नई दिल्ली। ‘एक्ट बड़ा है ना कि वेजबोर्ड की सिफारिशें’ ये बात माननीय सुप्रीम कोर्ट के 19 जुलाई 2016 के आदेश से साबित हो ही गई। कई दिनों से 20जे को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि अखबार मालिक 20जे का फायदा ले लेंगे। लेकिन अखबार के मालिक शायद ये भूल गए की 20जे का जनक कौन है? कहने का मतलब है कि 19 जुलाई के आदेश में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 20जे को लेकर जो बहस होगी वह Working Journalists Act -1955 में दिए गए संबंधित प्रावधानों के अनुसार ही होगी।
अदालत हमेशा कानून एवं एक्ट के अनुसार ही चलती है न की अखबार मालिकों की मनमर्जी से। मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 के अनुसार बनी हैं। एक्ट की धारा 13 बताती है कि केंद्र सरकार द्वारा वेजबोर्ड को लेकर जारी आदेश के बाद कोई भी संस्थान कर्मचारी को सिफारिशों में दर्शाई गई मजदूरी से किसी भी दशा में कम वेतन नहीं दे सकता।
धारा 16 स्पष्ट करती है कि यदि आप किसी भी वेजबोर्ड में निर्धारित न्यूनतम वेतनमान से ज्यादा वेतन प्राप्त कर रहे हैं तो यह आपके उस ज्यादा वेतन को प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा करता है।
यानि कोई भी करार आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा देने के लिए हो सकता है ना कि आपको न्यूनतम वेतनमान से वंचित करने के लिए। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं की 20जे का खौफ किस तरह बेवजह फैलाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की तरफ से केस लड़ रहे वकीलों में से एक वरिष्ठ वकील कोलिन गोनसालविस की केस से संबंधित सभी मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने की प्रार्थना स्वीकार कर ली, ताकि माननीय अदालत द्वारा एक सही व प्रभावशाली आदेश पारित किया जा सके।
आपके हितों की रक्षक धारा 13 और 16 इस प्रकार हैं-
[धारा 13 श्रमजीवी पत्रकारों का आदेश में विनिर्दिष्ट दरों से अन्यून दरों पर मजदूरी का हकदार होना-- धारा 12 के अधीन केंद्रीय सरकार के आदेश के प्रवर्तन में आने पर, प्रत्येक श्रमजीवी पत्रकार इस बात का हकदार होगा कि उसे उसके नियोजक द्वारा उस दर पर मजदूरी दी जाए जो आदेश में विनिर्दिष्ट मजदूरी की दर से किसी भी दशा में कम न होगी।]।
धारा 16- इस अधिनियम से असंगत विधियों और करारों का प्रभाव-- (1) इस अधिनियम के उपबन्ध, किसी अन्य विधि में या इस अधिनियम के प्रारम्भ से पूर्व या पश्चात् किए गए किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के निबंधनों में अन्तर्विष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे :
परन्तु जहां समाचारपत्र कर्मचारी ऐसे किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के अधीन या अन्यथा, किसी विषय के संबंध में ऐसे फायदों का हकदार है जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है तो वह समाचारपत्र कर्मचारी उस विषय के संबंध में उन अधिक अनुकूल फायदों का इस बात के होते हुए भी हकदार बना रहेगा कि वह अन्य विषयों के संबंध में फायदे इस अधिनियम के अधीन प्राप्त करता है।(2) इस अधिनियम की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी समाचारपत्र कर्मचारी को किसी विषय के संबंध में उसके ऐसे अधिकार या विशेषाधिकार जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है, अनुदत्त कराने के लिए किसी नियोजक के साथ कोई करार करने से रोकती है।
अदालत हमेशा कानून एवं एक्ट के अनुसार ही चलती है न की अखबार मालिकों की मनमर्जी से। मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 के अनुसार बनी हैं। एक्ट की धारा 13 बताती है कि केंद्र सरकार द्वारा वेजबोर्ड को लेकर जारी आदेश के बाद कोई भी संस्थान कर्मचारी को सिफारिशों में दर्शाई गई मजदूरी से किसी भी दशा में कम वेतन नहीं दे सकता।
धारा 16 स्पष्ट करती है कि यदि आप किसी भी वेजबोर्ड में निर्धारित न्यूनतम वेतनमान से ज्यादा वेतन प्राप्त कर रहे हैं तो यह आपके उस ज्यादा वेतन को प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा करता है।
यानि कोई भी करार आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा देने के लिए हो सकता है ना कि आपको न्यूनतम वेतनमान से वंचित करने के लिए। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं की 20जे का खौफ किस तरह बेवजह फैलाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की तरफ से केस लड़ रहे वकीलों में से एक वरिष्ठ वकील कोलिन गोनसालविस की केस से संबंधित सभी मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने की प्रार्थना स्वीकार कर ली, ताकि माननीय अदालत द्वारा एक सही व प्रभावशाली आदेश पारित किया जा सके।
आपके हितों की रक्षक धारा 13 और 16 इस प्रकार हैं-
[धारा 13 श्रमजीवी पत्रकारों का आदेश में विनिर्दिष्ट दरों से अन्यून दरों पर मजदूरी का हकदार होना-- धारा 12 के अधीन केंद्रीय सरकार के आदेश के प्रवर्तन में आने पर, प्रत्येक श्रमजीवी पत्रकार इस बात का हकदार होगा कि उसे उसके नियोजक द्वारा उस दर पर मजदूरी दी जाए जो आदेश में विनिर्दिष्ट मजदूरी की दर से किसी भी दशा में कम न होगी।]।
धारा 16- इस अधिनियम से असंगत विधियों और करारों का प्रभाव-- (1) इस अधिनियम के उपबन्ध, किसी अन्य विधि में या इस अधिनियम के प्रारम्भ से पूर्व या पश्चात् किए गए किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के निबंधनों में अन्तर्विष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे :
परन्तु जहां समाचारपत्र कर्मचारी ऐसे किसी अधिनिर्णय, करार या सेवा संविदा के अधीन या अन्यथा, किसी विषय के संबंध में ऐसे फायदों का हकदार है जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है तो वह समाचारपत्र कर्मचारी उस विषय के संबंध में उन अधिक अनुकूल फायदों का इस बात के होते हुए भी हकदार बना रहेगा कि वह अन्य विषयों के संबंध में फायदे इस अधिनियम के अधीन प्राप्त करता है।(2) इस अधिनियम की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी समाचारपत्र कर्मचारी को किसी विषय के संबंध में उसके ऐसे अधिकार या विशेषाधिकार जो उसके लिए उनसे अधिक अनुकूल है जिनका वह इस अधिनियम के अधीन हकदार है, अनुदत्त कराने के लिए किसी नियोजक के साथ कोई करार करने से रोकती है।
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