कोटा। भारत स्काउट के स्टेट कमिश्नर एवं सीनियर आईएएस अधिकारी निरंजन आर्य देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अंतर महाद्वीपीय कार्यशाला में मलेशिया के संडाकन शहर तो गए लेकिन वहां कार्यशाला की बजाय घूमने-फिरने में ही समय बिता दिया। खास बात यह रही कि वे अपने साथ ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के डायरेक्टर को भी ले गए। आर्य के इस रवैये पर प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक ने गंभीर एतराज जताते हुए भारत स्काउट गाइड के कमिश्नर को लिखा कि भविष्य में ध्यान रखें कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। घटनाक्रम जून 2012 का है। मलेशिया के संडाकन शहर में 4 से 7 जून तक एपीआर एन्वायरनमेंट पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। स्काउट के तत्कालीन स्टेट चीफ कमिश्नर निरंजन आर्य इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे। वे वर्तमान में भी स्काउट के चीफ कमिश्नर हैं।
कार्यशाला में 12 देशों के 16 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आर्य द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला को हल्के में लेने का मामला तब उजागर हुआ जब 12 जून 2012 को प्रशांत क्षेत्रीय रीजन के जोनल डायरेक्टर अब्दुल रशीद ने स्काउट गाइड के देश के तत्कालीन चीफ कमिश्नर एवं हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव रहे एमएल जैन को मेल भेजा।
ऐसे हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ खुलासा, कार्यशाला में पहले दो दिन बिताया बहुतक कम समय, अंतिम दिन गए ही नहीं।
उठा सवाल
-आर्य ने बताया कि वे बीमार होने से कार्यशाला में न जा सके। पर वे ये नहीं बता सके कि दोस्त को वहां क्यों लेकर गए?
- कमिश्नर ने सीएस सीके मैथ्यू को भेजी थी रशीद की नाराजगी की कॉपी- दो साल बीते, आज तक इस मामले में न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई
बिना अनुमति ले गए साथी को
अब्दुल रशीद ने मेल से भेजे पत्र में नाराजगी जाहिर की है कि आर्य ने कार्यशाला के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। वे कार्यशाला के पहले दिन अधिकांश समय गायब रहे, दूसरे दिन भी ये ही हालात रहे आर्य कमोबेश कार्यशाला में अनुपस्थित ही रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपने साथ संडाकन एक अन्य साथी को लेकर पहुंचे थे। जिन्हें स्काउट लीडर बताया गया। रशीद ने लिखा है कि अन्य प्रतिनिधि को साथ लेकर आने के बारे में आर्य ने न तो पहले से किसी प्रकार का संदेश दिया और न ही मेजबान देश से किसी प्रकार की अनुमति भी ली।
भविष्य में सही प्रतिनिधि भेजें
रशीद ने यह भी लिखा कि यह दु:खद पहलू है कि जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हो वह सक्रिय रूप से भाग भी नहीं ले रहा हो। उन्होंने लिखा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन में जिन्हें भेजा जाए, वे गंभीरता पूर्वक इनमें भाग लें तथा जो चीज यहां से सीख कर जाएं उसका प्रमुखता से देश में प्रचार-प्रसार करें। यहां गौरतलब है कि आर्य जिन्हें स्काउट लीडर के बतौर कार्यशाला में ले गए थे वे ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के निदेशक निर्मल तंवर थे। भारत के चीफ कमिश्नर के कार्यकारी निदेशक आरके शर्मा ने मेल की इस कॉपी को तत्कालीन सीएस सीके मैथ्यू को भी कार्यवाही के फॉरवर्ड किया लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है । आर्य उस समय सीएमओ में विशेषाधिकारी के पद पर थे।
मामला दो साल पुराना है।
बीमार हो जाने के कारण कार्यशाला में नहीं जा सका था। रशीद साहब के पत्र का उसी समय जवाब भेज दिया गया है।'
- निरंजन आर्य, सदस्य, राजस्व मंडल राजस्थान
कार्यशाला में 12 देशों के 16 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आर्य द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला को हल्के में लेने का मामला तब उजागर हुआ जब 12 जून 2012 को प्रशांत क्षेत्रीय रीजन के जोनल डायरेक्टर अब्दुल रशीद ने स्काउट गाइड के देश के तत्कालीन चीफ कमिश्नर एवं हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव रहे एमएल जैन को मेल भेजा।
ऐसे हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हुआ खुलासा, कार्यशाला में पहले दो दिन बिताया बहुतक कम समय, अंतिम दिन गए ही नहीं।
उठा सवाल
-आर्य ने बताया कि वे बीमार होने से कार्यशाला में न जा सके। पर वे ये नहीं बता सके कि दोस्त को वहां क्यों लेकर गए?
- कमिश्नर ने सीएस सीके मैथ्यू को भेजी थी रशीद की नाराजगी की कॉपी- दो साल बीते, आज तक इस मामले में न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई
बिना अनुमति ले गए साथी को
अब्दुल रशीद ने मेल से भेजे पत्र में नाराजगी जाहिर की है कि आर्य ने कार्यशाला के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। वे कार्यशाला के पहले दिन अधिकांश समय गायब रहे, दूसरे दिन भी ये ही हालात रहे आर्य कमोबेश कार्यशाला में अनुपस्थित ही रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपने साथ संडाकन एक अन्य साथी को लेकर पहुंचे थे। जिन्हें स्काउट लीडर बताया गया। रशीद ने लिखा है कि अन्य प्रतिनिधि को साथ लेकर आने के बारे में आर्य ने न तो पहले से किसी प्रकार का संदेश दिया और न ही मेजबान देश से किसी प्रकार की अनुमति भी ली।
भविष्य में सही प्रतिनिधि भेजें
रशीद ने यह भी लिखा कि यह दु:खद पहलू है कि जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हो वह सक्रिय रूप से भाग भी नहीं ले रहा हो। उन्होंने लिखा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन में जिन्हें भेजा जाए, वे गंभीरता पूर्वक इनमें भाग लें तथा जो चीज यहां से सीख कर जाएं उसका प्रमुखता से देश में प्रचार-प्रसार करें। यहां गौरतलब है कि आर्य जिन्हें स्काउट लीडर के बतौर कार्यशाला में ले गए थे वे ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय के निदेशक निर्मल तंवर थे। भारत के चीफ कमिश्नर के कार्यकारी निदेशक आरके शर्मा ने मेल की इस कॉपी को तत्कालीन सीएस सीके मैथ्यू को भी कार्यवाही के फॉरवर्ड किया लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है । आर्य उस समय सीएमओ में विशेषाधिकारी के पद पर थे।
मामला दो साल पुराना है।
बीमार हो जाने के कारण कार्यशाला में नहीं जा सका था। रशीद साहब के पत्र का उसी समय जवाब भेज दिया गया है।'
- निरंजन आर्य, सदस्य, राजस्व मंडल राजस्थान
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