बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
वातानुकूलित (एसी) बसों में यात्रा 1 जून से महंगी हो जाएगी। क्योंकि केन्द्र सरकार ने स्टेज कैरिज परमिट के तहत चलने वाली इस तरह की बसों को भी सर्विस टैक्स के दायरे में ला दिया है। अभी तक सिर्फ कांट्रेक्ट कैरिज परमिट के तहत चलने वाली बसों को ही सर्विस टैक्स का भुगतान करना होता था।
सरकार के इस फैसले की वजह से एसी बसों की यात्रा कम से कम 5.6 फीसदी महंगी होगी। वर्ष 2016-17 का बजट संसद में पेश होने के बाद फील्ड अधिकारियों के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार विस्तृत परिपत्र में बताया गया है कि 1 जून 2016 से स्टेज कैरिज के तहत चलने वाली सभी एसी बसों के यात्रियों से अब कुल देय किराये पर सर्विस टैक्स वसूला जाए। हालांकि अन्य सेवाओं पर सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी की होगी। लेकिन यात्रियों को किराये के 60 फीसदी हिस्से पर छूट है। इसलिए 40 फीसदी हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगाया गया है। वर्तमान में कांट्रेक्ट कैरिज के तहत चलने वाली एसी बसों पर सर्विस टैक्स है। अब पहली बार स्टेज कैरिज के तहत चलने वाली बसों को छूट है। लेकिन बजट के बाद सर्विस टैक्स की निगेटिव लिस्ट में संशोधन कर दिया गया है। इसलिए 1 जून 2016 से इस टैक्स की वसूली शुरू हो जाएगी।
सेवा प्रदाताओं को अब सालाना रिटर्न भी देनी होगी
परोक्ष करों की व्यवस्था को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुकूल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने सेवा प्रदाताओं के लिए जरूरी रिटर्न की संख्या बढ़ा दी है। अब एक निश्चित सीमा से अधिक टर्नओवर वाले सेवा करदाताओं को साल में तीन रिटर्न दाखिल करने होंगे। सर्विस टैक्स के एक्सपर्ट एवं कर सलाहकार अनिल काला ने बताया कि सरकार ने इस बात के प्रावधान वित्त विधेयक 2016 में किए हैं। अब तक सेवा करदाताओं को साल में सिर्फ दो बार ही रिटर्न दाखिल करने होते थे। लेकिन नए नियमों के अनुसार अब उन्हें छमाही आधार पर दो रिटर्न 25 अप्रैल एवं 25 अक्टूबर तक फाइल करने के अलावा एक वार्षिक रिटर्न भी 30 नवंबर तक दाखिल करना होगा। इस तरह सेवा करदाताओं को साल में तीन रिटर्न दाखिल करने होंगे। सेवा कर के बदलावों में यह नियम एक अप्रैल 2016 से लागू माने जाएंगे।
सरकार ने दूसरे मोर्चे पर सेवा करदाताओं को राहत दी है। अगर कोई सेवा करदाता सेवा कर वसूलकर सरकार के खाते में जमा नहीं करता है तो ऐसी राशि दो करोड़ रुपये से अधिक होने पर ही उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा। इससे कम राशि होने पर उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। साथ ही सेवा कर का भुगतान सरकारी खाते में जमा न करने पर करदाता को 24 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।
वातानुकूलित (एसी) बसों में यात्रा 1 जून से महंगी हो जाएगी। क्योंकि केन्द्र सरकार ने स्टेज कैरिज परमिट के तहत चलने वाली इस तरह की बसों को भी सर्विस टैक्स के दायरे में ला दिया है। अभी तक सिर्फ कांट्रेक्ट कैरिज परमिट के तहत चलने वाली बसों को ही सर्विस टैक्स का भुगतान करना होता था।
सरकार के इस फैसले की वजह से एसी बसों की यात्रा कम से कम 5.6 फीसदी महंगी होगी। वर्ष 2016-17 का बजट संसद में पेश होने के बाद फील्ड अधिकारियों के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार विस्तृत परिपत्र में बताया गया है कि 1 जून 2016 से स्टेज कैरिज के तहत चलने वाली सभी एसी बसों के यात्रियों से अब कुल देय किराये पर सर्विस टैक्स वसूला जाए। हालांकि अन्य सेवाओं पर सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी की होगी। लेकिन यात्रियों को किराये के 60 फीसदी हिस्से पर छूट है। इसलिए 40 फीसदी हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगाया गया है। वर्तमान में कांट्रेक्ट कैरिज के तहत चलने वाली एसी बसों पर सर्विस टैक्स है। अब पहली बार स्टेज कैरिज के तहत चलने वाली बसों को छूट है। लेकिन बजट के बाद सर्विस टैक्स की निगेटिव लिस्ट में संशोधन कर दिया गया है। इसलिए 1 जून 2016 से इस टैक्स की वसूली शुरू हो जाएगी।
सेवा प्रदाताओं को अब सालाना रिटर्न भी देनी होगी
परोक्ष करों की व्यवस्था को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुकूल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने सेवा प्रदाताओं के लिए जरूरी रिटर्न की संख्या बढ़ा दी है। अब एक निश्चित सीमा से अधिक टर्नओवर वाले सेवा करदाताओं को साल में तीन रिटर्न दाखिल करने होंगे। सर्विस टैक्स के एक्सपर्ट एवं कर सलाहकार अनिल काला ने बताया कि सरकार ने इस बात के प्रावधान वित्त विधेयक 2016 में किए हैं। अब तक सेवा करदाताओं को साल में सिर्फ दो बार ही रिटर्न दाखिल करने होते थे। लेकिन नए नियमों के अनुसार अब उन्हें छमाही आधार पर दो रिटर्न 25 अप्रैल एवं 25 अक्टूबर तक फाइल करने के अलावा एक वार्षिक रिटर्न भी 30 नवंबर तक दाखिल करना होगा। इस तरह सेवा करदाताओं को साल में तीन रिटर्न दाखिल करने होंगे। सेवा कर के बदलावों में यह नियम एक अप्रैल 2016 से लागू माने जाएंगे।
सरकार ने दूसरे मोर्चे पर सेवा करदाताओं को राहत दी है। अगर कोई सेवा करदाता सेवा कर वसूलकर सरकार के खाते में जमा नहीं करता है तो ऐसी राशि दो करोड़ रुपये से अधिक होने पर ही उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा। इससे कम राशि होने पर उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। साथ ही सेवा कर का भुगतान सरकारी खाते में जमा न करने पर करदाता को 24 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।
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