Friday, May 30, 2014

ऑनलाइन करें स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान

कोटा। प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।   इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।  ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।   हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्थान, दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।
* अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।
* अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।
*   सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

  • इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।

  • ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।

  • हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।

  • अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।

  • अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।

  • सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
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प्रॉपर्टी के किसी भी खरीदी-बिक्री सौदे में स्टाम्प ड्यूटी चुकाना अनिवार्य होता है। इसी तरह किसी भी कारोबारी करार या ऐसे किसी भी प्रकार के सौदे में भी स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है, जिसे स्टाम्प पर किया जाए। स्टाम्प ड्यूटी सरकार को दिया जाने वाला वह हिस्सा होता है, जो स्टाम्प की खरीदी के शुल्क के रूप में दी जाती है।
अभी तक किसी भी तरह के सौदे करने वाले पक्ष स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान परंपरागत तरीकों से यानी स्टाम्प खरीदी के समय किया करते थे। लेकिन अब आप स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

  • इसके लिए केन्द्र सरकार ने 'ई-स्टाम्पिंग फैसेलिटी' नामक ऑनलाइन रूट मुहैया करा दिया है। सरकार ने यह कदम नकली स्टाम्प पेपरों की बिक्री रोकने, पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरी व पारदर्शी तथा गलतियों से रहित बनाने के मकसद से उठाया है।

  • ई-स्टाम्पिंग के काम की निगरानी व प्रबंधन स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) करता है। इसके कामों में ई-स्टाम्पिंग के रिकॉर्ड रखना व भुगतान की देखरेख करना आदि शामिल हैं।

  • हालांकि फिलहाल सभी राज्यों में ई-स्टाम्पिंग पद्धति लागू नहीं हुई है लेकिन कहीं-कहीं इसे अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो आप सिर्फ ऑनलाइन रूट से ही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर सकते हैं।

  • अगर आप ई-स्टाम्पिंग के जरिए भुगतान करना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि आपके राज्य में यह ससुविधा शुरू हुई है या नहीं। इसके लिए आपको एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको यह जानकारी भी मिल जाएगी कि किन-किन सौदों के लिए ई-स्टाम्पिंग सेवा शुरू हो गई है।

  • अगर आपके राज्य में यह सेवा मौजूद है, तो आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सौदे की विस्तृत जानकारी, सभी पक्षों की जानकारी देने के बाद स्टाम्प सर्टिफिकेट के साथ ऑनलाइन मोड से भुगतान करना पड़ता है। भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड, आरटीजीएस या एनईएफटी से किया जा सकता है।

  • सौदों में पारदर्शिता लाने के लिए ई-स्टाम्पिंग एक बेहतर विकल्प है। ऑनलाइन मौजूद हर स्टाम्प सर्टिफिकेट को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाता है और इसकी वैधता की पुष्टि एसएचसीआईएल खुद करता है। एसएचसीआईएल की वेबसाइट पर स्टाम्प के असली होने की पुष्टि भी की जा सकती है। यही नहीं, ट्रांजेक्शन पूरा होने के कुछ ही मिनटों में ई-स्टाम्प जेनरेट हो जाता है। इसके खोने का खतरा भी नहीं होता और न ही दुबारा जारी होने का।
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