Saturday, February 18, 2017

प्रीपेड वॉलेट का कोई भविष्य नहीं

एचडीएफसीबैंक के एमडी और सीईओ आदित्य पुरी ने कहा है कि पेटीएम जैसे प्रीपेड वॉलेट बिजनेस का कोई भविष्य नहीं है। इनका मार्जिन बहुत कम होता है। कैशबैक के जरिए ग्राहकों को जोड़ने वाली कंपनियां घाटे में हैं। पुरी शुक्रवार को यहां नैस्कॉम समिट में बोल रहे थे। पुरी का बयान इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि एचडीएफसी बैंक की भी 'चिल्लर' नाम से वॉलेट सर्विस है।
उन्होंने कहा, 'वॉलेट मार्केट की लीडर कंपनी पेटीएम 1,651 करोड़ रुपए घाटे में है। आप ऐसा बिजनेस नहीं चला सकते जिसमें कहें कि 500 रुपए के भुगतान पर 250 रुपए कैशबैक पाएं। वॉलेट कंपनियां अलीबाबा का मॉडल भी नहीं अपना सकतीं क्योंकि भारतीय रेगुलेटर चीन से बेहतर हैं। मेरे खाते में 1,651 करोड़ का नुकसान नहीं है। कैशबैक को छोड़ दें तो क्या एचडीएफसी बैंक के वॉलेट से बेहतर कोई वॉलेट है?' गौरतलब है कि सिर्फ डिजिटल वॉलेट चलाने वाली कंपनियों और बैंकों के बीच इन दिनों काफी मतभेद चल रहे हैं। पिछले महीने आईसीआईसीआई बैंक ने फ्लिपकार्ट के 'फोनपे' पर पैसे का ट्रांसफर रोक दिया था। इससे पहले एसबीआई ने अपने ग्राहकों के लिए पेटीएम पर पैसे ट्रांसफर की सुविधा पर रोक लगाई थी। पुरी ने कहा, ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन के लिए बैंकों ने अपने वॉलेट लांच किए हैं।
सिर्फ वॉलेट चलाने वाली कंपनियों को इंटरमीडियरी के तौर पर बैंकों की जरूरत होती है। वहीं से वॉलेट में पैसे आते हैं। यूपीआई के आने से बैंक कम समय में ट्रांजेक्शन कर सकते हैं।
पेमेंट बैंकों द्वारा जमा पर 7% तक ब्याज देने की घोषणा पर पुरी ने कहा कि इतना ज्यादा ब्याज लंबे समय तक नहीं दिया जा सकता। गौरतलब है कि एयरटेल पेमेंट बैंक ने 7.25% ब्याज देने की घोषणा की है।
पेटीम का पेमेंट बैंक भी जल्दी
एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक बनाने के विचार का समर्थन किया है। उनके अनुसार एनपीए की सर्वकालिक समस्या के समाधान में मदद करने वाले किसी भी कदम का स्वागत है। पुरी ने शुक्रवार काे नैसकाम के एक कार्यक्रम में संवाद में कहा, फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक (नेशनल बेड बैंक) का विचार बुरा नहीं है। सरकार और नियामक विभिन्न चर्चा कर रहे हैं कि एनपीए की समस्या से कैसे निपटा जाए और यह जरूरी भी है ताकि बैंकिंग प्रणाली और अधिक करने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में बैंक्रप्सी कोड पर भी चर्चा हो रही है। इसके साथ ही हम बैंकर भी एनपीए मुद्दे के निपटान को लेकर काम कर रहे हैं। लगभग 20% बैंकिंग आस्तियां दबाव में या फंसी हुई हैं और सितंबर तिमाही में एनपीए 13.5% रहा।
इसमें भी 90% से अधिक फंसा हुआ कर्ज सरकारी बैंकों के पास है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017 पूर्व वित्त वर्ष में इन बैंकों में बड़ी राशि डाली है और अगले दो वित्त वर्ष में इनकी मांग कम से कम 91000 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। फंसे कर्ज के लिए अलग से बैंक का विचार लंबे समय से चल रहा है लेकिन हाल ही में आर्थिक समीक्षा में एक बार फिर इस तरह के संस्थान की जरूरत पर जोर दिया गया है।





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