Sunday, May 11, 2014

अरब ने इस साल 50 हजार टन ज्यादा मंगाया हमारा बासमती

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। हाड़ौती एवं मध्यप्रदेश के पड़ोसी श्योपुर जिले में होने वाले बासमती चावल की महक खाड़ी देशों तक पहुंच रही है। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले में इस बार यहां से 50 हजार मीट्रिक टन निर्यात अधिक हुआ है।
 हाड़ौती के कोटा, बूंदी एवं बारां जिले के अलावा श्योपुर की जमीन में उपजा बासमती चावल पूसा-4 (1121) के नाम से इंटरनेशनल ब्रांड बनकर खाड़ी देशों में इतनी शोहरत पा चुका है कि वहां दुनिया के नंबर वन कहे जाने वाले पाकिस्तानी बासमती चावल को पीछे छोड़ दिया है। बीते तीन साल में हाड़ौती के बासमती चावल को कुवैत, कतर, बहरीन, सऊदी अरब, दुबई एवं दोहा आदि देशों में काफी पसंद किया जाने लगा है। खाड़ी देशों में महंगे चावलों की खपत ज्यादा है।
विदेशों में दुगने दाम पर
भारतीय बाजार में यहां का बासमती चावल 110 से 120 रुपए किलो तक बिकता है। खाड़ी देशों में इसके दाम 250 से 300 रुपए किलो के आसपास हैं। कोटा मंडी में पिछले दिनों 4200 से 4400 रुपए क्विंटल धान के भाव रहे हैं। पाकिस्तानी बासमती धान 4500 रुपए क्विंटल तक बिका है।  
इस बार एक लाख मीट्रिक टन धान की अधिक आवक
पूरे सीजन में कोटा एवं बूंदी मंडी में मिलाकर इस बार 4.50 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई है। जो पिछले साल से एक लाख मीट्रिक टन ज्यादा है। कोटा एवं बूंदी मंडी में वित्त वर्ष 2012-13 में धान की प्रमुख किस्मों की आवक 3.50 मीट्रिक टन की हुई थी। इस बार वित वर्ष 2013-14 में 4.50 लाख मीट्रिक टन की आवक हुई है। जो पिछले वर्ष से एक लाख मीट्रिक टन अधिक है।
पैदा हाड़ौती में, नाम है पाकिस्तानी बासमती
 शुरू में पाकिस्तानी बासमती धान पाकिस्तान से आया था। बाद में भारत में इसकी हाईब्रिड किस्में तैयार की गई, जिसकी कम लागत में अधिक पैदावार होती है। अब उसकी जगह हाईब्रिड किस्म पूसा बासमती-1121 ने ले ली है। धान के प्रमुख व्यापारी नीलेश पटेल ने बताया कि अब पाकिस्तानी बासमती का नाम ही रह गया। दो साल से इसकी आवक और पैदावार कम हो रही है। पूरे सीजन में 10 हजार बोरी से ज्यादा नहीं आया। इसकी जगह अब हाईब्रिड बासमती चावल 1121, पूसा-1 एवं सुगंधा आदि आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा पूसा-1121 बासमती चावल ही आ रहा है। यही एक्सपोर्ट हो रहा है।


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