Thursday, May 22, 2014

एटीएम में नोट डालो और सिक्के निकालो

कोटा। खुल्ले पैसे को लेकर अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। एटीएम में नोट डालो और सिक्के निकालो। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत कुछ बैंकों ने कॉइन वेंडर मशीनें लगाई हैं। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक वीएस राठौड़ ने बताया कि सिक्कों की कालाबाजारी रोकने के लिए बैंक ने कोटड़ी गोरधनपुरा सर्किल शाखा पर कॉइन वेंडर मशीन लगाई है। मशीन से 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्के निकलते हैं। जरूरी नहीं कि हर बार ग्राहक को 5 या 2 के ही सिक्के मिलें। यह उपलब्धता के ऊपर है। ग्राहक एक बार में 100 रुपए से ज्यादा के सिक्के नहीं निकाल सकेगा। फिलहाल पांच के सिक्कों की कमी चल रही है।

विदेश में फजीहत करा आए आईएएस अफसर निरंजन आर्य

कोटा।  भारत स्काउट के स्टेट कमिश्नर एवं सीनियर आईएएस अधिकारी निरंजन आर्य देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अंतर महाद्वीपीय कार्यशाला में मलेशिया के संडाकन शहर तो गए लेकिन वहां कार्यशाला की बजाय घूमने-फिरने में ही समय बिता दिया। खास बात यह रही कि वे अपने साथ ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के डायरेक्टर को भी ले गए। आर्य के इस रवैये पर प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक ने गंभीर एतराज जताते हुए भारत स्काउट गाइड के कमिश्नर को लिखा कि भविष्य में ध्यान रखें कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। घटनाक्रम जून 2012 का है। मलेशिया के संडाकन शहर में 4 से 7 जून तक एपीआर एन्वायरनमेंट पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। स्काउट के तत्कालीन स्टेट चीफ कमिश्नर निरंजन आर्य इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे। वे वर्तमान में भी स्काउट के चीफ कमिश्नर हैं।
 कार्यशाला में 12 देशों के 16 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आर्य द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला को हल्के में लेने का मामला तब उजागर हुआ जब 12 जून 2012 को प्रशांत क्षेत्रीय रीजन के जोनल डायरेक्टर अब्दुल रशीद ने स्काउट गाइड के देश के तत्कालीन चीफ कमिश्नर एवं हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव रहे एमएल जैन को मेल भेजा।

ऐसे हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ खुलासा, कार्यशाला में पहले दो दिन बिताया बहुतक कम समय, अंतिम दिन गए ही नहीं।
उठा सवाल
-आर्य ने बताया कि वे बीमार होने से कार्यशाला में न जा सके। पर वे ये नहीं बता सके कि दोस्त को वहां क्यों लेकर गए?
- कमिश्नर ने सीएस सीके मैथ्यू को भेजी थी रशीद की नाराजगी की कॉपी- दो साल बीते, आज तक इस मामले में न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई
 बिना अनुमति ले गए साथी को  
अब्दुल रशीद ने मेल से भेजे पत्र में नाराजगी जाहिर की है कि आर्य ने कार्यशाला के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। वे कार्यशाला के पहले दिन अधिकांश समय गायब रहे, दूसरे दिन भी ये ही हालात रहे आर्य कमोबेश कार्यशाला में अनुपस्थित ही रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपने साथ संडाकन एक अन्य साथी को लेकर पहुंचे थे। जिन्हें स्काउट लीडर बताया गया। रशीद ने लिखा है कि अन्य प्रतिनिधि को साथ लेकर आने के बारे में आर्य ने न तो पहले से किसी प्रकार का संदेश दिया और न ही मेजबान देश से किसी प्रकार की अनुमति भी ली।   
भविष्य में सही प्रतिनिधि भेजें
 रशीद ने यह भी लिखा कि यह दु:खद पहलू है कि जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हो वह सक्रिय रूप से भाग भी नहीं ले रहा हो। उन्होंने लिखा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन में जिन्हें भेजा जाए, वे गंभीरता पूर्वक इनमें भाग लें तथा जो चीज यहां से सीख कर जाएं उसका प्रमुखता से देश में प्रचार-प्रसार करें। यहां गौरतलब है कि आर्य जिन्हें स्काउट लीडर के बतौर कार्यशाला में ले गए थे वे ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के निदेशक निर्मल तंवर थे। भारत के चीफ कमिश्नर के कार्यकारी निदेशक आरके शर्मा ने मेल की इस कॉपी को तत्कालीन सीएस सीके मैथ्यू को भी कार्यवाही के फॉरवर्ड किया लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है । आर्य उस समय सीएमओ में विशेषाधिकारी के पद पर थे।  

मामला दो साल पुराना है।
 बीमार हो जाने के कारण कार्यशाला में नहीं जा सका था। रशीद साहब के पत्र का उसी समय जवाब भेज दिया गया है।'
- निरंजन आर्य, सदस्य, राजस्व मंडल राजस्थान

फेसबुक लाएगी खुद की वीडियो चैट सर्विस

कोटा। स्नैपचैट को खरीदने में नाकाम रहने के बाद फे
स्लिंगशॉट ऐप के जरिए कंपनी यूजर्स को फोटो या वीडियो भेजने की सुविधा देगी। किसी एक कॉन्टैक्ट को भेजे गए फोटो या वीडियो को डिलीट होने से पहले सिर्फ एक बार देखा जा सकेगा।
वर्ष 2012 में फेसबुक ने स्नैपचैट के मुकाबले 'पोक' नाम से सर्विस लांच की थी, लेकिन यह यूजर्स, खास तौर पर युवाओं के बीच लोकप्रिय नहीं हो पाई।हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल युवा यूजर्स फेसबुक के मुकाबले स्नैपचैट पर ज्यादा फोटो-वीडियो अपलोड करते हैं। स्नैपचैट पर हर रोज करीब 40 करोड़ फोटो-वीडियो अपलोड किए जाते हैं, जबकि फेसबुक पर यह संख्या 35 करोड़ ही है। गौरतलब है कि फेसबुक ने स्नैपचैट को 3 अरब डॉलर में खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई।

सबुक अपनी खुद की वीडियो चैट सर्विस डेवलप करने पर काम कर रही है। फिलहाल कंपनी ने इसका नाम 'स्लिंगशॉट' रखा है।

सरफेस प्रो-3 लेगा लैपटॉप की जगहः माइक्रोसॉफ्ट

कोटा। माइक्रोसॉफ्ट ने तीसरी पीढ़ी का सरफेस प्रो-3 डिवाइस पेश किया, जिसकी स्क्रीन पिछले वाले मॉडल से बड़ी है, लेकिन वजन में ऐपल के मैकबुक एयर से भी कम। उम्मीद जताई जा रही है कि यह लैपटॉप की जगह ले लेगा। माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से सरफेस प्रो-2 पेश किए जाने के साल भर से कम समय में 12 इंच का सर्फेस प्रो-2 पेश किया गया था। इसकी तारीफ टैबलेट के रूप में कारगर पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) के तौर पर की गई थी, लेकिन यह डिवाइस बाजार को आकर्षित नहीं कर सका। इसके बाद कंपनी ने सर्फेस मिनी पेश करने की घोषणा की, लेकिन ऐसा हो पाया। बहरहाल, माइक्रोसॉफ्ट के कॉर्पोरेट उपाध्यक्ष पैनोस पैने ने सरफेस प्रो-3 के बारे में कहा, 'यह ऐसा टैबलेट है जो लैपटॉप की जगह ले सकता है।' माइक्रोसॉफ्ट ने नए डिजाइन में बिजनेस करने वाले प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखा है। कंपनी की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है, 'सरफेस प्रो-3 टैबलेट है और लैपटाप भी। यह मल्टीपल प्रोसेसर, रैम और स्टोरेज विकल्पों के साथ बेहतरीन डिजाईन में उपलब्ध है। यह 11 इंच के मैकबुक एयर से 30 प्रतिशत पतला है।'

आखिरकार भारत 'अंग्रेजों" से मुक्त हुआ

सोलह मई का दिन भारत के इतिहास में एक ऐसे दिन की तरह याद रखा जाए, जब आखिरकार इस देश से अंग्रेजों की विदाई हुई। चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत ने उस लंबे दौर का अंत कर दिया है, जिसमें सत्ता के ढांचे ब्रिटिश राज से बहुत अलग नहीं हुआ करते थे। अनेक मायनों में कांग्रेस पार्टी के राज में भारत में ब्रिटिश राज ही बदस्तूर जारी था। 'आधी रात की संतानें" अब उम्र की सातवीं दहाई में होंगी, लेकिन वास्तव में भारत में यह बदलाव आजादी के समय जन्मी पीढ़ी के परिदृश्य से हट जाने भर से ही नहीं आया है।
जिस भारत में इस पीढ़ी ने अपनी पूरी उम्र बिता दी, वह एक बंधक और बेड़ियों में जकड़ा हुआ भारत था। उस पर अंग्रेजी बोलने वाले चंद गिने-चुने कुलीनों का राज था, जिनका रवैया देश की आम जनता के प्रति कभी हितैषी तो कभी शोषक का भले ही रहता आया हो, लेकिन उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी करने का मौका कभी नहीं दिया गया था। लोकतांत्रिक मताधिकार ने भारतीयों को वोट देने की ताकत तो दे दी, लेकिन वे अपनी आवाज को नहीं खोज पाए थे। अलबत्ता, कभी-कभी उनकी आवाज सुनाई जरूर पड़ती थी, जैसा कि वर्ष 1977 में हुआ, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए अलोकप्रिय आपातकाल के बाद चुनाव हुए और भारतीयों ने अपने देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल डालने के लिए निर्णायक जनादेश दिया। लेकिन आजाद भारत के इतिहास में ऐसे क्षण ज्यादा नहीं थे।
अब एक बार फिर वह आवाज सुनाई दी है। इस आवाज ने नरेंद्र मोदी के रूप में अपना नया नेता चुन लिया है। मोदी नीची जाति से वास्ता रखते हैं। वे बहुत अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल पाते। उनका उन सेकुलर और समाजवादी परंपराओं से भी कोई सरोकार नहीं है, जो कांग्रेस की बुनियाद में थीं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आवाज ने एक नए भारत का जयघोष कर दिया है। पुराने भारत में जब कुलीन वर्ग का मन करता था या जब उसे वोट हासिल करने की, या कहें वोट खरीदने की जरूरत महसूस होती थी, तभी वह गरीबों की मदद करता था। मध्यवर्ग की अनदेखी की जाती थी और कभी-कभी तो अवमानना भी। लेकिन नए भारत की खैरातों में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है और अपमानित होने का भी उसे कोई शौक नहीं है।

एप्‍पल को पछाड़ गूगल बनी दुनिया की टॉप कंपनी

वैल्‍यू के मामले में अमेरिका की सर्च इंजन कंपनी गूगल ने टेक्‍नोलॉजी दिग्‍गज एप्‍पल को पीछे छोड़ दिया है। ग्‍लोबल मार्केट रिसर्च एजेंसी मिलवार्ड ब्राउन ने बुधवार को बताया कि गूगल की ब्रांड वैल्‍यू एक साल में 40 फीसदी की वृद्धि के साथ 158.84 अरब डॉलर हो गई है। गूगल की ब्रांड वैल्‍यू बढ़ाने में गूगल ग्‍लास का अहम योगदान है।
 गूगल ग्‍लास इंटरनेट से जुड़ा एक चश्‍मा है। एप्‍पल की ब्रांड वैल्‍यू में इस साल 20 फीसदी की गिरावट आई है, जो पिछले तीन सालों से लगातार टॉप ब्रांड बना हुआ था । वर्तमान में इसकी ब्रांड वैल्‍यू 147.88 अरब डॉलर है। ब्रांड वैल्‍यू की गणना कंपनी के वित्‍तीय प्रदर्शन और उसकी उपभोक्‍ताओं तक पहुंच के आधार पर की जाती है। आईबीएम
 दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ब्रांड

आईबीएम है। इस साल इसकी ब्रांड वैल्‍यू में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वर्तमान में इस ब्रांड की वैल्‍यू 107.54 अरब डॉलर है। इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉरपोरेशन (आईबीएम) एक अमेरिकन मल्‍टीनेशनल टेक्‍नोलॉजी और कंसलटिंग कंपनी है। इसका मुख्‍यालय न्‍यूयॉर्क के अरमोंक में है। आईबीएम कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का निर्माण और बिक्री करती है। इसके अलावा कंपनी मेनफ्रेम कम्‍प्‍यूटर्स से लेकर नैनोटेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, होस्टिंग और कंसल्टिंग सर्विस भी मुहैया कराती है।
माइक्रोसॉफ्ट
 की ब्रांड वैल्‍यू एक फीसदी वृद्धि के साथ 90.19 अरब डॉलर हो गई है। बावजूद इसके दुनिया की टॉप ब्रांड सूची में इसका स्‍थान चौथा है। माइकोसॉफ्ट कॉरपोरेशन भी एक अमेरिकन मल्‍टीनेशनल कंपनी है, जिसका मुख्‍यालय वॉशिंगटन के रेडमोंड में है। यह कंपनी कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर, कंज्‍यूमर इलेक्‍ट्रोनिक्स और पर्सनल कम्‍प्‍यूटर्स को डेवलप, निर्माण, लाइसेंस, सपोर्ट और बिक्री करती है। राजस्‍व के मामले में यह दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी है।

एटीएम बोलेगा, आपको कितना कैश चाहिए

कोटा।  जल्दी ही आपका वास्ता ऐसे एटीएम से पड़ेगा, जो आपसे बातचीत करेंगे। ये एटीएम आपसे पूछेंगे कि आपको कितना कैश चाहिए। ये एटीएम आपको बताएंगे भी कि आपके खाते में कितना पैसा है। आरबीआई के ताजा निर्देश के बाद बैंकों को अब बातचीत और ब्रेल कीपैड सुविधा से युक्त एटीएम स्थापित करने होंगे। यह निर्देश एक जुलाई 2014 से लागू हो जाएगा। इसके बाद बैंक जितने भी एटीएम स्थापित करेंगे, उनमें यह दोनों सुविधाएं निश्चित तौर पर मौजूद होंगी। इसके अलावा बैंकों को उन सभी एटीएम में भी यह सुविधाएं स्थापित करनी होंगी, जिनमें अभी यह सुविधा नहीं है। बैंकों को एक समय सीमा के भीतर यह काम करना होगा।
 रैम्प की सुविधा भी देनी होगी
इसके अलावा बैंकों को सभी एटीएम के साथ रैम्प की सुविधा भी देनी होगी, ताकि व्हील चेयर इस्तेमाल करने वाले या शारीरिक अक्षमता वाले लोग आसानी से एटीएम तक पहुंच सकें। बैंकों को यह भी ध्यान देना होगा कि एटीएम की ऊंचाई व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वालों के लिए परेशानी पैदा न करे।
 बैंक देंगे मैग्निफाइंग ग्लासेज
यही नहीं, आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी शाखाओं के प्रवेश द्वार (इन्ट्रेन्स) पर रैम्प की सुविधा दें, ताकि ऐसे लोग आसानी से बैंक शाखा में प्रवेश कर सकें। बैंकों को यह भी कहा गया है कि वे कम देख सकने वाले लोगों के लिए मैग्निफाइंग ग्लासेज की व्यवस्था करें।