Friday, September 12, 2014

भविष्यवाणी: औंधे मुंह गिरेगा सोना

सोना अनादि काल से ही मुद्रा का पर्याय रहा है। यह चमकीली धातु किसी अर्थव्यवस्था के लिए मेरुदंड के समान है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस धातु पर बृहस्पति, मंगल, सूर्य और शुक्र का आधिपत्य माना जाता है। पर, शनि की घोड़े जैसी अढ़ाई वर्ष की चाल इन सब पर भारी पड़ती है। शनिदेव जब-जब बुध की राशि मिथुन और कन्या में जाते हैं, इस पीली धातु में रेकॉर्ड तेजी दर्ज की जाती है। वहीं जब-जब शनि देव मंगल की राशि मेष और वृश्चिक में जाते हैं, सोने का भाव धरातल पर आकर फड़फड़ाने लगता है। अगर इतिहास पर नजर डालें तो 70 के दशक में सोना 100 डॉलर प्रति औंस के आसपास था। 11 जून 1973 को शनि के बुध की राशि मिथुन में पहुंचते ही सोने ने उछलना शुरू कर दिया और सोने के भाव नई ऊंचाई की तरफ दिखने लगे।
4 नवंबर 1979 को जब शनि ने बुध की राशि कन्या में दस्तक दी, गोल्ड ने छलांग मारी और 381 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार करने लगा। इसके बाद सिर्फ 78 दिन में यानी 21 जनवरी 1980 को सोने ने 873 डॉलर का नया उच्चतम स्तर चूमा, जो अब तक की सोने में सबसे बड़ी तेजी थी। ये बुध की शनि की करामात का प्रत्यक्ष दर्शन था, पर जैसे ही शनि महाराज कन्या से विदा होकर शुक्र की तुला में पहुंचे, सोने की तेजी का उबाल ठंडा पड़ने लगा था।
17 सितंबर 1985 को शनिदेव के मंगल की राशि वृश्चिक में पहुंचते ही इस पीली चमकदार धातु की चमक लोहे की तरह कुम्हला गई और 873 डॉलर प्रति औंस पर इतराने वाला सोना पिचके हुए गुब्बारे की तरह 318 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। यह मंगल की राशि वृश्चिक में शनिदेव की दस्तक का सिर्फ एक ट्रेलर था।
19 अप्रैल 1998 को जब सूर्य के इस पुत्र ने मंगल की दूसरी राशि मेष में अपने चरण रखे तो इस कीमती धातु की कीमत का बंटाधार हो गया। इस चमकीली धातु से चमक ही गायब हो गई औऱ सोना एक समय में 873 डॉलर पर झूमने वाला अगले कारोबारी दिवस में 308.2 डॉलर प्रति औंस पर हांफने लगा। इसके बाद से सोना शनि के प्रकोप से बेनूर हो गया औऱ तेजड़िये बरबाद। सोना तब तक खराब निवेश में शुमार हो चुका था।
तारीख थी 25 अगस्त 1999 औऱ सोने का भाव बचा था सिर्फ 253 डॉलर प्रति औंस। यह उसके सर्वोच्च भाव का मात्र 28.91% था। इसके बाद सोने में तब तक कोई विशेष गतिविधि नहीं दर्ज की गई जब तक शनि पुत्र मिथुन राशि में नहीं आ गया। 23 जुलाई 2002 को जब शनिदेव के चरण पुन: बुध की राशि में पड़े स्वर्ण का कायाकल्प हो गया और 275 डॉलर वाला सोना मटक कर अगले कुछ समय में दोगुना-तिगुना खड़ा हो गया।
10 सितंबर 2009 को जब शनि महाराज पुन: बुध की दूसरी राशि कन्या में पहुंचे, सोने का हौसला बुलंद होने लगा औऱ मंदाड़िये दिवालिया। सोना रोज नए कीर्तिमान बनाने लगा। सन् 2011 के सितंबर की छठी तारीख को गोल्ड ने अपना उच्चतम स्तर बनाया और वह था 1923.70 डॉलर प्रति औंस का। यह सोने के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी छलांग थी। 15 नवंबर 2011 को शनि के शुक्र की राशि तुला में प्रवेश ने गोल्डेन मेटर की तेजी पर कुछ हद तक रोक तो लगाई, पर यह लगाम मामूली थी, पर इतना तो है कि 1923.70 डॉलर वाला सोना 1300 डॉलर के नीचे खड़ा हो गया।
2 नवंबर 2014 की रात 8 बजकर 54 मिनट पर शनिदेव पुन: मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश कर रहे हैं। निश्चित रूप से अब सोने की गर्दन नपना तय नज़र आ रहा है और सोने में नई गिरावट का आगाज़ होने की पूर्ण संभावना है। हालांकि सोना अपने प्रोसेसिंग शुल्क से कुछ सौ डॉलर ही ऊपर है, लेकिन आनेवाले दिन सोने के भाव में नई तबाही का इशारा कर रहे हैं।
अगले वर्षों में सोने के दाम में नई गिरावट की भूमिका तैयार हो रही है। एक गलत कदम सोने के तेजड़ियों को बरबाद करने की तैयारी कर रहा है और हमारे घरों की लक्ष्मी पुन: स्वर्ण श्रृंगार की बाट जोह रही है। बॉर्डर पर तनाव, जगह-जगह खून-खराबे के बावजूद सोने के भाव रसातल में ही जाएंगे, इस बात की पूर्ण संभावना नजर आ रही है। हकीकत में क्या होगा, यह वक्त के गर्भ में है, पर लगता तो है कि सोने के तेजड़ियों के लिए ग्रह शांति, पूजन औऱ हवन करने का समय आ रहा है।

0 comments:

Post a Comment