Friday, May 30, 2014

डाटा सिक्योरिटी में बनिए स्मार्ट

आपकी जेब में रखा मोबाइल या बैग में पड़ा टैबलेट पर्सनल डाटा का चलता-फिरता बैंक है। हममें से कई लोग मोबाइल और टैबलेट की सुरक्षा के तो उपाय कर लेते हैं, लेकिन इसमें मौजूद डाटा को महफूज रखने को लेकर बेफिक्र रहते हैं। लेकिन मोबाइल की ही तरह उसके डाटा को सिक्योर करना जरूरी है...  
सिक्योरिटी
इंटरनेशनल डाटा कॉर्पोरेशन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2017 तक स्मार्टफोन खरीदने के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होगा। अपने मुल्क में लोग स्टेटस सिंबल और जरूरत दोनों वजहों से स्मार्टफोन रखते हैं। दूसरी रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में स्मार्टफोन की चोरी भी बढ़ी है। स्मार्टफोन से हम न सिर्फ एक-दूसरे से बात करते हैं बल्कि बैंकिंग, मेलिंग, शॉपिंग जैसे टास्क भी करते हैं। ऐसे में हमें स्मार्टफोन को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। हमें इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि डाटा में सेंध लगी तो नुकसान बड़ा हो सकता है। तो आइए अपने स्मार्टफोन के डाटा को सिक्योर्ड करते हैं...
होम स्क्रीन पासवर्ड
हर दस में तीन मोबाइल डिवाइस यूजर अपने फोन में किसी भी तरह का पासवर्ड नहीं इस्तेमाल करते। यह सिक्योरिटी का पहला कदम है। अपने मोबाइल की सेंटिग में जाकर होमस्क्रीन पासवर्ड को ऑन करें। मोबाइल में कोई न कोई पासवर्ड होना जरूरी है।
मोबाइल सिक्योरिटी एप्स
मोबाइल में ऐसे सिक्योरिटी एप्स का इस्तेमाल करिए जो वायरस से भी फोन को प्रोटेक्ट करता हो। कई एप्स फोन गुम होने पर भी डाटा सुरक्षित रखते हैं। एंड्रॉयड फोन यूजर्स इसे गूगल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। वहीं, एपल के स्मार्टफोन्स में इस तरह का एप- 'फाइंड माय फोन' प्रीलोडेड होता है।
पब्लिक वाई-फाई
अगर आपके स्मार्टफोन का इंटरनेट कनेक्शन सुरक्षित नहीं है यानी पब्लिक वाई- फाई से कनेक्टेड है तो किसी भी तरह की ऑनलाइन बैंकिंग या शॉपिंग न करिए। इसके अलावा वेबसाइट एक्सेस करने से बचें, क्योंकि वेबसाइट के साथ खुलने वाले पॉप-अप के जरिये फोन में मौजूद डाटा करप्ट या हैक हो सकता है।
एप्स अपडेट
मोबाइल फोन में जो एप्लीकेशन आपने डाउनलोड किए हैं उन्हें अपडेट करते रहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि एप्स को रन करने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम लेटेस्ट है या नहीं।
अनोन सोर्स
अक्सर हम अपने स्मार्टफोन में एंड्रायड एप्स और गेम्स डाउनलोड करते हैं। हमेशा ध्यान रखिए कि इसे अनोन सोर्स से डाउनलोड न करें। अनोन सोर्स से किसी एप को डाउनलोड करने पर वायरस आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपका फोन एंड्रायड 4.0 या उससे अपग्रेड है तो फोन की सेटिंग में जाएं। वहां सिक्योरिटी में अनोन सोर्स का ऑप्शन मिलेगा इसे डिसेबल कर दें।
यदि आपका फोन एंड्रायड 4.0 से पुराने वर्जन का है तो फोन की सेटिंग में जाएं। वहां सिक्योरिटी में अनोन सोर्स का ऑप्शन मिलेगा। यदि इस विकल्प पर टिक का निशान है तो इसे तुरंत डीसिलेक्ट कर दें।
एप को डाउनलोड करने से पहले जांचे-परखें
गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद सभी एप्स को सुरक्षित मानकर डाउनलोड नहीं कर लेना चाहिए। कई दफा एप स्टोर्स भी मिसगाइड करते हैं। ऐसे में एप्स की के रिव्यू और रेटिंग के बारे में अच्छी तरह से सर्च करना मुनासिब रहता है। जब कई वेबसाइट्स या लोगों के ऑनलाइन रिस्पॉन्स सही लगें तभी कोई एप डाउनलोड करें।

मोबाइल खरीदने से पहले
कुछ लोग बजट कम होने की वजह से सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदते हैं। कई बार खरीदने के बाद पता चलता है कि मोबाइल चोरी का है या फिर गलत तरीके से बेचा गया है। इसलिए इसके आईएमईआई नंबर को वैधता को जरूर  जांचे।  http://swappa.com/esn - इस वेबसाइट पर जाकर आप किसी भी मोबाइल का आईएमईआई
नंबर जांच सकते हैं।

याद रखें या नोट करें आईएमईआई
ये 15 अंकों की इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी है। इससे मोबाइल लोकेशन सर्च की जा सकती है। फोन चोरी होने पर एफआईआर करें। वहां इस नंबर की जरूरत पड़ेगी। आईएमईआई नंबर याद रखें। इसे जानने के लिए अपने मोबाइल पर *#0{# डॉयल करें। इससे चोरी हुए हैंडसेट को लॉक किया जा सकता है। फिर कोई भी फोन इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

डाटा जेनेटिक्स ब्लॉग ने पिछले साल चार डिजिट वाले पिन नंबर्स की खोजबीन की थी। इसके आंकड़े कुछ चौंकाने वाले थे। पूरी दुनिया में पिन पासवर्ड के लिए सबसे ज्यादा और सामान्य तरीके से इस्तेमाल होने वाले करीब पचास पिन पासवर्ड ब्लॉग ने रिलीज किए। कमोबेश हम भी मोबाइल, एटीएम के लिए ऐसे सामान्य पासवर्ड का इस्तेमाल सिक्योरिटी के लिए करते हैं इसलिए इन्हें इस्तेमाल करने से परहेज करें 
माइक्रोसॉफ्ट सेफर ऑनलाइन पोल की खास बातें:
फोन लॉक करने के लिए 35 फीसदी पुरुष पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं जबकि इस मामले में केवल 33 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।
35 फीसदी पुरुष सुरक्षित वायरलेस नेटवर्क इस्तेमाल करते हैं जबकि सिर्फ 32 फीसदी महिलाएं ऐसा करती हैं।
32 फीसदी पुरुष अपने मोबाइल डिवाइस को अपडेट करते हैं जबकि 24 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।
40 फीसदी महिलाएं अपनी जानकारी ऑनलाइन मीडियम पर सार्वजनिक नहीं करती हैं जबकि 37 फीसदी पुरुष ही ऐसा करते हैं।
34 फीसदी महिलाएं मोबाइल से ऑनलाइन मैसेज भेजने में सजग रहती हैं जबकि केवल 31 फीसदी पुरुष ही ऐसा कर पाते हैं।
70 फीसदी पुरुष अनजान आईडी से आए मेल या मैसेज को तुरंत रिसीव कर लेते हैं, जबकि 65 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं।

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