Sunday, November 20, 2016

सोने के गहनों पर एक्साइज ड्यूटी के कायदे कानून

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।  सोने के गहनों पर एक्साइज ड्यूटी के मामले में सरकार ने छोटे व्यापारी की परिभाषा के लिए सालाना कारोबार की सीमा बढ़ा दी है. इसके साथ ही एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मानते हुए प्रक्रिया सरल बनाने का फैसला किया गया है.
इस साल बजट में सोने के गहनों पर 1 फीसदी की दर से एक्साइज ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया, जो पहली अप्रैल से लागू की गयी. हालांकि देश भर के सर्राफा व्यापारियों ने इस फैसले के खिलाफ महीने भर से भी ज्यादा समय तक हड़ताल किया, लेकिन सरकार झुकी नहीं की. अलबत्ता, व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठन किया. समिति ने विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल करने और व्यापारियों को परेशानी नहीं होने देने के बारे मे सुझाव दिया. सरकार ने समिति की सभी सिफारिशों को मान लिया. इन सिफारिशों के इतर छोटे व्यापारी की परिभाषा में भी फेरबदल किया गया है.
नयी व्यवस्था के तहत 12 करोड़ रुपये के बजाए 15 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी माने जाएंगे. इसी के साथ एक कारोबारी साल में छोटे व्यापारी के लिए छूट की सीमा 6 करोड़ रुपये के बजाए 10 करोड़ रुपये होगी. इसका मतलब ये हुआ कि जिस व्यापारी का सालाना कारोबार 10 करोड़ रुपये से नीचे है तो उसे एक्साइज ड्यूटी के लिए ना तो रजिस्ट्रेशन कराना होगा और ना ही एक्साइज ड्यूटी देनी होगी. लेकिन जैसे ही कारोबार 10 करोड़ रुपये से ऊपर होता है तो रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. एक्साइज ड्यूटी 10 करोड़ रुपये से ऊपर जितनी रकम होती है, उसी पर चुकानी होगी.
मसलन, यदि कारोबार 11 करोड़ रुपये हुआ तो 1 करोड़ रुपये पर ही एक्साइज ड्यूटी देनी होगी. बस ध्यान रहे कि ये सुविधा 15 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए ही होगी. एक और बात अगर बीते साल कारोबार 15 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ तो नए कारोबारी साल में पहले रुपये से ही एक्साइज ड्यूटी लगना शुरु हो जाएगा. दूसरे शब्दों में इस तरह के व्यापारी छोटे कारोबारी के दायरे से बाहर आ जाएंगे.
सरल प्रक्रिया
उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के मुताबिक, सरकार ने ये भी तय किया है कि एक्साइज ड्यूटी तभी लगेगी जब गहनों को पहली बार बेचा जाता है और बिल जारी किया जाता है. इससे कारीगरों पर एक्साइज ड्यूटी चुकाने की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. कारीगरों को एक्साइज ड्यूटी के लिए रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराना होगा.
वित्त मंत्रालय ने ये भी साफ किया है कि गहनों की मरम्मत या गहनों की बदलाव की सूरत में नहीं लगेगा एक्साइज ड्यूटी. बस शर्त ये है कि मरम्मत या बदलाव के बाद गहनों की ना तो पहचान बदलती है और ना ही इस्तेमाल. साथ ही ऐसा प्रतीत नही होना चाहिए कि कोई नया गहना बनाया गया है. इसी तरह सिर्फ प्रदर्शनी के लिए इस्तेमाल होने वाले या फिर हॉलमार्किंग के लिए ले जाए जा रहे गहनों पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी.
यहां ये भी कहा गया है कि अगर बिल में अलग से एक्साइज ड्यूटी नहीं दिखायी जाती है तो वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स को एक्साइज ड्यूटी के आकलन का आधार माना जाएगा. इसी तरह वैट के लिए तैयार किए रिकॉर्ड को एक्साइज ड्यूटी के लिए रिकॉर्ड माना जाएगा. व्यापारियों को अलग से रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं. 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार करने वाले मैन्युफैक्चर्स के लिए पहले दो साल एक्साइज ऑडिट नहीं होगा.
वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर दोहराया है कि कारीगरों के यहां कोई अधिकारी नहीं जाएगा, कोई छापा नहीं डाला जाएगा. सर्राफा व्यापारी के यहां भी तभी कोई अधिकारी जाएगा जब कर चोरी की पुख्ता जानकारी मिलती है. यहां भी एक्साइज विभाग के लोग कमिश्नर या उसके बराबर के अधिकारी की अनुमति मिलने पर ही जा सकते हैं.





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