुलेगा जिसमें से कोड को सलेक्‍ट कर कापी कर लेवें एवं विन्‍डो बंद कर देवें
अब एक विन्‍डो खुलेगा जिसमें से कोड को सलेक्‍ट कर कापी कर लेवें एवं विन्‍डो बंद कर देवें-

अब पुन: अपने ब्‍लॉगर डेशबोर्ड में आयें, यहां चित्र क्रमांक एक में दिखाए गए विकल्‍प पट्टी में से 'लेआउट' विकल्‍प चुनें. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार पेज खुलेगा-
यहॉं, जहॉं आप विज्ञापन लगाना चाहते हैं वहॉं की पट्टी में दिए गए  'एड ए गैजट' लिंक को क्लिक करें. इसे क्लिक करने पर एक विन्‍डो खुलेगा उसमें से 'एचटीएमएल/जावा' विकल्‍प को चुनें. पुन: एक नया विन्‍डो खुलेगा उसमें एडसेंस से प्राप्‍त कोड को पेस्‍ट कर दें. आपके ब्‍लॉग में विज्ञापन गूगल के एप्रूवल के बाद दिखने लगेगा.


Tuesday, November 29, 2016

भामाशाह मंडी में शॉपिंग मॉल जैसा बनेगा आधुनिक कृषि बाजार

दिनेश  माहेश्वरी

कोटा। भामाशाहकृषि उपज मंडी में आधुनिक कृषि बाजार बनेगा। इसका डिजायन कृषि विपणन बोर्ड ने शॉपिंग मॉल के जैसा बनवाया है। एग्रोटेक टावर के नाम से बनने वाले इस भवन का निर्माण शुरू हो चुका है।  यह अप्रैल 2018 में बनकर तैयार होगा।
कृषि विपणन बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक 12.60 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह आधुनिक कृषि बाजार 2284 वर्ग फीट में बनेगा। इसकी इस साल के लिए 7.69 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति राज्य सरकार से मिल चुकी है। पांच मंजिला टावर में 92 शोरूम होंगे। ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग होगी। चढ़ने उतरने के लिए तीन लिफ्ट लगेगी। इसमें दो टावर में आने-जाने वालों के लिए और एक लिफ्ट भारी माल मेटेरियल चढ़ाने एवं उतारने के लिए होगी। हर फ्लोर पर पीने के पानी की व्यवस्था होगी। स्वच्छ पानी के लिए आरओ लगेंगे। स्वागत कक्ष में एलईडी डिस्पले होगा। किसानों की सुविधा के लिए एलईडी पर देश भर की प्रमुख मंडियों के कृषि जिंसों के भाव का भी डिस्प्ले होगा। साथ ही बरसात का पानी व्यर्थ बहने से बचाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाएगा।
वाई-फाईसे लैस होगा टावर
कृषिविपणन बोर्ड के एक्सईन जसविंदर गोयल ने बताया कि किसानों के लिए बनने वाले इस आधुनिक बाजार में वाई-फाई सिस्टम होगा। जहां मोबाइल एवं लेपटॉप या डेस्कटॉप को वाई-फाई से कनेक्ट किया जा सकेगा। यह राजस्थान का पहला आधुनिक कृषि बाजार होगा, जिसमें किसानों को कृषि आधारित वस्तुओं के साथ-साथ उन्हें रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं भी मिल सकेंगी।

आईआरसीटीसी की साइट पर दलालों का कब्ज़ा

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
रेलवे पिछले कुछ सालों से ऑनलाइन टिकट बुकिंग को तेज करने की भरपूर कोशिशें की है, फिर भी आम लोगों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग कभी आसान नहीं रही। हां, दलालों की हर समय चांदी रही। आईआरसीटीसी की वेबसाइट को समय-समय पर अपग्रेड भी किया गया ताकि ऑनलाइन टिकटों की कालाबाजारी पर रोक लगे, लेकिन तकनीकी मामले में माहिर दलाल हमेशा IRCTC से एक कदम आगे रहे। टिकट बुकिंग में भले ही आम लोगों के पसीने छूट जाए लेकिन दलाल बड़ी आसानी से कुछ ही सेकंड में थोक के भाव में टिकट बुक कर लेते हैं।
इंटरनेट पर तेजी से टिकट बुकिंग के लिए पेड सॉफ्टवेयर मौजूद हैं। एजेंट इन सॉफ्टवेयर्स की मदद ले रहे हैं। एजेंटों को सिर्फ यात्री और ट्रेन के डिटेल के साथ-साथ पेमेंट का माध्यम भरना होता है, बाकी के काम सॉफ्टवेयर के जरिए अपने आप हो जाता है। आईआरसीटीसी ने वेबसाइट में सिक्यॉरिटी फीचर के तौर पर कैप्चा कोड का इस्तेमाल किया है ताकि इंसान ही टिकट बुक कर सके, कोई रोबॉट या ऑटोमेटेड कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं। दलाल इस सिक्यॉरिटी फीचर को भी धता बताकर टिकट बुक कर ले रहे हैं।
जैसे ही तत्काल टिकट बुकिंग शुरू होती है, सॉफ्टवेयर कुछ ही सेकंड में कई टिकट बुक कर देता है। यही वजह है कि तत्काल के टिकट बुकिंग शुरू होने के कुछ ही समय बाद खत्म हो जाते हैं। दलाल हर टिकट पर यात्रियों से 500 से 1000 रुपये तक ज्यादा वसूलते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स की वजह से रेलवे को तो कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि बुकिंग अमाउंट उसके खाते में तो आती ही है। लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान आम यात्री को होता है। लोगों को समय पर टिकट नहीं मिल पाता, वहीं दलाल टिकटों की कालाबाजारी कर उन्हें डेढ़ से दोगुने तक में बेच देते हैं।

कैश निकालने की लिमिट खत्म

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा ऐलान करते हुए बैंकों से कैश निकालने की लिमिट खत्म कर दी है। अब 29 नवंबर से कैश निकालने की कोई लिमिट नहीं होगी। अभी तक यह लिमिट 24 हजार रुपए तक सीमित थी।सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंकों से सीमित कैश निकालने की अनुमति दी थी। अब हालात कुछ सामान्य होने के बाद पब्लिक को राहत देने के उद्देश्य से यह ऐलान किया गया है।आरबीआई ने बैंकों को जारी किए दिशानिर्देशआरबीआई ने इस संबंध में पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर सहित सभी बैंकों के चेयरमैन, एमडी, सीईओ को दिशानिर्देश जारी किए। आरबीआई के मुताबिक देखने में आ रहा था कि खातों से निकासी की मौजूदा लिमिट्स को देखते हुए कुछ डिपॉजिटर्स अपना पैसा अकाउंट्स में जमा करने में संकोच कर रहे थे।आरबीआई ने कहा कि करेंसी नोटों का एक्टिव सर्कुलेशन बढ़ने के बाद ये फैसले लिए गए हैं। इसके तहत 29 नवंबर से बैंक अकाउंट्स से पैसा निकालने के लिए कोई लिमिट नहीं होगी। ऐसी निकासी के लिए बैंकों को 500 और 2000 रुपए के नए नोट उपलब्ध करा दिए गए हैं।
आरबीआई ने दीं ये राहत-
बैंक अकाउंट्स से 29 नवंबर से कैश निकालने की लिमिट खत्म।-कैश में 500 और 2000 रुपए के नए नोट ही मिलेंगे, जो बैंकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपलब्ध कराए जाएंगे।-अभी तक एक सप्ताह में 24 हजार रुपए कैश निकालने की छूट थी।

Monday, November 28, 2016

2.5 लाख तक जमा करने वालों की भी हो सकती है जांच

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
नोटबंदी के सरकारी फरमान के बाद जो लोग 500 और 1000
रुपये के अवैध करार दिए गए नोटों के जरिए 2.5 लाख रुपये तक की रकम बैंकों में जमा कर रहे हैं, वे भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। सरकार अघोषित धन रखने वालों से जुड़ी जिस योजना पर काम कर रही है, उसके तहत ढाई लाख रुपये तक डिपॉजिट करने वालों से भी सवाल-जवाब किए जा सकते हैं। सरकार इस सप्ताह संसद में एक अमेंडमेंट पेश कर सकती है।
रद्द किए जा चुके नोटों के जरिए जो लोग बेहिसाबी रकम जमा कर रहे हैं, उनके लिए इस अमेंडमेंट के जरिए यह व्यवस्था की जाएगी कि वे 50 पर्सेंट टैक्स चुकाएं और 25 पर्सेंट रकम चार वर्षों के लिए जीरो पर्सेंट इंटरेस्ट पर लॉक करें। इस तरह उनके पास तत्काल उपयोग के लिए बेहिसाबी रकम का केवल 25 पर्सेंट हिस्सा बचेगा। इस स्कीम के तहत एक सीमा से ऊपर के सभी बड़े डिपॉजिट्स के मामले में जमाकर्ता से पैसे के स्रोत के बारे में पूछा जा सकता है और यह सवाल किया जा सकता है कि उससे 50 पर्सेंट टैक्स क्यों न लिया जाए और 25 पर्सेंट रकम अनिवार्य रूप से जीरो इंटरेस्ट पर क्यों न जमा कराई जाए।
टैक्स अधिकारी रद्द हुए नोटों वाले सभी बड़े डिपॉजिट्स की जांच कर सकते हैं ताकि यह देखा जा सके कि कहीं यह अनएकाउंटेड वेल्थ तो नहीं है या किसी परिवार के विभिन्न सदस्यों के खातों में ऐसी रकम को बांटकर तो जमा नहीं किया जा रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, '2.5 लाख रुपये तक पर छूट तो है, लेकिन अगर कोई ऐसी रकम को टुकड़ों में बांट दे और चार फैमिली मेंबर्स इस रकम को अपने-अपने खातों में जमा करें तो मामला गौर करने लायक तो बनेगा।' इनकम टैक्स लॉ में बदलावों को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मंजूरी दी थी। सरकार ने इससे पहले कहा था कि वह 2.5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट्स की जांच नहीं करेगी।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया ने 10 नवंबर को कहा था, '10 नवंबर से 30 नवंबर तक के बीच किसी खाते में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के हर कैश डिपॉजिट की रिपोर्ट हम लेंगे।' उन्होंने कहा था, 'डिपार्टमेंट इस रकम का मिलान जमाकर्ताओं की ओर से फाइल किए गए इनकम रिटर्न से करेगा और उचित कार्रवाई की जा सकती है।' ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि 500 औश्र 1000 रुपये के रद्द किए गए नोटों में बेहिसाबी रकम रखने वाले लोग दूसरों के खातों में इसे जमा करा रहे हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना के खातों में बैलेंस 9 नवंबर से 23 नवंबर के बीच 27,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गया था। इससे शक पैदा हुआ कि कहीं इन खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में तो नहीं हो रहा है।

आईडीएस की पहली किश्त 30 नवंबर तक करें जमा, नहीं तो...

नई दिल्ली। अगर अपने इनकम डिस्क्लोजर स्कीम 2016 के तहत कोई कालाधन घोषित किया है तो 30 नवंबर तक देय टैक्स की प्रथम किश्त जमा कर दें। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपकी ओर से ​देय कालेधन पर की गई घोषणा अवैध हो जाएगी। आयकर विभाग ने इस संबंध में चेतावनी जारी कर दी है और इस आशय के विज्ञापन भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिए हैं। 
29362 करोड़ होनी है जमा
 जून 2016 से सितंबर 2016 तक चली इस स्कीम में देशी कालाधन जमा करने वालों को अवसर दिया गया था कि अगर वे इस दौरान काला धन जमा कर देेते हैं तो इस पर 45 प्रतिशत टैक्स देय होगा। 
साथ ही शेष धन को उनकी वैध अर्थात सफेद आय मान ली जाएगी और उनसे इस संबंध में कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा। इस स्कीम के अंतर्गत कुल 64275 लोगों ने आय 65250 करोड़ की काली आय घोषित की थी। इस तरह से इस पर कुल 29362 करोड़ टैक्स देय होगा। 
पहली किश्त में मिलेंगे 7340
करोड़ इस टैक्स को तीन किश्तों में दिया जाना है। पहली किश्त में 25 प्रतिशत टैक्स दिया जाना है, जिसकी डेडलाइन 30 नवंबर है। दूसरी किश्त में 25 प्रतिशत टैक्स दिया जाना है, इसकी डेडलाइन 31 मार्च 2017 हैै। 
शेष 50 प्रतिशत टैक्स चुकाने की डेडलाइन 30 सितंबर 2017 रखी गई है। इस तरह से सरकार को 30 नवंबर 2016 तक टैक्स की पहली किश्त के रूप में 7340 करोड़ रुपये मिलने हैं। नहीं तो रद्द हो जाएगी कालेधन की घोषणा लेकिन अगर कोई कालाधन घोषित करने वाला इस अवधि में अपने टैक्स की पहली किश्त नहीं देता है तो उसकी कालेधन की घोषणा और उससे जुड़ी माफी की शर्त रद्द मानी जाएगी।

Sunday, November 27, 2016

कैसे और कहां से बदलें अपने पुराने नोट

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
अगर आपके पास अभी भी पुराने नोट मौजूद हैं और आप उन्हें बैंक खातों में जमा करवाने की जगह बदलना चाहते हैं तो निराश होने की ज़रुरत नहीं है रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने देश के सभी प्रमुख शहरों में कुल 19 काउंटर खोले हुए हैं। रिजर्व बैंक के एक अफसर के मुताबिक देश भर में अब भी RBI काउंटर पर पैसे बदलने की प्रक्रिया पहले की तरह ही चलती रहेगी। कुछ सेंटर्स पर स्याही लगाई जाएगी जबकि कई पर बायोमीट्रिक सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि पैसे बदलवाने की सीमा अभी भी 2000 ही रहेगी। 
क्या है प्रक्रिया:
ये प्रक्रिया भी बिलकुल वैसी ही है जैसी अभी तक बैंकों में की जा रही थी। RBI के काउंटर पर भी आपको ID प्रूफ लेकर जाना होगा। यहां आप आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर ID कार्ड, पासपोर्ट, नरेगा कार्ड या पैन कार्ड साथ ले जा सकते हैं। आपको एक सिंपल फॉर्म भी भरना होगा जिसपर पुराने नोटों की डीटेल्स देनी होगी।
किसी और को भेज कर भी बदलवा सकते हैं अपने पुराने नोट
बता दें कि नोट बदलवाने के लिए आप खुद ही जाएं ये ज़रूरी नहीं है। अगर आप किसी और को भेजना चाहते हैं तो आपको लिखित में एक घोषणा करके उसे अपना रिप्रेजेंटेटिव अनाउंस करना होगा। इस शख्स को आपका लिखा अथॉरिटी लेटर और खुद का ID प्रूफ दिखाकर जाना होगा।
कहां-कहां जमा हो रहे हैं पुराने नोट
अगर आपके पास पुराने नोट मौजूद हैं और आप बिना लाइन में लगे उन्हें जमा करना चाहते हैं तो आप ATM, कैश डिपॉजिट मशीन या कैश रिसाइक्लर में पुराने बड़े नोट जमा कर सकते हैं। अगर आप भारत में नहीं हैं तो किसी शख्स को अथॉरिटी लेटर देकर बैंक भेज सकते हैं।
सरकार की नई गाइडलाइंस के मुताबिक 1000 का नोट सिर्फ बैंक अकाउंट में ही जमा हो सकेगा जबकि 500 के पुराने नोटों के इस्तेमाल करने की डेडलाइन 15 दिसंबर तक बढ़ाई गई। 500 के पुराने नोट से पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर, प्री-पेड मोबाइल रिचार्ज करा सकेंगे।
1. पेट्रोल/डीजल/गैस फिलिंग स्टेशन पर।
2. प्री-पेड सिम में रीचार्ज। अगर आपके पास 3 प्री-पेड सिम हैं तो हरेक में 500 तक का रीचार्ज करा सकते हैं।
3. पानी-बिजली के मौजूदा और बकाया बिल।
4. 3 से 15 दिसंबर तक हाईवे पर टोल प्लाजा में 500 का पुराना नोट चल सकेगा। 2 दिसंबर तक टोल टैक्स नहीं लगेगा।
5. घरेलू एलपीजी सिलेंडर।
6. सरकारी हॉस्पिटल्स। सरकारी हॉस्पिटल्स में मौजूद दवा की दुकान।
7. रेलवे के टिकट काउंटर। मेट्रो के टिकट भी 500 रु। के पुराने नोट से खरीदे जा सकेंगे।
8. सरकारी टिकट काउंटर्स, सरकारी बसें और एयरपोर्ट्स पर टिकट काउंटर्स।
9. केंद्र या राज्य सरकार के सहकारी स्टोर। एक बार में 5 हजार तक की खरीदारी।
10. मिल्क बूथ।
11. शवदाह गृह/कब्रिस्तान।
12. इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर आने-जाने वाले पैसेंजर्स।
13. केंद्र, राज्य, म्यूनिसिपल और लोकल बॉडी स्कूलों में 2000 तक की फीस भरने में।
14. केंद्र या राज्य सरकार के कॉलेजों में फीस भरने में।
15. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के किसी स्मारक के टिकट काउंटर पर।
16. कोर्ट फीस की पेमेंट करने के लिए।
17. सरकारी बीज की दुकान से खरीदी करने के लिए।

Tuesday, November 22, 2016

कैश की जरूरत पूरा करने में 7 हफ्ते और लगेंगे!

कोटा। नोटबंदी के बाद जिस रफ्तार से मार्केट में पैसे की सप्लाई हो रही है, उससे स्थिति को सामान्य होने में कम से कम सात हफ्ते और लगने का अनुमान है। 8 नवंबर को सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का फरमान सुनाया था। इसके बाद से अब तक करीब 1.36 लाख करोड़ रुपये मार्केट में आए हैं। ये पैसे पुराने नोटों को बदलने और कैश निकासी के माध्यम से आए हैं। वहीं, मार्केट में करीब 14 लाख करोड़ रुपये के बड़े करंसी नोट हैं। यानी अब तक पुराने नोटों के मूल्य का 10 फीसदी से भी कम बदला जा सका है। इस बात का खुलासा सोमवार को आ
रबीआई द्वारा जारी किए डेटा से हुआ है।
8 से 10 नवंबर के बीच बैंकों को 5,44, 517 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा के रूप में प्राप्त हुए हैं। इस अवधि में खाता धारकों ने करीब 1,03,316 करोड़ रुपये कैश बैंक की शाखाओं और एटीएम से निकाले हैं और 33,006 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चीफ इकॉनमिस्ट सौम्या कांति घोष के मुताबिक, इकॉनमी में कैश की जरूरत का अंदाजा दो महीने के उपभोग की जरूरतों से लगाया था। अगर इसको पैमाना माना जाता है तो अभी 10 लाख करोड़ रुपये की नई करंसी और छापनी पड़ेगी। अगर बैंक मौजूदा रफ्तार से नए नोट मार्केट में बांटते रहे तो 10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित जरूरत को पूरा करने में करीब सात सप्ताह और लग जाएंगे।

शादी के लिए 2.5 लाख रुपये नहीं निकल पाएंगे

दिनेश माहेश्वरी
 कोटा।
शादी-विवाह के नाम पर अपने खातों से 2.5 लाख रुपये निकालने के लिए शादी का कार्ड, विवाह भवन और कैटरिंग सेवा देने वालों के किए गए अग्रिम भुगता
न की प्रति देनी होगी। रिजर्व बैंक ने शादी के खर्च को पूरा करने के लिये माता या पिता के खातों से राशि निकालने के लिये ये कड़ी शर्तें रखी है।
सरकार की शादी-विवाह के खर्च के लिए विशेष निकासी की सुविधा की घोषणा के चार दिन बाद रिजर्व बैंक ने इस संदर्भ में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया। निकासी की अनुमति आठ नवंबर के सरकार के निर्णय से पहले के उपलब्ध राशि से ही होगी। उसी दिन सरकार ने 500 और 1,000 रपये के नोट पर पाबंदी की घोषणा की। थी। इतना ही नहीं यह राशि उसी शादी के लिये होगी जो 30 दिसंबर या उससे पहले हो।
बैंकों को यह भी कहा गया है कि इस प्रकार की निकासी के लिये रिकार्ड रखें। उन्हें उन लोगों की सूची सौंपनी होगी जिन्हें उस राशि से भुगतान किया गया है। नोटबंदी के निर्णय के बाद बैंक खातों से पैसे निकालने पर कुछ प्रतिबंध के कारण शादी-विवाह के मौसम में विशेष निकासी की सुविधा देखते हुए किया गया है। बैंकों में नकदी की कमी को देखते हुए निकासी पर कुछ पाबंदी लगाए गए हैं।
अधिसूचना के अनुसार, पैसा माता-पिता या वह व्यक्ति निकाल सकता है जिसकी शादी होनी है। इतना ही नहीं उन लोगों की विस्तत सूची भी होनी चाहिए जिसके भुगतान के लिए राशि निकाली गई है। साथ ही ऐसे लोगों से घोषणापत्र भी लेना होगा कि उनके पास कोई बैंक खाता नहीं है। सूची में यह भी होना चाहिए कि किस मकसद से प्रस्तावित भुगतान किया जा रहा है। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बैंकों को परिवार को नकद के बिना एनईएफटी, आरटीजीएस, चैक, ड्राफ्ट या डेबिट कार्ड जैसे अन्य साधनों से भुगतान के लिए प्रोत्साहित भी करना चाहिए।

Sunday, November 20, 2016

सोने के गहनों पर एक्साइज ड्यूटी के कायदे कानून

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।  सोने के गहनों पर एक्साइज ड्यूटी के मामले में सरकार ने छोटे व्यापारी की परिभाषा के लिए सालाना कारोबार की सीमा बढ़ा दी है. इसके साथ ही एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मानते हुए प्रक्रिया सरल बनाने का फैसला किया गया है.
इस साल बजट में सोने के गहनों पर 1 फीसदी की दर से एक्साइज ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया, जो पहली अप्रैल से लागू की गयी. हालांकि देश भर के सर्राफा व्यापारियों ने इस फैसले के खिलाफ महीने भर से भी ज्यादा समय तक हड़ताल किया, लेकिन सरकार झुकी नहीं की. अलबत्ता, व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठन किया. समिति ने विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल करने और व्यापारियों को परेशानी नहीं होने देने के बारे मे सुझाव दिया. सरकार ने समिति की सभी सिफारिशों को मान लिया. इन सिफारिशों के इतर छोटे व्यापारी की परिभाषा में भी फेरबदल किया गया है.
नयी व्यवस्था के तहत 12 करोड़ रुपये के बजाए 15 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी माने जाएंगे. इसी के साथ एक कारोबारी साल में छोटे व्यापारी के लिए छूट की सीमा 6 करोड़ रुपये के बजाए 10 करोड़ रुपये होगी. इसका मतलब ये हुआ कि जिस व्यापारी का सालाना कारोबार 10 करोड़ रुपये से नीचे है तो उसे एक्साइज ड्यूटी के लिए ना तो रजिस्ट्रेशन कराना होगा और ना ही एक्साइज ड्यूटी देनी होगी. लेकिन जैसे ही कारोबार 10 करोड़ रुपये से ऊपर होता है तो रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. एक्साइज ड्यूटी 10 करोड़ रुपये से ऊपर जितनी रकम होती है, उसी पर चुकानी होगी.
मसलन, यदि कारोबार 11 करोड़ रुपये हुआ तो 1 करोड़ रुपये पर ही एक्साइज ड्यूटी देनी होगी. बस ध्यान रहे कि ये सुविधा 15 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए ही होगी. एक और बात अगर बीते साल कारोबार 15 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ तो नए कारोबारी साल में पहले रुपये से ही एक्साइज ड्यूटी लगना शुरु हो जाएगा. दूसरे शब्दों में इस तरह के व्यापारी छोटे कारोबारी के दायरे से बाहर आ जाएंगे.
सरल प्रक्रिया
उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के मुताबिक, सरकार ने ये भी तय किया है कि एक्साइज ड्यूटी तभी लगेगी जब गहनों को पहली बार बेचा जाता है और बिल जारी किया जाता है. इससे कारीगरों पर एक्साइज ड्यूटी चुकाने की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. कारीगरों को एक्साइज ड्यूटी के लिए रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराना होगा.
वित्त मंत्रालय ने ये भी साफ किया है कि गहनों की मरम्मत या गहनों की बदलाव की सूरत में नहीं लगेगा एक्साइज ड्यूटी. बस शर्त ये है कि मरम्मत या बदलाव के बाद गहनों की ना तो पहचान बदलती है और ना ही इस्तेमाल. साथ ही ऐसा प्रतीत नही होना चाहिए कि कोई नया गहना बनाया गया है. इसी तरह सिर्फ प्रदर्शनी के लिए इस्तेमाल होने वाले या फिर हॉलमार्किंग के लिए ले जाए जा रहे गहनों पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी.
यहां ये भी कहा गया है कि अगर बिल में अलग से एक्साइज ड्यूटी नहीं दिखायी जाती है तो वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स को एक्साइज ड्यूटी के आकलन का आधार माना जाएगा. इसी तरह वैट के लिए तैयार किए रिकॉर्ड को एक्साइज ड्यूटी के लिए रिकॉर्ड माना जाएगा. व्यापारियों को अलग से रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं. 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार करने वाले मैन्युफैक्चर्स के लिए पहले दो साल एक्साइज ऑडिट नहीं होगा.
वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर दोहराया है कि कारीगरों के यहां कोई अधिकारी नहीं जाएगा, कोई छापा नहीं डाला जाएगा. सर्राफा व्यापारी के यहां भी तभी कोई अधिकारी जाएगा जब कर चोरी की पुख्ता जानकारी मिलती है. यहां भी एक्साइज विभाग के लोग कमिश्नर या उसके बराबर के अधिकारी की अनुमति मिलने पर ही जा सकते हैं.





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TDS कटने पर आएगा SMS

दिनेश  माहेश्वरी
कोटा।  आयकर विभाग ने एक नई सुविधा शुरू की है, जिसके तहत देश के ढाई करोड़ वेतनभोगी करदाताओं को टीडीएस की कटौती होते ही एसएमएस द्वारा सूचना भेजी जाएगी। इस सूचना का लाभ देश के उन नागरिकों को मिलेगा, जिनके वेतन से टीडीएस की कटौती की जाती है।आइए जानते हैं इसके बारे में:
1) तनख्‍वाह में से टीडीएस कटौती की जानकारी एसएमएस द्वारा ढाई करोड़ वेतनभोगी आयकर दाताओं को भेजी जाएगी। कुछ महीनों के सफल परीक्षण के बाद 2017 में 4.4 करोड़ अवैतनिक आयकरदाताओं को भी इस प्रकार के संदेश भेजे जाएंगे।
2) आयकर विभाग ने सभी करदातों से अपील की है कि वो ई-फाइलिंग खातों में अपना मोबाइल नंबर अपडेट कर लें ताकि उन्‍हें नियमित रूप से एसएमएस प्राप्‍त हो सकें।
3) टैक्‍स विशेषज्ञों ने इस कदम का स्‍वागत किया है और कहा है कि इससे कामकाज में पारदर्शिता आएगी। इससे करदाताओं को भी सहूलियत होगी।
4) आयकर रिटर्न दाखिल करते समय जो गलतियां सामान्‍यत: सामने आती हैं, उनमें टीडीएस का मिसमैच होना प्रमुख है।
5) टीडीएस कटौती की पूरी जानकारी को आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉगिन करके फॉर्म संख्‍या 26AS डाउनलोड करके हासिल किया जा सकता है।
6) टीडीएस में आय के स्रोत पर कटौती की जाती है। वेतनभोगी कर्मियों के मामले में यह काम उनका नियोक्‍ता (एम्‍प्‍लॉयर) द्वारा किया जाता है।
7) टीडीएस कटौती तनख्‍वाह के अलावा ब्‍याज, कमीशन, ब्रोकरेज, प्रोफेशनल फीस, रॉयल्‍टी और कॉन्‍ट्रेक्‍ट पेमेंट्स में की जाती है।

Friday, November 18, 2016

 महंगी नुमाइश पर आयकर विभाग की नजर

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
फेसबुक सहित सोशल मीडिया के दूसरे माध्यमों से महंगी चीजों की नुमाइश अगले वित्त वर्ष से आपको महंगी पड़ सकती है। अगर आप ऐसा करेंगे तो आयकर विभाग की पैनी निगाह से बच नहीं पाएंगे। विभाग सोशल मीडिया पर दी जाने वाली जानकारियां 'प्रोजेक्ट इनसाइट' में शामिल करने की योजना पर काम कर ही है। प्रोजेक्ट इनसाइट से उन लोगों पर नजर रखी जाएगी, जो अपनी वास्तविक आय का खुलासा नहीं करते हैं। इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'अगर आप फेसबुक और सोशल मीडिया के दूसरे मंचों पर अपनी महंगी विदेशी यात्रा, लक्जरी चीजों का जिक्र करते हैं तो हम आपकी घोषित आय से यह जानकारी मेल कराएंगे।'

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि प्रोजेक्ट इनसाइट सोशल डेटा माइनिंग के तहत सोशल मीडिया से सूचनाएं एकत्र करेगी। उन्होंने कहा, 'प्रोजेक्ट साइट मुख्यत: डेटा माइनिंग या दूसरे शब्दों में कहें तो सूचनाएं एकत्र करेगा। सोशल मीडिया पर भी इसकी नजर होगी।' प्रोजेक्ट इनसाइट पर काम शुरू हो गया है और यह 2017-18 से प्रभाव में आ जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या यह परियोजना अगले वित्त वर्ष से लागू हो जाएगी, इस पर अधिकारी ने कहा कि अभी सभी पहलुओं पर काम चल रहा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की सालाना रिपोर्ट और थर्ड पार्टी रिपोर्टिंग से काफी सूचनाएं प्राप्त होती है। चूंकि इन सभी सूचनाओं को मानव श्रम से खंगालना संभव नहीं है, इसलिए प्रोजेक्ट इनसाइट से ये सूचनाएं प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से यह पता लगाया जाएगा कि किसी करदाता ने किस तरह खर्च किए और कहां निवेश किया। प्रोजेक्ट इनसाइट परियोजना पर करीब 1,000 करोड़ रुपये लागत आएगी।

Tuesday, November 15, 2016

नोट बदलने की आसान तरकीबें खोज ली

1. महंगे सामान खरीदे
पुराने नोट निकालने के लिए लोगों ने कई जगह इलेक्ट्रॉनिक और महंगे सामान ज्यादा दामों पर खरीदने का सौदा कारोबारियों से कर लिया। कारोबारियों ने भी इस खरीद को पीछे की तारीख में दिखाने का काम किया। 
2. दिहाड़ी पर बदल रहे
कुछ लोग 200 से 300 रुपये तक की दिहाड़ी पर मजदूरों को लाइन में लगवा रहे हैं। मजदूर दिनभर लाइन में लगकर नोट बदलते हैं बदले में उन्हें उनकी दिहाड़ी दे दी जाती है।
3. आधे दिन की हाजिरी
एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उनके यहां जो लेबर कार्यरत है उसे सुबह फॉर्म भरकर और पुराने नोट थमाकर बैंकों में भेज दिया जाता है। घंटों लाइन में लगकर वह नोट बदलकर लाते हैं तो उनकी आधे दिन की हाजिरी लगा दी जाती है।
4. एडवांस में भुगतान
सरकार द्वारा कहा गया है कि केंद्रीय भंडार पर फिलहाल पुराने 500-1000 के नोट चलेंगे। ऐसे में लोग यहां जान-पहचान निकालकर एडवांस भुगतान कर रहे हैं और सामान जरूरत पड़ने पर ले लेते हैं।
5. कमीशनखोरों के जरिए
लोग कमीशनखोरों से भी नोट बदलाने को मजबूर हैं। ऐसे व्यक्ति 500 या 1000 रुपये के बदले में कमीशन देकर बाकी पैसे वापस ले रहे हैं। कमीशनखोर इन रुपयों को अपने ‘जुगाड़ों’ से बैंक में जमा करा रहे हैं।
6. पेट्रोल पंपों का इस्तेमाल
तमाम लोग पेट्रोल पंपों कर्मियों से अपने संबंधों का इस्तेमाल कर 500 या 1000 रुपये के बदले खुले पैसे ले रहे हैं। ऐसे ही एक पेट्रोल पंपकर्मी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वह खुद तीन-चार दिनों में अब तक 50 हजार रुपये तक की राशि बदल चुका है।
7. अभी पैसे लें, बाद में चुकाएं
ऐसी खबरें भी हैं कि कई पैसे वाले लोगों ने अपने नौकरों और कर्मचारियों को थोड़ा-थोड़ा नकद लोन के रूप में दे दिया और उनसे यह पैसा बिना ब्याज के किस्तों पर नए नोटों के रूप में चुकाने को कहा है।

Saturday, November 12, 2016

1 करोड़ रुपये जमा करने पर देने पड़ सकते हैं 84.75 लाख टैक्स

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
आयकर अधिनियम, 1960 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी आय घोषित करता है तो उस पर उसे अपने इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार, आयकर का भुगतान करना होता है। लेकिन यदि वह आयकर अधिकारी को अपनी आय का सही सोर्स बताने में असफल रहता है तो उसे भुगतान की जाने वाली आयकर राशि का 200 पर्सेंट भुगतान करना पड़ सकता है। जब से सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट का चलन बंद करने की घोषणा की है, देशभर में यह माहौल बन रहा है कि लोगों को अपनी पूरी कमाई या बड़ी राशि सरकार को देनी पड़ सकती है। यही स्पष्टीकरण बार-बार वित्त मंत्री अरुण जेटली और भारतीय रिजर्व बैंक दे रहे हैं।
उदाहरण के लिए सरकार ने कहा है कि मौजूदा दौर में यदि कोई व्यक्ति 2.5 लाख रुपये की अघोषित आय को अपने बैंक खाते में जमा करता है, तो उसे कोई आयकर नहीं देना पड़ेगा। लेकिन इसके बाद जो भी रकम वह जमा करेगा, उस पर उसे न केवल उसके आयकर स्लैब के अनुसार, आयकर देना पड़ेगा, बल्कि पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है। जैसे यदि कोई व्यक्ति 5 लाख रुपये घोषित करता है तो 5 लाख रुपये पर टैक्स राशि हुई 75,000 रुपये। लेकिन इसमें से 2.5 लाख रुपये छूट सीमा है। अब शेष अतिरिक्त 2.5 लाख रुपये पर ही आयकर स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये पर 25,000 रुपये टैक्स देना होगा। यदि वह इस आयकर अधिकारी को इस अतिरिक्त 2.5 लाख रुपये का सोर्स समझाने में विफल रहता है तो उसे 25,000 रुपये का 200 पर्सेंट यानी 50,000 रुपये पेनल्टी देनी होगी। अर्थात कुल 75,000 रुपया देना होगा।
इसी तरह कोई 1 करोड़ रुपये घोषित करता है तो पहले 2.5 लाख रुपये पर कोई कर नहीं। लेकिन दूसरे 2.50 लाख रुपये पर उसे 10 पर्सेंट के हिसाब से 25 हजार रुपया देना होगा। फिर अगले स्लैब 5 लाख रुपये पर 20 पर्सेंट कर है तो 1 लाख रुपये और टेक्स लगेगा। बचे 90 लाख पर 30 पर्सेंट की दर से टैक्स लगा 27 लाख रुपये। अर्थात कुल टैक्स हुआ 28.25 लाख रुपये। यह कर तो उसे देना ही होगा चाहे यह घोषित धन वैध है या काला धन। लेकिन वह आयकर अधिकारी को इस 1 करोड़ रुपये के सोर्स बताने में असमर्थ रहा तो उसे 200 पर्सेंट पेनल्टी बन रहे आयकर पर 56.50 लाख रुपये देना होगा अर्थात कुल आयकर राशि 84.75 लाख रुपये हुई।

काला धन क्या है ?
काले धन का मतलब ऐसे धन से है जो कानूनी रूप से घोषित या दिखाया नहीं गया हो या जिसकी गणना नहीं हुई है। मुंबई में अनेक सेक्टर जैसे रियल इस्टेट, बुलियन, एंटरटेनमेंट, होटल आदि हैं जहां अथाह काला धन लगा हुआ है, इसीलिए इसी सेक्टर के लोगों को ज्यादा दिक्कत हो रही है।
एक जाने माने चार्टड अकाउंटेंट का कहना है कि 'देश में इस समय करीब 25 लाख करोड़ रुपये के नोट सर्कुलेशन में हैं। स्वयं वित्तमंत्री ने कहा है कि इसमें से 85 पर्सेंट नोट 500 रुपये और 1000 रुपयों के हैं। हमारा अध्ययन है कि इसमें से आधा रुपया पाकिस्तान में छापा गया है और भारत के भ्रष्ट राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के पास है। सरकार की मौजूदा डिमोनिटाइजेशन की नीति से यह आधा रुपया चलन से बाहर हो जाएगा। लेकिन इन नोटों की जरूरत इकानॅमी को है इसलिए रिजर्व बैंक ने 5 लाख करोड़ रुपये के 2000 रुपये और 500 रुपये के नए नोट छापे हैं।'

Thursday, November 10, 2016

सैटेलाइट से पकड़े जाएंगे छुपा रखे नोट

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने नई सिरीज के जो 500 और 2000 रुपए के नोट जारी किए हैं, उनमें ऐसी कई विशेषताएं हैं, जिनकी अब तक कल्पना भी मुश्किल थी। इनकी एक खूबी यह है कि इसमें लगे एक विशेष टैग से यह पता चल जाएगा कि किस सीरियल नंबर का नोट कहां पड़ा है। यह जानकारी तब भी मिल जाएगी, जब नोट जमीन में 120 मीटर नीचे कहीं रखा हो।रिफ्लेक्टर की तरह काम करेगा सिग्नल 2000 रुपए का प्रत्येक नोट आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगा होगा। इन्हें किसी पावर सोर्स की जरूरत नहीं होगी और यह सिग्नल रिफ्लेक्टर की तरह काम करेगा।ऐसे काम करेगी यह तकनीक जब कोई सैटेलाइट लोकेशन के लिए सिग्नल भेजेगा, तो आरएफआईडी टैग लोकेशन और सीरियल नंबर से संबंधित सिग्नल सैटेलाइट को वापस भेज देगा। मतलब नोट किस जगह पर है, इसकी सटीक जानकारी मिल जाएगी। आरएफआईडी टैक को हटाया या नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। ऐसा करने से नोट क्षतिग्रस्त हो जाएगा।क्या होगा फायदा चूंकि हर आरएफआईडी टैग वाली करेंसी ट्रैस की जा सकती है, लिहाजा कौन सा नोट कहां है, इसकी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। यदि भारी मात्रा में नोट बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के अतिरिक्त किसी अन्य संदिग्ध जगह लंबे समय तक पड़े रहेंगे, तो इसकी सूचना आयकर विभाग के पास पहुंच जाएगी, ताकि इसकी जांच की जा सके।नई सिरीज के 500 के नोट 500 रुपए के नए नोट रंग, आकार, थीम व सिक्योरिटी फीचर्स की जगह और डिजाइन के मामले में मौजूदा नोट से बिलकुल अलग हैं। नए नोट की साइज 63 मिमी गुणा 150 मिमी है। इसका रंग स्टोन ग्रे है, जबकि पिछले हिस्से पर मुख्य तस्वीर लाल किले की है।नई सिरीज के 2000 के नोट महात्मा गांधी (न्यू) सिरीज के तहत नई डिजाइन में 2000 रुपए के नोट के पिछले हिस्से में मुख्य तस्वीर मंगलयान है। इसका रंग मैजेंटा है, जबकि साइज 66 मिमी गुना 166 मिमी है। नए नोट इस तरह तैयार किए गए हैं कि इन्हें कॉपी करना मुश्किल होगा।

Wednesday, November 9, 2016

नोट बंद: घबराए नहीं, ये हैं उपाय

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
काले धन पर लगाम लगाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सरकार ने 500 और 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को अमान्य करार दे दिया है। अब इन नोटों के जरिए लेन-देन नहीं किया जा सकता है। काले धन वालों को झटका लेने के लिए सरकार की तरफ से अचानक इस तरह का फैसला लिया जाना जरूरी था, लेकिन इससे फौरी तौर पर आम लोगों की भी परेशानी बढ़ गई है। घबराने की जरूरत नहीं है, आम लोगों के लिए ये हैं उपाय:
1. शांत रहें, आपके पास पुराने नोटों को बैंक या पोस्ट ऑफिस में बदलने या जमा करने के लिए 50 दिन हैं। बाकी नोट और सिक्के पहले की तरह चलते रहेंगे।
2. इमरजेंसी की जरूरतों के लिए ये उपाय हो सकते हैं-
सरकार की तरफ से मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों के लिए कुछ छूट दी गई है। 8 नवंबर की आधी रात से अगले 72 घंटों तक यानी 11 नवंबर की आधी रात तक सरकारी अस्पतालों में 500 और 1000 के पुराने नोट स्वीकार किए जाएंगे। इस दौरान सरकारी अस्पतालों के दवाखानों में डॉक्टरों की पर्ची पर दवा खरीदने में पुराने नोटों का इस्तेमाल हो सकता है।

रेल टिकट बुकिंग और एयर ट्रेवल बुकिंग लिए पहले 72 घंटों तक पुराने नोटों का इस्तेमाल हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से आने या विदेश जाने वाले यात्रियों के लिए 5 हजार रुपये मूल्य के पुराने नोटों को बदले जाने की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
शुरुआती 72 घंटों के लिए सरकारी कंपनियों के अधिकृत पेट्रोल, डीजल और सीएनजी स्टेशनों, दूध के बूथों, सरकारी को-ऑपरेटिव स्टोर्स पर पुराने नोट चलेंगे।
इलेक्ट्रॉनिक फंड पेमेंट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड से लेन-देन पर कोई रोक नहीं
3. वॉलिट्स, घर की आलमारी, ड्रावर्य, बैंक के लॉकर्स समेत उन सभी जगहों पर जहां-जहां आपने करंसी रखी हो वहां से नोट इकट्ठा कर लें।
4. इन नोटों में से 500 और 1000 के नोटों को छांट लें और अच्छे से गिन लें।
5. जाहिर है, बैंकों और डाक घरों में 10 नवंबर से लंबी कतारें रहेंगी, इसलिए इसके लिए तैयार रहें। 10 नवंबर से 24 नवंबर तक 4 हजार रुपये मूल्य तक के पुराने नोट बदले जा सकेंगे। 25 नवंबर के बाद यह सीमा बढ़ाई जाएगी। अपने साथ आईडी कार्ड ले जाना न भूलें।
6. शुरुआत में हर दिन सिर्फ 10 हजार रुपये और हर सप्ताह 20 हजार रुपये ही निकाले जा सकेंगे, इसलिए जहां तक संभव हो, खरीदारी के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें।
7. अगर 30 दिसंबर तक आप अपने सभी पुराने नोट नहीं जमा कर पाते हैं तो कोई बात नहीं। तब भी आपके पास एक रास्ता होगा। आप आरबीआई के अधिकृत कार्यालयों पर अपना आईडी कार्ड दिखाकर एक घोषणा पत्र भरकर 31 मार्च 2017 तक इन पुराने नोटों को जमा कर सकेंगे।
9. जहां तक संभव हो, जो भी नोट जमा करें या बदलें उसके सीरियल नंबर की सूची तैयार रखें। आरबीआई पहले ही ऐलान कर चुका है कि बैंक या डाक घरों में जमा या एक्सचेंज किए जा रहे नोटों पर नजर रखी जाएगी। बहुत मुमकिन है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी इस पर नजर रखेगी कि कौन कितना धन जमा या एक्सचेंज कर रहा है, इसलिए उतना ही नोट बदलें जितने के बारे में आप टैक्स डिपार्टमेंट को एक्सप्लेन करना चाह रहे हैं।

जीएसटी का रजिस्ट्रेशन देशभर में शुरू,

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का रजिस्ट्रेशन देशभर में शुरु हो गया है। जागरण डॉट कॉम की बिजनेस टीम आपको इस खबर के माध्यम से जीएसटी रजिस्ट्रेशन से जुड़ी 8 खात बातें बताने जा रही है। जागरण की बिजनेस टीम ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन के मामले में ई-मुंशी के टैक्स एक्सपर्ट अंकित गुप्ता से बात करके कुछ जानकारियां हासिल की हैं।गौरतलब है जीएसटी कानून को आजाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार बताया जा रहा है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इसे हर हाल में 1 अप्रैल 2017 तक लागू करना चाहता है।
1. जीएसटी का रजिस्ट्रेशन 8 नवंबर 2016 से शुरु हो गया।
आप www.gst.gov.in. पर जाकर ऐसा कर सकते हैं।
2. निर्धारित विवरण भरने और साक्ष्यों के प्रस्तुत करने के लिए सत्यापित पैन कार्ड ही मान्य होगा।दनदनाती गोलियों के बीच बुलेटप्रूफ कार से बचाई घायलों की जान
3. सभी करदाताओं को जीएसटी कानून के अंतर्गत पंजीकृत किया जाएगा। आप जीएसटी सिस्टम पोर्टल पर जा सकते हैं और खुद को पंजीकृत करवा सकते हैं।
4. जीएसटी सिस्टम पोर्टल में खुद को पंजीकृत करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपके पास निम्नलिखित जानकारियां और दस्तावेज उपलब्ध हैं या नहीं...राज्य/केंद्र अधिकारियों से प्राप्त प्रोविजनल आईडीराज्य/केंद्र अधिकारियों से प्राप्त पासपोर्ट वैध ई-मेल एड्रैसवैध मोबाइल नंबरबैंक अकाउंट नंबरबैंक आईएफएससी कोड
5. दस्तावेज:(a) व्यापार के संवैधानिक सबूत/ दस्तावेज(i) साझेदारी की फर्म में, पार्टनरशिप फर्म की पार्टनरशिप डीड की कॉपी (पीडीएफ या जेपीईजी फार्मेट में अधिकतम 1एमबी तक)(ii) व्यापार के अन्य रूप में व्यापार इकाई के पंजीकरण प्रमाण पत्र (पीडीएफ या जेपीईजी फार्मेट में अधिकतम 1एमबी तक)(b) प्रमोटर्स/पार्टनर्स/एचयूएफ के कर्ता के फोटोग्राफ (जेपीईजी फार्मेट में अधिकतम 100 केबी तक)(c) नियुक्ति का हस्ताक्षर युक्त अधिकृत सबूत (पीडीएफ और जेपीईजी फार्मेट में अधिकतम 1 एमबी साइज)(d) अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता की तस्वीर (जेपीईजी फार्मेट में अधिकतम 100 केबी तक)(e) बैंक पासबुक का पहला पन्ना जिसमें बैंक अकाउंट नंबर का विवरण हो, ब्रांच का पता, खाताधारक का पता और लेन-देन का कुछ ब्यौरा (पीडीएफ और जेपीईजी फॉर्मेट में अधिकतम 1 एमबी साइज)
6. रजिस्ट्रेशन के लिए राज्यवार समय-सीमा निर्धारित की गई है...- गुजरात और महाराष्ट्र- 14 नवंबर से 29 नवंबर- उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू, हरियाणा और पंजाब- 16 दिसंबर से 31 दिसंबर- पुदुचेरी और सिक्किम- 8 नवंबर से 23 नवंबर- कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक- 1 जनवरी 2017 से 15 जनवरी(इन सभी के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि 15 दिन है)7. सर्विस टैक्स अदा करने वालों के लिए यह अवधि 30 दिन है, जो कि 1 जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2017 तक है।

Saturday, November 5, 2016

4 स्लैब वाले GST से आपकी जेब पर कितना असर


दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
. सरकार ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लिए चार स्तर के टैक्स स्ट्रक्चर का ऐलान किया है। इसके बाद जीएसटी को लेकर मार्केट की राय में अहम बदलाव हो सकता है। जीएसटी में इस बात का ध्यान रखा गया है कि आम आदमी की जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े।
 खाद्यान्न समेत आम इस्तेमाल की आधी चीजों पर जीरो टैक्स लगेगा। हालांकि ये चीजें जीएसटी का हिस्सा तो होंगी लेकिन इन पर जीरो टैक्स होने से आम आदमी की जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दरें मौजूदा टैक्स स्लैब से कम रखी गई हैं। आइए जानते हैं जरूरी चीजों पर मौजूदा टैक्स स्लैब क्या है और जीएसटी की प्रस्तावित दरें कितनी हैं, जिससे यह जानना आसान हो जाएगा कि आपकी जेब पर इसका कितना असर
चाय  जीएसटी से आपकी चाय थोड़ी सस्ती हो सकती है। जीएसटी की नई दरों के हिसाब से देखें तो टाटा टी प्रीमियम के 1 किलोग्राम पैक का मौजूदा MRP अभी 420 रुपये है, जिस पर 5.66 फीसदी टैक्स लगता है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर आपको 0.9 फीसदी टैक्स की बचत होगी।
जैम किसान जैम के 700 ग्राम की एमआरपी 175 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 5.66 फीसदी है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर भी टैक्स में 0.9 फीसदी बचत होगी।
फुटवेअर बाटा प्रॉडक्ट की मौजूदा एमआरपी 799 रुपये पर है जिस पर अभी 15.04 फीसदी टैक्स है, जबकि 15.25 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर आपकी जेब पर बोझ पड़ेगा यानी 0.2 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
मोबाइल  माइक्रोमैक्स कैनवस 6 का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 13,999 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 19.63 फीसदी है। इस पर जीएसटी की दर 15.25 लागू होगी यानी टैक्स में 4.4 फीसदी की बचत होगी।
बोतलबंद पानी 1 लीटर वाले बिसलेरी की बोतल की कीमत 20 रुपये है। इस पर मौजूदा टैक्स 18.38 फीसदी है। जीएसटी की दर 21.88 फीसदी लागू होगी यानी इस पर 3.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
नहाने वाला साबुन  125 ग्राम के सिंथॉल डेओ साबुन की कीमत 117 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 20.25 फीसदी है। इस पर 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा यानी इस पर भी 1.6 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
टीवी एलईडी  सैमसंग के 40 इंच वाले एलईडी टीवी की मौजूदा कीमत 53,000 रुपये है और इस पर टैक्स 19.63 फीसदी है जबकि 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर 2.3 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
साइकल हीरो स्प्रिंट साइकल की कीमत 5,839 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 9.26 फीसदी है। इस पर जीएसटी की प्रभावी दर 10.71 फीसदी होगी यानी 1.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
कलम यूनिबॉल की कीमत 50 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 13.16 फीसदी है। इस पर 15.25 फीसदी जीएसटी लगेगा यानी 2.1 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
खाद्य तेल, मसाला, चाय और कॉफी खाने वाले तेल, मसाला, चाय, कॉफी पर अभी 9 फीसदी टैक्स लगता है जबकि जीएसटी की दर 5 फीसदी है। यानी रोजाना के इस्तेमाल की इन चीजों पर आपको टैक्स में 4 फीसदी बचत होगी।
कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड्स अभी 9%-15% वाले टैक्स स्लैब में है। इन पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है। इन सामानों पर भी कुल मिलाकर आम आदमी को फायदा होगा।
साबुन, तेल और शेविंग स्टिक्स ये सामान मौजूदा समय में 15%-21% टैक्स स्लैब में है। इस पर जीएसटी दर 18 फीसदी है। इसमें भी आम आदमी को फायदा होगा।
वाइट गुड्स  ज्यादातर वाइट गुड्स जैसे एलईडी टीवी सेट्स आदि पर आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में जहां इन चीजों पर 21 फीसदी टैक्स लगता है, वहीं इनके लिए 28 फीसदी जीएसटी दर का ऐलान किया गया है। यानी इन सामानों पर आपको पहले के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।
सोना सोने पर सर्विस टैक्स रेट्स और जीएसटी पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

Tuesday, November 1, 2016

निष्क्रिय पीएफ खातों पर 8.8 पर्सेंट का ब्याज देगी सरकार

हैदराबाद / केंद्र सरकार देश के करीब 9.70 करोड़ एंप्लॉयीज को दिवाली गिफ्ट देने की तैयारी कर रही है। सरकार की ओर से जल्दी ही निष्क्रिय पीएफ अकाउंट्स में जमा राशि पर 8.8 पर्सेंट का ब्याज दिए जाने का ऐलान किया जा सकता है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। दत्तात्रेय ने कहा, 'इनऑपरेटिव यानी निष्क्रिय अकाउंट पर 2011 के बाद से ब्याज का भुगतान नहीं किया गया है। अब पीएम नरेंद्र मोदी और फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली के आदेश के बाद हम इन खातों पर भी ब्याज का भुगतान करने जा रहे हैं।'
 केंद्रीय मंत्री ने बताया, 'मैंने इस प्रस्ताव से संबंधित फाइल पर पहले ही साइन कर दिए हैं। जल्दी ही इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। इन खातों पर हम 8.8 पर्सेंट की दर से ब्याज देंगे। इस अधिसूचना से देश के करीब 9.70 करोड़ एंप्लॉयीज को फायदा मिलने वाला है। यह लोगों को दिवाली का गिफ्ट है। एक सप्ताह के भीतर इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।' मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने पता लगाया है कि देश भर में निष्क्रिय पीएफ खातों में 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा है।
 मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'ईपीएफ में लोग जब तक चाहें अपना फंड जमा रख सकते हैं। जब तक निष्क्रिय खातों पर भी लोगों को सरकार की ओर से ब्याज मिलेगा, वह पैसों की निकासी नहीं करना चाहेंगे। यह सुरक्षित निवेश भी है। आज नहीं तो कम हमें दावेदार को उसकी राशि देनी ही होगी। इसलिए इसमें अनक्लेम्ड अमाउंट जैसा कुछ भी नहीं है।' सरकारी नियम के मुताबिक अब तक किसी ईपीएफ खाते में 36 महीने तक कोई राशि न जमा होने के बाद उसे निष्क्रिय मान लिया जाता था।