कोटा। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में पैदा हो रहे बासमती चावल की महक खाड़ी देशों तक पहुंच चुकी है। राजस्थान के कोटा, बारां एवं बूंदी के व्यापारियों ने इसकी ख्याति खाड़ी देशों तक पहुंचा दी है। श्योपुर की जमीन में उपजा बासमती चावल पूसा-04 (1121) नाम से इंटरनेशनल ब्रांड बनकर खाड़ी देशों में इतना मशहूर हो चुका है कि वहां के लोगों ने दुनिया के नंबर वन कहे जाने वाले पाकिस्तानी बासमती को खाना कम कर दिया है। बीते तीन साल से श्योपुर में उत्पादित पूसा बासमती की मांग कुवैत, कतर, बेहरीन, सऊदी अरब, दुबई जैसे कई खाड़ी राष्ट्रों में लगातार बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि यह देश महंगे चावलों की खपत के लिए मशहूर हैं। यहां दुनिया के चुनिंदा देश ही अपना चावल भेज पाते हैं। इनमें श्योपुर के चावल का शामिल होना क्षेत्र के लिए गौरव की बात है, पर यह गौरव हाड़ौती के व्यापारियों की देन है।
किसान को भी दोगुनी इनकम
श्योपुर के चावल की क्वालिटी और मांग इसी से समझी जा सकती है कि भारतीय बाजार में अभी भी यह चावल 110 से 120 रुपए किलो में बिक रहा है। जबकि खाड़ी देशों में इसकी रेट 260 से 300 रुपए प्रतिकिलो तक होती है। इसकी पैदावार करने वाले किसान को भी चावल की अन्य फसलों की तुलना में दोगुनी आय होती है। अंचल में सबसे ज्यादा चावल डबरा में पैदा होता है यहां की धान 2200 रुपए क्विंटल है, जबकि पूसा बासमती की धान राजस्थान के व्यापारी 4200 से 4300 रुपए क्विंटल में खरीद रहे हैं।
यहां की काली मिट्टी को जाता है श्रेय
पूसा बासमती की खेती श्योपुर तहसील के अलावा बड़ौदा व कराहल के करीब 55 गांवों के 2200 से ज्यादा किसान करते हैं। श्योपुर के अलावा इसकी खेती राजस्थान के बारा जिले में भी होती है। लेकिन वहां का क्षेत्रफल श्योपुर की तुलना में कम है। पूसा बासमती की खेती के लिए इन क्षेत्रों की जमीन को ही श्रेय जाता है। यहां की जमीन गहरे काले रंग की है, जिसमें आयरन की मात्रा ज्यादा है।
इसलिए खास है पूसा बासमती चावल
-पूसा-04 चावल में आयरन की मात्रा दुनिया के किसी भी चावल से ज्यादा है। चूंकि आयरन शरीर में खून बढ़ाता है, इसलिए विदेशों में आयरन वाले चावल की खासी मांग रहती है।
-भारत में सबसे बेहतरीन क्वालिटी के बासमती की लंबाई 07 से 08 मिमी होती है। वहीं दुनिया के बेहतरीन चावलों में एक पाकिस्तानी बासमती की लंबाई 08 से 09 मिमी से बीच रहती है। जबकि पूसा-04 की लंबाई 09 से10 मिमी होती है।
-फैक्ट्री में धान से चावल निकलने के बाद कैमिकल से सफाई कर उसकी पॉलिश होती है, जबकि पूसा बासमती पॉलिश किए बिना ही शानदार दिखता है।
इनका कहना है
-पूसा- 04 को विदेशों में 1121 ब्रांड के बासमती के नाम से जाना जाता है। मिलों में धान से चावल निकालने के बाद इस चावल का खाड़ी देशों में भेजा जा रहा है। तीन साल में ही खाड़ी देशों पूसा चावल की मांग पाकिस्तानी बासमती से ज्यादा हो गई है।
-वेदप्रकाश ठक्कर संचालक, बालाजी राइस मिल, बारा (राजस्थान)
-पहले हम पाकिस्तानी बासमती ही खरीदते थे। अब इंडिया से आ रहा 1121 बासमती उपयोग कर रहे हैं। इसका टेस्ट व खुशबू अन्य महंगे चावलों से अच्छी है। आपने ही बताया है कि यह चावल श्योपुर से आ रहा है। जानकर अच्छा लगा कि हमारे यहां की चीज की अरब में अच्छी मांग है।
-शाहरुख खान, कुवैत में रह रहा श्योपुर का युवक
किसान को भी दोगुनी इनकम
श्योपुर के चावल की क्वालिटी और मांग इसी से समझी जा सकती है कि भारतीय बाजार में अभी भी यह चावल 110 से 120 रुपए किलो में बिक रहा है। जबकि खाड़ी देशों में इसकी रेट 260 से 300 रुपए प्रतिकिलो तक होती है। इसकी पैदावार करने वाले किसान को भी चावल की अन्य फसलों की तुलना में दोगुनी आय होती है। अंचल में सबसे ज्यादा चावल डबरा में पैदा होता है यहां की धान 2200 रुपए क्विंटल है, जबकि पूसा बासमती की धान राजस्थान के व्यापारी 4200 से 4300 रुपए क्विंटल में खरीद रहे हैं।
यहां की काली मिट्टी को जाता है श्रेय
पूसा बासमती की खेती श्योपुर तहसील के अलावा बड़ौदा व कराहल के करीब 55 गांवों के 2200 से ज्यादा किसान करते हैं। श्योपुर के अलावा इसकी खेती राजस्थान के बारा जिले में भी होती है। लेकिन वहां का क्षेत्रफल श्योपुर की तुलना में कम है। पूसा बासमती की खेती के लिए इन क्षेत्रों की जमीन को ही श्रेय जाता है। यहां की जमीन गहरे काले रंग की है, जिसमें आयरन की मात्रा ज्यादा है।
इसलिए खास है पूसा बासमती चावल
-पूसा-04 चावल में आयरन की मात्रा दुनिया के किसी भी चावल से ज्यादा है। चूंकि आयरन शरीर में खून बढ़ाता है, इसलिए विदेशों में आयरन वाले चावल की खासी मांग रहती है।
-भारत में सबसे बेहतरीन क्वालिटी के बासमती की लंबाई 07 से 08 मिमी होती है। वहीं दुनिया के बेहतरीन चावलों में एक पाकिस्तानी बासमती की लंबाई 08 से 09 मिमी से बीच रहती है। जबकि पूसा-04 की लंबाई 09 से10 मिमी होती है।
-फैक्ट्री में धान से चावल निकलने के बाद कैमिकल से सफाई कर उसकी पॉलिश होती है, जबकि पूसा बासमती पॉलिश किए बिना ही शानदार दिखता है।
इनका कहना है
-पूसा- 04 को विदेशों में 1121 ब्रांड के बासमती के नाम से जाना जाता है। मिलों में धान से चावल निकालने के बाद इस चावल का खाड़ी देशों में भेजा जा रहा है। तीन साल में ही खाड़ी देशों पूसा चावल की मांग पाकिस्तानी बासमती से ज्यादा हो गई है।
-वेदप्रकाश ठक्कर संचालक, बालाजी राइस मिल, बारा (राजस्थान)
-पहले हम पाकिस्तानी बासमती ही खरीदते थे। अब इंडिया से आ रहा 1121 बासमती उपयोग कर रहे हैं। इसका टेस्ट व खुशबू अन्य महंगे चावलों से अच्छी है। आपने ही बताया है कि यह चावल श्योपुर से आ रहा है। जानकर अच्छा लगा कि हमारे यहां की चीज की अरब में अच्छी मांग है।
-शाहरुख खान, कुवैत में रह रहा श्योपुर का युवक
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