Friday, October 31, 2014
Thursday, October 23, 2014
ये है डायमंड व्यवसाई सावजीभाई ढोलकिया की दरियादिली
कोटा। दिवाली पर गुजरात में सूरत के हीरे व्यवसायी सावजीभाई ढोलकिया की दरियादिली की चर्चा पूरे देश में है। हरिकृष्णा एक्सपोर्ट के चेयरमैन सावजीभाई ने अपने 1200 कर्मचारियों को ऐसे गिफ्ट दिए कि लोग दंग रह गए। इन्होंने 525 कर्मचारियों को 3.5 लाख रुपए की हीरे की जूलरी दी। उन 200 कर्मचारियों को दो कमरे के फ्लैट मिले हैं जिनके पास घर नहीं थे। इसके साथ ही 491 कर्मचारियों को गिफ्ट में कार मिली। कंपनी ने इसे लॉयल्टी बोनस कहा है। सावजीभाई ने कहा कि अब वह हीरे की पॉलिश करने वाले अपने कर्मचारियों को डायमंड इंजीनियर कहा करेंगे। ढोलकिया ने 1991 में अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर एक करोड़ रुपए की रकम से बिजनस की शुरुआत की थी। आज की तारीख में इनका बिजनस 6000 करोड़ रुपए का हो गया है।
इस अरबपति बिजनस मैन की खास बातें
ढोलकिया ने कहा कि मेरे पास कुछ भी नहीं था। मैंने जीरो से शुरुआत की थी। ईश्वर की इनायत है कि मैं इस मुकाम तक पहुंचा। ढोलकिया ने कहा कि हम अपने कर्मचारियों की ईमानदारी और मेहनत के दम पर ही यहां तक पहुंचे हैं। ऐसे में मुनाफा मैं अकेले नहीं पचा सकता। सावजीभाई ने पिछली दिवाली में भी 100 कर्मचारियों को कार तोहफे के रूप में दी थी। उन्होंने कहा कि जो भी मेरे पास है वह कुदरत की देन है। अभी तक मेरा अनुभव है कि देने से कम नहीं होता है। ये तो प्रकृति का नियम है कि एक दाना बोने से 100 दाने का उत्पादन होता है।
आज तक हमने जो दिया है उससे ज्यादा ही मिला है। ढोलकिया ने कहा, 'मैंने विश्लेषण किया कि आखिर 1 करोड़ से 6 हजार करोड़ तक पहुंचने में किसका सबसे ज्यादा योगदान है? फिर हमने सोचा कि हमारे 12 सौ कर्मचारियों की सबसे बड़ी भूमिका है। मैंने 6000 कर्मचारियों में 1200 सबसे मेहनती कर्मचारियों का चुनाव किया। मैंने अपने बेटे को न्यू यॉर्क से एमबीए कराया है। उससे स्टडी कराई कि हमारे बिजनस के फैलाव में किनका सबसे ज्यादा योगदान है।' ढोलकिया ने कहा कि हमने अपने कर्मचारियों को बहुत नहीं दिया है। जो भी दिया है वह थोड़ा है। इनकी मेहनत के आगे कुछ भी नहीं है। मेरा मानना है कि इससे मेरे और कर्मचारी प्रेरणा लें। ढोलकिया ने कहा, 'मैंने तोहफे देने में 50 करोड़ खर्च किए। मैंने सोचा था कि सबको गाड़ी दूं। बाद में पता चला कि 200 लोगों के पास घर नहीं है इसके बाद योजना में बदलाव किया गया। जिसके पास घर भी था और गाड़ी भी उसकी पत्नी को जूलरी दी गई। 451 लोगों को कारें दीं। मेरा मानना है कि इससे दूसरी कंपनियों को भी प्रेरणा मिलेगी। मैंने अपने कर्मचारियों के लिए क्रिकेट, वॉलिबॉल, टेनिस कोर्ट, स्विमिंग पूल और जिम की भी व्यवस्था की है।'
मेरे कर्मचारी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन वे किसी कुशल इंजिनियर से कम नहीं हैं। इंडिया में इंजिनियर की जितनी सैलरी नहीं है उससे कई गुना ज्यादा मैं सैलरी देता हूं। मेरे 1200 कर्मचारियों ने 10 करोड़ का टीडीएस भरा है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी सैलरी कितनी होगी। मैं सोशल बिजनस कर रहा हूं। मेरे कर्मचारी देश के 21 राज्यों से हैं। ये 361 गांव से ताल्कुकात रखते हैं। इन सभी के माता-पिता को मैं जानता हूं। अपने कर्मचारियों के माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराता हूं। मेरा बिजनस करने का तरीका यही है। मैं बिजनस में सोशल जिम्मेदारी उठाता हूं। मेरा मानना है कि पैसा देने से लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ढोलकिया ने कहा कि मैं पहले देता हूं तब लेता हूं।
इस अरबपति बिजनस मैन की खास बातें
ढोलकिया ने कहा कि मेरे पास कुछ भी नहीं था। मैंने जीरो से शुरुआत की थी। ईश्वर की इनायत है कि मैं इस मुकाम तक पहुंचा। ढोलकिया ने कहा कि हम अपने कर्मचारियों की ईमानदारी और मेहनत के दम पर ही यहां तक पहुंचे हैं। ऐसे में मुनाफा मैं अकेले नहीं पचा सकता। सावजीभाई ने पिछली दिवाली में भी 100 कर्मचारियों को कार तोहफे के रूप में दी थी। उन्होंने कहा कि जो भी मेरे पास है वह कुदरत की देन है। अभी तक मेरा अनुभव है कि देने से कम नहीं होता है। ये तो प्रकृति का नियम है कि एक दाना बोने से 100 दाने का उत्पादन होता है।
आज तक हमने जो दिया है उससे ज्यादा ही मिला है। ढोलकिया ने कहा, 'मैंने विश्लेषण किया कि आखिर 1 करोड़ से 6 हजार करोड़ तक पहुंचने में किसका सबसे ज्यादा योगदान है? फिर हमने सोचा कि हमारे 12 सौ कर्मचारियों की सबसे बड़ी भूमिका है। मैंने 6000 कर्मचारियों में 1200 सबसे मेहनती कर्मचारियों का चुनाव किया। मैंने अपने बेटे को न्यू यॉर्क से एमबीए कराया है। उससे स्टडी कराई कि हमारे बिजनस के फैलाव में किनका सबसे ज्यादा योगदान है।' ढोलकिया ने कहा कि हमने अपने कर्मचारियों को बहुत नहीं दिया है। जो भी दिया है वह थोड़ा है। इनकी मेहनत के आगे कुछ भी नहीं है। मेरा मानना है कि इससे मेरे और कर्मचारी प्रेरणा लें। ढोलकिया ने कहा, 'मैंने तोहफे देने में 50 करोड़ खर्च किए। मैंने सोचा था कि सबको गाड़ी दूं। बाद में पता चला कि 200 लोगों के पास घर नहीं है इसके बाद योजना में बदलाव किया गया। जिसके पास घर भी था और गाड़ी भी उसकी पत्नी को जूलरी दी गई। 451 लोगों को कारें दीं। मेरा मानना है कि इससे दूसरी कंपनियों को भी प्रेरणा मिलेगी। मैंने अपने कर्मचारियों के लिए क्रिकेट, वॉलिबॉल, टेनिस कोर्ट, स्विमिंग पूल और जिम की भी व्यवस्था की है।'
मेरे कर्मचारी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन वे किसी कुशल इंजिनियर से कम नहीं हैं। इंडिया में इंजिनियर की जितनी सैलरी नहीं है उससे कई गुना ज्यादा मैं सैलरी देता हूं। मेरे 1200 कर्मचारियों ने 10 करोड़ का टीडीएस भरा है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी सैलरी कितनी होगी। मैं सोशल बिजनस कर रहा हूं। मेरे कर्मचारी देश के 21 राज्यों से हैं। ये 361 गांव से ताल्कुकात रखते हैं। इन सभी के माता-पिता को मैं जानता हूं। अपने कर्मचारियों के माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराता हूं। मेरा बिजनस करने का तरीका यही है। मैं बिजनस में सोशल जिम्मेदारी उठाता हूं। मेरा मानना है कि पैसा देने से लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ढोलकिया ने कहा कि मैं पहले देता हूं तब लेता हूं।
Friday, October 17, 2014
ऐसे पता करें कि क्या है आपका UAN नंबर
कोटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) सुविधा की शुरुआत कर दी। इसके जरिए ईपीएफओ सदस्य अपने यूनिवर्सल पीएफ अकाउंट को रियल टाइम बेसिस पर देख सकेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने श्रम सुविधा नाम का एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया। यूएएन के जरिए आप अपने अकाउंट का बैलेंस तो चेक कर ही सकते हैं साथ ही पासबुक और यूएएन कार्ड भी डाउनलोड कर सकते हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों को अभी तक अपना यूएएन नहीं पता है। बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें यह भी नहीं पता कि उन्हें यूएएन मिला भी है या नहीं। आइए जानते हैं किस तरह से जानें कि यूएएन नंबर मिला है या नहीं और यदि मिला है तो कैसे होगा एक्टिवेट-
UAN स्टेटस पता करें
अपना UAN स्टेटस पता करने के लिए इस लिंक http://uanmembers.epfoservices.in/check_uan_status.php पर क्लिक करें।
इसके बाद जो पेज खुलना है, उसमें मांगी गई जानकारियां भरें। इसमें राज्य का नाम, सिटी का नाम, इस्टेबलिशमेंट कोड और पीएफ अकाउंट नंबर भरना होगा और चेक स्टेटस बटन पर क्लिक करना होगा।
(यहां क्लिक कर पता करें अपना इस्टेबलिशमेंट कोड और पीएफ अकाउंट नंबर)
इस पर क्लिक करते ही आपको एक मैसेज दिखेगा, जिसमें यह बताया गया होगा कि आपको यूएएन नंबर मिला है या नहीं। अगर आपको यूएएन नंबर मिल गया है तो आप इसके लिए अपनी कंपनी से पता कर सकते हैं।
कैसे करें एक्टिवेट
STEP 1- कंपनी से यूएएन पता करके आपको उसे एक्टिवेट कराना होगा। इसे एक्टिवेट कराने के लिए http://uanmembers.epfoservices.in/index.php?accesscheck=%2Fhome.php इस लिंक पर क्लिक करें। खुलने वाले नए पेज पर activate your UAN पर क्लिक करें।
STEP 2- लिंक पर क्लिक करने के बाद एक पेज खुलेगा, जिसमें यूएएन नंबर, मोबाइल नंबर, राज्य, सिटी, इस्टेबलिशमेंट और पीएफ अकाउंट नंबर डालना होता है। सारी जानकारी भरने के बाद वैरिफिकेशन कोड डालकर ‘GET PIN’ पर क्लिक करें। इस पर क्लिक करने के बाद 5 मिनट के अन्दर आपके पास एक पिन आएगा, जिसे फॉर्म में डालकर सबमिट करना होगा।
STEP 3- सबमिट करने के बाद जो विंडो खुलेगी, उसमें आपका नाम, पिता का नाम, कंपनी का नाम, यूएएन और जन्मतिथि लिखी होती है। इसमें आपको अपने यूएएन अकाउंट में लॉगिन करने के लिए एक पासवर्ड डालना होता है और साथ ही अपनी ई मेल आईडी भी डालनी होती है। इसके बाद सबमिट बटन पर क्लिक करते ही आपको एक ई मेल चला जाएगा, जिसमें एक्टिवेशन लिंक होता है। अपनी ई मेल आईडी में जाकर उस लिंक पर क्लिक करें। क्लिक करते ही ईपीएफओ की वेबसाइट का एक पेज खुलेगा, जिस पर ई मेल आईडी कन्फर्मेशन का मैसेज मिल जाएगा।
आगे की स्लाइड में जानें कैस लॉगिन करें अपने अकाउंट में-
लॉगिन करें
अपने यूएएन और पासवर्ड के साथ लॉगिन करें। लॉगिन करने के लिए http://uanmembers.epfoservices.in/ इस लिंक पर क्लिक करें। यहां अपना यूएएन और पासवर्ड डालें और लॉगिन बटन पर क्लिक करें। क्लिक करते ही आपके सामने एक पेज खुल जाएगा, जो आपके अकाउंट का पेज होता है।अपने अकाउंट में आ जाने के बाद आप अपना यूएएन कार्ड और पासबुक डाउनलोड कर सकते हैं। पास बुक के जरिए आप देख सकते हैं कि आपके पीएफ अकाउंट में कितने पैसे हैं। साथ ही इसमें आपकी मेंबर आईडी और इस्टेबलिशमेंट कोड भी लिखा होता है। इससे आप मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी और पासवर्ड भी बदल सकते हैं।
ट्रांसफर क्लेम
फिलहाल ईपीएफओ की वेबसाइट पर यह टैब एक्टिवेट नहीं है, जिसे जल्द ही एक्टिवेट किया जाएगा।
UAN स्टेटस पता करें
अपना UAN स्टेटस पता करने के लिए इस लिंक http://uanmembers.epfoservices.in/check_uan_status.php पर क्लिक करें।
इसके बाद जो पेज खुलना है, उसमें मांगी गई जानकारियां भरें। इसमें राज्य का नाम, सिटी का नाम, इस्टेबलिशमेंट कोड और पीएफ अकाउंट नंबर भरना होगा और चेक स्टेटस बटन पर क्लिक करना होगा।
(यहां क्लिक कर पता करें अपना इस्टेबलिशमेंट कोड और पीएफ अकाउंट नंबर)
इस पर क्लिक करते ही आपको एक मैसेज दिखेगा, जिसमें यह बताया गया होगा कि आपको यूएएन नंबर मिला है या नहीं। अगर आपको यूएएन नंबर मिल गया है तो आप इसके लिए अपनी कंपनी से पता कर सकते हैं।
कैसे करें एक्टिवेट
STEP 1- कंपनी से यूएएन पता करके आपको उसे एक्टिवेट कराना होगा। इसे एक्टिवेट कराने के लिए http://uanmembers.epfoservices.in/index.php?accesscheck=%2Fhome.php इस लिंक पर क्लिक करें। खुलने वाले नए पेज पर activate your UAN पर क्लिक करें।
STEP 2- लिंक पर क्लिक करने के बाद एक पेज खुलेगा, जिसमें यूएएन नंबर, मोबाइल नंबर, राज्य, सिटी, इस्टेबलिशमेंट और पीएफ अकाउंट नंबर डालना होता है। सारी जानकारी भरने के बाद वैरिफिकेशन कोड डालकर ‘GET PIN’ पर क्लिक करें। इस पर क्लिक करने के बाद 5 मिनट के अन्दर आपके पास एक पिन आएगा, जिसे फॉर्म में डालकर सबमिट करना होगा।
STEP 3- सबमिट करने के बाद जो विंडो खुलेगी, उसमें आपका नाम, पिता का नाम, कंपनी का नाम, यूएएन और जन्मतिथि लिखी होती है। इसमें आपको अपने यूएएन अकाउंट में लॉगिन करने के लिए एक पासवर्ड डालना होता है और साथ ही अपनी ई मेल आईडी भी डालनी होती है। इसके बाद सबमिट बटन पर क्लिक करते ही आपको एक ई मेल चला जाएगा, जिसमें एक्टिवेशन लिंक होता है। अपनी ई मेल आईडी में जाकर उस लिंक पर क्लिक करें। क्लिक करते ही ईपीएफओ की वेबसाइट का एक पेज खुलेगा, जिस पर ई मेल आईडी कन्फर्मेशन का मैसेज मिल जाएगा।
आगे की स्लाइड में जानें कैस लॉगिन करें अपने अकाउंट में-
लॉगिन करें
अपने यूएएन और पासवर्ड के साथ लॉगिन करें। लॉगिन करने के लिए http://uanmembers.epfoservices.in/ इस लिंक पर क्लिक करें। यहां अपना यूएएन और पासवर्ड डालें और लॉगिन बटन पर क्लिक करें। क्लिक करते ही आपके सामने एक पेज खुल जाएगा, जो आपके अकाउंट का पेज होता है।अपने अकाउंट में आ जाने के बाद आप अपना यूएएन कार्ड और पासबुक डाउनलोड कर सकते हैं। पास बुक के जरिए आप देख सकते हैं कि आपके पीएफ अकाउंट में कितने पैसे हैं। साथ ही इसमें आपकी मेंबर आईडी और इस्टेबलिशमेंट कोड भी लिखा होता है। इससे आप मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी और पासवर्ड भी बदल सकते हैं।
ट्रांसफर क्लेम
फिलहाल ईपीएफओ की वेबसाइट पर यह टैब एक्टिवेट नहीं है, जिसे जल्द ही एक्टिवेट किया जाएगा।
Tuesday, October 14, 2014
मजीठिया पर ऐतिहासिक फैसला..
नई दिल्ली। मजीठिया वेजबोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में फैसला सुना दिया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जागरण, भास्कर और इंडियन एक्सप्रेस मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशें दो महीने के भीतर लागू करें। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने तीनों मीडिया संस्थानों को नोटिस भेजा है। अगर अब ये संस्थान सिफारिशें नहीं लागू करते हैं तो इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
Sunday, October 12, 2014
चित्रगुप्त की समस्या
चित्रगुप्त ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की, प्रभु, करवाचौथ के व्रत से 7 जन्म तक एक ही पति मिलने वाली योजना बंद कर दीजिए।
ब्रह्माजी: क्यों?
चित्रगुप्त: प्रभु, मैनेज करना कठिन होता जा रहा है। औरत 7 जन्मों के लिए वही पति मांगती हैं, लेकिन पुरुष हर बार दूसरी पत्नी मांगता है। बहुत दिक्कत हो जाती है समझाने में।
ब्रह्माजी: लेकिन, यह स्कीम आदिकाल से चली आ रही है। इसे बंद नहीं किया जा सकता।
तभी नारद मुनि आ गए। उन्होंने सुझाव दिया कि जो भी औरत 7 जन्म के लिए वही पति मांगे, उसे दे दो, लेकिन एक शर्त के साथ।
चित्रगुप्त: क्या?
नारद: शर्त यह रखो कि यदि पति वही चाहिए तो सास भी वही मिलेगी।
नतीजा- डिमांड बंद
पत्नियां शॉक्स, नारद रॉक्स!!!
ब्रह्माजी: क्यों?
चित्रगुप्त: प्रभु, मैनेज करना कठिन होता जा रहा है। औरत 7 जन्मों के लिए वही पति मांगती हैं, लेकिन पुरुष हर बार दूसरी पत्नी मांगता है। बहुत दिक्कत हो जाती है समझाने में।
ब्रह्माजी: लेकिन, यह स्कीम आदिकाल से चली आ रही है। इसे बंद नहीं किया जा सकता।
तभी नारद मुनि आ गए। उन्होंने सुझाव दिया कि जो भी औरत 7 जन्म के लिए वही पति मांगे, उसे दे दो, लेकिन एक शर्त के साथ।
चित्रगुप्त: क्या?
नारद: शर्त यह रखो कि यदि पति वही चाहिए तो सास भी वही मिलेगी।
नतीजा- डिमांड बंद
पत्नियां शॉक्स, नारद रॉक्स!!!
इंसानी राख से बनने लगा है हीरा
इंसान बदलते हैं, सोच बदलती है और बदलता है जमाना एक जमाना था जब हम अपने प्रियजनों के स्वर्गवास पर उनका अंतिम संस्कार करते थे और उसके बाद उनकी राख को शुद्ध कलश में समेट कर रख लेते थे, पर अब ना ही आपको कलश की जरूरत पड़ेगी और ना ही करना होगा राख को नदी में प्रवाहित इसके बावज़ूद आपके मृत प्रियजन रहेंगे आपके और भी करीब जी हां! हम आपको सुनाने जा रहे हैं ऐसे इंसान की कहानी जिसने विकसित की है एक ऐसी तकनीक जिससे राखों को बदल दिया जाता है हीरे में।
कौन है वो
जिस व्यक्ति ने यह तरीका खोज निकाला है उसका नाम है रिनाल्डो विल्ली स्विटजरलैंड के रहने वाले विल्ली ने एक कंपनी खोली है जिसका नाम 'एलगोरडैंजा' है जिसका हिंदी अर्थ 'यादें' हैं। इस कंपनी में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद बची राख को उन्नत तकनीकों का प्रयोग करते हुए हीरे में बदल दिया जाता है। यह कंपनी हर साल 850 लाशों की राख को हीरे में तब्दील कर देती है। इस काम की लागत हीरे की आकार के आधार पर निर्धारित की जाती है। अमूमन यह 3 लाख से 15 लाख रूपए के बीच बैठती है।
कैसे आया विल्ली के दिमाग में यह विचार
विल्ली को स्कूल में उसकी शिक्षिका ने एक लेख पढ़ने को दिया जो सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रयोग होने वाले सिंथेटिक हीरे के उत्पादन पर आधारित थी। इस लेख में सब्जियों की राख से हीरे बनाने का तरीका था। लेकिन युवा विल्ली उसे मानव राख समझ कर पढ़ रहा था। विल्ली को विचार पसंद आया और उन्होंने अपनी शिक्षिका से इसके बारे में पूछा। शिक्षिका ने उसकी भूल को सुधारा तो विल्ली ने कहा अगर सब्जियों की राख से हीरा बनाया जा सकता है तो इंसान की लाश के राख से क्यों नहीं? इस पर उसकी शिक्षिका ने उस लेख के लेखक से सम्पर्क किया औऱ विल्ली को उनसे मिलवाया। फिर उन लोगों ने मिलकर इस विचार पर काम किया जिससे एलगोरडैंजा अस्तित्व में आई।
कैसे बनता है यह हीरा
सबसे पहले यह कंपनी इंसानी-राख को स्विटजरलैंड स्थित अपनी प्रयोगशाला में मंगवाती है। यहां एक विशेष प्रक्रिया द्वारा इस राख से कार्बन को अलग किया जाता है, अलग किए हुए कार्बन को उच्च ताप पर गर्म कर उसे ग्रेफाइट में बदला जाता है। इस ग्रेफाइट को एक मशीन में ठीक उन परिस्थितियों में रखा जाता है जैसा कि जमीन के नीचे पाई जाती है। कुछ महीनों के बाद वो ग्रेफाइट हीरे में बदल जाते हैं। फर्क बूझो तो जानें सिंथेटिक हीरे और असली हीरे में फर्क अत्यंत बारीक होती है जिसका पता सिर्फ प्रयोगशाला में रासायनिक स्क्त्रीनिंग के द्वारा किया जा सकता है. कुशल से कुशल जौहरी भी दोनों के बीच के अंतर को नहीं बता सकता।
कौन है वो
जिस व्यक्ति ने यह तरीका खोज निकाला है उसका नाम है रिनाल्डो विल्ली स्विटजरलैंड के रहने वाले विल्ली ने एक कंपनी खोली है जिसका नाम 'एलगोरडैंजा' है जिसका हिंदी अर्थ 'यादें' हैं। इस कंपनी में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद बची राख को उन्नत तकनीकों का प्रयोग करते हुए हीरे में बदल दिया जाता है। यह कंपनी हर साल 850 लाशों की राख को हीरे में तब्दील कर देती है। इस काम की लागत हीरे की आकार के आधार पर निर्धारित की जाती है। अमूमन यह 3 लाख से 15 लाख रूपए के बीच बैठती है।
कैसे आया विल्ली के दिमाग में यह विचार
विल्ली को स्कूल में उसकी शिक्षिका ने एक लेख पढ़ने को दिया जो सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रयोग होने वाले सिंथेटिक हीरे के उत्पादन पर आधारित थी। इस लेख में सब्जियों की राख से हीरे बनाने का तरीका था। लेकिन युवा विल्ली उसे मानव राख समझ कर पढ़ रहा था। विल्ली को विचार पसंद आया और उन्होंने अपनी शिक्षिका से इसके बारे में पूछा। शिक्षिका ने उसकी भूल को सुधारा तो विल्ली ने कहा अगर सब्जियों की राख से हीरा बनाया जा सकता है तो इंसान की लाश के राख से क्यों नहीं? इस पर उसकी शिक्षिका ने उस लेख के लेखक से सम्पर्क किया औऱ विल्ली को उनसे मिलवाया। फिर उन लोगों ने मिलकर इस विचार पर काम किया जिससे एलगोरडैंजा अस्तित्व में आई।
कैसे बनता है यह हीरा
सबसे पहले यह कंपनी इंसानी-राख को स्विटजरलैंड स्थित अपनी प्रयोगशाला में मंगवाती है। यहां एक विशेष प्रक्रिया द्वारा इस राख से कार्बन को अलग किया जाता है, अलग किए हुए कार्बन को उच्च ताप पर गर्म कर उसे ग्रेफाइट में बदला जाता है। इस ग्रेफाइट को एक मशीन में ठीक उन परिस्थितियों में रखा जाता है जैसा कि जमीन के नीचे पाई जाती है। कुछ महीनों के बाद वो ग्रेफाइट हीरे में बदल जाते हैं। फर्क बूझो तो जानें सिंथेटिक हीरे और असली हीरे में फर्क अत्यंत बारीक होती है जिसका पता सिर्फ प्रयोगशाला में रासायनिक स्क्त्रीनिंग के द्वारा किया जा सकता है. कुशल से कुशल जौहरी भी दोनों के बीच के अंतर को नहीं बता सकता।
Monday, October 6, 2014
4 करोड़ पीएफ खाताधारकों को मिलेगा रीयल टाइम अपडेट
कोटा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े करीब चार करोड़ ग्राहकों को 16 अक्टूबर से उनके खाते का रीयल टाइम अपडेट मिलना शुरू हो जाएगा। ईपीएफओ के वेब पोर्टल पर इसको ऑनलाइन देखा जा सकेगा। ईपीएफओ से जुड़ा कोई भी कर्मी अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर के जरिए यह जान सकेगा कि उसके एंप्लायर ने उसके भविष्य निधि का पैसा जमा कराया है या नहीं।
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) मेंबर्स पोर्टल की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को ही कर सकते हैं। ईपीएफओ से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस योजना के पहले चरण को पूरा कर लिया गया है। यूएएन मिलने के बाद कर्मचारी को अपनी नौकरी बदलने के साथ ही पीएफ को ट्रांसफर या फिर निकलवाने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। इतना ही नहीं इस योजना के लागू होने के बाद रिटायरमेंट फंड, पीएफ निकासी को लेकर कागजों पर होने वाला काम भी लगभग खत्म हो जाएगा।
जानकारी के मुताबिक ईपीएफओ में फिलहाल पंजीकृत करीब 4.18 करोड़ ग्राहक हैं। यह देश भर की करीब 4.3 लाख ऑफिस में काम करते हैं। अभी तक संगठन करीब 2.04 करोड़ ग्राहकों की बैंक डिटेल, 92.94 लाख ग्राहकों की पैन डिटेल और 35.4 लाख ग्राहकों के आधार कार्ड की जानकारी हासिल कर चुका है। अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के चलते ईपीएफओ अपने ग्राहकों का कम से एक अकाउंट नंबर जरूर चाहिए। इससे पहले ईपीएफओ ने देश के सभी ऑफिसों को अपने कर्मचारियों की बैंक डिटेल, अकाउंट नंबर और बैंक का आइएफसी नंबर देने का निर्देश दिया था।
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) मेंबर्स पोर्टल की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को ही कर सकते हैं। ईपीएफओ से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस योजना के पहले चरण को पूरा कर लिया गया है। यूएएन मिलने के बाद कर्मचारी को अपनी नौकरी बदलने के साथ ही पीएफ को ट्रांसफर या फिर निकलवाने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। इतना ही नहीं इस योजना के लागू होने के बाद रिटायरमेंट फंड, पीएफ निकासी को लेकर कागजों पर होने वाला काम भी लगभग खत्म हो जाएगा।
जानकारी के मुताबिक ईपीएफओ में फिलहाल पंजीकृत करीब 4.18 करोड़ ग्राहक हैं। यह देश भर की करीब 4.3 लाख ऑफिस में काम करते हैं। अभी तक संगठन करीब 2.04 करोड़ ग्राहकों की बैंक डिटेल, 92.94 लाख ग्राहकों की पैन डिटेल और 35.4 लाख ग्राहकों के आधार कार्ड की जानकारी हासिल कर चुका है। अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के चलते ईपीएफओ अपने ग्राहकों का कम से एक अकाउंट नंबर जरूर चाहिए। इससे पहले ईपीएफओ ने देश के सभी ऑफिसों को अपने कर्मचारियों की बैंक डिटेल, अकाउंट नंबर और बैंक का आइएफसी नंबर देने का निर्देश दिया था।