Wednesday, May 7, 2014

वेतनभोगी नए फॉर्म के साथ भरें टैक्स रिटर्न

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। तमाम लोगों ने इनकम टैक्स में छूट हासिल करने के लिए हाल में इनवेस्टमेंट डिक्लेयरेशन दिए हैं और अब टैक्स रिटर्न फाइल करने का वक्त आ रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। इस साल टैक्सपेयर्स को नया इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म यूज करना होगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म पिछले महीने नोटिफाई किए हैं। वेतनभोगी कर्मचारी अगले कुछ हफ्तों में अपने एम्प्लॉयर्स से फॉर्म 16 पाएंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें इन कर्मचारियों को रिटर्न फाइल करने का प्रॉसेस शुरू कर देना चाहिए।
आईटीआर फॉर्म हर साल अपडेट किए जाते हैं। सैलरीड लोग आईटीआर-1 (सहज) या आईटीआर-2 का यूज कर सकते हैं। अगर आपको सैलरी या पेंशन से इनकम हो रही हो, आपके पास एक से ज्यादा मकान न हो और इंटरेस्ट जैसे अन्य स्रोतों से आमदनी हो रही हो तो आप आईटीआर-1 यानी सहज का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके पास एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी हो या आपकी आमदनी में कैपिटल गेन शामिल हो और लॉटरी तथा हॉर्स रेसिंग जैसे अन्य स्रोतों से इनकम हुई हो तो आपके लिए आईटीआर-2 ठीक होगा।अपने एम्प्लॉयर को इनवेस्टमेंट डिक्लेयरेशन सौंपते वक्त अगर आपने डिडक्शंस क्लेम नहीं किया हो तो आप रिटर्न फाइल करते वक्त इसे भी क्लेम कर सकते हैं। फार्म में हुए इन बदलावों का ध्यान रखें
डिटेल्ड एग्जेम्प्शन इनकम
पिछले साल तक टैक्सपेयर्स को अपनी एग्जेम्प्ट इनकम का जिक्र आईटीआर-2 में दिए गए एक कॉलम में करना होता था। टैक्सपेयर्स को एक कंसॉलिडेटेड आंकड़ा यानी टैक्स एग्जेम्प्ट अलाउंसेज की कुल रकम बतानी होती थी। इस बार हालांकि उन्हें ज्यादा विवरण देना होगा।  नए आईटीआर-2 फॉर्म में टैक्सपेयर्स को शेड्यूल एस (सैलरी इनकम के लिए) में टैक्स छूट वाले भत्तों का डिटेल्ड ब्रेक-अप देना होगा। रिटर्न फाइल करते वक्त फॉर्म 16 अपने साथ रखें क्योंकि आपको कई अन्य ब्यौरों की जरूरत पड़ सकती है। टैक्सपेयर्स को हाउस रेंट अलाउंस और लीव ट्रैवल अलाउंस जैसे आंकड़ों का अलग से विवरण देना होगा।
कैपिटल गेन की जानकारी
आपको साल के दौरान हुए कैपिटल गेन का डिटेल्ड ब्रेक - अप देना होगा। नए आईटीआर -2 में कैपिटल गेन की जानकारी कई कैटेगरीज में मांगी गई है।  कैपिटल गेन म्यूचुअल फंड , लिस्टेड शेयर , अनलिस्टेड शेयर सहित जिस स्रोत से हुआ हो , उसके आधार पर इन पर अलग - अलग दरों से टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा बेची गई एसेट की प्रकृति ( शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म ) का भी इसमें ध्यान रखा जाता है।  कैपिटल गेंस सेक्शन में जो नई कैटेगरीज जोड़ी गई हैं , उनकी मदद से कैपिटल गेन पर टैक्स का कैलकुलेशन पहले से ज्यादा सटीक ढंग से हो सकेगा।
हाउस प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन
अगर आप अपनी हाउस प्रॉपर्टी तीन साल से ज्यादा समय तक अपने पास रखने के बाद बेचते हैं तो आपको हासिल हुए मुनाफे पर 20 पर्सेंट की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स ( इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ ) देना होगा। हालांकि अगर आपने यह प्रॉपर्टी बेचने से मिली रकम किसी अन्य प्रॉपर्टी में इनवेस्ट कर दी या सेक्शन 54 के तहत एनएचएआई या आरईसी की ओर से जारी बॉन्ड्स में लगा दी तो आप यह टैक्स देने से बच सकते हैं। इस साल आईटीआर -2 में ऐसे ट्रांजैक्शंस का विवरण देना होगा। सांकला ने कहा कि टैक्सपेयर्स को मकान की कीमत या बॉन्ड्स में लगाई गई रकम , खरीदारी और इनवेस्टमेंट की तारीख , कैपिटल गेंस सेविंग एकाउंट स्कीम में डिपॉजिट की गई रकम जैसे ब्यौरे देने होंगे।
पहली बार घर खरीदने वालों के लिए
अगर आपने पहली बार हाउस प्रॉपर्टी खरीदी हो और ऐसा 1 अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 के बीच किया हो तो आप हाउसिंग लोन इंटरेस्ट पर सेक्शन 80 ईई के तहत 1 लाख रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन ले सकते हैं। यह सेक्शन 24 के तहत मिलने वाले 1.5 लाख रुपये के डिडक्शन के अलावा होगा। इस नए प्रावधान को आईटीआर फॉर्म में जोड़ा गया है। नए फॉर्म में पहली बार घर खरीदने वालों की ओर से लिए गए हाउसिंग लोन पर ब्याज के डिडक्शन के लिए एक बॉक्स जोड़ा गया है।

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