Wednesday, May 14, 2014

खुद ठीक हो जाएगी मोबाइल की टूटी स्क्रीन!

कोटा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए प्लास्टिक तैयार किया है जो अपनी टूट-फूट की "ख़ुद ही मरम्मत" कर लेगा यानी अगर आपके मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन टूट जाए या फिर आपका टेनिस रैकेट टूट जाए, तो वह अपनी मरम्मत ख़ुद ही कर लेगा।
यह पॉलीमर तीन सेमी चौड़ी दरारों के ख़ुद ही भर देगा, यह खोज ख़ून के जमने की प्रक्रिया से प्रेरित है। इसमें सूक्ष्म नलिकाओं यानी कोशिकाओं का एक जाल होता है, जो दरार वाली जगह को भरने के लिए ज़रूरी रसायन पहुँचाता है। इसे तैयार किया है यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉय के इंजीनियरों ने। इस खोज को 'साइंस' नाम की विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से ऐसे प्लास्टिक की कल्पना कर रहे हैं, जो इंसानी त्वचा की तरह अपने घाव ख़ुद भर सके। इससे पानी की पाइप और कार की बोनट में आई दरार अपने आप बंद हो जाएगी। सैटेलाइट अपने नुक़सान की ख़ुद मरम्मत कर सकेंगे। लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन की टूटी हुई इलेक्ट्रॉनिक चिप अपनी समस्याएं अपने आप सुलझा लेंगी।
इस तरह होगी मरम्मत
इसमें पहली बड़ी सफलता यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉय को 2001 में मिली थी। प्रोफ़ेसर स्कॉट व्हाइट और उनके साथियों ने एक पॉलीमर में सूक्ष्म कैप्सूलों को मिलाया। इन कैप्सूलों में मरम्मत में काम आने वाला द्रव भरा हुआ था । जब भी इस पदार्थ में दरार आती थी तो रसायन का स्राव होता था और दरारें भर जाती थी। हाल में ऐसा कंक्रीट, पानी से बचाव करने वाली परत और इलेक्ट्रिकल सर्किट बनाए गए हैं जो ख़ुद की मरम्मत करने में सक्षम हैं।
हालांकि 'साइंस' के मुताबिक़ इस तरह के प्लास्टिक या पॉलीमर भी केवल छोटी-मोटी दरारों को ही ठीक कर सकते हैं। प्रोफ़ेसर व्हाइट कहते हैं, ''यह छोटे-मोटे नुक़सान को अपने आप ठीक करने में सक्षम है लेकिन बड़े नुक़सान के मामले में अलग दृष्टिकोण की ज़रूरत है।'' यही वजह है कि बड़ी टूट-फूट को ठीक करने के लिए प्रोफ़ेसर व्हाइट और उनकी टीम ने इंसानी शिराओं और धमनियों से प्रेरित एक नए तरह का नलिका तंत्र डिजाइन किया है।
62 फ़ीसदी तक दुरुस्त किया जा सकता है
इसमें टूट-फूट वाली जगह पर सूक्ष्म नलिकाओं का एक नेटवर्क मरम्मत करने वाले रसायन ले जाता है। इसमें रसायन दो अलग-अलग धाराओं से आते हैं। यह रसायन दो चरणों में दरारों को भरता है। इसके तहत पहले दरार में गाढ़ा तरल पदार्थ भरा जाता हैं। यही पदार्थ बाद में सख़्त होकर सूख जाता है और मज़बूत संरचना बनाता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि 35 मिलीमीटर से अधिक मोटी दरार को 20 मिनट में भरा जा सकता है और तीन घंटे के अंदर प्रभावित मशीन को फिर से काम में लाया जा सकता है। परीक्षणों से पता चला है कि टूटी हुई वस्तु को 62 फ़ीसदी तक दुरुस्त किया जा सकता है। इस नए पदार्थ के निर्माण से भविष्य के उन पॉलीमरों का रास्ता साफ़ होगा, जो बंदूक की गोली, बम या रॉकेट से हुई क्षति की मरम्मत ख़ुद कर सकें।

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