बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
राज्य सरकार के लैंड बैंक राज धरा में संभाग के बूंदी, बारां एवं कोटा जिले में उद्योगों के लिए भूखंड उपलब्ध हैं, लेकिन कोटा शहर के निकट में रीको के पास कहीं कोई जगह नहीं है। राज धरा में तीन तरह से भूखंडों का विवरण दिया गया है। जिसमें रा लैंड, अपकमिंग इंडस्ट्रियल एरिया एवं एक्साइटिंग इंडस्ट्रियल एरिया के कॉलम हैं। इसमें कौन से जिले में उद्योगों के लिए कितनी भूमि एवं चिन्हित भूखंड एवं आवंटित भूखंड के अलावा खाली भूखंडों की भी जानकारी है।
उद्यमियों का कहना है कि उनकी ज्यादातर रुचि शहर के निकट जहां ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा हो वहां उद्योग लगाने की होती है। रीको के पास पिछले पांच-छह साल से शहर में एवं उसके आसपास कोई भूखंड नहीं है। सिर्फ कुबेर एक्सटेंशन इंडस्ट्रियल एरिया को छोड़कर कहीं जगह नहीं है। पिछले पांच साल से यह जगह एनवायरमेंट क्लियरेंस में अटकी है। पिछले दिनों इसकी एनवायरमेंट मिनिस्ट्री की एक्सपर्ट कमेटी के सामने रीको की ओर से नियुक्त कंसलटेंट कंपनी ने अपना पक्ष रखा था। अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है।
इंजीनियर पार्क समेत 70 से अधिक उद्योग इंतजार में
रानपुर कुबेर एक्सटेंशन इंडस्ट्रियल एरिया के लिए सिंगल विंडो में करीब चार साल पहले 10 प्रोजेक्ट की फाइल लगी थी। इनके आवेदन जिला उद्योग केन्द्र ने जमीन के अभाव में लौटा दिए थे।इसके अलावा इंडस्ट्रियल डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल न्याती ने इंजीनियरिंग पार्क के लिए 30 भूखंड मांगे थे। इसके अलावा युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजना में करीब 30 आवेदन करने वाले सलेक्ट होने के बाद भी रीको से भूखंड नहीं मिलने से उद्योग नहीं लगा पाए। इस योजना में अब राजस्थान वित्त निगम भी उनके ही आवेदन स्वीकार करता है। जिनके पास पहले से भूखंड हैं।
कहां कितनी भूमि
राज धरा के नाम से लैंड बैंक की वेबसाइट पर रीको के अधीन बारां जिले में शाहाबाद में 137.21 हैक्टेयर भूमि है। इसमें तीन भूखंड चिंहित हैं। इनमें से एक डिसलरी (स्प्रिट) प्लांट के लिए आवंटित हुआ है। दो खाली हैं। कोटा जिले में रामगंजमंडी के फतेहपुर एरिया में 157.64 हैक्टेयर भूमि है। जिसमें 364 भूखंड चिन्हित किए गए हैं।
रा लैंड - बूंदी जिले में डरोली में 45.42 हैक्टेयर औैर तालाब गांव में 26.07 हैक्टेयर भूमि है। यहां भूखंड चिंहित नहीं हैं।
बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
राजस्थान वित्त निगम ने रियल एस्टेट में मंदी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में इस सेक्टर में फाइनेंस से हाथ खींच लिए हैं। अब निगम की पहली प्राथमिकता माइक्रो स्माल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज सेक्टर में ही फाइनेंस की है। निगम भूखंड खरीदने के लिए भी कीमत का 75 प्रतिशत तक फाइनेंस करता है।
वित्त निगम के नियमों के मुताबिक यदि कोई उद्यमी नगर विकास न्यास से भूमि खरीदता है, तो निगम उसे आवंटित भूमि का 25 प्रतिशत जमा करा देता है तो उस पर 75 प्रतिशत निगम लोन दे देगा। लोन की सीधे यह राशि न्यास के खाते में जमा हो जाएगी। अगर किसी के पास कन्वर्टेड भूमि है तो उद्यमी उस पर भी लोन ले सकता है। वित्त निगम नगर विकास न्यास एवं रीको से खरीदी गई जमीन पर प्रमुखता से फाइनेंस करता है। स्थानीय शाखा प्रबंधक आनंद बरड़वा ने बताया कि रीको की भूमि पर 12 प्रतिशत की दर से कर्ज दिया जाता है। राजस्थान वित्त निगम पांच साल के लिए कर्ज देती है। चाहे व्यक्ति उद्योग लगाए या नहीं। इसकी वसूली चालू हो जाती है। उन्होंने बताया कि वित्त निगम अधिकतम 20 करोड़ रुपए तक का फाइनेंस करती है। उन्होंने बताया कि उद्योग या रियल एस्टेट में भूमि खरीदने के लिए बैंक लोन नहीं देता। सिर्फ वित्त निगम ही इसमें लोन देता है। इसलिए रियल एस्टेट में फाइनेंस के लिए सबसे ज्यादा निगम के पास ही आते हैं।
सबसे ज्यादा कर्ज रियल एस्टेट में
राजस्थान वित्त निगम के शाखा प्रबंधक के अनुसार शहर में अभी तक सबसे ज्यादा फाइनेंस 1500 करोड़ रुपए का रियल एस्टेट में किया गया है। जबकि इंडस्ट्री में 3600 करोड़ का फाइनेंस किया हुआ है। समाप्त हुए वित्त वर्ष 2015-16 में निगम ने उद्योग एवं रियल एस्टेट 37.50 करोड़ का फाइनेंस किया है। अभी तक 55 करोड़ का फाइनेंस हो चुका है।
राजस्थान में कोटा अव्वल
राजस्थान वित्त निगम की कोटा शाखा वसूली एवं लोन वितरण में इस बार अव्वल रही है। स्थानीय शाखा ने 151 प्रतिशत टारगेट हासिल किया है। जबकि जयपुर शाखा 110 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है।
मुंबई । नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर किसानों की भागीदारी बढ़ रही है। इसे देखते हुए एक्सचेंज ने गोदामों से जिंसों की डिलिवरी के समय उनके नमूनों एवं परीक्षण को अनिवार्य किया है। इसकी शुरुआत सरसों के सभी अनुबंधों के साथ की गई है। एक्सचेंज ने आज इसकी घोषणा की। एक्सचेंज ने परीक्षण के तौर पर अगले आदेश तक सरसों के सभी अनुबंधों में अनिवार्य नमूनों एवं परीक्षण का फैसला किया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के मुताबिक अच्छी डिलिवरी सुनिश्चित करना एक्सचेंज की जिम्मेदारी है। अगर खरीदार या लिवाल एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर दिए जाने वाले माल की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं है तो नियमों के मुताबिक यह एक्सचेंज की जिम्मेदारी है। इसे लागू करने के लिए एक्सचेंज ने आज एक परिपत्र जारी किया। कुछ कारोबारियों का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि एक्सचेंज से मान्यता प्राप्त गोदामों में भंडारित सरसों में ज्यादा नमी होने की शिकायतें आई थीं।
एक्सचेंज ने परिपत्र में कहा गया है, 'जब हम किसी जिंस की डिलिवरी से पहले अनिवार्य रूप से नमूने लेने एवं परीक्षण की अधिसूचना जारी करते हैं तो यह काम एक्सचेंज द्वारा नियुक्त स्वतंत्र गुणवत्ता परीक्षणकर्ता से कराया जाएगा। डिलिवरी से पहले अनिवार्य रूप से नमूने लेने और जांच करने की लागत का खर्च लिवाल को वहन नहीं करना पड़ेगा। अगर जिंस की गुणवत्ता डिलिवरी के समय उसे जमा कराए जाने जैसी नहीं रहती है तो गोदाम सेवा प्रदाता को लिवाल के साथ यह विवाद सुलझाना होगा।'
बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
अब उद्योगों का जिला उद्योग केन्द्रों में पंजीयन नहीं होगा। बल्कि उद्यमियों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जहां पर उनका उद्योग आधार के नाम से रजिस्ट्रेशन होगा। मई माह से जिला उद्योग केन्द्रों पर नए उद्योगों के लिए रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया है।
मात्र एक पेज का फार्म भर कर उद्यमी उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की पंजीयन की व्यवस्था को आधार कार्ड से जोड़ दिया है। इसके लिए केंद्र ने 'उद्योग आधार' योजना शुरू की है। इस योजना के शुरू हो जाने से उद्यमियों को उद्योगों के लिए पंजीयन के लिए सरकारी विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। ऑनलाइन ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। जिन इकाइयों को सरकार की अनेक लाभप्रद स्कीम का फायदा लेना है वे अब एक पेज के सरलीकृत फॉर्मेट में वांछित जानकारी स्वघोषणा के साथ ऑनलाइन भेज कर कभी भी पंजीकरण करा सकते है।
उद्यमियों के अनुसार अभी तक उद्योग स्थापना के लिए ईएम पार्ट 1 के पंजीकरण के लिए 5 पेज का फॉर्मेट भरना पड़ता था तथा उसमें 18 तरह की सूचनाएं तथा 6 संलग्न प्रपत्र प्रस्तुत करने पड़ते थे। इकाई द्वारा उत्पादन शुरू करने के बाद ईएम पार्ट 2 के पंजीकरण के लिए 6 पेज का फॉर्मेट भरना पड़ता था तथा उसमें 21 तरह की सूचनाएं तथा 6 संलग्न प्रपत्र प्रस्तुत करने पड़ते थे। अब उद्यमियों को रजिस्ट्रेशन के सभी झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
ऑनलाइन स्वयं कर सकते हैं
जिनके पास घर या ऑफिस में इंटरनेट की सुविधा है। वह एमएसएमई की वेबसाइट पर स्वयं आधार रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिए स्वयं का आधार नंबर जरूरी है। फार्म में प्रमुख रूप से आधार नंबर, संस्थान का नाम, उद्योग का रजिस्ट्रेशन नंबर यदि हो तो, बैंक खाता नंबर व आईएफ एससी कोड, मेल आईडी, निवेश व पेन कार्ड नंबर आदि की प्रमुख जानकारी भरनी है। इसके बाद तुरंत आपके उद्योग का ई -आधार जनरेट हो जाएगा।
आधार को ही मान्यता
उद्योग का आधार नंबर ही उद्योग का पंजीयन माना जाएगा। उद्योग कार्ड उद्योगों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बैंक ऋण, जमीन आवंटन, बिजली कनेक्शन एवं सब्सिडी आदि मिलेगी।
राज्य में 48823 उद्योग को आधार जारी
माइक्रो स्माल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज के अनुसार अभी तक राजस्थान में 48 हजार 823 उद्योगों को आधार जारी हो चुके हैं। जिसमें से 41510 माइक्रो, 6835 स्माल एवं 278 मीडियम श्रेणी के उद्योग शामिल हैं।
दिनेश महेश्वरी
कोटा। आपके लिए स्कूल फीस, पानी का बिल, टेलीफोन बिल, मोबाइल बिल, बीमा की किस्त, क्रेडिट कार्ड बिल आदि का पेमेंट करना बहुत आसान होने वाला है। अगले महीने से आप इस तरह के सभी बिलों का भुगतान एक ही एप के जरिये कर सकेंगे।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान के लिए भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) एप और पोर्टल लांच कर रहा है। इसके लिए बीपीपी पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। इससे कस्टमर आईडी मिलेगी। इसके लिए आपको ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर और एक पर्सनल आईडी की जानकारी देनी होगी।
इसके बाद सभी तरह के बिल का पेमेंट देश के किसी भी हिस्से से बीबीपी आउटलेट और वेबसाइट पर कर सकेंगे। ऑनलाइन सुविधा से नहीं जुड़ने वाले लोगों के लिए भोपाल, दिल्ली सहित सभी राज्यों की राजधानी में निगम पेमेंट आउटलेट खोलेगा। वे एटीएम कार्ड से पेमेंट कर सकेंगे।
इस एप और पोर्टल को फिलहाल भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) नाम देने की तैयारी है। निगम के मुताबिक, देश की छोटी-बड़ी करीब 38 बैंकों के अलावा 7 अन्य बड़ी कंपनियों आरबीआई की अनुमति के बाद आउटलेट लिए शामिल किया गया है। देश के किसी भी हिस्से से कहीं भी निगम के अधिकारी के मुताबिक, एप और पोर्टल डिजाइन किए जा रहे हैं। इसकी मदद से आप देश के किसी भी हिस्से से कहीं का और कैसा भी बिल ऑनलाइन पेमेंट कर सकेंगे। इस एप और पोर्टल को फिलहाल भारत बिल पेमेंट (बीबीपी) नाम देने की तैयारी है। निगम के मुताबिक, देश की छोटी-बड़ी करीब 38 बैंकों के अलावा 7 अन्य बड़ी कंपनियों आरबीआई की अनुमति के बाद आउटलेट लिए शामिल किया गया है।
दिनेश माहेश्वरी
कोटा। कौन सी इंडस्ट्री कितना पॉल्युशन फैला रही है, इस पर निगरानी रखने के लिए संभाग में 22 यूनिट में राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सेंसर लगवा दिए हैं। इससे राजस्थान में प्रदूषण फैला रही इंडस्ट्री अब कानून के दायरे से नहीं बच पाएंगी।
पिछले दिनों बोर्ड ने मोबाइल ऐप ‘दृष्टि’ लॉन्च किया है। जो सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर मॉनिटरिंग करेगा। ये ऐप राजस्थान स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने पॉल्यूशन का स्तर मॉनिटर करने के लिए बनाया है। बोर्ड ने वेस्ट वाटर डिस्चार्ज प्वाइंट पर सेंसर लगवाए हैं। ये सेंसर और सर्वर लगाने का खर्च करीब 25 लाख से 1 करोड़ रुपए तक आया है। ये ऐप बोर्ड को तुरंत अलर्ट देगा, जब कोई इंडस्ट्री तय लिमिट से ज्यादा प्रदूषण फैलाएंगी। उस इंडस्ट्री को तुरंत पॉल्यूशन कम करने के लिए सही कदम उठाने होंगे। ये ऐप इस तरीके से डिजाइन किया गया है जिससे एमिशन और इफ्यूलेंट का पूरा ब्योरा बोर्ड को मिलेगा। ये डाटा बोर्ड को ग्राफिकल चार्ट में मिलेगा। इससे इंडस्ट्री की पूरे दिन की गतिविधि बोर्ड को मिलेगी। ये सेंसर सीमेंट प्लांट, जिंक प्लांट, केमिकल और फर्टिलाइजर समेत 17 प्रकार की इंडस्ट्री पर लगाए गए हैं। संभाग में पावर प्लांट, केमिकल प्लांट एवं फर्टिलाइजर्स प्लांट समेत 22 यूनिट पर सेंसर लगाए गए हैं।
ऐसे होगी मोनेटरिंग
राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि मॉनिटरिंग का काम पूरी तरह ऑनलाइन है। दिल्ली में केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं जयपुर में राजस्थान कंट्रोल बोर्ड का सर्वर 17 प्रकार की इंडस्ट्रीज के सेंसर से जुड़ा हुआ है। जैसे ही किसी इंडस्ट्री से तय मात्रा से ज्यादा प्रदूषण होगा तुरंत इंडस्ट्री के मैनेजमेंट के पास एसएमएस पहुंचेगा। जिसमें लिखा होगा की इंडस्ट्रीज से निर्धारित मात्रा से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है, उसे कंट्रोल करें। स्थानीय स्तर पर भी एक कनिष्ठ वैज्ञानिक को बोर्ड की ओर से मोनेटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। जिन इंडस्ट्रीज में सेंसर लगाए गए हैं, वहां से निकलने वाले पानी और गैस की क्वालिटी पर निगरानी रहेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल ट्रायल के तौर पर बड़ी इंडस्ट्री को ही इसमें शामिल किया गया है।
बिजनेस रिपोर्टर . कोटा
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ अब आर्थिक रूप से पिछड़े, एपीएल, बीपीएल परिवारों को मिलेगा। जिनके पास अभी तक रसोई गैस का कनेक्शन नहीं है। यह कनेक्शन परिवार की महिला मुखिया के नाम होगा। वर्ष 2011 की आर्थिक एवं सामाजिक जनगणना में चिन्हित वहीं परिवार उज्जवला योजना के पात्र होंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड होना जरूरी है।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का राजस्थान में 23 मई को लांच हुई थी। अब जिला स्तर पर यह रविवार को सांसद ओम बिरला के आवास पर लॉन्च की जाएगी। इस योजना में 1600 रुपए सरकार वहन करेगी। जिसमें सिलेंडर की सिक्यूरिटी 1250 रुपए, रेगुलेटर 150, सुरक्षा नली 100 रुपए, 25 रुपए गैस डायरी, 75 रुपए इंस्टालेशन चार्ज उपभोक्ता को नहीं देने पड़ेंगे। इसके अलावा 1535 रुपए उपभोक्ता को देने होंगे। अगर उपभोक्ता देने में सक्षम है तो ठीक है अन्यथा इस राशि का उसे लोन मिल जाएगा। इस राशि में 990 रुपए का चूल्हा और 545 रुपए सिलेंडर का रिफिलिंग चार्ज शामिल है।
लोन नहीं चुकाया तो नहीं मिलेगी सब्सिडी
इंडेन कंपनी के डिप्टी सेल्स ऑफिसर धीरज चौऋषिया ने बताया कि उपभोक्ता को दोनों ऑप्शन मिलेंगे। वह चाहे तो नकद जमा करा दे। अन्यथा 1535 रुपए का लोन मिल जाएगा। जब तक उपभोक्ता का लोन पूरा नहीं होगा तब तक उपभोक्ता के बैंक खाते में सब्सिडी नहीं जाएगी। जैसे ही लोन पूरा होगा उसे सब्सिडी मिलने लग जाएगी।
45 हजार परिवारों को मिलेंगी गैस
उन्होंने बताया कि इस योजना में अभी 350 आवेदन आ चुके हैं। जिले में छह लाख परिवार हैं। जिसमें से आर्थिक एवं सामाजिक जनगणना के आधार पर कमजोर तबके 92 हजार परिवारों में से 50 प्रतिशत के पास गैस कनेक्शन हैं। बाकी 46 हजार परिवारों को गैस कनेक्शन देने हैं।