Thursday, February 9, 2017

IT डिपार्टमेंट को हाईकोर्ट को बतानी होगी सर्च की वजह

इनकम टैक्स अथॉरिटीज को हाई कोर्ट में एक ‘सैटिसफैक्शन नोट’ देकर बताना होगा कि कोई सर्च क्यों की गई और अधिकारियों को मनमाने अधिकार नहीं दिए गए हैं। सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने यह बात कही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इनकम टैक्स अधिकारियों का दखल और मनमानी बढ़ने की जो आशंका जताई जा रही है, वह ठीक नहीं है।
चंद्रा ने कहा कि सर्च का प्रोसेस तय है। इसके लिए पहले प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल से इजाजत लेनी होगी और किसी जूनियर ऑफिसर को अपने मन से सर्च की मंजूरी नहीं दी गई है। टैक्स अथॉरिटीज को रेड के लिए अधिक ताकत दिए जाने की खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘मनमानी सर्च नहीं होगी। सर्च या जब्ती के लिए कोई अतिरिक्त पावर नहीं दी गई है।’ सर्च के लिए जो नोट तैयार किया जाएगा, उसे कोर्ट में पेश करना होगा। यह नोट सीलबंद लिफाफे में अदालत के मांगने पर पेश किया जाएगा। चंद्रा ने कहा कि अभी तक यही तरीका रहा है। इस नोट में सर्च की वजह बतानी पड़ती है और उसके सबूत देने पड़ते हैं।
बजट 2017-18 में प्रस्ताव किया गया था कि इनकम टैक्स अथॉरिटी को सर्च के लिए किसी शख्स या किसी अथॉरिटी या अपेलेट ट्राइब्यूनल को ‘वजह’ नहीं बतानी पड़ेगी। इसके बाद इंडस्ट्री में मनमानी सर्च का डर बढ़ा था। चंद्रा ने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान कुछ कमिश्नर अपील और ट्राइब्यूनल ने सैटिसफैक्शन नोट की मांग शुरू कर दी थी। यह उनका काम नहीं है क्योंकि इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। चंद्रा ने बताया, ‘इस नोट में सेंसिटिव इन्फर्मेशन होती है। इसलिए यह हर अपीलेट चैनल के पास नहीं जाना चाहिए। साथ ही, हम नहीं चाहते कि किसी जूनियर अपीलेट अथॉरिटीज के यहां से हवाई आधार पर सर्च खारिज हो जाए।’ कमिश्नर अपील इसी कैटिगरी में आते हैं। चंद्रा ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट फाइनल अथॉरिटी है। इसलिए नोट वहीं दिखाया जाना चाहिए।
इस कानून में बदलाव करते हुए बजट में कहा गया था, ‘सेक्शन 132 और 132ए के तहत अगर कोई कार्यवाही होती है तो उसमें गोपनीयता बनाए रखना बहुत जरूरी है। हालांकि, कुछ जुडिशल फैसलों ने इनकम टैक्स अथॉरिटीज की तरफ से दी गई ‘मानने की वजह’’ या ‘शक की वजह’ को लेकर भ्रम पैदा कर दिया है।’ चंद्रा ने कहा कि सर्च के लिए प्रोसेस में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने बताया, ‘सर्च के मामलों में हमारे पास किसी गलत हरकत को रोकने के पुख्ता इंतजाम हैं। इसके लिए डायरेक्टर जनरल से अप्रूवल लेना पड़ता है। वहीं, सर्च वॉरंट इनकम टैक्स के प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल इश्यू करते हैं।’ उन्होंने कहा कि इसलिए इस कानून में बदलाव को लेकर आशंकित होने की जरूरत नहीं है।

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