Thursday, February 2, 2017

सर्विस चार्ज  खत्म होने के बाद भी महंगा ई-टिकट

केंद्र सरकार की ओर से आम बजट में ई-रेल टिकट पर लगने वाले सर्विस टैक्स को खत्म किए जाने के बाद भी यह खिड़की से मिलने वाले टिकट के मुकाबले महंगा रहेगा। यही नहीं ई-टिकट लेने पर ऐसी कई अन्य सुविधाएं भी यात्रियों को नहीं मिल पाएंगी, जो खिड़की से टिकट खरीदने पर मिलती हैं। मालूम हो कि 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद सरकार ने 'डिजिटल लेनदेन' को बढ़ावा देने के मकसद से ऑनलाइन रेल टिकट लेने पर लगने वाले सर्विस टैक्स पर 22 नवंबर से 31 मार्च तक के लिए रोक लगा दी थी।
आईआरसीटीसी के जरिए स्लीपर टिकट बुक कराने पर 20 रुपये और वातानुकूलित श्रेणी में 40 रुपये सर्विस टैक्स देना पड़ता था। केंद्र वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा बुधवार को पेश किए गए आम बजट में किए गए प्रावधानों के जरिए ऑनलाइन टिकट कराने पर लगने वाले सर्विस टैक्स को खत्म कर दिया गया है। इस फैसले को रेल यात्रियों के लिए बड़ी राहत करार दिया जा रहा है। यहां बताना लाजिमी होगा कि खिड़की और ऑनलाइन रेल टिकट कराने पर सिर्फ सर्विस टैक्स का ही फर्क नहीं होता, बल्कि कई बैंकों को टॉजेक्शन चार्ज 10 रुपये भी देना होता है।
खिड़की से टिकट कराने पर मिलने वाली सुविधाएं भी ऑनलाइन टिकट में नहीं मिलती हैं।  लंबी दूरी की यात्रा के लिए दो गाड़ियों के ऑनलाइन टिकट बनवाने पर दो बार आरक्षण शुल्क लगता है और टेलिस्कोपिक यात्रा का रियायती लाभ भी नहीं मिलता।

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