दिनेश माहेश्वरी
कोटा। कोटाएवं बारां जिले के किसान मिलकर बनाएंगे कंपनियां। नाबार्ड का दोनों जिलों में मिलाकर 25 कंपनियां बनाने का लक्ष्य है। जिनके माध्यम से किसान अपनी उपज की मार्केटिंग कर सकेंगे और रियायती दर पर खाद-बीज आदि खरीद सकेंगे। इससे किसानों को अब 25 प्रतिशत तक की बचत होगी।
नाबार्ड के नए एजीएम राजीव दायमा ने शुक्रवार को कोटा में कार्यभार संभालने के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी में प्रति किसान एक हजार रुपए का शेयर होगा। इसमें 500 से 1000 किसान सदस्य होंगे। कंपनी की पूंजी करीब 10 लाख रुपए की होगी। कंपनी का गठन होने के बाद इसका रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास रजिस्ट्रेशन होगा।
कंपनी का संचालन करने के लिए नाबार्ड की ओर से मार्केटिंग के अनुभवी सीईओ नियुक्त किया जाएगा। पहले तीन साल पी एफपीओ (प्रमोशन ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) के तहत इन कंपनियों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की कंपनियां बनाने के बाद देश की कोई भी बड़ी कंपनी उनका उत्पाद खरीदेगी, जिससे उनकी उपज के दाम भी अच्छे मिलेंगे। किसानों को मूल्य संवर्धन, विपणन संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नाबार्ड के सहयोग से सुधरेंगी सीएडी की नहरें
नाबार्ड के डीजीएम बीके सिंगल ने बताया कि सीएडी की नहरों का पानी टेल तक पहुंचाने के लिए 1274 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसमें से 900 करोड़ रुपए पहले साल में देने हैं। अभी तक सीएडी को 239 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इस राशि से सीएडी की दांयीं एवं बायीं नहरों को पक्की करने का काम किया जा रहा है। नहरें जीर्ण-शीर्ण हालत में होने के कारण टेल तक पानीं नहीं पहुंच पाता। इससे नहरों की स्थिति सुधरेगी और किसानों को अंतिम छोर तक पानी मिलेगा। समय-समय पर नाबार्ड की विजिलेंस टीम इसकी मोनेटरिंग करती है। अब इस महीने टीम मॉनिटरिंग के लिए आने वाली है
कोटा। कोटाएवं बारां जिले के किसान मिलकर बनाएंगे कंपनियां। नाबार्ड का दोनों जिलों में मिलाकर 25 कंपनियां बनाने का लक्ष्य है। जिनके माध्यम से किसान अपनी उपज की मार्केटिंग कर सकेंगे और रियायती दर पर खाद-बीज आदि खरीद सकेंगे। इससे किसानों को अब 25 प्रतिशत तक की बचत होगी।
नाबार्ड के नए एजीएम राजीव दायमा ने शुक्रवार को कोटा में कार्यभार संभालने के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी में प्रति किसान एक हजार रुपए का शेयर होगा। इसमें 500 से 1000 किसान सदस्य होंगे। कंपनी की पूंजी करीब 10 लाख रुपए की होगी। कंपनी का गठन होने के बाद इसका रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास रजिस्ट्रेशन होगा।
कंपनी का संचालन करने के लिए नाबार्ड की ओर से मार्केटिंग के अनुभवी सीईओ नियुक्त किया जाएगा। पहले तीन साल पी एफपीओ (प्रमोशन ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) के तहत इन कंपनियों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की कंपनियां बनाने के बाद देश की कोई भी बड़ी कंपनी उनका उत्पाद खरीदेगी, जिससे उनकी उपज के दाम भी अच्छे मिलेंगे। किसानों को मूल्य संवर्धन, विपणन संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नाबार्ड के सहयोग से सुधरेंगी सीएडी की नहरें
नाबार्ड के डीजीएम बीके सिंगल ने बताया कि सीएडी की नहरों का पानी टेल तक पहुंचाने के लिए 1274 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसमें से 900 करोड़ रुपए पहले साल में देने हैं। अभी तक सीएडी को 239 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इस राशि से सीएडी की दांयीं एवं बायीं नहरों को पक्की करने का काम किया जा रहा है। नहरें जीर्ण-शीर्ण हालत में होने के कारण टेल तक पानीं नहीं पहुंच पाता। इससे नहरों की स्थिति सुधरेगी और किसानों को अंतिम छोर तक पानी मिलेगा। समय-समय पर नाबार्ड की विजिलेंस टीम इसकी मोनेटरिंग करती है। अब इस महीने टीम मॉनिटरिंग के लिए आने वाली है
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