Tuesday, November 22, 2016

कैश की जरूरत पूरा करने में 7 हफ्ते और लगेंगे!

कोटा। नोटबंदी के बाद जिस रफ्तार से मार्केट में पैसे की सप्लाई हो रही है, उससे स्थिति को सामान्य होने में कम से कम सात हफ्ते और लगने का अनुमान है। 8 नवंबर को सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का फरमान सुनाया था। इसके बाद से अब तक करीब 1.36 लाख करोड़ रुपये मार्केट में आए हैं। ये पैसे पुराने नोटों को बदलने और कैश निकासी के माध्यम से आए हैं। वहीं, मार्केट में करीब 14 लाख करोड़ रुपये के बड़े करंसी नोट हैं। यानी अब तक पुराने नोटों के मूल्य का 10 फीसदी से भी कम बदला जा सका है। इस बात का खुलासा सोमवार को आ
रबीआई द्वारा जारी किए डेटा से हुआ है।
8 से 10 नवंबर के बीच बैंकों को 5,44, 517 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा के रूप में प्राप्त हुए हैं। इस अवधि में खाता धारकों ने करीब 1,03,316 करोड़ रुपये कैश बैंक की शाखाओं और एटीएम से निकाले हैं और 33,006 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चीफ इकॉनमिस्ट सौम्या कांति घोष के मुताबिक, इकॉनमी में कैश की जरूरत का अंदाजा दो महीने के उपभोग की जरूरतों से लगाया था। अगर इसको पैमाना माना जाता है तो अभी 10 लाख करोड़ रुपये की नई करंसी और छापनी पड़ेगी। अगर बैंक मौजूदा रफ्तार से नए नोट मार्केट में बांटते रहे तो 10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित जरूरत को पूरा करने में करीब सात सप्ताह और लग जाएंगे।

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