कोटा। भारी लवाजमा और 60 करोड़ रुपए हर साल खर्च करने के बाद भी सफाई व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं होने से परेशान नगर निगम अब मोबाइल एप की मदद लेगा। कोई भी व्यक्ति इस एप के जरिए सफाई संबंधी अपनी समस्या महापौर व निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को बता सकेगा। जहां सफाई नहीं हुई होगी, उस क्षेत्र के ठेकेदार का भुगतान काटा जाएगा और जिम्मेदार अधिकारी से जवाब मांगा जाएगा। इस सिस्टम को लागू करने के लिए महापौर डॉ. रत्ना जैन ने बुधवार को अनौपचारिक रूप से निगम के अधिकारियों की बैठक भी ली है। आचार संहिता खत्म होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
सफाई व्यवस्था के लिए मैनुअल मॉनिटरिंग की व्यवस्था फेल होने के बाद निगम ने कानपुर आईआईटी से पास-आउट शांतनु अग्रवाल से संपर्क किया था। उनकी कंपनी अरनियम टेक्नोलॉजी ने सिटी लेवल प्लेटफॉर्म टाइप एक एप्लीकेशन बनाई है। हालांकि इसका अभी नाम तय नहीं है, लेकिन यह नगर निगम और शहरवासियों के बीच सेतु का काम करेगा। शांतनु, महापौर व निगम के अधिकारियों के बीच इस संबंध में बैठक भी हुई है।
ऐसे मॉनिटरिंग करेगा नगर निगम
महापौर के अनुसार कंपनी शहर के कचरा प्वॉइंट्स पर अपने कर्मचारी तैनात करेगी। उनके पास जो मोबाइल कैमरा होगा वो केवल पहले से जीपीएस के जरिए फिक्स किए प्वॉइंट्स के ही फोटो ले पाएगा। वहां की फोटो कचरा उठने से पहले और बाद में दोनों समय ली जाएगी। इसकी पूरी एलबम बनेगी। ट्रॉलियों का समय भी तय किया जाएगा। तय समय में यदि कचरा नहीं उठा तो रिकॉर्ड में आ जाएगा। जनता भी यदि कचरा उठने के बाद वहां कचरा डालेगी तो इसकी भी मॉनिटरिंग हो सकेगी। एप को डाउनलोड कर कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र की फोटो भी पोस्ट कर सकेगा। लापरवाही मिलने पर संबंधित ठेकेदार का भुगतान काटा जाएगा। ऐसा ही सिस्टम आईएल कंपनी व आरटीयू ने भी बनाया है। अभी इन दोनों से भी बात की जा रही है।
2 साल लगे एप को बनाने में
एप बनाने वाले शांतनु कुमार के अनुसार इसके लिए वे 2 साल से काम कर रहे हैं। शुरू में इससे सफाई को जोड़ा जाएगा और फिर आम आदमी निगम से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए भी इसका उपयोग कर सकेगा। फोटो लेने वाले व्यक्ति की लोकेशन भी एप बता देगा। यानी दूसरी जगह का फोटो खींचकर किसी और स्थान का नहीं बताया जा सकेगा।
सफाई व्यवस्था के लिए मैनुअल मॉनिटरिंग की व्यवस्था फेल होने के बाद निगम ने कानपुर आईआईटी से पास-आउट शांतनु अग्रवाल से संपर्क किया था। उनकी कंपनी अरनियम टेक्नोलॉजी ने सिटी लेवल प्लेटफॉर्म टाइप एक एप्लीकेशन बनाई है। हालांकि इसका अभी नाम तय नहीं है, लेकिन यह नगर निगम और शहरवासियों के बीच सेतु का काम करेगा। शांतनु, महापौर व निगम के अधिकारियों के बीच इस संबंध में बैठक भी हुई है।
ऐसे मॉनिटरिंग करेगा नगर निगम
महापौर के अनुसार कंपनी शहर के कचरा प्वॉइंट्स पर अपने कर्मचारी तैनात करेगी। उनके पास जो मोबाइल कैमरा होगा वो केवल पहले से जीपीएस के जरिए फिक्स किए प्वॉइंट्स के ही फोटो ले पाएगा। वहां की फोटो कचरा उठने से पहले और बाद में दोनों समय ली जाएगी। इसकी पूरी एलबम बनेगी। ट्रॉलियों का समय भी तय किया जाएगा। तय समय में यदि कचरा नहीं उठा तो रिकॉर्ड में आ जाएगा। जनता भी यदि कचरा उठने के बाद वहां कचरा डालेगी तो इसकी भी मॉनिटरिंग हो सकेगी। एप को डाउनलोड कर कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र की फोटो भी पोस्ट कर सकेगा। लापरवाही मिलने पर संबंधित ठेकेदार का भुगतान काटा जाएगा। ऐसा ही सिस्टम आईएल कंपनी व आरटीयू ने भी बनाया है। अभी इन दोनों से भी बात की जा रही है।
2 साल लगे एप को बनाने में
एप बनाने वाले शांतनु कुमार के अनुसार इसके लिए वे 2 साल से काम कर रहे हैं। शुरू में इससे सफाई को जोड़ा जाएगा और फिर आम आदमी निगम से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए भी इसका उपयोग कर सकेगा। फोटो लेने वाले व्यक्ति की लोकेशन भी एप बता देगा। यानी दूसरी जगह का फोटो खींचकर किसी और स्थान का नहीं बताया जा सकेगा।
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