Thursday, December 4, 2014

बिना सॉफ्टवेयर के भी डाउनलोड कर सकते हैं Youtube से वीडियो

कोटा। यूट्यूब  इंटरनेट पर मौजूद बेस्ट वीडियो सर्विस है। ये यूजर फ्रेंड्ली है और इस वेबसाइट पर यूजर्स के हिसाब से वीडियोज मिल ही जाते हैं। यूट्यूब का इस्तेमाल वैसे तो आपने कई बार किया होगा, लेकिन क्या आपको पता है की यूट्यूब वीडियोज के URL में जरा-सा फेरबदल कर कई काम किए जा सकते हैं।
  ऐसे बिना किसी सॉफ्टवेयर के करें वीडियोज डाउनलोड-
यूट्यूब की मदद से आसानी से वीडियोज डाउनलोड किए जा सकते हैं। इसके लिए किसी खास सॉफ्टवेयर की जरूरत नहीं होगी। इतना ही नहीं, यूट्यूब से MP3 फाइल्स भी डाउनलोड की जा सकती हैं। आपको सिर्फ URL में थोड़ा-सा फेरबदल करना होगा।  किसी भी वीडियो को डाउनलोड करने के लिए उसके URL के सामने PWN लिखना होगा। ध्यान रहे URL से http:// या https:// पहले हटा दिया हो। 
करें MP3 डाउनलोड-
इसके बाद आप अपने मनपसंद फॉर्मेट में वीडियो डाउनलोड कर सकते हैं। इन्हें वीडियो से MP3 फाइल्स में भी इसी पेज से कन्वर्ट किया जा सकता है। वीडियो URL में PWN जोड़ने के बाद एक अलग साइट खुलेगी। इस साइट पर ऊपर के हिस्से में वीडियो डाउनलोड करने के ऑप्शन रहेंगे और निचले हिस्से में वीडियो को MP3 में बदलने के ऑप्शन रहेंगे (जैसा कि फोटो में दिखाया गया है)। 
MP3 में बदलने के लिए दी गई वेबसाइट्स में से किसी एक को इस्तेमाल करना होगा। एक बार वीडियो कन्वर्ट हो जाए तो उसे अपने पीसी में डाउनलोड किया जा सकता है।
 वीडियो को करें रिपीट-
यूट्यूब URL में थोड़ा-सा फेरबदल करके आप अपने यूट्यूब वीडियो को कितनी भी बार रिपीट कर सकते हैं। इसके लिए आपको बार-बार यूट्यूब साइट पर नहीं जाना होगा। ये प्रोसेस अपने आप होगी। इसके लिए यूट्यूब वीडियो URL में "repeater" Youtube के बाद जोड़ना होगा। 


अब बनेंगे डिजिटल लॉकर, डॉक्यूमेंट्स रहेंगे सुरक्षित

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। महाराष्ट्र की तर्ज पर अब पूरे देश में डिजिटल लॉकर (ई-लॉकर) की सुविधा शुरू की जा सकती है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस योजना को आरंभ करने के लिए अन्य मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। 
डिजिटल लॉकर सुविधा को शुरू करने से प्रमाण पत्र, डिग्री, प्रॉपर्टी के कागजात व अन्य जरूरी दस्तावेज को हर जगह लेकर नहीं घूमना पड़ेगा। बार-बार जरूरत पड़ने वाले इन दस्तावेज को डिजिटल लॉकर के जरिए एक जगह पर डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जा सकता है। किसी नागरिक के आधार कार्ड का नंबर डिजिटल लॉकर का पासवर्ड होगा।
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव आरएस शर्मा ने बताया कि अभी इस स्कीम को प्रायोगिक तौर पर महाराष्ट्र और एनएसडीएल के साथ शुरू किया गया है। भारत को पूर्ण रूप से डिजिटल बनाने के तहत डिजिटल लॉकर सुविधा को पूरे देश में लागू करने की तैयारी की जा रही है। हर नागरिक के पास अगर पांच जरूरी दस्तावेज भी हैं, तो 1.2 अरब जनसंख्या वाले देश में 6 अरब दस्तावेज को डिजिटल करना पड़ेगा।
हाल ही में महाराष्ट्र में शुरू किए गए डिजिटल लॉकर सुविधा कार्यक्रम के तहत हर व्यक्ति, जिसके पास आधार कार्ड नंबर है, इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकता है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ई-लॉकर डॉट महाराष्ट्र डॉट जीओवी डॉट इन नामक वेबसाइट बनाई गई है, जिस पर जाकर अपने आधार कार्ड नंबर की मदद से कोई व्यक्ति अपना खाता (अकाउंट) खोल सकता है। 
इस अकाउंट में वह अपने दस्तावेजों की प्रति को स्कैन कर उसे सुरक्षित रख सकता है। शर्मा कहते हैं कि इस सुविधा से किसी नागरिक को सरकारी विभाग में अपने दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। सरकारी विभाग खुद उसके दस्तावेज देख लेगा। डिजिटल लॉकर की सुविधा को इस प्रकार विकसित किया गया है कि कोई तीसरा उस जानकारी को हासिल नहीं कर सकता। 

Wednesday, December 3, 2014

कोटा में 125 करोड़ रुपए एंट्री टैक्स बकाया

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से एंट्री टैक्स वसूली पर रोक संबंधी 500 से अधिक याचिकाएं खारिज होने के बाद वाणिज्यिक कर विभाग कोटा जोन की 200 से अधिक फर्मों से वसूली के लिए अब नोटिस जारी करेगा। 
जोन में वर्तमान में करीब 125 करोड़ रुपए एंट्री टैक्स का बकाया चल रहा है। वाणिज्यिक कर उपायुक्त एनके गुप्ता ने बताया कि 53 कमोडिटी ऐसी हैं जिनको स्वयं के उपयोग के लिए राज्य के बाहर से मंगाने पर एंट्री टैक्स लागू होता है। जिसमें प्रमुख रूप से बिजली के उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण एवं गैस आदि शामिल हैं। 
पिछले 15 सालों में एंट्री टैक्स को लेकर जोन की करीब 200 से अधिक फर्मों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा था। जिसमें से कुछ फर्मों को 100 प्रतिशत और कुछ को 50 प्रतिशत तक छूट का लाभ मिला हुआ था। इनमें प्रमुख रूप से गेल गैस लि., जेके सिंथेटिक्स एवं जेके सीमेंट आदि कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जिन कमोडिटी पर वैट लगता है, उन पर एंट्री टैक्स लागू नहीं है। 
उन्होंने बताया कि एंट्री टैक्स को लेकर किसी ने जोधपुर और किसी ने जयपुर हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। इनमें से फिलहाल जयपुर हाईकोर्ट का निर्णय चुका है। इसलिए कोर्ट के निर्णय की प्रति आने के बाद उसके आदेश में क्या लिखा है। उसके अनुरूप वसूली की कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि एंट्री टैक्स की बकाया राशि 125 करोड़ रुपए पर विभाग ब्याज समेत वसूलेगा। इसके लिए नोटिस की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 
ज्ञातव्य है कि हाईकोर्ट ने राज्य के बाहर से आने वाली वस्तुओं पर वर्ष 1999 में लगाए गए करीब 1100 करोड़ रुपए से संबंधित एंट्री टैक्स की वसूली पर लगी रोक को सोमवार को हटा दिया। साथ ही एंट्री टैक्स की वसूली वैधानिकता को चुनौती देने वाली 526 याचिकाओं को खारिज कर दिया। 

हल्दी से ठीक हुआ कैंसर

कोटा। मेघा शाह (40 साल) एक अकाउंटेंट हैं और अमेरिका में रहती हैं। उन्हें उस समय झटका लगा जब डॉक्टर्स ने बताया कि उन्हें कैंसर है। मेघा को ल
गा कि अचानक उनकी जिंदगी तहस-नहस हो गई है। इसके बाद कुछ ऐसा चमत्कार हुआ जिसकी मेघा को उम्मीद नहीं थी।
सात हफ्तों के अंदर ही मेघा के ट्यूमर का साइज छोटा होने लगा। अभी डॉक्टर्स का कहना है कि उनका कैंसर धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। क्या आपको पता है कि किस जादुई दवा से मेघा का कैंसर ठीक हो रहा है? वह जादुई दवा हैृ हल्दी। जी हां, हल्दी में कैंसर को खत्म करने के चमत्कारिक गुण हैं।
मेघा को 10 हफ्तों तक हर रोज 10 ग्राम हल्दी अपने खाने में इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी हेल्थ में बहुत जल्द सुधार आने लगा। यहां तक कि उन्हें कीमोथेरेपी की जरूरत भी नहीं पड़ी। इस समय वह एक खुशहाल और हेल्दी जिंदगी जी रही हैं।
इंडियन ओरिजिन के डॉ. भरत अग्रवाल ने कैंसर के इलाज के लिए एक 'Lessons to be learnt about curcumin from clinical trials' नाम से एक स्टडी की है। मेघा शाह भी उस स्टडी का हिस्सा बनीं। डॉ. अग्रवाल ने अपने रीसर्च के नतीजों को गुजरात कैंसर ऐंड रीसर्च इंस्टिट्यूट (GCRI) में पेश किया। उन्होंने बताया कि अमेरिका में रह रहे 100 लोगों पर यह स्टडी की गई। इलाज के दौरान उन्हें अपने खाने में हल्दी का ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह दी। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि रीसर्च में यह बात सामने आई कि हल्दी के इस्तेमाल से कैंसर के रोगियों को काफी फायदा पहुंचाया जा सकता है।

Tuesday, December 2, 2014

बारिश से बचाएगा यह 'अदृश्य छाता'

कोटा। छाता एक ऐसी चीज है, जिसके बेसिक डिजाइन में बदलाव के बारे में आप नहीं सोच सकते। आपने कभी ऐसे छाते के बारे में नहीं सोचा होगा, जिसमें न तो पतली कमानियों जैसा कोई ढांचा हो और न ही उस पर प्लास्टिक या कपड़े जैसी कोई शीट। लेकिन ऐसा ही एक 'अदृश्य छाता' बनाया गया है, जो आपको बारिश से बचाएगा। वैसे यह आपको धूप से नहीं बचा पाएगा।
इसे 'एयर अंब्रेला' नाम दिया गया है। एयर अंब्रेला एक पाइप जैसा दिखता है, जिसका ऊपरी हिस्सा थोड़ा सा बड़ा है। यह छाता हवा की मदद से पानी को आपके ऊपर नहीं गिरने देता।एयर अंब्रेला' में सबसे नीचे स्विच है। उसके ऊपर कंट्रोलर, लिथियम बैटरी और मोटर हैं। मोटर सबसे ऊपरी हिस्से में नीचे से हवा लेकर उसे ऊपर चारों तरफ फेंकता है। हवा की वजह से पानी सीधा नीचे नहीं गिरता और थोड़ी दूरी पर गिरता है। एयर अंब्रेला' के 3 मॉडल हैं। एयर अंब्रेला A करीब 30 सेंटीमीटर लंबा है और इसकी बैटरी 15 मिनट चलेगी। एयर अंब्रेला B 50 सेंटीमीटर लंबा है, एयर अंब्रेला C 80 सेंटीमीटर लंबा है और इनकी बैटरी 30 मिनट तक चलेगी। 'एयर अंब्रेला' को क्राउड फंडिंग के लिए किकस्टार्टर प्रॉजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था। इस प्रॉजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 10,000 डॉलर की जरूर थी। लेकिन लोगों को यह इतना पसंद आया कि इसे 10 गुना ज्यादा 1,02,240 डॉलर मिल गए। कंपनी अभी इसे बेहतर बनाने पर काम करेगी और सितंबर 2015 से इसका प्रॉडक्शन शुरू हो जाएगा। किकस्टार्टर प्रॉजेक्ट पर इसकी बिक्री 88 डॉलर (भारतीय मुद्रा में करीब 5500 रुपए) से शुरू की गई थी।

Monday, December 1, 2014

गैस सिलेंडर भी होता है एक्सपायरी

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। आम तौर पर करीब हर घर में सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनमें से अधिकतर घरों में सिलेंडर की पूरी तरह से जांच-पड़ताल नहीं की जाती है। ऐसे लोगों को अब सावधान हो जाना चाहिए। बिना सिलेंडर की एक्सपायरी डेट पर गौर किए इसे न खरीदें। अब आप सोच रहे होंगे कि सिलेंडर की भी एक्सपायरी होती है क्या? जी हां, सिलेंडर भी एक्सपायर होता है और एक्सपायर सिलेंडर जानलेवा हो सकता है।
 दिलचस्प है कि तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट होते हैं। सामान्यतया एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है।
  चूंकि एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है। एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं।
 50 लाख तक का होता है बीमा
 गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमे का क्लेम कर सकता है, साथ ही सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है।
 ऐसे जानें एक्सपायरी डेट
 - सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं।
 - गैस कंपनियां 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडरों का ग्रुप बनाती हैं।
 'ए' ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और 'बी' ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही 'सी' ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और 'डी' ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
 सिलेंडरों पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे- 'बी-12' का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2012 है। ऐसे ही, 'सी-12' का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है।

उद्योगों को राहत, ग्रीन कैटेगरी में नहीं देनी होगी कंवर्जन फीस

कोटा  । ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीन कैटेगरी का उद्योग लगाने के लिए कृषि भूमि के भूरूपांतरण पर अब कन्वर्जन शुल्क नहीं देना होगा। राज्य सरकार ने आदेश जारी कर ग्रीन कैटेगरी के उद्योगों के लिए कृषि भूमि को गैर- कृषि भूमि में परिवर्तन पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर दिया है।
 सरकार का यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग लगाने के इच्छुक उद्यमियों को राहत देने वाला है। अब तक गांवों में ग्रीन कैटेगरी के उद्योग के लिए कृषि भूमि का रूपांतरण करवाने की एवज में उद्यमी को 5 रुपए प्रति वर्गमीटर या डीएलसी का 0.5 प्रतिशत अथवा जमीन की रजिस्ट्री के लिए चुकाई गई कुल कीमत का 5 प्रतिशत देना होता था। राज्य सरकार ने इसके लिए राजस्थान भू-राजस्व नियम 2007 में संशोधन किया है जिसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। प्रदेश में ग्रीन कैटेगरी के उद्योगों की संख्या लाखों में है। सरकार ने नियम में संशोधन के साथ ही यह भी सख्ती से लागू की है कि ग्रीन कैटेगरी के उद्योग लगाने के लिए भू-परिवर्तन शुल्क में छूट मिलने के बाद उद्यमी दूसरी श्रेणी के उद्योग में परिवर्तित नहीं कर सकेगा। ऐसा करने पर उसका भूरूपांतरण रद्द कर दिया जाएगा।
 क्या है ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्री
 राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों को रेड, ओरेंज और ग्रीन श्रेणियों में विभाजित किया हुआ है। इसमें रेड श्रेणी के उद्योग सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले होते हैं। ऑरेंज इससे कम तथा ग्रीन कैटेगरी के उद्योग सबसे कम प्रदूषण छोड़ने वाले होते हैं। ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्री में प्रिंटिंग प्रेस, पोल्ट्री फार्म, टेफलॉन के उत्पाद, 2500 से 20 हजार वर्गमीटर तक के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट समेत 86 तरह के उद्योग शामिल हैं।