Saturday, September 29, 2012

Air services Is Prestige Issue In KOTA


Friday, September 28, 2012

सड़कें और एयरपोर्ट हो तो कोटा में लगा सकते हैं 200 करोड़





कोटा. 
एयर कनेक्टिविटी शुरू हो जाए और रोड सुधर जाएं तो कोटा की इंडस्ट्रियल ग्रोथ हो सकती है। कई इंवेस्टर्स यहां आने को तैयार हैं। जब तक यहां बड़ी इंडस्ट्री नहीं लगे, तब तक यहां का विकास नहीं हो सकता है। आज यह दोनों सुविधाएं मिल जाए तो बेशक वीडियोकॉन अपना 200 करोड़ का एक प्लांट शुरू करने को तैयार है। वीडियोकॉन कंपनी के डायरेक्टर एवं सीनियर कॉपरेरेट एडवाइजर संजीव राठी ने भास्कर के साथ एक मुलाकात में यह बात कही।



वे गुरुवार को फैक्ट्री विजिट पर कोटा आए थे। उन्होंने कहा कि कोटा में वह सब है, जो एक इंडस्ट्री को चाहिए। पानी है, बिजली है, गैस है, कंटेनर डिपो है और दिल्ली-मुंबई भी लाइन है। कमी है तो एयर सर्विसेज और रोड की। हाइवे होने के बाद भी यहां की रोड की हालत बहुत खराब है। राठी ने कहा कि सरकार दो कमियां दूर कर दे तो यहां एक ही नहीं, कई इंडस्ट्री आ सकती है।

बड़े उद्यमियों के पास इतना वक्त नहीं कि वह दो दिन यहां आकर इंडस्ट्री के लिए रुकें और समय खराब करें। इस शहर में कोचिंग की वजह से लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। वर्तमान में कई बड़े शहरों में बड़े-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट खुल चुके हैं, इसलिए कोटा में इनका ज्यादा लंबा भविष्य नहीं है। इससे देश, राज्य एवं शहर की इकोनॉमिकल ग्रोथ इंडस्ट्री से होती है। यहां के औद्योगिक विकास के लिए बड़ी इंडस्ट्री आना जरूरी है।

चाइना में उद्योग लगाना ज्यादा आसान

राठी ने कहा कि उनकी इंडस्ट्री चाइना में भी है। वहां की सरकार इंडस्ट्री लगाने के लिए सारी मूलभूत सुविधाएं दिलाती है। यह कहा जा सकता है कि राजस्थान की अपेक्षा चाइना में इंडस्ट्री लगाना ज्यादा आसान है। वहां उद्यमी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, जैसे कि यहां होता है। आबादी में चाइना भारत से बड़ा है, लेकिन सुविधाओं के मामले में भारत से कहीं आगे है, इसलिए वहां इंडस्ट्री ज्यादा है। चाइना में हर तरह तरह के उत्पाद बनते हैं। क्वालिटी भी अच्छी होती है। इंडिया में जो प्रॉडक्ट लोग मंगाते हैं, वह रिजेक्टेड प्रॉडक्ट होते हैं। जो वहां नहीं बिकते। ऐसे प्रॉडक्ट को लाकर कहते हैं कि चाइना का माल है।

इधर, सड़कों से स्टोन उद्योग चरमराया

कोटा में सड़कों की दुर्दशा के चलते स्टोर उद्योग चरमरा गया है। कोटा स्टोन की ६क्क् फैक्ट्रियों में कच्च माल नहीं आ पा रहा है। फैक्ट्री संचालकों को दुगने किराए पर भी ट्रक नहीं मिल पा रहे है। ट्रक वाले भी खाली बैठे हैं, क्योंकि इतना भाड़ा बढ़ाने के बाद भी टूट-फूट इतनी होती है कि मामूली फायदा तक नहीं हो पाता है।