कोटा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले ग्राहकों के निष्क्रिय खातों पर जुर्माना नहीं लगाने को कहा है। केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा कि बैंकों को निष्क्रिय खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना लगाने की अनुमति नहीं है।
एसबीआई सहित कुछ अन्य बैंक ऐसे निष्क्रिय खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखे जाने पर फिलहाल कोई शुल्क नहीं वkota सूल रहे हैं। आरबीआई ने वर्ष 2012 में बैंकों को ऐसे खातों पर जुर्माना नहीं लगाने का निर्देश जारी किया था। आइसीआइसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक फिलहाल सक्रिय खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले ग्राहकां पर 750 रुपये प्रति तिमाही का जुर्माना वसूल रहे हैं।
इन बैंकों के ग्राहकों को शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम 10,000 रुपये और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में 5,000 रुपये की रकम रखने की अनिवार्यता है। चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति में आरबीआई ने कहा था बैंक ग्राहकों की मुश्किल या असावधानी का अनुचित लाभ न उठाएं। न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के बजाय बैंक ऐसे ग्राहकों की सेवाओं में कमी कर सकते हैं।
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एसबीआई सहित कुछ अन्य बैंक ऐसे निष्क्रिय खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखे जाने पर फिलहाल कोई शुल्क नहीं वkota सूल रहे हैं। आरबीआई ने वर्ष 2012 में बैंकों को ऐसे खातों पर जुर्माना नहीं लगाने का निर्देश जारी किया था। आइसीआइसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक फिलहाल सक्रिय खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले ग्राहकां पर 750 रुपये प्रति तिमाही का जुर्माना वसूल रहे हैं।
इन बैंकों के ग्राहकों को शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम 10,000 रुपये और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में 5,000 रुपये की रकम रखने की अनिवार्यता है। चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति में आरबीआई ने कहा था बैंक ग्राहकों की मुश्किल या असावधानी का अनुचित लाभ न उठाएं। न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के बजाय बैंक ऐसे ग्राहकों की सेवाओं में कमी कर सकते हैं।
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