Friday, November 6, 2015

सीएफसीएल लगाएगी कोटा में एक और यूरिया प्लांट

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा।  गढ़ेपान में चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लि . (सीएफसीएल) एक और यूरिया प्लांट  लगाएगी। इस साइट पर कंपनी के 2 प्लांट पहले से चल रहे हैं। नए प्लांट पर कंपनी 5940 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसकी उत्पादन क्षमता 1.34 मिलियन मीट्रिक टन सालाना होगी। दो दिन पहले दिल्ली में हुई कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी भी दे दी गई है। 
नए और पुराने प्लांट मिलाकर हर साल 3.34 मिलियन मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन करेंगे, जो देश में एक साइट पर कहीं भी नहीं है। ऐसे में कोटा जिला देश का सबसे बड़ा यूरिया उत्पादक हो जाएगा। उच्च तकनीक पर बनने वाले नए प्लांट के लिए कंपनी 4950 करोड़ रुपए उधार लेगी, जबकि शेष राशि आंतरिक सोर्सेज से जुटाएगी। कंपनी ने 3 नवंबर को ही हुई बैठक के तत्काल बाद बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर इसका आफिशियल कॉर्पोरेट अनाउंसमेंट भी कर दिया है। आगामी एक साल में इसका काम शुरू होने के आसार है। 
सीएफसीएल सबसे बड़ी यूरिया उत्पादक कंपनी
सीएफसीएल प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी यूरिया उत्पादक कंपनी है। सरकारी क्षेत्र की कंपनियां प्रोडक्शन के मामले में जरूर सीएफसीएल से आगे हैं। लेकिन सरकारी सेक्टर में भी किसी कंपनी की एक साइट पर इतनी उत्पादन क्षमता नहीं है। देश को हर साल करीब 30 मिलियन मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत होती है। अब देश की जरूरत का 11.13 प्रतिशत यूरिया गढ़ेपान में बन जाएगा। गढ़ेपान में वर्तमान में सीएफसीएल के दो प्लांट हैं। पहला प्लांट (गढ़ेपान-1) वर्ष 1994 और दूसरा प्लांट (गढ़ेपान-2) वर्ष 1999 में शुरू किया गया था। दोनों प्लांट 1-1 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाले हैं। वर्तमान में कंपनी देश के करीब 11 राज्यों में यूरिया सप्लाई करती है। 
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर 
नएप्लांट के बाद स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कंपनी सूत्रों ने बताया कि एक प्लांट से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर कई लोगों को रोजगार मिलता है। सीधे तौर पर प्लांट में तो करीब 100 लोगों को ही काम मिलता है, लेकिन अन्य लेबर वर्क्स में सैकड़ों लोगों की जरूरत और होती है। कोटा में अरसे बाद कोई कंपनी बड़ा निवेश करने को सहमत हुई है। बीते करीब एक दशक का यह बड़ा निवेश माना जा रहा है। 

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