नई दिल्ली। इस महीने चेन्नई के कॉर्पोरेशन बैंक के एक कर्मचारी ने जब एक एटीएम से 27 नकली नोट निकाले तब से एटीएम सिक्यॉरिटी पर फिर से एक बार लोगों और अधिकारियों का ध्यान जा रहा है। जिन ग्राहकों को एटीएम से नकली नोट मिलते हैं उनके लिए कोई ऐसी कानूनी सहायता मौजूद नहीं है क्योंकि यह साबित करना बहुत मुश्किल होता है कि नकली नोट कहां से आया है।
तमीज़ारसन बैंक कर्मचारी हैं जिसकी वजह से वे तुरंत नकली नोट को पहचान गए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बैंक ने उन्हें हर्जाने में पूरी राशि देने का वादा किया है। लेकिन ग्राहकों के मामले में ऐसा नहीं होता है। एक साइबर क्राइम अधिकारी ने बताया, 'जब आपको किसी एटीएम से नकली नोट मिलता है तो आप उसका स्रोत नहीं साबित कर सकते। इसमें बैंक नेटवर्क की गलती है न कि ग्राहक की। बैंक कभी भी कस्टमर के दावे पर असली नोट नहीं देते। वास्तव में यह चिंता की बात क्योंकि महीनेभर में ही शहर में नकली नोटों का यह दूसरा मामला सामने आया है।' हालांकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइंस घोषित कर रखी हैं जिसके मुताबिक, बैंकों को जमाकर्ताओं से करेंसी लेते समय सावधानीपूर्वक जांच लेना चाहिए कि नोट नकली तो नहीं है। इसके साथ ही, बैंक को एटीएम में पैसा डालते समय दोबारा भी करेंसी की पूरी जांच करनी चाहिए।
आमतौर पर कोई बैंक एक शहरी एटीएम में 3-4 लाख जबकि अर्ध-शहरी इलाको में 1-2 लाख रुपये डालता है। हालांकि, भीड़भाड़ वाली जगहों पर बैंक एक दिन में 10 लाख रुपये तक डालते हैं। लक्ष्मी विलास बैंक के वाइस प्रेजिडेंट एन रघुनाथन ने कहा, 'हमारे पास करेंसी चेक करने की मशीने हैं और नकली, चिपाकाए गए या फटे हुए नोट रोजाना अलग किए जाते हैं। हम सुबह 9.30 बजे से ही नोट चेक करना शुरू कर देते हैं और एटीएम वैन कैश लेने के लिए दोपहर 11 से 12 के बीच आती हैं।' पुलिस ने ग्राहकों को सलाह दी है कि जिसे भी एटीएम से नकली नोट मिलें वह सीसीटीवी कैमरे के सामने नकली नोट को दिखाएं। अगर कैमरा काम नहीं कर रहा है तो हर एटीएम पर एक गार्ड भी रहता है। यह बेहतर होगा कि इसकी शिकायत तुरंत एटीएम पर ही की जाए क्योंकि एक बार एटीएम से बाहर आने के बाद यह साबित करना बहुत कठिन होगा कि वह नोट एटीएम मशीन से ही निकला है।
एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नॉलजी लिमिटेड के चेयरमैन रवि गोयल ने कहा, 'अधिकतर नई एटीएम मशीनों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है कि कैश डालते और निकालते वक्त नकली नोट को पहचान लेती हैं। लेकिन बहुत सारे बैंक अभी भी 12 से 14 साल पुरानी मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं। अब रिजर्व बैंक ने ऐसी गाइडलाइंस बनाई हैं जिनके मुताबिक सुरक्षा के लिहाज से सभी बैंकों को अपने एटीएम सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी होगा।'
तमीज़ारसन बैंक कर्मचारी हैं जिसकी वजह से वे तुरंत नकली नोट को पहचान गए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बैंक ने उन्हें हर्जाने में पूरी राशि देने का वादा किया है। लेकिन ग्राहकों के मामले में ऐसा नहीं होता है। एक साइबर क्राइम अधिकारी ने बताया, 'जब आपको किसी एटीएम से नकली नोट मिलता है तो आप उसका स्रोत नहीं साबित कर सकते। इसमें बैंक नेटवर्क की गलती है न कि ग्राहक की। बैंक कभी भी कस्टमर के दावे पर असली नोट नहीं देते। वास्तव में यह चिंता की बात क्योंकि महीनेभर में ही शहर में नकली नोटों का यह दूसरा मामला सामने आया है।' हालांकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइंस घोषित कर रखी हैं जिसके मुताबिक, बैंकों को जमाकर्ताओं से करेंसी लेते समय सावधानीपूर्वक जांच लेना चाहिए कि नोट नकली तो नहीं है। इसके साथ ही, बैंक को एटीएम में पैसा डालते समय दोबारा भी करेंसी की पूरी जांच करनी चाहिए।
आमतौर पर कोई बैंक एक शहरी एटीएम में 3-4 लाख जबकि अर्ध-शहरी इलाको में 1-2 लाख रुपये डालता है। हालांकि, भीड़भाड़ वाली जगहों पर बैंक एक दिन में 10 लाख रुपये तक डालते हैं। लक्ष्मी विलास बैंक के वाइस प्रेजिडेंट एन रघुनाथन ने कहा, 'हमारे पास करेंसी चेक करने की मशीने हैं और नकली, चिपाकाए गए या फटे हुए नोट रोजाना अलग किए जाते हैं। हम सुबह 9.30 बजे से ही नोट चेक करना शुरू कर देते हैं और एटीएम वैन कैश लेने के लिए दोपहर 11 से 12 के बीच आती हैं।' पुलिस ने ग्राहकों को सलाह दी है कि जिसे भी एटीएम से नकली नोट मिलें वह सीसीटीवी कैमरे के सामने नकली नोट को दिखाएं। अगर कैमरा काम नहीं कर रहा है तो हर एटीएम पर एक गार्ड भी रहता है। यह बेहतर होगा कि इसकी शिकायत तुरंत एटीएम पर ही की जाए क्योंकि एक बार एटीएम से बाहर आने के बाद यह साबित करना बहुत कठिन होगा कि वह नोट एटीएम मशीन से ही निकला है।
एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नॉलजी लिमिटेड के चेयरमैन रवि गोयल ने कहा, 'अधिकतर नई एटीएम मशीनों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है कि कैश डालते और निकालते वक्त नकली नोट को पहचान लेती हैं। लेकिन बहुत सारे बैंक अभी भी 12 से 14 साल पुरानी मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं। अब रिजर्व बैंक ने ऐसी गाइडलाइंस बनाई हैं जिनके मुताबिक सुरक्षा के लिहाज से सभी बैंकों को अपने एटीएम सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी होगा।'
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