दिनेश माहेश्वरी
कोटा। इस बार आयकर रिटर्न जमा करते समय करदाता को एक बैंक खाते की नहीं, बल्कि सभी बैंक खातों की जानकारी देनी होगी। इसमें उन सभी खातों का उल्लेख होगा जो वर्ष 2014-15 में इस्तेमाल किए गए हों और बंद कर दिए गए हों। इसके अलावा पिछले साल में की गई विदेश यात्राएं, निवेश आदि का ब्योरा भी रिटर्न में देना होगा। काले धन को रोकने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वर्ष 2015-16 के आयकर रिटर्न फॉर्म में बदलाव किए हैं। आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आईटीआर-1, 2, 4एस और पांच (रोमन फाइव) फार्म में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इनमें आधार नंबर के लिए भी एक कॉलम है।
आधार नंबर से लिंक होने के बाद ऑनलाइन भरे जाने वाले रिटर्न का वेरीफिकेशन आसान होगा। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया भोपाल के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन के अनुसार, इन बदलावों से कालेधन को रोकना आसान होगा। बैंक अकाउंट का ऑपरेशन भी बेहतर होगा। अब यदि कोई भी खाता छिपाया गया तो पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
अब ये जानकारियां भी देनी होंगी
1. जिन बैंकों में खाता है उनका नाम, पता, अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड। ज्वाइंट अकाउंट हैं तो दूसरे व्यक्ति का नाम भी देना होगा।
2. वित्तीय वर्ष खत्म होने तक खातों में कितनी रकम थी।
3. पासपोर्ट नंबर, कहां से जारी हुआ। कितनी विदेश यात्राएं कीं। खर्च कितना हुआ।
4. विदेशी फर्म में निवेश या फाइनेंशियल इंटरेस्ट है या भारत के बाहर प्रॉपर्टी खरीदी या ट्रस्ट बनाया है तो उसकी जानकारी भी देनी होगी।
5. जो करदाता आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं रखते और अनुमान के आधार पर टैक्स भरते हैं, उन्हें भी बैंक खातों की सभी जानकारी, आधार नंबर व इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन कोड देना होगा।
कोटा। इस बार आयकर रिटर्न जमा करते समय करदाता को एक बैंक खाते की नहीं, बल्कि सभी बैंक खातों की जानकारी देनी होगी। इसमें उन सभी खातों का उल्लेख होगा जो वर्ष 2014-15 में इस्तेमाल किए गए हों और बंद कर दिए गए हों। इसके अलावा पिछले साल में की गई विदेश यात्राएं, निवेश आदि का ब्योरा भी रिटर्न में देना होगा। काले धन को रोकने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वर्ष 2015-16 के आयकर रिटर्न फॉर्म में बदलाव किए हैं। आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आईटीआर-1, 2, 4एस और पांच (रोमन फाइव) फार्म में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इनमें आधार नंबर के लिए भी एक कॉलम है।
आधार नंबर से लिंक होने के बाद ऑनलाइन भरे जाने वाले रिटर्न का वेरीफिकेशन आसान होगा। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया भोपाल के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन के अनुसार, इन बदलावों से कालेधन को रोकना आसान होगा। बैंक अकाउंट का ऑपरेशन भी बेहतर होगा। अब यदि कोई भी खाता छिपाया गया तो पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
अब ये जानकारियां भी देनी होंगी
1. जिन बैंकों में खाता है उनका नाम, पता, अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड। ज्वाइंट अकाउंट हैं तो दूसरे व्यक्ति का नाम भी देना होगा।
2. वित्तीय वर्ष खत्म होने तक खातों में कितनी रकम थी।
3. पासपोर्ट नंबर, कहां से जारी हुआ। कितनी विदेश यात्राएं कीं। खर्च कितना हुआ।
4. विदेशी फर्म में निवेश या फाइनेंशियल इंटरेस्ट है या भारत के बाहर प्रॉपर्टी खरीदी या ट्रस्ट बनाया है तो उसकी जानकारी भी देनी होगी।
5. जो करदाता आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं रखते और अनुमान के आधार पर टैक्स भरते हैं, उन्हें भी बैंक खातों की सभी जानकारी, आधार नंबर व इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन कोड देना होगा।
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