Monday, December 8, 2014

अपना आधार घर बैठे ऑनलाइन अपडेट करें

दिनेश माहेश्वरी
 कोटा। आधार कार्ड में नाम, पता, लिंग, मोबाइल नंबर या जन्म तिथि गलत हो गई है, तो आप घर बैठे ऑनलाइन इसे सही करा सकते हैं। क्योंकि आधार कार्ड में इनमें से एक भी जानकारी गलत हुई तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। आने वाले समय में बैंक में खाता खुलाने से लेकर, रसोई गैस की सब्सिडी एवं पासपोर्ट जैसी कई जरूरी सेवाओं के लिए आधार कार्ड की उपयोगिता बढ़ जाएगी। विनायक ब्लॉक पर यह जरूरी जानकारी आपके लिए-
पहला स्टेप - सबसे पहले आप http://uidai.gov.in वेबसाइट पर जाएं। इस साइट पर बायीं ओर नीचे की तरफ देखें एक जगह लिखा है अपडेट योर आधार डाटा। इस पर क्लिक करिए। इंस्ट्रक्शन पढि़ए। आप क्या अपडेट करना चाहते हैं नाम, पता, लिंग, जन्म तिथि या फिर मोबाइल नंबर। इनमें से कोई एक आप्शन के आगे क्लिक करें। फिर सब्मिट योर अपडेट करेक्शन क्लिक करें।
दूसरा स्टेप- एंटर योर आधार नंबर में अपने आधार नंबर डालें। टैक्स्ट वेरिफिकेशन में स्पेशल करेक्टर डालें और ओटीपी पर क्लिक करें। इसके अगले पेज पर मोबाइल नंबर डालें। नीचे स्पेशल करेक्टर टैक्स्ट वाली जगह पर डालें। फिर ओटीपी पर क्लिक करें। आपके मोबाइल पर ओटीपी का मैसेज आएगा। वह आपको निर्धारित स्थान पर बने बॉक्स में डालना है। इसके बाद आप वेबसाइट पर लॉग इन हो गए।
तीसरा स्टेप- डाटा अपडेट पर क्लिक करने के बाद प्रोसेस्ड पर क्लिक करिए। कंफर्म पर टिक करिए। फिर बीपीओ सर्विस प्रोवाइडर पर क्लिक करिए। वहां पर एक साइड में एजिस और दूसरी ओर कार्विस लिखा होगा। उसमें से एक चुनिए। फिर सब्मिट करें। अपडेट पर कंपलीट का मोबाइल पर मैसेज आएगा। जिसमें आपको यूआर एन नंबर मिलेगा।
चौथी स्टेप- अंत में अपडेट स्टेटस पर आधार नंबर और यूआर एन डालें। इसके पूरा होते ही एक मैसेज नजर आएगा योर रिक्वेस्ट कंपलीट सक्सेसफुल। फिर इसे साइन आउट करें। शुरू में जहां डाटा अपडेट स्टेटस लिखा है। उस पर क्लिक करने के साथ ही एक बार फिर आधार नंबर एवं यूआर एन डालकर चैक करें। उसमें लिखा आएगा रिक्वेस्ट पेंडिंग। अब आप इंतजार करिए। कुछ समय बाद मोबाइल पर अपडेट की सूचना आ जाएगी।

Sunday, December 7, 2014

500 व 1000 के नोट, कुछ दिन बाद हो जाएंगे रद्दी

कोटा। आपकी जेब में पड़े 100, 500, 1000 आदि के नोट एक बार फिर देख लें, कहीं ये वर्ष 2005 से पहले के तो नहीं, क्योंकि अगर ऐसा है तो अब यह किसी काम के नहीं रहेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 जनवरी 2015 के बाद इन नोटों को लेने से इनकार कर दिया है। नकली करंसी पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल ही केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 से पहले छपे नोट वापस लेने का फैसला किया था। ऐसा करने से बाजार में मौजूद नकली करंसी अपने आप बेकार हो जाएगी और इसकी पहचान भी आसानी से हो सकेगी।
 पहले 31 मार्च 2014 तक बदले जाने थे नोट
 सरकार ने नोट वापस करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2014 रखी थी, लेकिन अब बैंक 1 जनवरी 2015 तक ये नोट वापस लेगें। नोट वापस करने का यह अंतिम मौका है। अगर 1 जनवरी 2015 तक ऐसे नोट वापस न किए गए तो बाद में यह नोट बेकार हो जाएंगे और बैंक इन्हें नहीं लेगा।
 नकली नोट पर कसेगी लगाम
 इस फैसले से नकली नोटों के इस्तेमाल पर रोक तो लगेगी ही साथ ही जिन लोगों के पास 500 के नकली नोट हैं वह अपने आप ही बेकार हो जाएंगे। हालांकि, नकली नोटों से बचने के लिए प्लास्टिक मनी जैसे कि क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड जैसे विकल्प पहले से ही मौजूद हैं।
 बैंकों में बदले जा रहे नोट
 पुराने नोट बदलने के लिए बैंक शाखाओं और आरबीआई के काउंटरों में जाकर लोग इन्हें बदल सकते हैं। बैंकों की सभी शाखाओं में 2005 के पहले के नोटों को बदलने की प्रक्रिया जारी है। बैंक अधिकारियों के अनुसार इन नोटों को बदलने वाले लोगों की संख्या शुरूआत में तो बढ़ रही थी, लेकिन अभी कम संख्या में लोग ये नोट बदल रहे हैं।
 ऐसे पहचानें 2005 के पहले के नोट
 वर्ष 2005 के पहले नोटों को पहचानना बहुत ही आसान है। दरअसल 2005 के पहले छपे नोटों पर प्रिटिंग का साल नहीं छपा है। वहीं 2005 के बाद छपे नोटों में आप साल देख सकते हैं।


Saturday, December 6, 2014

EMI पर फि‍र खरीदिए ज्वैलरी,

कोटा। एक बार फिर आप ईएमआई पर गोल्ड और डायमंड ज्वैलरी खरीद सकेंगे। करीब 6 महीने बाद कंपनियां स्कीम को नए कलेवर में लॉन्च करने की तैयारी में हैं। टाटा समूह की कंपनी टाइटन जल्द ही स्कीम को लॉन्च करने जा रही है। इसके लिए कंपनी ने पायलेट प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिया है। स्कीम से एक बार फिर आपके पास किस्तों में ज्वैलरी खरीदने का विकल्प होगा। हालांकि नई स्कीम में आपको पुरानी के मुकाबले थोड़ा कम रिटर्न मिलेगा।
 इसके पहले जुलाई में तनिष्क सहित दूसरी कंपनियों ने नया कंपनी कानून आने के बाद स्कीम को बंद कर दिया था। नए कानून के तहत कंपनियां 12 फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं दे सकती हैं। जबकि पुरानी स्कीम पर ग्राहकों को करीब 15 फीसदी का रिटर्न मिल रहा था। इसकी वजह से कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने कंपनियों को नए नियम के मुताबिक स्कीम लाने के निर्देश दिए थे।
नई स्कीम में क्या होगा
 टाइटन कंपनी लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (रिटेल एंड मार्केटिंग) संदीप कुलहली ने मनीभास्कर को बताया कि कंपनी नई स्कीम लांच करने जा रही है। इसके लिए हमने पायलेट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है। इसे जल्द ही पूरी तरह से देश भर में कंपनी के स्टोर्स पर लांच कर दिया जाएगा। कुलहली के अनुसार नई स्कीम में पुराने के मुकाबले बदलाव किए गए हैं। जो कि नए कंपनी कानून के मुताबिक हैं। इसके तहत ग्राहक को 12 किस्त पर एक किस्त की छूट नहीं मिलेगी। वह पुराने के मुकाबले थोड़ी कम होगी। इसी तरह 11 और 10 किस्त की स्कीम पर कम डिस्काउंट मिलेगा। पुरानी स्कीम में ग्राहकों को 11 किस्त चुकाने पर 1 किस्त का डिस्‍काउंट मिल जाता था।
 ऑनलाइन पेमेंट की भी सुविधा
 कुलहली के अनुसार नई स्कीम में कंपनी ऑनलाइन पेमेंट की भी सुविधा लांच करने जा रही है। यानी ग्राहक अपनी किस्त ऑनलाइन चुका सकेगा। पुरानी स्कीम में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। कुलहली के अनुसार कंपनी ने नई स्कीम के लिए जरूरी स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया है। इसके तहत भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) और आरबीआई के पास आवेदन किया है।

क्यों स्कीम हुई बंद
 अप्रैल 2014 में नया कंपनी एक्ट 2013 लागू हुआ था। इसके तहत यह प्रावधान है कि कोई भी कंपनी जो डिपॉजिट लेती है, वह एक साल में 12 फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं ले सकती। साथ ही कंपनी के कुल नेटवर्थ में इस तरह की डिपॉजिट स्कीम का हिस्सा 25 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इसके बाद ईएमआई पर ज्वेलरी की स्कीम चला रही कंपनियों ने जुलाई में स्कीम को बंद कर दिया था। अब कंपनियां नए कानून के मुताबिक ईएमआई स्कीम को फिर से लांच करने की तैयारी में हैं। इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार तनिष्क के अलावा दूसरी कंपनियां भी जल्द स्कीम को लांच करेंगी।
 कैसे काम करती है स्कीम
 इस तरह की स्कीम में ग्राहक ज्वैलर्स के पास 12, 18 या 24 महीने की किस्त चुकाने पर ज्वैलरी खरीद सकता है। यानी अगर आप किसी ज्वैलरी कंपनी  को हर महीने 2000 रुपये की किस्त 12 माह तक  देते हैं, तो 12 महीने पर आप 24000 रुपये की ज्वैलरी खरीद सकते हैं। इसमें 1 किस्त का पुरानी स्कीम में ग्राहक को डिस्काउंट मिलता था। यानी एक किस्त की रकम कंपनी चुकाती थी। कंपनियां जो अब नई स्कीम ला रही हैं, उसमें आपको एक किस्त की राशि के मुकाबले थोड़ा कम डिस्काउंट मिलेगा।

 

NCDEX, एक्सचेंज के वेयरहाउस में खराब क्वालिटी का धनिया?

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। एग्री कमोडिटी और विवादों का साथ चोली दामन जैसा हो गया है। ये कहना शायद तब और सार्थक हो जाता है जब हर साल ही किसी ना किसी एग्री कमोडिटी से जुड़ा विवाद सामने आता है। पहले ग्वार, फिर काली मिर्च और अब धनिए को लेकर मुद्दा गर्म है। इस बार कटघरे में देश का सबसे बड़ा एग्री कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX है। आरोप यह है कि एक्सचेंज के वेयरहाउस में रखा धनिया तय मानकों पर खरा नहीं उतरता। 
 क्या है व्यापारियों का आरोप
राजस्थान के व्यापारियों ने दावा किया है कि कुछ कारोबीरियों, एक्सचेंज के कर्मचारियों और वेयरहाउस की मिलीभगत से गोदामों में धनिया का ऐसा स्टॉक रखा गया है जो बुरी तरह से फंगसग्रस्त है और तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है। कारोबारियों के आरोपों के बाद NCDEX ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एक्सचेंज और एफएमसी स्तर पर न्याय न मिलने पर कारोबारियों ने फूड रेग्यूलेटर तक मामला उठाने की बात कही है।
 कहीं यह ढील का नतीजा तो नहीं?
चार साल पहले स्पॉट मार्केट और फॉर्वर्ड मार्केट में तालमेल बैठाने के लिए क्वॉलिटी मानकों में कुछ ढ़ील दी गई थी। इस रियायत के तहत एक्सचेंज ने बाजार से 1.9 फीसदी तक रंगहीन और 1.5 फीसदी तक डैमेज सीड स्टॉक करने की इजाजत दे दी थी। धनिया कारोबारियों का आरोप है कि एक्सचेंज के अधिकारियों और कुछ कारोबारियों की मिलीभगत से गोदामों में रियायती मानकों से नीचे का माल भी स्टॉक किया गया। व्यापारियों की माने तो लगभग 4000 टन खराब क्वॉलिटी का धनिया कोटा और रामगंज के तीन गोदामों में पड़ा है।      
 कैसे मुट्ठीभर कारोबारियों ने उठाया फायदा
कुछ बड़े धनिया कारोबारियों ने मिलीभगत से बाजार में उपलब्ध अच्छी क्वालिटी के धनिए का स्टॉक कर लिया। जिससे स्पॉट और वायदा बाजार दोनों ही जगह अच्छी क्वालिटी के धनिए की किल्लत हो गई। इसके बाद धनिए की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। वायदा बाजार में धनिया की कीमतों पिछले एक साल से रिकॉर्ड स्तर पर बनी रही।
 इसके लिए एक्सपोर्ट डिमांड में अप्रत्याशित तेजी और पिछले साल कुल उपज में 25 से 30 फीसदी की गिरावट जिम्मेदार है। वहीं इस साल जनवरी से लेकर अब तक NCDEX पर धनिया की कीमतें 51 फीसदी की उछाल के साथ 13,030 रुपए प्रति 100 किलो पर कारोबार कर रही हैं।
 ...NCDEX भी शक के दायरे में
धनिए की इस अप्रत्याशित तेजी के पीछे NCDEX का भी नाम जुड़ गया है। राजस्थान के कुछ कारोबारियों ने NCDEX के मैनेजिंग डायरेक्टर समीर शाह सहित NCDEX के 4 कर्मचारियों के खिलाफ श्रीगंगानगर कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। उनके मुताबिक चारों कर्मचारियों ने धोखाधड़ी करके हाजिर के मुकाबले एक्सचेंज पर ज्य़ादा भाव दिखाया, जिसके चलते उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 

Friday, December 5, 2014

घर में सोलर पैनल लगाकर हर महीने कमाएं पैसा

कोटा। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में अपनी हिस्‍सेदारी बढ़ाने के लिए राज्‍यों ने कवायद तेज कर दी है। राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, पंजाब जैसे राज्‍य न सिर्फ मेगा सोलर पावर प्‍लांटों की स्‍थापना पर जोर दे रहे हैं। वहीं घरों और व्‍यवासियक इमारतों पर छोटे सोलर प्‍लांटों के जरिए पैसा कमाने के मौके भी दे रहे हैं।
 अतिरिक्त बिजली पावर ग्रिड से जोड़कर बेच सकेंगे
 राजस्‍थान, पंजाब, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में सोलर एनर्जी को बेचने की सुविधा दी जा रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा उत्‍पादित की गई अतिरिक्‍त बिजली पावर ग्रिड से जोड़कर राज्‍य सरकार को बेचा जा सकेगा। वहीं उत्‍तर प्रदेश ने सोलर पावर का प्रयोग करने के लिए प्रोत्‍साहन स्‍कीम शुरू की है। इसके तहत सोलर पैनल के इस्‍तेमाल पर बिजली बिल में छूट मिलेगी।
 कैसे कमाएं पैसे
 घर की छत पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बनाई जा सकती है। इसके बाद लोकल बिजली कंपनियों से टाइअप करके बिजली बेच सकते हैं। इसके लिए लोकल बिजली कंपनियों से आपको लाइसेंस भी लेना होगा। फिर बिजली कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट करना होगा। सोलर प्लांट लगाने के लिए टोटल इनवेस्टमेंट प्रति किलोवाट का 60-80 हजार रुपए होगा। राज्य सरकारें इसके लिए स्पेशल ऑफर भी दे रही हैं। इसके बाद प्लांट लगाकर बिजली बेचने पर आपको प्रति यूनिट 7.75 रुपए की दर से पैसा मिलेगा।
 सोलर एनर्जी उत्‍पादक राज्‍य 
गुजरात 
860 मेगावॉट
राजस्‍थान 
667 मेगावॉट
महाराष्‍ट्र 
237 मेगावॉट
मध्‍य प्रदेश
195 मेगावॉट
आंध्रप्रदेश 
93 मेगावॉट
तमिलनाडु 
32 मेगावॉट
कर्नाटक 
31 मेगावॉट 
छतें बनेंगी पावर हाउस
 बड़े सोलर प्‍लांटों के साथ घरों की छतों पर छोटे-छोटे सोलर प्‍लांटों को प्रोत्‍साहित करने के लिए चंडीगढ़ सरकारों ने स्‍पेशल ऑफर पेश किए हैं। चंडीगढ़ सरकार ने घरों से सोलर फोटोवोल्टिक पावर प्लांट से बिजली ग्रिड में बेचने की स्‍कीम शुरू की है। इसके लिए सरकार की ओर से प्रति यूनिट 7.75 रुपए की दर निर्धारित की गई है। घर से सोलर प्लांट से बनने वाली बिजली की ट्रेडिंग ज्यादा से ज्यादा 500 किलोवॉट तक ही की जा सकती है। 500 वॉट का सोलर पैनल लगाने वाले को बिजली की ट्रेडिंग करने की परमिशन नहीं दी जाएगी।
राजस्‍थान सरकार करेगी पावर पर्चेज एग्रीमेंट
 वहीं राजस्थान ने भी सोलर पैनल लगा कर बनी सरप्लस सौर ऊर्जा सरकारी बिजली कंपनी को बेचने का अनुमति प्रदान की है। हालांकि इसके लिए जल्द ही दरें तय की जाएंगी। इस संबंध में पिछले दिनों नियामक आयोग में दायर याचिका पर नियामक आयोग ने विचार कर दरें तय कर दी हैं। सरकार यह बिजली साढ़े सात रुपये प्रति यूनिट में खरीदेगी। सरकार को बिजली बेचने के लिए संबंधित व्यक्ति को 31 मार्च 2015 तक सरकार के साथ पावर पर्चेज एग्रीमेंट करना होगा।

Thursday, December 4, 2014

एक क्लिक से चोरी होता है आपके डेबिट व क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड

 कोटा। डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वालों के लिए जरूरी खबर है। साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों ने देश में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वालों को ब्रटपॉस मालवेयर (BrutPOS Malware) से सतर्क रहने की चेतावनी जारी की है। इस मालवेयर से कार्ड्स के पिन नंबर और पासवर्ड जैसी गोपनीय जानकारी को हैक किया जा रहा है। इसके बाद आपकी पर्सनल इन्फॉर्मेशन को चोरी किया जाता है। डिटेल्स चोरी करने के बाद आपका अकाउंट से पैसे को दूसरे अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है। पिछले दिनों मुंबई में इस तरह के मामले दर्ज किए गए हैं। इस तरह जानकारी हैक करके हैकर्स आपके अकाउंट पर भी नजर रखे हुए हैं। ये हैकर्स ज्यादातर पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) काउंटर्स पर हमले करते हैं। ये वो काउंटर हैं जहां आप शॉपिंग करते वक्त कार्ड स्वैप करते हैं।
 कैसे होती हैं डिटेल्स चोरी
 पीओएस पर जब आप अपने कार्ड स्वैप करते हैं तो आपको ये नहीं पता होता कि मशीन इंफैक्टेड है या नहीं। ब्रटपॉस मालवेयर विंडोज बेस्ड सिस्टम्स को टारगेट करता है। पीओएस पर ज्यादातर मशीनों में विंडोज बेस्ड सिस्टम इंस्टॉल होता है। ब्रटपॉस मालवेयर के आक्रमण से उस सिस्टम में एक अन्य मॉलवेयर बनता है, जो पेमेंट कार्ड्स का डेटा- कार्ड होल्डर का नाम, अकाउंट नंबर, एक्सपायरी से संबंधित डेटा, सीवीवी कोड- आदि चुरा लेता है। इसके अलावा यह मॉलवेयर उस सिस्टम की दूसरी अहम जानकारियां जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम से संबंधित विवरण, सिस्टम का कॉनफिगरेशन आदि को भी चुरा लेता है। इसलिए जरूरी है कि जब भी आप कार्ड स्वैप करें तो ये जानकारी पीओएस काउंटर से जरूर लें कि उनकी मशीन अपडेटेड है या नहीं।
 क्या है पीओएस 
पीओएस किसी शॉप के उस काउंटर को कहते हैं, जहां आप कार्ड के जरिए पेमेंट करते हैं। सीईआरटी-इन के अनुसार ब्रटपॉस नाम का खतरनाक मॉलवेयर ट्रोजन/ बॉटनेट परिवार का है। सीईआरटी-इन भारत के इंटरनेट डोमेन में हैकिंग, फिशिंग और सुरक्षा संबंधी अन्य समस्याओं से निबटने वाली राष्ट्रीय एजेंसी है।
कैसे काम करता है यह मॉलवेयर
 इस एजेंसी की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, ‘ये मालवेयर पॉइंट ऑफ सेल सिस्टम्स में फैल रहा है। यह मुख्यतः विंडोज बेस्ड सिस्टम्स को टारगेट करता है। यदि एक बार यह मालवेयर सिस्टम में आ गया, तो सिस्टम का कमांड इसके हाथ में चला जाता है। इसके बाद मालवेयर अपने आईपी ऐड्रेस से जुड़कर अपने आप को अपडेट करता है। इसके बाद सिस्टम में मौजूद सभी गोपनीय जानकारियों को यह अपने सर्वर पर भेजना शुरू कर देता है।
कैसे बचें इस मॉलवेयर से
 सीईआरटी-इन ने इस नए मॉलवेयर का मुकाबला करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। 

> सभी पीओएस सिस्टम पूरी तरह अपडेट रखे जाएं

> पीओएस एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर अपडेट रखा जाए 

> निश्चित संख्या में गलत लॉग इन करने के बाद अकाउंट लॉक हो जाएं 

> गेटवे या डेस्कटॉप पर फायरवॉल को इनेबल कर दिया जाए

> ऐसे वेबसाइट पर विजिट न करें जो प्रामाणिक नहीं हैं 

> ऐसे स्रोतों से प्राप्त ईमेल से जुड़े अटैचमेंट न ओपन करें और न ही डाउनलोड करें।

छोटे कारोबारियों की शिकायतों का जल्द होगा निपटारा



कोटा।   छोटे और मझोले कारोबारियों की शिकायतों का जल्द निपटारा हो सकेगा। सरकार एमएसएमई सेक्टर के लिए एक अपीलीय अथॉरिटी बनाने जा रही है। जहां पर कारोबारियों की सभी शिकायतों का निपटारा होगा। अपीलीय अथॉरिटी बनाने के लिए एमएसएमई एक्ट 2006 में संशोधन किया जाएगा। जिस संबंध में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने संशोधन प्रस्‍ताव को संबंधित पक्षों के पास भेज दिया है। मंत्रालय की योजना है कि संशोधन को फरवरी में होने वाले बजट सत्र तक संसद से पारित करा लिया जाय।
 शिकायतों का जल्द होगा निपटारा
 अभी एसएमई को अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए सीधे न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है। जहां पर मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं। नए प्रस्ताव में एमएसएमई सेक्टर के लिए अपीलीय अथॉरिटी बनाई जाएगी। जो कि केवल एसएमई के मामलों की सुनवाई करेगी। ऐसे में एसएमई की शिकायतों का जल्द निपटारा हो सकेगा। जिस तरह पर टेलीकॉम सहित दूसरे सेक्टर के लिए अपीलीय अथॉरिटी काम करती हैं।
 कैसे होगा काम
 मंत्रालय द्वारा भेजे गए संशोधन प्रस्ताव के तहत एक नेशनल बोर्ड फॉर माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम प्राइजेज का गठन किया जाएगा। जिसके तहत अपीलीय अथॉरिटी काम करेगी। जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य शामिल होंगे। चेयरमैन किसी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कम से कम 5 साल तक न्यायधीश के रूप में अनुभव रखने वाला होगा। जबकि बाकी के 2 सदस्यों का चुनाव इकोनॉमिक्स और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन क्षेत्र से किया जाएगा। इसके अलावा अपीलीय अथॉरिटी की बेंच राज्य स्तर पर भी खोले जाने का प्रस्ताव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने दिया है।
 एसएमई की क्या है समस्या
 छोटे और मझोले कारोबारियों को सबसे ज्यादा समस्या भुगतान की है। जिसमें 45 दिन में पेमेंट का प्रावधान होने के बाद भी बड़े कॉरपोरेट देर से भुगतान करते हैं। इसके साथ ही टैक्सेशन और दूसरी शिकायतें कारोबारियों की बनी रहती है। केवल एमएसएमई के लिए अपीलीय अथॉरिटी होने से कारोबारियों की शिकायतों का हल करना आसान हो जाएगा। देश में अभी 2.61 करोड़ छोटे और मझोले कारोबारी हैं, जिनकी अकेले मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 38-40 फीसदी हिस्सेदारी है।
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