Saturday, October 10, 2015

ई-रिटर्न फाइल करना होगा और आसान

इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आयकर रिटर्न भरने को लोकप्रिय बनाने के लिए सीबीडीटी पहले से ही भरे हुए फॉर्म्स उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें एक करदाता की आय और अन्य अहम जानकारियों के बारे में आंकड़े ऑटोमेटिक अपलोड हो जाएंगे। 
आयकर विभाग की शीर्ष नीति निर्माता संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) करदाता फ्रेंडली इस सुविधा को अगले वित्त वर्ष से लागू करने की पूरी कोशिश कर रहा है। इस साल अगस्त में शुरू नए ई-फाइलिंग सिस्टम के तहत ही यह कदम उठाया जा रहा है। अगस्त में शुरू किए गए सिस्टम में आयकर रिटर्न को आधार नंबर, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम आदि से जोड़ते हुए उसे ऑनलाइन वेरिफिकेशन करने की सुविधा दी गई है। पांच लाख से कम आय वाले छोटे करदाता और रिफंड का दावा न करने वाले इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड का फायदा उठा सकते हैं। 
सीबीडीटी की चेयरपर्सन अनीता कपूर ने कहा कि विभाग पहले से ही भरे फॉर्म में अधिक से अधिक एंट्री करने की संभावना पर काम कर रहा है, जिससे कि करदाता के लिए ई-रिटर्न भरना और आसान हो जाए। 

Friday, October 9, 2015

ज़रूरत रोटी की है मगर खाने को केक

ज़रूरत रोटी की है मगर खाने को केक दिया जा रहा है. आप दर्शकों से उन पत्रकारों का दर्द साझा करना चाहता हूं जो अपना दर्द कहने के लायक नहीं है. हिंदी के पत्रकार बंधु इसे जरूर पढ़े
Rakesh Praveer के फेसबुक वाल से। ज़रूरत रोटी की है मगर खाने को केक दिया जा रहा है. आप दर्शकों से उन पत्रकारों का दर्द साझा करना चाहता हूं जो अपना दर्द कहने के लायक नहीं है. हिंदी के तमाम और अंग्रेजी के भी शायद बड़े अखबारों में भी ज्यादातर पत्रकार बीस बीस साल के अनुभव के बाद भी बीस हजार या उससे भी कम सेलरी पर काम कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि मजीठिया वेतनबोर्ड लागू किया जाए मगर किसी अखबार ने मजीठिया लागू नहीं किया. लागू होता तो बीस हजार रुपये पाने वाले वरिष्ठ पत्रकार को साठ से अस्सी हजार रुपये की सेलरी मिल सकती थी. अदालत की खुलेआम अवमानना हो रही है मगर सब चुप हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मजीठिया बोर्ड की सिफारिशें लागू करवाने का वादा किया था लेकिन पांच सौ करोड़ की विज्ञापन बजट की ताकत के बाद फेल हो गए. वही नहीं, तमाम मुख्यमंत्री और पार्टियां फेल हो गई हैं. हो सकता है लेकिन जिस कारण से बताने का मौका मिला है उसका पहले शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. बीजेपी के विजन डाक्युमेंट में कहा गया है कि पत्रकारों के लिए सामूहिक बीमा योजना तथा मेडिकेयर की सुविधा दी जाएगी. राज्य सरकार मान्यता प्राप्त पत्रकारों को लैपटॉप देगी. राजस्थान में मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत 1500 पत्रकारों को लैपटाप दे चुके हैं. जयपुर अजमेर में कई सौ पत्रकारों को सस्ती दरों पर जमीन देने की सूची निकली थी. मामला कोर्ट में है. 
पत्रकार भी वेतन की जगह क्या क्या ले लेते हैं. आप जिस मीडिया को दिनरात गरियाते हैं, उसकी यह हकीकत है. अपनी सेलरी के सवाल से समझौता करते हुए पत्रकार आपके लिए तटस्थता और नैतिकता का बोझ ढो रहा है. बोझ ढोेते ढोते बहुत अच्छा पत्रकार भी बीस साल में बीस हजार की तनख्वाह भी नहीं पा पाता है. शुक्रिया बीजेपी का उसने अपने विजन डाक्युमेंट में लैपटॉप देने का वादा किया है, मजीठिया बोर्ड लागू करने का वादा नहीं किया है.
यह हिस्सा कल रवीश के प्राइम टाइम का इंट्रो है. आज दैनिक जागरण के पत्रकार जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं. वे हड़ताल पर चले गए हैं. सरकार द्वारा मजीठिया वेजबोर्ड लागू करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अखबार के मालिकों ने इसे लागू नहीं किया. इसे चुनौती देने के लिए सभी अखबार सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को करोड़ों रुपये दे चुके हैं. हर अखबार के प्रबंधन ने अपने पत्रकारों से एक पेपर पर साइन कराया जिसपर यह लिखा गया कि 'मुझे जितनी तनख्वाह मिलती है, उतने में खुश हूं. मुझे मजीठिया वेतनबोर्ड नहीं चाहिए.' यह अखबार जो रोज दुनिया को ज्ञान देते हैं, कहां कहां गलत हो रहा है, उसकी खबर छापते हैं, वे अखबार अपने कर्मचारियों को भरपूर शोषण करते हैं और कर्मचारी परिवार चलाने की मजबूरी में सब सहते जाते हैं. 
यह सोचने की बात है कि इस देश में सरकार और सुप्रीम कोर्ट इन छोटे उद्योगपतियों के सामने इस कदर लाचार हैं तो बड़े उद्योगपतियों का क्या हाल होगा? इस देश में जनता का शासन नहीं है, यहां कंपनी राज चलता है. सरकार और अदालत उनके पीछे चलती हैं.

Thursday, October 8, 2015

स्टार्टअप को 10 लाख का लोन देगी राजस्थान सरकार..

कोटा। राजस्थान सरकार जल्द ही राज्य के लिए स्टार्टअप पॉलिसी के तहत 10 लाख रुपए तक का लोन देगी।  सरकार सालाना 11 करोड़ रुपए स्टार्टअप के लिए खर्च करेगी। पॉलिसी के तहत स्टार्टअप को जगह, लोन जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। स्टार्टअप पॉलिसी से सरकार की योजना साल 2020 तक 500 से अधिक स्टार्टअप खोलने की है। राजस्थान सरकार के अधिकारियों के मुताबिक वेंचर केपिटल और आईटी कंपनियों की मदद से सरकार अगले पांच साल में 500 करोड़ रुपए निवेश करेगी। निवेश सरकार अगले पांच साल तक करेगी। राज्य में 500 से अधिक स्टार्टअप खोलने का लक्ष्य रखा है। सरकार सालाना 11 करोड़ रुपए नए कारोबार को खुलवाने  के लिए निवेश करेगी। राजस्थान सरकार ने पहले ही 55 करोड़ रुपए एलोकेट कर दिेए हैं। स्टार्टअप को 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाएगा स्टार्टअप पॉलिसी के तहत प्रत्येक स्टार्टअप को 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाएगा। अभी तक कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और केरल में ही स्टार्टअप के लिए ऐसी योजनाएं हैं। स्टार्टअप पॉलिसी 2015 के तहत राजस्थान उत्तर भारत का अपनी तरह का पहला राज्य होगा जो टेक्निकल स्टार्ट अप के लिए पॉलिसी लेकर आएगा। 
कारोबारियों के मुताबिक राजस्थान के स्टार्टअप को सबसे ज्यादा समस्या फंड जुटाने और हायरिंग को लेकर आती है। राजस्‍थान में स्टार्टअप्स की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए राज्‍य सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं। स्टार्टअप्स तथा नए उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने के लिए रियायती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। सिडबी के महाप्रबंधक विवेक मल्होत्रा ने बताया कि सिडबी ने उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम  उठाए हैं। 
अभी राज्य में कार देखो और कल्चर एले जैसे वेंचर फंडेड स्टार्टअप हैं। अमेजन, अरबन लैदर, फ्लिपकार्ट और पेपरफ्राई जैसी कंपनिया टेक्सटाइल और फर्नीचर राज्य से सोर्स करती हैं। ऐसे में स्टार्ट के लिए यहा काफी मौके उपलब्ध होंगे।.








Wednesday, October 7, 2015

मेडिक्लेम लेने से पहले इन बातों पर करें गौर

कोटा।हम सभी अपनी हेल्थ को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। चाहे बूढ़े मां बाप हो या छोटे बच्चें सबकी बीमारी में अस्पताल में होने वाला खर्च आपकी सेविंग पर बड़ा असर डालता है। उम्र से संबंधित रोग ऐसे हैं जिन्हें आप रोक नहीं सकते। दूसरी और युवा अपनी लाइफ स्टाइल के कारण अलग तरह के रोगों का शिकार हो रहे हैं। अगर आपने पूरी तैयारी नहीं की है तो मेडिकल का खर्च आपकी बचत साफ कर देगा।
मेडिकल के इस तरह के खर्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी है। इसमें दो तरह की पॉलिसी होती है। एक अकेले व्यक्ति के लिए और दूसरी पूरे परिवार के लिए। परिवार के लिए किए गए मेडिक्लेम की पॉलिसी का कोई भी सदस्य उपयोग कर सकता है। अगर आप मेडिक्लेम पॉलिसी खरीद रहें हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें
*पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्च की सुविधा हो
*कैशलेस सेवा के लिए हॉस्पिटल की लंबी सूची हो, आपके शहर के नामी हॉस्पिटल उस सूची में हों
*इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से 24*7 सहयोग की सेवा हो
*क्लेम निपटाने की प्रक्रिया आसान हो
*इनकम टैक्स छूट का लाभ हो, सेक्शन 80 (डी) के तहत इनकम टैक्स में छूट
*कमरों के किराए पर किसी तरह की लिमिट न हो
*क्रिटिकल इलनेस प्लान की सुविधा। इसमें कैंसर, टूटी जांघों, जलने और ह्दय से संबंधित रोगों को कवर किया जाता है
*जीवन भर रिन्यूवल की सुविधा, हर साल रिन्यूवल छूट पर भी ध्यान दें
क्लेम जल्दी निपटाने की सुविधा

Tuesday, October 6, 2015

आजमाएं सिम लॉक की ट्रिक, सुरक्षित रहेगी आपकी कॉल

सिम कार्ड पर आपके बारे में कीमती जानकारी रहती है। अगर आपने अपने स्मार्टफोन के डेटा को एन्क्रिप्ट किया है या अपने स्मार्टफोन को पिन से लॉक किया है तो भी कोई आपका सिम कार्ड निकालकर आपके बारे में ढेर सारी जानकारी हासिल कर सकता है। अगर आप अपने एंड्रॉयड फ़ोन की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो आप अपने स्मार्टफोन के सिम को लॉक करने की सोच सकते हैं।
सिम कार्ड एक डिफ़ॉल्ट पिन के साथ ही आता है और पिन अनलॉक की या (PUK) होता है। अगर आप गलती से सिम कार्ड को लॉक कर देते हैं या गलत पासवर्ड डाल देते हैं तो पीयूके उसे अनलॉक करने में मदद करता है।
जानिए कैसे करें सिम लॉक।
सिम को लॉक करना बहुत मुश्किल नहीं है। जिस स्मार्टफोन में आपने सिम डाल रखा है उसके सेटिंग्स में जाइए और उसके बाद 'मोर टैब' पर क्लिक कीजिए। उसके बाद सिक्योरिटी चुनना होगा और उसके बाद समय है 'सेट अप सिम कार्ड लॉक' चुनने काफिर 'लॉक सिम कार्ड' के साथ वाले बॉक्स को टिक कर दीजिए और अपना पिन डाल दीजिए। उसके बाद ओके दबाइए। जब भी सिम लॉक होगा, तो आप कोई भी कॉल बिना पिन डाले नहीं कर पाएंगे।अगर आप सिम के पिन को बदलना चाहते हैं तो 'चेंज सिम पिन' पर क्लिक कीजिए और उसके बाद अपना पुराना पिन डाल दीजिए और ओके दबा दीजिए। उसके बाद आपको अपना नया पिन दो बार डालना होगा। दोनों बार पिन डालने के बाद ओके पर क्लिक करना ज़रूरी है। उसके बाद आपको अपनी डिवाइस को फिर से स्टार्ट करना होगा और अपना सिम का पिन भी डालना होगा। बिना पिन के आपका सिम किसी भी काम का नहीं है।

Saturday, October 3, 2015

दुर्घटना होने से पहले ही आगाह कर देगी ये कार

आपने मोबाइल को तो स्मार्ट होते सुना होगा लेकिन अब आपकी कार आपसे भी ज्यादा स्मार्ट होने जा रही है। कार न सिर्फ आपको दुर्घटनाओं से बचाएगी, बल्कि यह आपके स्टीयरिंग घुमाने से पहले ही जान जाएगी कि आप किस तरफ जाना चाहते हैं। 
यह स्टीयरिंग और अन्य गतिविधियों के आधार पर चालक के व्यवहार का पुर्वानुमान लगा सकती है और यह अपने-आप पता कर लेती है कि आप किस तरफ जाने वाले हैं। कोई भी खतरा होने की स्थिति में यह एलर्ट कर देगी। वैज्ञानिक एक ऐसा कंप्यूटर डैशबोर्ड तैयार करने में जुटे हैं, जो मानव की गलती से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला सकता है। हालांकि सड़कों पर उतरने में इसे अभी काफी समय है। 
अमेरिका की कॉर्नेल और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इस कार्य में जुटे हैं। ब्रेन फॉर कार्स नाम के इस प्रोजेक्ट से जुड़े आशुतोष सक्सेना बताते हैं कि इस सिस्टम को चालक की भाषा और बॉडी लैंग्वेज के आधार पर व्यवहार पहचानने और उसका पुर्वानुमान लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। 
शोधकर्ताओं ने मशीन आधारित एलगोरिदम के जरिये इस सिस्टम को प्रशिक्षित किया। टेस्ट के दौरान पाया गया कि जब चालक गलत दिशा में मोड़ने वाला था, तो इस सिस्टम ने कुछ सेकंडों में ही एलर्ट भेजकर चालक को आगाह कर लिया। 
शोधकर्ता कहते हैं कि इसके परिणाम 90 फीसदी सही निकले हैं। आशुतोष कहते हैं कि परीक्षण से ये साबित होता है कि यह सड़क पर उतरने को तैयार है। 
एक अन्य शोधकर्ता कहते हैं कि सड़क पर इसकी जांच किए बिना इन्हें कारों में लगाना सुरक्षित नहीं होगा। फिलहाल इसे और निपुण बनाने को लेकर काम चल रहा है। पिछले दिनों जर्मनी के फ्रैंकफर्ट मोटर शो के दौरान ऑडी ने अपनी इलेक्ट्रिक स्पोर्ट यूटिलिटी व्हिकल (एसयूवी) ई-ट्रॉन क्वाट्रो का कॉन्सेप्ट पेश किया। हाल में अमरीकी कार निर्माता टेसला की इलेक्ट्रिक एसयूवी की भी बेहद चर्चा हुई, इसने 29 सितंबर को अपना मॉडल एक्स शोरूम में पेश किया है।लेकिन उससे पहले ऑडी ने बाज़ार में अपनी इलेक्ट्रिक एसयूवी की ख़बर दी और बताया कि इस कांसेप्ट कार का उत्पादन 2018 से होने लगेगा।
फ्रैंकफर्ट ऑटो शो के दौरान इसकी बहुत चर्चा रही और ज़्यादातर लोगों की नज़र में, बनने के बाद ये एक बेमिसाल कार हो सकती है।
ऑडी के व्हिकल कांसेप्ट्स के वाइस प्रेसीडेंट राफ़ गेरहार्ड विल्नर ने बताया कि कार को तैयार करने में उम्मीद से कम समय लगा है और इसकी एक वजह यही है कि इसमें पहले से तैयार पार्ट्स को इस्तेमाल किया गया है। इसमें सस्पेंशन और स्टीयरिंग से जुड़ें कॉम्पोनेंट शामिल हैं।

मजीठिया पर इस तरह के सवाल-जवाब के लिए तैयार रहें पत्रकार

मजीठिया वेतनमान पर अगर पत्रकारों से ये सवाल पूछे जाएं तो उन्हें दृढ़ता से जवाब देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। अखबार मालिक पत्रकारों का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगे।
1. क्या आप का प्रबंधक भारत सरकार की अधिसूचना पर, मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के अनुसार वेतन का भुगतान कर रहा है?
2. क्या प्रबंधकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश 07-02-2014 के बाद किसी प्रकार के बकाया धन राशि (अरिअर्स) का भुगतान किया है?
3. मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार आप का संस्थान किस राजस्व श्रेणी के अंतर्गत आता है? 2007-08, 2008-09 और 2009-2010 की राजस्व स्थित (बैलेंस शीट) उपलब्ध कराऐं।
4. मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड लागू करते समय आप के संस्थान ने कौन सा मापदंड अपनाया है? उसकी वृहत जानकारी उपलब्ध कराऐं।या वेज बोर्ड अवार्ड लागू करते समय आप के संस्थान ने कौन सा मापदंड अपनाया है? उसकी वृहत जानकारी उपलब्ध कराऐं।
5. क्या आप का संस्थान वेतन निर्धारित करते समय पुराना मूल वेतन, मंहगाई भत्ता तथा सर्विस वेतन-वृद्धि का समयोजन किया है? इसका विस्तारित ब्योरा दें।
6. मजीठिया लागू करने के बाद आप के वेतन में कितने गुणा वृद्धि हुई है?
7. आप के संस्थान में सन् 2008 से पहले कर्मचारियों की संख्या कितनी थीऔर अब कितनी है?
8. क्या आप के संस्थान ने वेतन अवार्ड लागू होने के बाद मिल रहे अतिरिक्त भत्ते (किसी विशेष समक्षौते के तहद) का भुगतान बन्द कर दिया है?
9. क्या स्थायी तथा संविदा सेवा कर्मचारियों को मूल वेतन के साथ 35%का परिवर्ती (वेरिअबल) वेतन का भुगतान हो रहा है?
10. क्या मंहगाई भत्ता, मकान भत्ता, परिवहन भत्ता, छुट्टी यात्रा रियायत (एलटीसी) का भुगतान करते समय मूल वेतन के साथ वेरिअबल वेतन को जोड़ा जाता है? 
11. क्या मंहगाई भत्ते का भुगतान जुलाई 2009 और जून 2010 (12 महीने का औसत) पॉइंट 167 के अधार पर हो रहा है?
12. क्या वेतन फिक्स करते समय आप को पांच साल में एक तथा ज्यादा से ज्यादा तीन सर्विस इंक्रीमेंट का लाभ मिला है, यदि हां तो पुराने रेट पर या नये रेट पर?
13. क्या कर्मचारियों को रात्रि पाली भत्ता तथा चिकित्सा भत्ते का भुगतान मजीठिया वेज अवार्ड के अनुसार किया जा रहा है?
14. क्या कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य निधि को काटते समय मूल वेतन, वेरिअबल वेतन तथा मंहगाई भत्ते को जोड़ा जाता है? (जैसा कि श्रमजीवी पत्रकार एवं दूसरे समाचार कर्मचारियों की सेवा शर्तें, अधिनियम 1955 में की गयी व्यस्था के अनुसार)।
15. क्या अवकाश प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को आनुतोषिक (ग्रेट्यूटी) का भुगतान करते समय मूल वेतन, मंहगाई भत्ता तथा वेरिअबल को जोड़ा गया है?
16. कृपया संस्थान में काम करने वाले श्रमजीवी पत्रकार, अनुबंध प्राप्त पत्रकार,गैर पत्रकार, प्रबंधन से जुड़े तथा उत्पादकता (प्रोडक्शन) में शामिल सभी कर्मचारियों का श्रेणीबद्ध ब्योरा दें।
17. कृपया अपने संस्थान में काम करने वाले सभी स्थायी, अस्थायी, अनुबंधक, उप-अनुबंधक कर्मचारियों की संख्या, उनके पद, वेतनमान, सर्विस अवधि के साथ-साथ मिलने वाले भत्ते का भी पूरा ब्योरा दें।
18. क्या अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन भुगतान में किसी प्रकार का भेद-भाव किया जा रहा है? कृपया अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारी अपनी सेवा शर्तों का पूरा ब्योरा दें।
19. क्या मजीठिया वेज अवार्ड के अनुसार सुनिश्चित कैरियर विकास योजना यानी 10 साल में एक पदोन्नति तथा पूरी सर्विस में तीन पदोन्नति का लाभ मिल रहा है?
20. क्या 11/11/2011 के बाद अवकाश प्राप्त कर्मचारियों को मजीठिया वेतन अवार्ड का लाभ मिला? (ग्रेट्यूटी उपर्युक्त कथानुसार तथा दूसरे अवकाश प्राप्त लाभ)।
21. सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस दाखिल होने के बाद संस्थान से कितने कर्मचारियों का स्थानांतरण, निलम्बन तथा सेवा समाप्ति की कार्यवायी हुई है?
22. वेरिअबल कंसेप्ट से पहले पिछले सभी वेज अवार्डो में समाचार कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि 6.5-8.5% के बीच हुआ करती थी, जो वेरिअबल कंसेप्ट के कारण 4% कर दी गयी है इससे सिद्ध होता है कि वेरिअबल वेतन मूल वेतन का ही समेकित अंग है, जिसको इससे अलग नहीं किया जा सकता है, अगर किया गया है तो विवरण दें।
साभार भड़ास4 मिडिया डॉटकॉम