Tuesday, February 28, 2017

आरबीआई जल्द बाजार में लाएगी दस रुपये के नए प्लास्टिक नोट

नई दिल्ली।.रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर एस एस मूंदड़ा ने बताया कि दस रुपये के प्लास्टिक के नोट जल्दी ही बाजार में आ सकते है।
मूंदड़ा ने पत्रकारों को इस संबंध में पूछे प्रश्न पर कहा कि प्लास्टिक के नोट छापने के लिए सुरक्षा एजेन्सियों की अनुमति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि अब प्लास्टिक एवं स्याही खरीदने के बारे में निविदाएं मांगने का काम शुरू होने के बाद प्लास्टिक के नोट छापने की कार्यवाही तीव्रता से की जायेगी।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के नोट जयपुर ही नहीं बल्कि देश के सभी स्थानों पर भेजे जायेंगे। दो हजार रुपये के नोटों को वापस लेने के बारे में पूछे प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह अफवाह है। दो हजार रुपये के नोटों के चलन पर बाबा रामदेव द्वारा उठाये सवाल के बारे में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है।    

Wednesday, February 22, 2017

 3 घंटे में निकाल सकेंगे PF की रकम, पेंशन के लिए ऑनलाइन फॉर्म

केंद्र सरकार देश के करोड़ों पीएफ धारकों (प्रॉविडेंट फंड) और पेंशनभोगियों को खुशखबरी दे सकती है। इसके तहत अप्रैल से पीएम का पैसा निकालना आसान हो जाएगा। पीएफ से निकासी और पेंशन संबंधी कामकाज के लिए पीएफ ऑफिस का चक्कर नहीं लगाना होगा। इन सभी काम को ऑनलाइन किया जा सकेगा।
अप्रैल से फंड निकालना आसान
अप्रैल से प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकालना आसान हो जाएगा। पीएफ विद्ड्रॉल के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने के 3 घंटे के अंदर पीएफ की रकम आपके अकाउंट में आ जाएगी। इसके अलावा मेंबर अपनी पेंशन तय करने के लिए भी ऑनलाइन एप्लिकेशन कर सकेंगे। इसके लिए उनको पीएफ विदड्रॉल फॉर्म या पेंशन तय करने के लिए फॉर्म भर कर अपनी कंपनी या संस्‍थान में जमा कराने की जरूरत नहीं होगी। इससे ईपीएफओ के करीब 17 करोड़ सदस्यों को फायदा होगा। 
निकासी के लिए ऑनलाइन भरा जाएगा फॉर्म
पीएफ खाते को ऑनलाइन जोड़ने का काम जारी प्रॉविडेंट फंड ऑफिस के मुताबिक, विभाग के सभी फील्ड ऑफिस को ऑनलाइन माध्यम से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है और उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा।  अप्रैल से विभाग फंड से निकासी और पेंशन सेटेलमेंट के लिए एप्पलीकेशन ऑनलाइन माध्यम से ले सकेगा। 
कुछ ही घंटों में होगा सेटलमेंट
कुछ ही घंटों में मिल जाएगा पीएफ का पैसा ईपीएफओ की कोशिश है कि वह सभी तरह के क्लेम को आवेदन प्राप्त होने के कुछ ही घंटों में पूरा कर दे। मिलास के तौर पर विभाग की कोशिश है कि पीएफ से निकासी की आवेदन मिलने के 3 घंटे के अंदर वह फैसला ले सके। मौजूदा समय में ईपीएफओ नियम के मुताबिक आवेदन मिलने के 20 दिनों के अंदर विभाग को क्लेम सेटेलमेंट करना होता है

मौजूदा समय में कैसा होता है आवेदन
मौजूदा वक्त में ईपीएफओ मेंबर्स को पीएफ विदड्रॉल के लिए फॉर्म भरना होता है। यह फॉर्म कंपनी या संस्‍थान में एचआर डिपॉर्टमेंट के पास जमा कराना होता है। इसके बाद पीएफ विद्ड्रॉल फार्म संबंधित कंपनी या संस्‍थान से संबं‍धित ईपीएफओ ऑफिस को जाता है। इसके बाद पीएफ क्‍लेम का सेटलमेंट होता है। इसके बाद पीएफ क्‍लेम का सेटलमेंट होता है। इस प्रॉसेस में कई बार लंबा समय लग जाता है।  
 4 करोड़ हैं एक्टिव सदस्य
मौजूदा वक्त में ईपीएफओ के एक्टिव मेंबर्स की संख्या करीब 4 करोड़ है। वहीं ईपीएफओ के कुल मेंबर्स की संख्‍या करीब 17 करोड़ है। 
  कब निकाल सकते हैं अपना पीएफ?
कब निकाल सकते हैं अपना पीएफ? ईपीएफओ मेंबर्स अगर 60 दिन से बेरोजगार है तो वह अपना पीएफ निकाल सकता है। नौकरी में रहते हुए पीएफ नहीं निकाल सकते हैं।

ऑनलाइन शॉपिंग में छूट के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा

भारत में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाजार में छूट (डिस्काउंट) के नाम ‘खेल’ चल रहा है। उत्पाद पर दिखाई जाने वाली छूट के फर्जी होने के दावे सामने आए हैं।
एक सर्वेक्षण में 41 फीसदी खरीदार इसके भुक्तभोगी बताए गए हैं। सरकार ने भी इससे जुड़े आंकड़े तलब किए हैं।‘लोकल सर्कल’ नामक संस्था द्वारा यह सर्वेक्षण 200 जिलों में 10 हजार लोगों के बीच किया गया है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, ऑनलाइन बाजार में उत्पादों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को बढ़ाकर भारी छूट मुहैया कराई जाती है। 34 फीसदी
लोग इस मामले में समझ ही नहीं पाए कि उनके साथ कोई धोखाधड़ी हुई है। जबकि 25 फीसदी खरीदार इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में होने वाली गड़बड़ी से अनभिज्ञ थे।
हालांकि ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि वह सिर्फ माध्यम हैं। जिन विक्रेताओं द्वारा ऐसा किए जाने की सूचना या शिकायत मिलती है, उन्हें तत्काल प्रभाव से काली सूची में डाल दिया जाता है।
आंकड़ें पर एक नजर
- 76 अरब डॉलर पहुंच जाएगा भारतीय ई-कॉमर्स बाजार 2021 तक
-60 करोड़ डॉलर से 12.3 अरब डॉलर हो गया भारत का ई-कॉमर्स बाजार दो साल में
(नील्सन के एक अध्ययन के मुताबिक)
सख्त कदम जरूरी
‘लोकल सर्कल’ संस्था का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को और जिम्मेदार बनना होगा। ई-कॉमर्स को एकजुट होकर धांधली करने वाले विक्रेताओं को प्रतिबंधित करना चाहिए।

Monday, February 20, 2017

विमानों में फोन और इंटरनेट की सुविधा जल्द ही

जल्द ही प्लेन में भी कॉल करने और इंटरनेट इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल सकती है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (डीओटी) ने एविएशन मिनिस्ट्री को एक प्लान भेजा है। इसके तहत यात्री प्लेन में वॉइस, विडियो और डेटा सर्विसेज का इस्तेमाल कर सकेंगे।
डीओटी ने विमान में कनेक्टिविटी को लेकर एक महीने पहले इंडियन टेलिग्राफ रूल्स और इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट में बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट प्लान सचिवों की एक समिति को भेजा था। इसको लेकर गृह मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं। इन्हें शामिल कर इस महीने के अंत तक एक फाइनल प्रपोजल तैयार कर भेजा जाएगा।
गृह मंत्रालय ने ये भी पूछा है कि विमानों में कनेक्टिविटी के लिए किन सैटलाइट्स (भारतीय या फिर विदेशी) की मदद ली जाएगी। विमानों में कनेक्टिविटी जमीन से हवा और सैटलाइट कम्युनिकेशन के जरिए दी जा सकती है। लेकिन डीओटी का मानना है कि विमानों में कनेक्टिविटी सैटलाइट्स के जरिए ही दी जाए।
बताया जा रहा है कि विमानों में वायरलेस इंटरनेट की सुविधा दी जाएगी। इसे एक ऑन-बोर्ड राउटर के जरिए दिया जाएगा, जो विमान पर लगे एक एंटीना से जुड़ा होगा। ये ऐंटेना सैटलाइट से इंटरनेट सिग्नल को कैच करेगा। इसका जमीन से हवा में होने वाले कम्युनिकेशन चैनल से कोई रिश्ता नहीं होगा। इस चैनल का इस्तेमाल एयर ट्रैफिक कम्युनिकेशन के लिए पायलट करते हैं।

चटकने पर खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा यह स्मार्टफोन

फ्रांस के वैज्ञानिकों ने एक भविष्य के स्मार्टफोन का प्रारूप तैयार किया है जो टूटने या चटकने पर खुद-ब-खुद ठीक हो सकता है। चारों तरफ से खास शीशे से ढका हुआ यह फोन गिरने या अन्य वजह से अगर टूटता है तो इसके अंदर एक वाइब्रेशन पैदा होता है। यह वाइब्रेशन गरमी पैदा करता है जिससे शीशा पिघलता है और वह फोन खुद-ब-खुद जुड़ जाता है।
फिलहाल कंपनी ने  यह जानकारी नहीं दी है कि फोन के डिसप्ले के अलावा अगर इसके अंदर के पार्ट्स खराब होते हैं तो वह कैसे ठीक होंगे। कुछ खबरों के मुताबिक कंपनी ने किसी खास तकनीक का प्रयोग किया है जिसकी वजह से फोन के अंदर के हार्डवेयर पाट्र्स खराब ही नहीं होंगे। टेक जगत के मुताबिक इस फोन का बाहरी भाग भले ही खास शीशे का हो मगर अंदर की बॉडी ठोस एल्युमिनियम से तैयार की गई है।
टेक्सट को वॉयस मैसेज में बदल देगा
एलो नाम के इस फोन में कंपनी ने वॉयस कंट्रोल और फेस डिटेक्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। यानी इस फोन को आवाज या चेहरे की पहचान कराकर अनलॉक किया जा सकता है। भविष्य के इस फोन पर टेक्स्ट के रूप में आए मैसेज को आवाज में बदलकर सुना भी जा सकता है और बोलकर उनका जवाब भी दिया जा सकता है। इसमें वे सभी फीचर शामिल होंगे जो एक साधारण स्मार्टफोन में होते हैं।
टच स्क्रीन और बटन दबाने की जरूरत नहीं
एलो स्मार्टफोन में बेहतरीन वॉयस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस फोन को न सिर्फ अनलॉक करने बल्कि कॉल करने , वॉल्यूम बढ़ाने, गाना सुनने या फिर कुछ लिखने के लिए टच स्क्रीन या कोई अन्य बटन दबाने की जरूरत नहीं होगी। फोन को बोलकर कोई भी कमांड दिया जा सकता है। यह बोलते ही सारे काम खुद-ब-खुद करने लगेगा।

नकदी में दो लाख से अधिक के गहनों की खरीद पर लगेगा टैक्स

पहली अप्रैल से आपको दो लाख रुपये से अधिक की ज्वैलरी कैश में खरीदने पर एक फीसद टैक्स देना होगा।अभी स्रोत पर एकत्रित इस टैक्स यानी टीसीएस के लिए नकदी खरीद की सीमा पांच लाख रुपये है। वित्त विधेयक 2017 पारित होने के बाद गहने भी सामान्य वस्तुओं की कैटेगरी में आ जाएंगे।
सामान्य वस्तुओं पर दो लाख से अधिक की नकद खरीद पर एक प्रतिशत टीसीएस देना होता है। पिछले बजट में यह टैक्स लगाया गया था।वित्त विधेयक 2017 में टीसीएस के लिए कैश में गहनों की पांच लाख से अधिक की खरीद सीमा को खत्म करने का प्रस्ताव है।इसकी वजह यह है कि 2017-18 के बजट में तीन लाख रुपये से अधिक के नकदी सौदों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसका उल्लंघन करने पर नकदी लेने वाले व्यक्ति पर उतनी ही राशि का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।यानी अगर आप पांच लाख रुपये की ज्वेलरी कैश देकर खरीदते हैं, तो ज्वैलर को सीमा से अधिक की दो लाख रुपये की राशि के बराबर पेनाल्टी चुकानी होगी।चूंकि ज्वैलरी की खरीद के लिए कोई खास प्रावधान नहीं है। ऐसे में अब इसे सामान्य वस्तुओं के साथ मिला दिया गया है।एक अधिकारी के मुताबिक, 'आयकर कानून में दो लाख से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगाने का प्रावधान है। वस्तुओं की परिभाषा में आभूषण भी आते हैं।ऐसे में नकदी में दो लाख से ज्यादा के गहनों की खरीद पर एक फीसद टीसीएस लगेगा। बड़ी राशियों के लेनदेन के जरिये काले धन के सृजन को रोकने के लिए बजट प्रस्ताव के बाद पांच लाख की सीमा को खत्म करने को संसद की मंजूरी मिल गई है।

Saturday, February 18, 2017

प्रीपेड वॉलेट का कोई भविष्य नहीं

एचडीएफसीबैंक के एमडी और सीईओ आदित्य पुरी ने कहा है कि पेटीएम जैसे प्रीपेड वॉलेट बिजनेस का कोई भविष्य नहीं है। इनका मार्जिन बहुत कम होता है। कैशबैक के जरिए ग्राहकों को जोड़ने वाली कंपनियां घाटे में हैं। पुरी शुक्रवार को यहां नैस्कॉम समिट में बोल रहे थे। पुरी का बयान इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि एचडीएफसी बैंक की भी 'चिल्लर' नाम से वॉलेट सर्विस है।
उन्होंने कहा, 'वॉलेट मार्केट की लीडर कंपनी पेटीएम 1,651 करोड़ रुपए घाटे में है। आप ऐसा बिजनेस नहीं चला सकते जिसमें कहें कि 500 रुपए के भुगतान पर 250 रुपए कैशबैक पाएं। वॉलेट कंपनियां अलीबाबा का मॉडल भी नहीं अपना सकतीं क्योंकि भारतीय रेगुलेटर चीन से बेहतर हैं। मेरे खाते में 1,651 करोड़ का नुकसान नहीं है। कैशबैक को छोड़ दें तो क्या एचडीएफसी बैंक के वॉलेट से बेहतर कोई वॉलेट है?' गौरतलब है कि सिर्फ डिजिटल वॉलेट चलाने वाली कंपनियों और बैंकों के बीच इन दिनों काफी मतभेद चल रहे हैं। पिछले महीने आईसीआईसीआई बैंक ने फ्लिपकार्ट के 'फोनपे' पर पैसे का ट्रांसफर रोक दिया था। इससे पहले एसबीआई ने अपने ग्राहकों के लिए पेटीएम पर पैसे ट्रांसफर की सुविधा पर रोक लगाई थी। पुरी ने कहा, ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन के लिए बैंकों ने अपने वॉलेट लांच किए हैं।
सिर्फ वॉलेट चलाने वाली कंपनियों को इंटरमीडियरी के तौर पर बैंकों की जरूरत होती है। वहीं से वॉलेट में पैसे आते हैं। यूपीआई के आने से बैंक कम समय में ट्रांजेक्शन कर सकते हैं।
पेमेंट बैंकों द्वारा जमा पर 7% तक ब्याज देने की घोषणा पर पुरी ने कहा कि इतना ज्यादा ब्याज लंबे समय तक नहीं दिया जा सकता। गौरतलब है कि एयरटेल पेमेंट बैंक ने 7.25% ब्याज देने की घोषणा की है।
पेटीम का पेमेंट बैंक भी जल्दी
एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक बनाने के विचार का समर्थन किया है। उनके अनुसार एनपीए की सर्वकालिक समस्या के समाधान में मदद करने वाले किसी भी कदम का स्वागत है। पुरी ने शुक्रवार काे नैसकाम के एक कार्यक्रम में संवाद में कहा, फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक (नेशनल बेड बैंक) का विचार बुरा नहीं है। सरकार और नियामक विभिन्न चर्चा कर रहे हैं कि एनपीए की समस्या से कैसे निपटा जाए और यह जरूरी भी है ताकि बैंकिंग प्रणाली और अधिक करने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में बैंक्रप्सी कोड पर भी चर्चा हो रही है। इसके साथ ही हम बैंकर भी एनपीए मुद्दे के निपटान को लेकर काम कर रहे हैं। लगभग 20% बैंकिंग आस्तियां दबाव में या फंसी हुई हैं और सितंबर तिमाही में एनपीए 13.5% रहा।
इसमें भी 90% से अधिक फंसा हुआ कर्ज सरकारी बैंकों के पास है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017 पूर्व वित्त वर्ष में इन बैंकों में बड़ी राशि डाली है और अगले दो वित्त वर्ष में इनकी मांग कम से कम 91000 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। फंसे कर्ज के लिए अलग से बैंक का विचार लंबे समय से चल रहा है लेकिन हाल ही में आर्थिक समीक्षा में एक बार फिर इस तरह के संस्थान की जरूरत पर जोर दिया गया है।