Wednesday, March 30, 2016

जाके राखो साइयां, मार सके ना कोई.............

12 वर्षीय बच्ची को मृत समझकर इलाहाबाद के गंगा तट में प्रावाहित करने के 6 साल बाद जिंदा देखकर परिजन आश्चर्य चकित हो गए। बच्ची ने सबसे पहले अपने बड़े पिताजी नरेंद्र कचेर को पहचाना था। मामला जिले के ब्यौहारी थाना क्षेत्र के कुआं गांव का है।
 ब्यौहारी के कुआं गांव निवासी झुरू कचेर की बेटी स्वाति उर्फ किशोरी 6 साल पहले एक रात खाना खाकर सोने चली गई। थोड़ी देर बाद उसके पेट में अचानक दर्द शुरू हो गया और मुंह से झाग निकलने लगा। परिजनों ने उसका झाड़फूंक से इलाज कराया, लेकिन उसकी धड़कनें थम गईं। इसके बाद परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इकलौती बेटी की मौत के बाद कचेर परिवार स्वाति को गंगा में प्रवाहित करने इलाहाबाद ले गया था। परिजनों के अनुसार ब्यौहारी से इलाहाबाद की दूरी अधिक होने के कारण करीब 36 घंटे बाद उसे प्रवाहित किया जा सका था। लेकिन उस समय तक बच्ची के शरीर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था, लेकिन डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित करने के बाद उन्होंने बच्ची को गंगा में बहा दिया। बच्ची का वजन कम होने कारण परिजनों ने उसके शरीर में पत्थर बांध दिए थे।
वृंदावन के साधुओं को मिली 
बच्ची के पिता के अनुसार बच्ची को प्रवाहित करने के बाद वह घर लौट आए थे, लेकिन गंगा के तट पर आए वृंदावन के साधु-संतों की बच्ची पर नजर पड़ी, जिन्होंने उसे नदी से निकाला और डॉक्टर के पास ले गए, जहां कुछ दिनों बाद बच्ची स्वस्थ्य हो गई। इसके बाद से वह साधुओं के साथ रहने लगी। यहीं रहकर स्वाति ने कथा वाचन सीख लिया।


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