दैनिक भास्कर के कुछ कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट व अन्य अधिकारियों को एक मेल भेजा है, जिसे मैं आपके पास भेज रहा हूं। हो सकता है कि यह बतौर सुबूत कुछ काम आ सके।
सेवा में,
रजिस्ट्रार,
सुप्रीम कोर्ट,
नई दिल्ली।
विषय-अखबारों द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का।
महोदय,
निवेदन पूर्वक कहना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केस नंबर 246 के तहत पत्रकारों व गैर पत्रकारों के लिए मजीठिया वेज वोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के फैसले की अवमानना विभिन्न राज्यों में संचालित कुछ अखबारों द्वारा की जा रही है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 07 फरवरी 2014 को दिए अपने फैसले में पत्रकारों व गैर पत्रकारों को नवंबर 2011 से एरियर सहित मजीठिया वेज वोर्ड की सिफाशिों के अनुरूप वेतनमान देने को कहा था।
माननीय न्यायालय के आदेश के बाद अखबार कर्मियों में काफी उम्मीदें बंधी थी लेकिन अखबारों द्वारा वेज वोर्ड देने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना का मामला बनता है। इतना ही नहीं, दैनिक भास्कर के कर्मियों से जबरन एक पेपर हस्ताक्षर लेकर वेज वोर्ड के अनुसार वेतनामन व एरियर नहीं देने की बातें कही गई है, जो गैर कानूनी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन है कि इस दिशा में कार्रवाई कर पत्रकारों व गैर पत्रकारों को मजीठिया वेज वोर्ड के अनुसार वेतनमान व एरियर दिलाने की कृपा की जाए।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
सेवा में,
रजिस्ट्रार,
सुप्रीम कोर्ट,
नई दिल्ली।
विषय-अखबारों द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का।
महोदय,
निवेदन पूर्वक कहना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केस नंबर 246 के तहत पत्रकारों व गैर पत्रकारों के लिए मजीठिया वेज वोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के फैसले की अवमानना विभिन्न राज्यों में संचालित कुछ अखबारों द्वारा की जा रही है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 07 फरवरी 2014 को दिए अपने फैसले में पत्रकारों व गैर पत्रकारों को नवंबर 2011 से एरियर सहित मजीठिया वेज वोर्ड की सिफाशिों के अनुरूप वेतनमान देने को कहा था।
माननीय न्यायालय के आदेश के बाद अखबार कर्मियों में काफी उम्मीदें बंधी थी लेकिन अखबारों द्वारा वेज वोर्ड देने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना का मामला बनता है। इतना ही नहीं, दैनिक भास्कर के कर्मियों से जबरन एक पेपर हस्ताक्षर लेकर वेज वोर्ड के अनुसार वेतनामन व एरियर नहीं देने की बातें कही गई है, जो गैर कानूनी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन है कि इस दिशा में कार्रवाई कर पत्रकारों व गैर पत्रकारों को मजीठिया वेज वोर्ड के अनुसार वेतनमान व एरियर दिलाने की कृपा की जाए।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
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