नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने नई सिरीज के जो 500 और 2000 रुपए के नोट जारी किए हैं, उनमें ऐसी कई विशेषताएं हैं, जिनकी अब तक कल्पना भी मुश्किल थी। इनकी एक खूबी यह है कि इसमें लगे एक विशेष टैग से यह पता चल जाएगा कि किस सीरियल नंबर का नोट कहां पड़ा है। यह जानकारी तब भी मिल जाएगी, जब नोट जमीन में 120 मीटर नीचे कहीं रखा हो।रिफ्लेक्टर की तरह काम करेगा सिग्नल 2000 रुपए का प्रत्येक नोट आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगा होगा। इन्हें किसी पावर सोर्स की जरूरत नहीं होगी और यह सिग्नल रिफ्लेक्टर की तरह काम करेगा।ऐसे काम करेगी यह तकनीक जब कोई सैटेलाइट लोकेशन के लिए सिग्नल भेजेगा, तो आरएफआईडी टैग लोकेशन और सीरियल नंबर से संबंधित सिग्नल सैटेलाइट को वापस भेज देगा। मतलब नोट किस जगह पर है, इसकी सटीक जानकारी मिल जाएगी। आरएफआईडी टैक को हटाया या नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। ऐसा करने से नोट क्षतिग्रस्त हो जाएगा।क्या होगा फायदा चूंकि हर आरएफआईडी टैग वाली करेंसी ट्रैस की जा सकती है, लिहाजा कौन सा नोट कहां है, इसकी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। यदि भारी मात्रा में नोट बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के अतिरिक्त किसी अन्य संदिग्ध जगह लंबे समय तक पड़े रहेंगे, तो इसकी सूचना आयकर विभाग के पास पहुंच जाएगी, ताकि इसकी जांच की जा सके।नई सिरीज के 500 के नोट 500 रुपए के नए नोट रंग, आकार, थीम व सिक्योरिटी फीचर्स की जगह और डिजाइन के मामले में मौजूदा नोट से बिलकुल अलग हैं। नए नोट की साइज 63 मिमी गुणा 150 मिमी है। इसका रंग स्टोन ग्रे है, जबकि पिछले हिस्से पर मुख्य तस्वीर लाल किले की है।नई सिरीज के 2000 के नोट महात्मा गांधी (न्यू) सिरीज के तहत नई डिजाइन में 2000 रुपए के नोट के पिछले हिस्से में मुख्य तस्वीर मंगलयान है। इसका रंग मैजेंटा है, जबकि साइज 66 मिमी गुना 166 मिमी है। नए नोट इस तरह तैयार किए गए हैं कि इन्हें कॉपी करना मुश्किल होगा।
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