Wednesday, July 29, 2015

मजीठिया वेतनमान पर जानकारी?

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर श्रम विभाग हर समाचार पत्र संस्थान से मजीठिया वेतनमान लागू करने के संबंध में जानकारी मांग रहा है लेकिन जानकारी कौन देता है? जब सुप्रीम कोर्ट को जानकारी नहीं दी तो श्रम विभाग किस चिडिया का नाम है? नतीजन खिसियाए श्रम विभाग ने लेबर कोर्ट में प्रकरण डाल दिया.ये वक्या है मध्यप्रदेश का. झारखंड सरकार प्रपत्र सी भरने का एड निकाली; उतराखंड सरकार ने कमेटी बनाई. दिल्ली सरकार की जांच मंथर गति से चल रही है. मतलब साफ है कि श्रम विभाग के वश में नहीं कि वह मजीठिया वेतनमान लागू करा सके. अब पत्रकारों की एकता पर ही भरोसा है.
श्रम विभाग वेबश क्यों?
श्रम विभाग के पास अयोग्य अधिकारी-कर्मचारी है. जो मजीठिया वेतनमान के बारे में नहीं जानते कि केस किस अधिनियम की धारा के तहत लगते हैं. जर्नलिस्ट एक्ट क्या है; वेतनमान क्या होना चाहिए. जब ये नोटिस जारी कर वेतनमान के बारे में पूछते तो कह दिया जाता है कि हम अमुक वेतन रहे हैं. अब विभाग को पता हो तो ना कुछ करें सो चुप्पी साधना ही बेहतर है. नहीं तो शिकायतकर्ता को ही ढाल बनाकर नोटिस भेजते रहो जब तक लिफाफा ना मिल जाए. हालाकि श्रम विभाग को लाइसेंस रद्द करने की शक्ति होती है लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जाता. पत्रकारों की समस्या के लिए अलग आयोग की जरूर है लेकिन वह आयोग अधिकार संपन्न होना चाहिए; नहीं तो प्रेस कांऊसिल और श्रम विभाग जैसे नोटिस जारी करने वाली संस्था बनकर रह जाएगी. खैर हमारे वश में तो सिर्फ यूनियन बनाना है जिसमें हर समस्या का समाधान निहित हैं.
वेतनमान की गणना कितनी सही?
किस ग्रुप के अखबार का मजीठिया वेतनमान क्या होगा कुछ साथी इस गुणा गणित में लगे हैं. हालांकि उनकी मेहनत पर संदेह नहीं होता; संदेह इस बात पर होता है कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में संवाददाता को ३१ हजार वेतन देने में बड़े समाचार पत्र को क्या परहेज हो सकता है कि वे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना पर उतारू हैं. एबीपी जैसी कंपनी वेतनमान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पहुंच गई. मुझे लगता है कि बेसिक की गणना में त्रुटी हो रही है. मणिसाना वेतनमान के वर्तमान बेसिक में +डीए+३० प्रतिशत अंतरिम राहत+३५ प्रतिशत वेरिएवल पे को नहीं जोड़ा जा रहा हैं. इन्हें जोड़ने के बाद मजीठिया वेतनमान का बेसिक मिलता है फिर गणना शुरू होती है. या हो सकता है मणिसाना वेतनमान का बेसिक वर्ष २००० की दर से जोड़ा जा रहा हो. 

Tuesday, July 28, 2015

सरकारी नौकरी के लिए देखें यह साइट

http://www.sarkarinaukriblog.com/

Sunday, July 26, 2015

कोटा के धनिए की महक ने दिलाया अवाॅर्ड

दिनेश माहेश्वरी
कोटा. बिजनेस इनिशिएटिव डायरेक्शनंस (बीडीआई) की ओर से पेरिस में आयोजित समारोह में कोटा के भामाशाह मंडी में स्थित फर्म उत्तम ट्रेडिंग कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर शिवकुमार जैन को इंटरनेशनल लीडरशिप इन क्वालिटी अवाॅर्ड से नवाजा गया। समारोह में 74 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। जैन को यह अवार्ड गोल्ड केटेगरी में दिया गया। इसके अलावा समारोह में डायमंड और सिल्वर केटेगरी में कंपनियों का सम्मान किया गया है।
जैन ने  बताया कि भारत से करीब सात से आठ लाख बोरी धनिया प्रतिवर्ष निर्यात किया जाता है। कोटा संभाग भी लीडिंग एक्सपोर्टर है। हाड़ौती से ही तीन लाख बोरी हर साल निर्यात की जाती है। राजस्थान में 70 लाख बोरी का उत्पादन होता है। जिसमें हाड़ौती के धनिए को श्रेष्ठ माना जाता है।
उन्होंने बताया कि हाड़ौती का धनिया खुशबूदार हाेता है। इसमें तेल की मात्रा मात्र 600 ग्राम प्रति क्विंटल होती है। धनिए में गंदगी की मात्रा एक प्रतिशत से कम होती है। पावडर वाले धनिए की विशेष मांग विदेशों में होती है। इन्हीं मानकों के आधार पर धनिए को ग्रेडिंग दी जाती है।
हाड़ौती बन सकता है कृषि हब
काॅन्फ्रेंस में बताया गया कि विदेशों में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। कोटा को कृषि हब के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। लेकिन सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। कोटा में दो कराेड़ बोरी कृषि जिंसों के भंडारण की क्षमता है। क्वालिटी प्रबंधन से जुड़ी कई स्थानीय और बाहर की कंपनियां यहां काम कर रही हैं।
अवार्ड के लिए यूं हुआ सलेक्शन
जैन ने बताया कि बीआईडी के पेरिस के आयातकों से बात की। आयातकों ने कोटा की फर्म के नाम का सुझाव दिया। फिर वहां की एंबेसी ने इंडियन एंबेसी से जानकारी ली। इंडियन एंबेसी ने राजस्थान सरकार से संपर्क किया। इसके बाद जैन को आमंत्रण पत्र भेजा गया।

Wednesday, July 22, 2015

मजीठिया वेतनमान : अखबार मालिक ग्रेड पर फैला रहे भ्रम

सुप्रीम कोर्ट में गए कर्मचारियों की एकता से घबराये अखबार मालिक अब उनकी एकता और मनोबल को तोड़ने के लिए समाचार-पत्र/पत्रिका‍ओं के ग्रेड को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। कर्मियों को अलग-अलग बुलाकर समझा रहे हैं कि हमारे समाचार-पत्र/पत्रिका की यूनिट मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार ग्रेड-4 या ग्रेड-5 में आ रही है। इसके अनुसार तो आपका वेतन इतना बनता है, जबकि हम आपको आज की डेट में इससे ज्‍यादा वेतन दे रहे हैं।
दैनिक जागरण का प्रबंधन कानपुर में अपने आपको चौथे, जालंधर व लुधियाना में पांचवें और धर्मशाला में खुद को सातवें ग्रेड का बता रहा है। यहां तक कि नोएडा यूनिट में वह कर्मियों को अपना ग्रेड चौथा बताता है। दैनिक जागरण प्रबंधन यहां तक ही बाज नहीं आ रहा, उसने नोएडा यूनिट में 16 जुलाई को हड़ताल करने की चेतावनी दे चुके कर्मियों के प्रतिनिधियों से कहा था कि उनका संस्‍थान तीसरे ग्रेड में आता है। इससे आप खुद समझ सकते हैं कि एक ही यूनिट अलग-अलग ग्रेड में कैसे आ सकती है।दैनिक जागरण ही नहीं ऐसा भ्रम भास्‍कर, राजस्‍थान पत्रिका, अमर उजाला आदि का प्रबंधन भी फैला रहा है। वे तर्क दे रहे हैं कि उनकी इस यूनिट का सालाना टर्न ओवर इतना है इसीलिए यहां इस ग्रेड का वेतनमान लागू होगा।
दैनिक जागरण या अन्‍य किसी समाचारपत्र या मैग्‍जीन के प्रबंधन के इस कुटिल छलावे में मीडिया कर्मी न आएं। जागरण हो या भास्‍कर या राजस्‍थान पत्रिका या अमर उजाला जम्‍मू-कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक इनकी पूरे देश में फैली सभी यूनिटों का एक ही ग्रेड होगा, जो कि इनके पूरे ग्रुप के टर्न ओवर पर निर्भर करता ह
उदाहरण के तौर पर दैनिक भास्‍कर और जागरण समूह का सालाना टर्न ओवर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसे में इन दोनों समूहों के अंतर्गत् आने वाले सभी समाचार-पत्र (किसी भी भाषा में हो या किसी अन्‍य नाम से), बेवसाइट और पत्रिकाओं में एक ही ग्रेड का वेतनमान लागू होगा।
यदि मीडिया कर्मियों से प्रबंधन ग्रेड को लेकर गलत बयानबाजी करता है तो उसी समय कंपनी का ग्रेड लिखित में संस्‍थान की मोहर, सक्षम अधिकारी की हस्‍ताक्षरयुक्‍त और दिनांक लगी कापी मांगें। फि‍र देखि‍ए, प्रबंधन कैसे बगलें झांकता है और उसको न देने के लिए कैसी-कैसी बहानेबाजी करता है। क्‍योंकि वह जानता है कि ऐसा गलती से भी लिखकर दे देने से सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, इनकम  टैक्‍स विभाग की नजरें भी कंपनी पर ढेढ़ी हो जाएंगी। जो कंपनियां शेयर बाजार से जुड़ी हुई हैं, उनपर तो सेबी की भी तिरछी नजरें इनायत हो जाएंगी।
नीचे दिए कुछ आंकड़ों से जाना जा सकता है कि कंपनी कौन से ग्रेड में हैं। यह आंकड़े इन कंपनियों ने अपनी सालाना वित्‍तीय रिपोर्ट में दिए हैं, जोकि इनकी बेवसाइट पर उपलब्‍ध हैं -
दैनिक भास्‍कर ग्रुप
2010-11  1,278 करोड़ रुपये
2011-12 1,469 करोड़  रुपये
2012-13 1,604 करोड़  रुपये
2013-14 1,880 करोड़  रुपये
जागरण प्रकाशन लिमिटेड
2010-11 1,138 करोड़  रुपये
2011-12 1,290 करोड़  रुपये
2012-13 1,411 करोड़  रुपये
2013-14 1,589 करोड़  रुपये

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Monday, July 20, 2015

वोडाफोन कम्पनी की उपभोक्ताओं के साथ चीटिंग

कोटा।  वोडाफोन कंपनी पिछले कुछ समय से ग्राहकों के साथ पोस्ट पेड कनेक्शनों के बिलों में अनाप-शनाप राशि जोड़कर चीटिंग कर रही है। हर 10 में से तीसरे उपभोक्ता की यही शिकायत है। इतना ही नहीं कंपनी उपभोक्ता को तय लिमिट से ज्यादा के बिल देने में भी नहीं चूक रही है। शिकायत करने पर कंपनी के अधिकारी मानने को ही तैयार नहीं है।
 हाल ही में कई ग्राहकों ने बताया कि उनके बिलों में जब तक कम राशि लग के आ रही थी, पता ही नहीं चला। जब बिल सैकड़ों की जगह हजारों में आने लगे तो उपभोक्ता चौंक गए। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उपभोक्ता के आईएसडी यूज करने पर ही उसका चार्ज लगाते हैं। बिना उसके नहीं। एवरग्रीन मोटर्स के संचालक राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि उनके स्टाफ में हर महीने दो तीन के बिल में आईएसडी कॉल का चार्ज लग के आ जाता है। शिकायत करने के बाद में फिर हटाया जाता है। इसी तरह एक निजी कंपनी में काम करने वाले आशीष ने बताया कि उनके भी बिल में दो माह पूर्व एक आईएसडी कॉल लगी हुई थी। जबकि उन्होंने कभी आईएसडी नहीं की।
 लिमिट से ज्यादा बिल
मेरा नंबर 9672930035  है. यह पोस्टपेड कनेक्शन दैनिक भास्कर की तरफ से दिया गया है।  वोडाफोन कम्पनी हर माह मेरे बिल में जाने कब से आई एस डी कॉल जोड़े जा रही थी।  मुझे तो जब पता लगा तब बिल की लिमिट 1100 रुपए होने के बाद भी  कंपनी ने  3600 रुपए का बिल दे दिया। हमेशा 500-600 रुपए का बिल आता था। इस बार जून का बिल इतना ज्यादा देखकर हैरानी हुई तो कंपनी के स्टोर पर संपर्क किया। कंपनी के अधिकारी मानने को तैयार नहीं। अब कंपनी ने मेरा  मोबाइल नंबर पूरी तरह से बंद कर दिया। मैं हमेशा की तरह  वह बिल भी भर देता है। परन्तु इतनी बड़ी राशि का बिल आने पर चौंकना स्वाभाविक है। इस मामले में मैंने स्थानीय स्टोर के मैनेजर से लेकर कम्पनी के सी एम डी तक से  संपर्क  किया परन्तु कोई मानने को तैयार नहीं। एक स्थानीय अधिकारी ने बिल में 800 रूपये कम करने की बात कही है।  मैंने कहा जब आई एस डी call की ही नहीं तो मैं क्यों बिल भरूं।

बारां जिले में लगेगा 400 करोड़ का डिस्टलरी प्लांट

कोटा। झालावाड़ में 1000 करोड़ का निवेश होने के बाद अब बारां जिले के भी दिन फिरेंगे। शाहाबाद इलाके में दिल्ली की एक कंपनी डिस्टलरी प्लांट लगाएगी। यहां स्प्रिट तैयार होगी। कार्या    केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स कंपनी इस प्लांट में 400 करोड़ का निवेश करेगी। इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 1000 व्यक्तियों को रोजगार मिलने की संभावना है। रीको से इसी माह के पहले सप्ताह में करीब 90 एकड़ भूमि कंपनी को दी है।
 कंपनी के डायरेक्टर नवजीत सिंह सोबती ने बताया कि प्लांट पूरा होने में करीब ढाई साल लगेंगे। फिलहाल प्राइमरी स्तर पर ही इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रीको को सौंपी है। इंडस्ट्री का पहला फेज अगले छह महीने में शुरू हो जाएगा। हालांकि अभी एनवायरमेंट क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि हाड़ौती में यह पहला निजी प्लांट होगा, जहां पर इसका उत्पादन होगा। कंपनी का मुख्यालय दिल्ली ओखला इंडस्ट्रियल एरिया में है। कंपनी बीएसई में रजिस्टर्ड है।
 रीको के सीनियर रीजनल मैनेजर पीआर मीणा ने बताया कि नए उद्योगों के लिए कोटा में जगह नहीं होने के कारण निवेशकों को बारां जिले के इस इलाके में उद्योग लगाने का सुझाव दिया जाता है। ज्ञातव्य है कि पूर्व में भी कई उद्योग शहर में जमीन नहीं मिलने के कारण नहीं लग पाए। जिसमें हरियाणा की ग्लास कंपनी एवं गुजरात की बालाजी वेपर्स कंपनी शामिल है।

Wednesday, July 15, 2015

इनकम टैक्स रिटर्न के लिए करें वनटाइम पासवर्ड

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।  आयकर विभाग ने सोमवार को करदाताओं के लिए सुविधाजनक वनटाइम पासवर्ड (ओटीपी) पर आधारित ई-फाइलिंग सत्यापन प्रणाली शुरू की है। यह सुविधा इंटरनेट बैंकिंग, आधार नंबर, एटीएम और ईमेल के जरिये सुलभ होगी। इसके चालू होने के बाद करदाताओं को विभाग के बेंगलुरु कार्यालय में पावती दस्तावेज भेजने की जरूरत नहीं होगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से इस बारे में नियमों की अधिसूचना जारी की है। पांच लाख तक की आय और बिना रिफंड दावे वाला कोई भी करदाता ई-फाइलिंग और उसके सत्यापन को मोबाइल नंबर व ईमेल से सीधे इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड (ईवीसी) बना सकता है।
कुछ शर्तो के साथ है यह विकल्प
इनकम टैक्स रिटर्न भरने का यह सरल विकल्प आयकर अधिकारियों द्वारा तैयार कुछ शर्तो के साथ है। इसमें आयकरदाताओं की जोखिम मानदंड और प्रोफाइल को आधार बनाया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि पांच लाख से कम आय वाले पैन नंबर धारक के खिलाफ विभाग का प्रतिकूल निष्कर्ष है, तो उसे ईमेल या मोबाइल नंबर से सत्यापन की अनुमति नहीं होगी। इस तरह के मामलों को अन्य स्थापित प्रक्रियाओं, मसलन आधार डाटाबेस, इंटरनेट बैंकिंग या एटीएम वगैर के जरिये सत्यापन कराना होगा।
यह होगा फायदा
इन नए उपायों की बदौलत पावती दस्तावेज यानी आइटीआर-5 को आयकर विभाग के बेंगलुरु स्थित केंद्रीय प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) के पास भेजने की जरूरत पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

Monday, July 13, 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया

अनुसूची- I. क- ए ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ ‘जेड’) (समाचार-पञ प्रतिष्‍ठानों में श्रमजीवी पञकारों का समूहन) समूह-1: कार्यकारी संपादक, स्‍थानीय संपादक एवं अन्‍य... Basic: 25,000 Gross Salary: 64,570
हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-6: ग्रेड-‘ए’/सिटी-‘जेड’ का वेतनमान देखने के लिए यहां क्लिक करें
अनुसूची- I. क- ए ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ ‘जेड’)
(समाचार-पञ प्रतिष्‍ठानों में श्रमजीवी पञकारों का समूहन)
समूह-1: कार्यकारी संपादक, स्‍थानीय संपादक एवं अन्‍य...
Basic: 25,000
Gross Salary: 64,570
समूह-2: सहायक संपादक, समाचार संपादक एवं अन्‍य...
Basic: 22,000
Gross Salary: 57,254
समूह-3: मुख्‍य संवाददाता, मुख्‍य उप-संपादक, सहायक समाचार संपादक, कार्टूनिस्‍ट, पेज डिजाईनर एवं अन्‍य...
Basic: 19,000
Gross Salary: 49,937
समूह-4: वरिष्‍ठ उप-संपादक, डिप्‍युटी पेज डिजाईनर एवं अन्‍य...
Basic: 17,000
Gross Salary: 45,060

समूह-5: उप-संपादक, रिपोर्टर, कलाकार, मुख्‍य प्रूफशोधक एवं अन्‍य...
Basic: 15,000
Gross Salary: 40,182
समूह-6: प्रूफशोधक एवं अन्‍य... समस्‍त श्रमजीवी पञकार...
Basic: 13,000
Gross Salary: 35,305
( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 30, सारणी-I)

अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 2 या 18 देखें
वेतन की गणना की पूरी जानकारी के लिए jpg file डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/WAaSTf
अनुसूची- II. ए ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ ‘जेड’)
(गैर पञकार समाचार-पञ कर्मचारी-प्रशासनिक स्‍टाफ का वर्गीकरण)
समूह-1: वरिष्‍ठ सहायक महाप्रबंधक, वेब प्रशासक, इलैक्‍ट्रोनिक अथवा सॉफ्टवेयर अभियंता, मुख्‍य लेखाकार एवं अन्‍य...
Basic: 17,500
Gross Salary: 46,279
समूह-2: अपर प्रबंधक, लेखा अधिकारी, कल्‍याण अधिकारी एवं अन्‍य...
Basic: 15,000
Gross Salary: 40,182
समूह-3: अधिकारी अथवा विभागीय मुखिया, हेड क्‍लर्क, डीटीपी इंचार्ज, प्रोग्रामर एवं अन्‍य...
Basic: 13,000
Gross Salary: 35,305
समूह-4: वरिष्‍ठ स्‍टेनो सचिव, सुरक्षा पर्यवेक्षक एवं अन्‍य...
Basic: 12,000
Gross Salary: 32,866
समूह-5: कनिष्‍ठ क्‍लर्क, टेलीफोन/फैक्‍स मशीन ऑपरेटर एवं अन्‍य...
Basic: 10,000
Gross Salary: 27,988
समूह-6: बिल कलैक्‍टर्स, पिओन (चपरासी) एवं अन्‍य...
Basic: 9,000
Gross Salary: 25,549

( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 32, सारणी-II)

अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 26 देखें

वेतन की गणना की पूरी जानकारी के लिए jpg file डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/TSabZO
अनुसूची- III. ए ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ ‘जेड’)
(गैर पञकार समाचार-पञ कर्मचारियों-फैक्‍ट्री स्‍टाफ का वर्गीकरण)
समूह-1: वरिष्‍ठ अभियंता, सहायक अभियंता एवं अन्‍य...
Basic: 13,500
Gross Salary: 36,524
समूह-2: वरिष्‍ठ पर्यवेक्षक, फोरमैन एवं अन्‍य...
Basic: 12,000
Gross Salary: 32,866
समूह-3: वरिष्‍ठ उत्‍पादन सहायक, कनिष्‍ठ वीडीटी संचालक, ऑफसेट मशीनमैन एवं अन्‍य...
Basic: 11,000
Gross Salary: 30,427
समूह-4: कन्‍वेयर स्‍ट्रीकेट मशीन-मैन, आर्ट विभाग में पेस्‍ट-अप मैन, प्‍लम्‍बर एवं अन्‍य...
Basic: 10,000
Gross Salary: 27,988
समूह-5: सहायक इलैक्‍ट्रीशियन, ट्रीडलमैन तथा डीएफ प्रेसमैन एवं अन्‍य...
Basic: 9,000
Gross Salary: 25,549
समूह-6: बालर मुकदम, रील लोडर तथा अनलोडर, ट्रोली मैन एवं अन्‍य...
Basic: 8,000
Gross Salary: 23,110
( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 34, सारणी-III)
अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 28 देखें
वेतन की गणना की पूरी जानकारी के लिए jpg file डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/nKVE8R
(हिंदी में अपने शहर को देखने के लिए पेज नंबर 37-38 या 55-56 देखें)
सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2
मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/vtzDMO
मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD
साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार यह वेतनमान उन सहयोगियों का है जिन्‍होंने जून 2015 में ए ग्रेड के किसी भी समाचार पञ (शहरी वर्गीकरण ‘जेड’) को ज्‍वाइन किया होगा। आप जो वर्तमान वेतन प्राप्‍त कर हैं उससे आपका वेतन कहीं ज्‍यादा होगा यदि आपके संस्‍थान में मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो। इसको देखकर आप समझ सकते हैं कि केवल सामूहिक प्रयास ही हमें अपना हक दिलवा सकता है। इसलिए साथियों एकजुट हो जाइए, ताकि आप अपना और अपने परिवार का भविष्‍य सुरक्षित कर सकें।

Thursday, July 9, 2015

बचाएं अपने स्मार्टफोन के इंटरनेट का बिल

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। हाल ही में सभी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ने इंटरनेट डाटा चार्ज में इजाफा किया है। इससे स्मार्टफोन पर इंटरनेट का मजा बिल देखकर किरकिरा हो जाता है। आप भी सोचते होंगे कि काश! कोई ऐसा तरीका होता जिससे इंटरनेट का बिल कम हो सकता और आप टेंशन फ्री होकर एफबी, व्हाट्सऐप, ऑनलाइन शॉपिंग कर सकतें, लेकिन अब परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि आज हम बता रहे हैं कि कैसे आप अपना इंटरनेट बिल बचा सकते हैं:
1.ऑटो अपडेट को बंद रखें: स्मार्टफोन में बहुत सी ऐप होती है जिनके लिए ऑटो अपडेट होता रहता है। इनसे ज्यादा डाटा की खपत होती है। बस उन्हें अपडेट करें जिनकी आपको जरूरत है। इसके लिए गूगल प्ले स्टोर में जाकर सेटिंग से ऑटो अपडेट को बंद किया जा सकता है और इंटरनेट बिल को कम किया जा सकता है।
2. मोबाइल डाटा लिमिट सेट करें: शायद ही आपने कभी ध्यान दिया हों कि आप जितना इंटरनेट डाटा डलवा रहे हैं उसमें से कितना आप यूज कर रहे हैं या आपका महीने का इंटरनेट के लिए औसत यूज कितना है। इसे जानने के लिए अपने एंड्रायड में उपलब्ध डाटा सेंस एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। बस आपको डाटा यूजेस की सेटिंग में जाना होगा और मोबाइल डाटा लिमिट सेट करनी होगी। इससे रोजाना आप कितना डाटा खर्च कर रहे हैं जानकारी मिलती रहेगी। यह जानकारी आपको डाटा सेंस से मिलेगी और वहीं आपको बताएगा कि आप औसतन कितना इंटरनेट डाटा उपयोग करते हैं।
3.नोटिफिकेशन को बंद रखें: स्मार्टफोन में बहुत से इ-कॉमर्स मार्केटिंग साइट्स है जो अपने ऐप के लिए नोटिफिकेशन भेजती रहती है। काफी ऐप्स हैं जो अपने अपग्रेड या ऑफर के लिए नोटिफिकेशन आपको भेजते हैं। इन नोटिफिकेशन के कारण भी आपके इंटरनेट का बिल बढ़ता है क्योंकि यह आपके डाटा का यूज करती हैं, इसलिए एप्लीकेशन की सेटिंग में जाकर पुश नोटिफिकेशन को बंद कर दें।
4.बैकग्राउंड डाटा को बंद रखें: आपको पता भी नहीं चलता लेकिन बैकग्राउंड में बहुत से एप्लीकेशन बिना यूज के चल रहे होते हैं यही इंटरनेट की ज्यादा खपत का कारण बनते हैं। आप इन्हें बंद कर सकते हैं। बस इसके लिए सेटिंग में जाएं और डाटा यूसेज में उपलब्ध बैकग्राउंड डाटा रिस्ट्रिक्ट पर क्लिक करें। इससे बैकग्राउंड डाटा बंद हो जाएगा और जब भी आप एप्लीकेशन ओपन करेंगे बस केवल तभी डाटा का इस्तेमाल होगा यानि दूसरे शब्दों में कहें तो आपका इंटरनेट बिल बचेगा।
5.ऐप के आधार पर डाटा सर्विस यूज करें: आपके कौनसे ऐप हैं जो 3जी से ज्यादा 2जी पर बेहतर चलेंगे, सुनिश्चित कर लें और उन्हीं के आधार पर अपनी डाटा सर्विस इस्तेमाल करें। जैसे-व्हाट्स ऐप 2जी पर अच्छा चलता है तो ऐसे में 3जी ऑन करने की जरूरत नहीं।
6.कम रेजोल्यूशन के ऑनलाइन वीडियो देखें: अगर आप ऑनलाइन वीडियो वह भी एचडी क्वालिटी के देखने के शौकिन है तो जरा संभल जाएं। ये आपके इंटरनेट डाटा की खपत ज्यादा करते हैं। इसलिए मोबाइल डाटा पर कम रेजोल्यूशन के वीडियो का प्रयोग करें और एचडी वीडियो को यूट्यूब की सेटिंग में जाकर वाइ-फाइ पर सेट कर दें। इससे डाटा बचेगा।
7.ऐप्स की फ्री कॉलिंग से बचें: आजकल ज्यादातर इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस ने अपने एप्स पर फ्री कॉलिंग की सुविधा दे रखी है फिर चाहे वह व्हाट्स ऐप हो, एफबी या वाइबर, लेकिन इन फ्री लगने वाली कॉलिंग से आपका डाटा ज्यादा खर्च होता है और लोकल कॉल के लिए तो यह बहुत महंगी साबित होती है। यदि इंटरनेशनल कॉल करनी है तो फिर भी इसका फायदा उठा सकते हैं लेकिन इन कॉल्स को वाइ-फाइ नेटवर्क पर यूज करें, इससे डाटा खपत कम होगी।
8. मोबाइल डाटा कनेक्शन की जगह वाई-फाई यूज करें: अगर संभव हो तो अपने मोबाइल का डाटा कनेक्शन कम इस्तेमाल करें और इंटरनेट को वाई-फाई पर ज्यादा प्रयोग करें।
9. फ्री गेमिंग में डाटा बंद रखें: फ्री गेमिंग ऐप किसे पसंद नहीं। सभी खेलते हैं आप भी खेलते होंगे ही, पर क्या आपको पता है इन गेम्स को खेलने के दौरान बहुत से एड नीचे आते रहते हैं। यह एड आपके डाटा की खपत करते हैं इसलिए गेम खेलने के समय डाटा को बंद रखें और बिना इंटरनेट बिल की चिंता के गेम का मजा लें।
10.डाटा कंप्रेस को ऑन रखें: डाटा कंप्रेस का ऑप्शन आपके डाटा इस्तेमाल को कम कर देता है इसलिए इसे ऑन ही रखें। यह ओपेरा, क्रोम और यूसी ब्राउजर समेत और भी बहुत से ब्राउजर में उपलब्ध रहता है।