ई-कॉमर्स कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शंकर शर्मा ने बताया कि इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्हें नौकरी ढूंढने में परेशानी हुई। उन्हें कठिन दिनों में खाने के लिए भी पैसे नहीं होने से संघर्ष करना पड़ा।
एमिटी यूनिवर्सिटी गुड़गांव से मानद डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद उन्होंने अपने अतीत का जिक्र करते हुए कहा, 'पढ़ाई के दौरान और डिग्री लेने के बाद भी कई परेशानियां झेलीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी। मेरे परिजन ने मुझ पर शादी करने का दबाव डाला। मैं नौकरी के बिना कठिन समय का सामना कर रहा था। मैं इस स्थिति के बारे में परिवार को भी नहीं बता सकता था।
मुझे भोजन के लिए 14 किमी जाना पड़ता था। 1998 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिग्री कोर्स इंग्लिश मीडियम में था। मैं हिंदी भाषी था, इस कारण काफी चुनौतियां आईं। मैं नर्वस हो जाता था क्योंकि कक्षा में जो पढ़ाया जाता मुझे समझ ही नहीं आता था। मैं हमेशा चिंता में रहता कि परीक्षा में पास कैसे होऊंगा। जब मुझे पेटीएम का आइडिया आया और मैंने इसे कुछ लोगों को बताया तो उन्होंने मुझे मूर्ख कहा। मेरा मनोबल तोड़ते हुए कहने लगे कि यदि यह कारगर होता तो कोई पहले ही यह कर चुका होता।'
एमिटी यूनिवर्सिटी गुड़गांव से मानद डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद उन्होंने अपने अतीत का जिक्र करते हुए कहा, 'पढ़ाई के दौरान और डिग्री लेने के बाद भी कई परेशानियां झेलीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी। मेरे परिजन ने मुझ पर शादी करने का दबाव डाला। मैं नौकरी के बिना कठिन समय का सामना कर रहा था। मैं इस स्थिति के बारे में परिवार को भी नहीं बता सकता था।
मुझे भोजन के लिए 14 किमी जाना पड़ता था। 1998 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिग्री कोर्स इंग्लिश मीडियम में था। मैं हिंदी भाषी था, इस कारण काफी चुनौतियां आईं। मैं नर्वस हो जाता था क्योंकि कक्षा में जो पढ़ाया जाता मुझे समझ ही नहीं आता था। मैं हमेशा चिंता में रहता कि परीक्षा में पास कैसे होऊंगा। जब मुझे पेटीएम का आइडिया आया और मैंने इसे कुछ लोगों को बताया तो उन्होंने मुझे मूर्ख कहा। मेरा मनोबल तोड़ते हुए कहने लगे कि यदि यह कारगर होता तो कोई पहले ही यह कर चुका होता।'
0 comments:
Post a Comment