Thursday, December 13, 2012

Sunday, December 9, 2012

How to get your E-Aadhar Card


Sunday, November 18, 2012

samtel on ventilator


Saturday, November 17, 2012

Preparation of closing samtel plant


Tuesday, November 13, 2012

Anger on the Dark faces of Samtel Workers


Friday, November 9, 2012

Damage Road is also a Reason for closing Semtel


Thursday, November 8, 2012

We consummes edable Silver of 10 Lakhs on Diwali



Again Darkness on Diwali in the home of Semtel Employees


Wednesday, October 24, 2012

Choose Your Uid Card From Heap


Tuesday, October 23, 2012

WHERE IS OUR UID CARD


Sunday, October 21, 2012

DEMAND OF STONE TESTING LAB IN KOTA


Saturday, September 29, 2012

Air services Is Prestige Issue In KOTA


Friday, September 28, 2012

सड़कें और एयरपोर्ट हो तो कोटा में लगा सकते हैं 200 करोड़





कोटा. 
एयर कनेक्टिविटी शुरू हो जाए और रोड सुधर जाएं तो कोटा की इंडस्ट्रियल ग्रोथ हो सकती है। कई इंवेस्टर्स यहां आने को तैयार हैं। जब तक यहां बड़ी इंडस्ट्री नहीं लगे, तब तक यहां का विकास नहीं हो सकता है। आज यह दोनों सुविधाएं मिल जाए तो बेशक वीडियोकॉन अपना 200 करोड़ का एक प्लांट शुरू करने को तैयार है। वीडियोकॉन कंपनी के डायरेक्टर एवं सीनियर कॉपरेरेट एडवाइजर संजीव राठी ने भास्कर के साथ एक मुलाकात में यह बात कही।



वे गुरुवार को फैक्ट्री विजिट पर कोटा आए थे। उन्होंने कहा कि कोटा में वह सब है, जो एक इंडस्ट्री को चाहिए। पानी है, बिजली है, गैस है, कंटेनर डिपो है और दिल्ली-मुंबई भी लाइन है। कमी है तो एयर सर्विसेज और रोड की। हाइवे होने के बाद भी यहां की रोड की हालत बहुत खराब है। राठी ने कहा कि सरकार दो कमियां दूर कर दे तो यहां एक ही नहीं, कई इंडस्ट्री आ सकती है।

बड़े उद्यमियों के पास इतना वक्त नहीं कि वह दो दिन यहां आकर इंडस्ट्री के लिए रुकें और समय खराब करें। इस शहर में कोचिंग की वजह से लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। वर्तमान में कई बड़े शहरों में बड़े-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट खुल चुके हैं, इसलिए कोटा में इनका ज्यादा लंबा भविष्य नहीं है। इससे देश, राज्य एवं शहर की इकोनॉमिकल ग्रोथ इंडस्ट्री से होती है। यहां के औद्योगिक विकास के लिए बड़ी इंडस्ट्री आना जरूरी है।

चाइना में उद्योग लगाना ज्यादा आसान

राठी ने कहा कि उनकी इंडस्ट्री चाइना में भी है। वहां की सरकार इंडस्ट्री लगाने के लिए सारी मूलभूत सुविधाएं दिलाती है। यह कहा जा सकता है कि राजस्थान की अपेक्षा चाइना में इंडस्ट्री लगाना ज्यादा आसान है। वहां उद्यमी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, जैसे कि यहां होता है। आबादी में चाइना भारत से बड़ा है, लेकिन सुविधाओं के मामले में भारत से कहीं आगे है, इसलिए वहां इंडस्ट्री ज्यादा है। चाइना में हर तरह तरह के उत्पाद बनते हैं। क्वालिटी भी अच्छी होती है। इंडिया में जो प्रॉडक्ट लोग मंगाते हैं, वह रिजेक्टेड प्रॉडक्ट होते हैं। जो वहां नहीं बिकते। ऐसे प्रॉडक्ट को लाकर कहते हैं कि चाइना का माल है।

इधर, सड़कों से स्टोन उद्योग चरमराया

कोटा में सड़कों की दुर्दशा के चलते स्टोर उद्योग चरमरा गया है। कोटा स्टोन की ६क्क् फैक्ट्रियों में कच्च माल नहीं आ पा रहा है। फैक्ट्री संचालकों को दुगने किराए पर भी ट्रक नहीं मिल पा रहे है। ट्रक वाले भी खाली बैठे हैं, क्योंकि इतना भाड़ा बढ़ाने के बाद भी टूट-फूट इतनी होती है कि मामूली फायदा तक नहीं हो पाता है।

Sunday, July 22, 2012

EXPORT ZONE IN KOTA


Sunday, July 15, 2012

RAAKH BANI SONA


Tuesday, July 3, 2012

Standard Packaging Act Implementing from This November


LAHSUN KI KHAREED


Monday, June 18, 2012

CROREPATI IN KOTA



Wednesday, May 16, 2012

REALTY OF RICCO INDUSTRIAL AREA

Saturday, May 12, 2012

SARKARI SOCH, LOUTAYA INVESTOR

Wednesday, May 2, 2012

JAGO GRAHAK JAGO

Saturday, April 28, 2012

VINAYAK: MEDICLAIM KA SACH







Insurance On LPG Connection

L

REALITY OF MEDICLAIM


Friday, April 27, 2012

How much secure is your LPG Cylinder


Sunday, April 22, 2012

INCREASED SERVICE TAX IN BILLS OF MARCH


Thursday, April 12, 2012

चेतन ने खोल दिए दिल के राज़!


चेतन ने खोल दिए दिल के राज़!


कोटा.उन दिनों मैं कैडबरी इंडस्ट्री में आईआईटी की समर ट्रेनिंग ले रहा था,वहां लॉलीपॉप बनाने की मशीन में बार-बार तकनीकी प्रॉब्लम आ रही थी, इंजीनियर्स ने मुझसे कहा, तुम आईआईटीयन हो, इसे चालू करके बताओ।

मैं काफी कोशिश के बावजूद उसे ठीक न कर सका। एक रात को मैं प्लांट में घूम रहा था, वहां के एक कर्मचारी ने अपनी व्यथा सुनाई कि मेरी तीन बेटियां हैं, लेकिन कंपनी मेरा वेतन नहीं बढ़ा रही है।

मैं रात 3 बजे तक उसकी बातें सुनता रहा। अगले दिन सुबह फैक्ट्री पहुंचा तो मशीन चालू हो चुकी थी। मैंने उत्सुकतावश पूछा कि ऐसा कैसे हो गया तो उस कर्मचारी ने कहा, 10 साल में पहली बार किसी ने मेरी परेशानी सुनी है, मेरे पास डिग्री नहीं है लेकिन अनुभव है मशीन चलाने का।

बस, मैंने आईआईटी जाकर प्रोफेसर को प्रोजेक्ट में यही डेमो दिया- ये मशीनें जिंदगी नहीं हैं, इंजीनियरिंग की किताबों में इस ‘स्किल’ को भी फिट करो। फिल्म ‘थ्री इडियट’ की सफलता के पीछे भी मेरा यही दिमाग था।
मैं आज आपके बीच हूं, अपने उपन्यास के एक एक बड़े पात्र शहर में, इसलिए दिल से बात कर रहा हूं। जिंदगी में डिग्री ही सब कुछ नहीं है, आपके आसपास जो स्किल है, वह भी बड़ी सफलता दिला सकता है।
सफलता के लिए चार बातें याद रखें
>इंग्लिश - यह दुनियाभर में काम करने की भाषा है। आप ग्रेजुएट हों या ड्राइवर, इंग्लिश सीखने से आपका वेतन चार गुना बढ़ सकता है। हिंदी ‘मां’ है तो ‘इंग्लिश’ पत्नी इसलिए दोनों से प्यार करो।
>मार्केटिंग- खुद की मार्केटिंग करना सीखो। सामने वाला आपको अच्छा माने, यह जरूरी है। एग्जाम में 5 नंबर कम हैं या ज्यादा,इससे फर्क नहीं पड़ता, आप अच्छा बिजनेस लाए तो आगे बढेंगे। यह स्किल किसी कोर्स में नहीं पढ़ाया जाता, हमारे आसपास ही होता है।
>हैल्थ- कॅरिअर में जो भी करें, अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ें। एक उम्र के बाद सफलता से ऊंचाई पर पहुंचा जा सकता है, लेकिन सेहत ठीक न हो तो उसका क्या फायदा।
>रिलेशनशिप- सक्सेस से ऊपर भी कुछ चीजें हैं। हम 20 से 30 फीसदी समय समाज व देश को भी दें। सभी से रिलेशनशिप रखते हुए खुशी महसूस कर सकते हैं। कभी किसी को दुख मत पहुंचाओ। ऐसा करके कम सफल होकर भी आप खुश रह सकते हैं।
प्रवेश के लिए लंबी कतारें
कार्यक्रम में प्रवेश के लिए शाम साढ़े 4 बजे से लाइन लगना शुरू हो गई थी। शाम 5 बजे गेट खोला गया तो हर व्यक्ति के कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने की ललक थी। छात्रों की कतार काफी लंबी थी।
छात्र-छात्राओं के हाथों में कोचिंग संस्थान के कार्ड थे। वे उन्हें दिखाकर अंदर प्रवेश कर रहे थे। डीएवी स्कूल की सड़क पर छात्र-छात्राओं का रेला लगा हुआ था। गेट पर ही काफी भीड़ जमा हो गई।
छात्रों के उत्साह को देखते हुए डीएसपी पारस जैन के नेतृत्व में लवाजमा तैनात किया गया। पुलिसकर्मी छात्राओं को एक-एक करके अंदर जाने दे रहे थे। शाम 7 बजे तक गेट के बाहर ऐसा ही नजारा था।
कितना सही बोलते हैं भगत
छात्राओं का कहना था कि भगत जिंदगी की सच्चाई के बारे में बताते हैं। उनकी बताई बातें जीवन में उतारें तो हर व्यक्ति खुश रह सकता है। देश के विकास में वे अपनी पूरी भूमिका निभा सकता है। उनकी बातें दिल को छू जाती हैं।
और रिकॉर्डिग शुरू
चेतन भगत जैसे ही स्टेज पर पहुंचे तो छात्र-छात्राएं, महिला-पुरुष सहित अधिकारियों ने भी अपने मोबाइल निकाल लिए और रिकार्डिग शुरू कर दी। देखते ही देखते चारों तरफ मोबाइल ही मोबाइल नजर आने लगे।
प्लीज सर एक ऑटोग्राफ
जहां छात्र भगत की एक झलक पाने के लिए बेताब थे, वहीं छात्राएं उनको देखने के साथ-साथ ऑटोग्राफ लेने के लिए उत्साहित देखीं। एक छात्रा ने तो भीड़ के बीच से कहा कि प्लीज सर एक ऑटोग्राफ दे देना। कुछ छात्राएं मंच तक आ गईं और कुछेक उनकी गाड़ी को घेर खड़ी हो गईं। ‘रिवॉल्यूशन 2020’ में कोटा इसलिए
इस हफ्ते रिलीज हो रहे मेरे नए उपन्यास ‘रिवॉल्यूशन 2020’ में कोटा पर एक सेक्शन है। चेतन ने कहा, यहां देशभर के बच्चे बहुत मेहनत कर रहे हैं। हर बच्चे के पीछे एक कहानी है। यहां तैयारी करने वाला हर छात्र सफल नहीं हो रहा है।
सफलता के आंकड़ों से भी यह कहानी समझ में आती है। इसके दोनों मायने समझने होंगे। एक किसान कर्ज लेकर अपनी बेटी को यहां कोचिंग के लिए भेजता है, मैंने उसका जिक्र किया है। मैंने दिल्ली व चेन्नई में रहकर किताबें लिखी, लेकिन कोटा और वाराणसी ने दिल को छू लिया।
पहली बार इतनी भीड़
कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं के सैलाब को देखकर उन्होंने कहा, दो साल में देशभर में मैंने 75 से ज्यादा मोटिवेशन कार्यक्रम किए हैं, लेकिन इतनी भीड़ और उत्साह पहली बार देखा।
उन्होंने कहा कि मेरी किताब ‘रिवॉल्यूशन 2020’ इसी हफ्ते मार्केट में आ रही है, उसमें कोटा और वाराणसी दो शहरों का जिक्र है। यहां के युवाओं से मुझे बहुत उम्मीदें हैं।
टेस्ट से ही नहीं जिंदगी
उन्होंने छात्रों से कहा, हो सकता है एंट्रेंस टेस्ट में आपका सलेक्शन न हो, इससे घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि देश में जितने भी अमीर हैं, वे फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स नहीं जानते हैं।
मुझे 10वीं क्लास में 76 फीसदी मार्क्‍स मिले थे, फिर भी मेहनत की और आईआईटी व आईआईएम में एडमिशन मिला। लिखने में ज्यादा जोखिम है, इसलिए मैं जॉब छोड़कर इस क्षेत्र में आ गया। असफलता से दोस्ती कर लें तो सक्सेस के चांस बढ़ जाएंगे।
चेतन ने युवाओं से कहा कि वे असफलता से डर कर नहीं भागें, हार के बाद खुद उठना सीखें। उन्होंने कहा कि ओबामा, अन्ना हो या शाहरुख, सलमान सभी विफलता के बाद ही सफल हुए हैं।
उन्होंने बताया कि उनके पहले उपन्यास ‘फाइव पॉइंट समवन’ को 18 माह में 9 प्रकाशकों ने खारिज कर दिया था, फिर 2004 में 10वें प्रकाशक ने उसे प्रकाशित करने की रिस्क उठाई और इसकी 10 लाख प्रतियां बिकी। इस पर बनी ‘थ्री इडियट’ फिल्म ने 400 करोड़ रुपए का बिजनेस किया।

Sunday, April 8, 2012

LIFE RETURN OF GIRL


HAPPINESS RETURNS OF KOTA


Saturday, April 7, 2012

MAHNGAIE KI MAR


BUDGET IN HOUSE OUT

Monday, April 2, 2012

REALITY OF INDIAN PARLIAMENT


Sunday, April 1, 2012

RBI KE NAAM PAR...........


Wednesday, March 28, 2012

जनता को धोखा


Tuesday, March 27, 2012

कोटा की उम्मीद पर खरा नहीं बजट

Monday, March 26, 2012

EXPECTED BUDGET FOR KOTA


Wednesday, March 14, 2012

An Intro. with Chetan Bhagat at DB Office Kota

Saturday, March 10, 2012

PRATIBHA SAMMAN - MAHESHWARI SAMAJ KOTA









Tuesday, March 6, 2012

YOUR SEVING ACCOUNT

Saturday, March 3, 2012

Tax Ki Mar

Sunday, February 19, 2012

Check Your Atm Card


Monday, February 13, 2012

Check Your Income Tax