Tuesday, December 29, 2015

ऐप्‍स बढ़ाते हैं स्‍मार्टफोन बैटरी की खपत

अगर आपके स्‍मार्टफोन है तो निश्चित तौर पर उसमें कई ऐप्‍स भी होंगे। ऐप्‍स की वजह से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के कई काम आसान हो जाते हैं।
सामान्‍यत: स्‍मार्टफोन यूजर्स के पास सोशल नेटवर्किंग ऐप्‍स, मैसेंजर्स तथा गेम्स होते हैं। यूजर्स की हमेशा शिकायत रहती है कि उनके फोन की बैटरी जल्‍दी खत्‍म हो जाती है। कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है। दरअसल आपके स्‍मार्टफोन में मौजूद ऐप्‍स सबसे ज्‍यादा बैटरी खपत करते हैं।
ऐप्‍स स्मार्टफोन की बैटरी की खपत तो करते ही हैं साथ ही स्‍टोरेज स्‍पेस भी काफी उपयोग कर लेते हैं। कुछ ऐप्‍स तो ऐसे हैं, जो फोन की प्राइमरी मेमोरी में ही स्‍टोर होते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके फोन की बैटरी खपत कम हो और मेमोरी स्‍पेस भी कम उपयोग हो तो अनुपयोगी ऐप्‍स को अनइंस्‍टॉल कर दीजिए।
आज हम आपको कुछ ऐसे ऐप्‍स के बारे में बता रहे हैं जो स्‍मार्टफोन की बैटरी काफी अधिक खर्च करते हैं।
वीचैट : वीचैट एक इंस्‍टेंट मैसेंजर ऐप है, जो फोन की काफी बैटरी खर्च कर देता है। इस ऐप से टेक्‍स्‍ट मैसेज के साथ ही वॉयस मैसेज भी किया जा सकता है।
एंड्रॉयड फर्मवेअर अपडेटर : यह एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्‍टम का एक ऐप है, जो बैकग्राउंड में एक्टिव रहता है तथा इंटरनेट तथा बैटरी की खपत करता रहता है।
बीमिंग सर्विस फॉर सैमसंग : सैमसंग स्‍मार्टफोन्‍स के लिए बनाया गया विशेष ऐप
सैमसंग सिक्योरिटी पॉलिसी अपडेटर : यह ऐप भी केवल सैमसंग के स्‍मार्टफोन्‍स में ही इंस्‍टॉल रहता है।
सैमसंग चैटऑन : यह सैमसंग का चैटिंग ऐप है, जो दूसरे सैमसंग फोन यूजर्स के साथ चैट की सुविधा देता है।
गूगल प्ले सर्विसेज : गूगल प्‍ले स्‍टोर का यह ऐप बैटरी तथा डेटा पैक की काफी खपत करता है।
फेसबुक : सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक का मोबाइल ऐप
बीबीएम : ब्‍लैकबेरी मैसेंजर
व्हाट्सएप : इंस्‍टेंट मैसेंजर जो फोन की प्राइमरी स्‍टोरेज में सेव होता है और काफी बैटरी की खपत करता है।
वेदर एंड क्लॉक विजट एंड्रॉयड

30 जून तक बदल सकेंगे 2005 से पहले के नोट

उपभोक्ताओं से साल 2005 के पुराने नोट बदलने में आरबीआई पूरी तरह से तैयार नजर आ रहा है। बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि भले ही आरबीआई ने पुराने नोट बदलने के लिए तय समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 30 जून 2016 करने के संकेत दिए है। इन संकेतों के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब लोगों को पुराने नोट बदलने ही होंगे। पुराने नोट बदलने के लिए जल्द ही आरबीआई द्वारा कुछ बैंकों को चिन्हित कर लिया जाएगा। इसके लिए अलग से अधिकारी भी नियुक्त होंगे।
जो केवल पुराने नोट के बदले जाने पर भी नजर रखेंगे। हालांकि अभी तक इस संबंध में अभी जानकारी नहीं है कि वे कौन से बैंक है जहां पुराने नोट बदले जाएंगे। साल 2005 से पहले के नोट बदलने की आखिरी तारीख अब तक 31 दिसंबर ही है। इसके अनुसार उपभोक्ताओं को अपने 2005 से पहले के नोट बदलने होंगे।इससे पहले पिछले साल अप्रैल में ही पुराने नोट बदली जाने थे, लेकिन आरबीआई ने तीन बार तारीख बढ़ा दी तथा इसे 31 दिसंबर 2015 कर दिया। बैंकिग अधिकारियों का कहना है कि इस बार आरबीआई लोगों के घरों में जमा पुराने नोट बाहर निकालने में सक्रिय नजर आ रहा है। बताया जाता है कि पुराने नोट बदलने की तारीख 30 जून तक बढ़ा दी गई है लेकिन अभी तक बैंकों के पास इस संबंध में कोई सूचना नहीं है। 
\कालेधन पर लगेगा लगाम
आरबीआई द्वारा पुराने नोट बदलने पर जोर देने का मुख्य कारण कालेधन पर लगाम लगाना है। बैंकिंग अधिकारियों का कहना है कि इससे काफी हद तक कालेधन पर लगाम कसेगा और लोग अपना पैसा दूसरे सेक्टरों में खपाने की कोशिश करेंगे। इससे आसानी से वे पकड़ में आएंगे। सूत्रों का कहना है कि इससे बहुत अधिक राशि सोने व रियल इस्टेट सेक्टर में भी खपेगा। 
ऐसे पहचाने पुराने नोट
साल 2005 से पहले के नोट के पीछे की ओर वर्ष का जिक्र नहीं है। जबकि इसके बाद के नोट के पीछे वर्ष का जिक्र है। जिससे आप बड़ी आसानी से पुराने नोट पहचान सकते है। इनमें मुख्य रूप से 500 व 1000 के नोट बदलवाने है।

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Friday, December 25, 2015

वॉट्सऐप पर अब वीडियो कॉलिंग की सुविधा

लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस वॉट्सऐप पर वॉयस कॉल के बाद अब वीडियो कॉल की भी सुविधा जल्द मिलने वाली है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वॉट्सऐप जल्द ही अपने यूजर्स को वीडिया कॉलिंग की सुविधा मुहैया करने वाला है। जर्मन वेबसाइट Macerkopf के अनुसार, यूजर्स को वीडियो कॉल के लिए दोनों कैमरों को चुनने का विकल्प मिलेगा।
वॉट्सऐप के एक्टिव यूजर्स की संख्या 90 करोड़ पार कर चुकी है। यह एप्लिकेशन अब अपनी मूल कंपनी फेसबुक जितना ही बड़ा रूप में है। फेसबुक मैसेंजर पर पहले से ही वीडियो कॉल की सुविधा मौजूद है, इसलिए वॉट्सऐप पर भी नई सुविधाओं को जोड़ने की जरूरत है।
जर्मन वेबसाइट ने वॉट्सऐप के स्क्रीनशॉट साझा किए हैं जो कथित तौर पर वीडियो कॉल के हैं। इन स्क्रीनशॉट के आधार पर कहा जा सकता है कि वॉट्सऐप के वीडियो कॉल फीचर का इंटरफेस बहुत हद वॉयस कॉल सपोर्ट के इंटरफेस जैसा ही है।स्क्रीनशॉट में यह भी दिख रहा है कि यूजर को म्यूट करने का विकल्प मिलेगा और वीडियो कॉल के दौरान कैमरा भी स्विच किया जा सकेगा यानि फ्रंट और रियर दोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, वॉट्सऐप के 2.12.16.2 आईओएस वर्जन को आंतरिक तौर पर टेस्ट किया जा रहा है। इस वर्जन में ही कथित तौर पर वीडियो कॉल सपोर्ट मौजूद है।
हालांकि वीडियो कॉल सपोर्ट को लेकर वॉट्सऐप की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि इसे अगले साल की शुरुआत में रोलआउट किया जाएगा।
वॉट्सऐप वीडियो कॉल का मोबाइल इंटरनेट पर कैसा प्रदर्शन होगा यह देखना  दिलचस्प होगा। मुफ्त वॉट्सऐप वॉयस कॉल ने शुरुआत में यूजर्स का काफी ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन जल्द ही लोगों ने इसे नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है, खासकर भारत में, जहां 3 जी नेटवर्क के बिना बातचीत करना लगभग असंभव है।

Sunday, December 20, 2015

पत्रकारों को भी पेंशन दे सरकार : हाईकोर्ट

हिमाचल हाईकोर्ट ने मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को पेंशन दिए जाने का प्रावधान बनाने के आदेश पारित किए हैं। प्रदेश सरकार को यह आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा सरकार की ओर से पत्रकारों को पेंशन दिए जाने बाबत बनाए गए नियमों की तर्ज पर प्रदेश में भी नियम बनाए जाएं। न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के पत्रकारों को यह लाभ देने के लिए 3 माह का समय दिया है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जिन पत्रकारों ने अपनी जिंदगी के अहम दिन इस व्यवसाय में लगा दिए, उन्हें पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए अभी तक कोई भी पेंशन और स्वास्थ्य योजना नहीं बनाई है। पत्रकारों को इस तरह की योजना का लाभ दिया जाना जरूरी है। कोर्ट के अनुसार जिन पत्रकारों ने इस व्यवसाय में कम से कम 20 साल पूरे कर लिए हैं, उन्हें पेंशन जैसा लाभ दिए जाने का प्रावधान बनाया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की एक पीठ ने कहा कि पत्रकारों को अदालतों की कार्यवाही की रिपोर्ट पेश करने के मामले में अतिरिक्त सावधानियां रखनी चाहिए। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की एक पीठ ने अपने आदेश को गलत ढंग से पेश करने के लिए एक अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को रद्द कर दिया है। पीठ ने यह कहते हुए कि 'कलम की ताकत, तलवार की ताकत से अधिक होती है', आगे कहा कि रिपोर्टिंग त्रुटि रहित, वास्तविक और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।

Monday, December 14, 2015

मजीठिया को लेकर मीडिया यूनियनों की चुप्पी

 सुप्रीम कोर्ट में 7 फरवरी और फिर 10 अप्रैल 2014 के बाद पत्रकारिता जगत में कोई हलचल नहीं मची। मजीठिया वेतन बोर्ड के खिलाफ मुकदमा जिताने का दावा करने वाली देश की बड़ी-बड़ी यूनियनों ने हाथ खड़े कर दिए। ये वही संस्थााएं थीं जो सुप्रीम कोर्ट में मालिकों को नाकों चने चबवाने का दावा कर रही थीं लेकिन समझ में नहीं आया कि इतना सब करने वाली ये यूनियनें जब मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने की बात हुई तो उन्हें सांप क्यों सूंघ गया। न पीटीआई, न यूएनआई ( खैर इनकी अब हालत पहले जैसी नहीं रही) की यूनियनें, न डीयूजे और न ही आई एफडब्यूएनआईजे ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए मालिकों को कटघरे में खड़ा किया। आखिर उनकी चुप्पी का राज क्या था। जीत का दावा करने वालों को पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में जीतने के बाद असल काम तो इसे लागू कराना है जहां उनकी जरूरत थी।
10 अप्रैल और और मई के पहले हफ्ते तक भी इन यूनियनों को कोई होश नहीं था। लेकिन जब दैनिक जागरण, भास्कर, प्रभात खबर, डीएनए, राजस्थान पत्रिका, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, पंजाब केसरी के प्रबंधनों के खिलाफ आवाज उठने लगी। पूरे देश में एक माहौल बना। सोशल मीडिया पर बताया गया कि सभी साथियों को इस बार क्यों मालिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए तो लगभग पूर देश के पीडि़त साथी, इस बात से सहमत थे कि उनके चुप बैठने से काम नहीं चलेगा। उन्हें कुछ करना पड़ेगा और उसकी शुरुआत देश के सबसे अधिक लाभ कमाने वाले पर घटिया प्रबंधन वाले अखबार दैनिक जागरण के साथियों ने की। सबको आश्चर्य हुआ कि इतना बड़ा फैसला पहली बार देश में दैनिक जागरण के साथियों ने लिया। हम में से किसी को यह उम्मीद नहीं थी। लेकिन हकीकत यही है।
माहौल बना और प्रबंधन को नोटिस दिया गया। इसके बाद इसका पूरे जोर-शोर से प्रचार किया गया और नतीजा बेहतर निकला जब तक दै‍निक जागरण के साथी मामला दर्ज करवाते, एक और चमत्कार हो चुका था। दैनिक भास्‍क्‍र के साथी अपने मालिक रमेशचंद्र अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने का बीड़ा उठा चुके थे। जून और जुलाई आते-आते मालिकों के खिलाफ माहौल गर्म हो चुका था और सितंबर आते-आते इंडियन एक्सप्रेस के साथियों के मामले में सुनवाई शुरू हो गई। इस समय तक सुप्रीम कोर्ट में छह मामले दर्ज कराए जा चुके थे और साथियों को मना करने के बाद भी देश के लगभग हर शहर में अन्याय के खिलाफ लड़ने का मन बना चुके थे। हालांकि मामला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही सुना जाएगा और सभी साथियों से फिर निवेदन है कि वे अपनी ताकत न गंवाएं और लड़ाई सु्प्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए ताकत संजोकर रखें। लेकिन उत्साह और उबाल इतना कि शिमला, अहमदाबाद, पटना, मुंबई, पुणे, कानपुर, रांची, चंडीगढ़, लुधियाना, हिसार, पानीपत, जम्मू, जयपुर ,लखनऊ और इंदौर जैसे शहरों के साथी हिम्म़त के साथ आगे आए। कई लोग हाईकोर्ट गए तो कई लेबर कोर्ट। मालिकों को जवाब देना पड़ा। लेकिन इतने दिनों तक किसी यूनियन की नींद नहीं खुली।


हमें क्यों चाहिए मजीठिया : दूर करें भ्रांतियां...

प्रश्न. मेरा स्‍थानांतरण ग्रुप की दूसरी कंपनी में कर दिया गया है। मैं जिस कंपनी में था वह ए ग्रुप की कंपनी थी। मेरा विभाग और पद भी बदल दिया गया है, ऐसे में वेजबोर्ड लागू होने पर मेरे वेतन का आधार क्‍या होगा।
उत्तर. आपके या इसी तरह के किसी अन्‍य केस में कंपनी आपको ए ग्रेड के हिसाब से मिलने वाले लाभ से वंचित नहीं कर सकती है। आपका तबादला जिस तिथि में हुआ उस तिथि में मजीठिया के अनुसार आपका जो वेतनमान होना चाहिए उससे एक भी नया पैसा आपको संस्‍थान कम नहीं दे सकती है। आपका एरियर भी ए ग्रेड के वेतनमान के अनुसार ही कंपनी को देना होगा। दूसरी कंपनी में रहते भी हुए आप ए ग्रेड की कंपनी के वेतनमान के अनुसार ही वेतन पाने के अधिकारी हैं। ग्रुप ए के वेतनमान से कंपनी आपको वंचित नहीं कर सकती।
प्र. जिस संस्‍थान में मैं कार्य कर रहा हूं वेजबोर्ड में उसका ग्रेड सी है। ऐसी अफवाह है कि संस्‍थान पूरी तरह से वेजबोर्ड के लाभ नहीं देने के मकसद से कंपनी को दो तीन भागों में बांट कर अपने मुनाफे का बंटवारा करना चाहता है। जिससे वे सी ग्रेड के वेतनमान देने से बच सकें।
उ. कंपनी को कई भागों में बांटने के बावजूद आपका संस्‍थान आपको सी ग्रेड के लाभ से वंचित नहीं कर सकता।
प्र. मैं पिछले पांच साल से बी ग्रेड की कंपनी में अनुबंध कर्मी के रुप में कार्य कर रहा हूं। क्‍या मैं भी वेजबोर्ड का लाभ पाने का हकदार हूं।
उ. जी हां। आप वेजबोर्ड के अनुसार वेतनमान पाने के हकदार हैं।

Friday, December 11, 2015

कोचिंग छोड़ने पर फीस वापस,होगी

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। राजस्थान में कोटा और अन्य शहरों के कोचिंग संस्थानो में पढ़ रहे बच्चे यदि बीच में पढ़ाई छोड़ना चाहें तो कोचिंग संस्थान को उनकी फीस वापस करनी होगी। इसके साथ ही इन कोचिंग संस्थाओं को नियमों के दायरे में लाया जाएगा और इसके लिए राज्य स्तर पर नियामक व्यवस्था लागू की जाएगी। कोटा के कोचिंग संस्थाओं में पढ़ रहे बच्चों की लगातार आत्महत्याओं के बाद आखिर गुरूवार को जयपुर में राजस्थान में मुख्य सचिव सी.एस.राजन के स्तर पर बैठक हुई।
बैठक में सम्बन्धित विभागों के अधिकारी, कोटा जिला प्रशासन के अधिकारी और कुछ कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि भी शमिल थे। कोटा में इस वर्ष 26 कोचिंग छात्र-छात्राएं आत्महत्याएं कर चुके हैं और इन संस्थानों में पढ़ाने के तरीके और बच्चो में बढ़ते तनाव को ले कर सख्त नियम बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। बैठक में मुख्य सचिव ने कोचिंग बीच में छोड़ने के इच्छुक छात्रों की बकाया फीस लौटाने सरल एक्जिट सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव का मानना था कि कोचिंग संस्थानों की भारी फीस का दबाव बच्चों पर रहता है। ऐसे में यदि वे नहीं पढ़ पाते तो तनाव में आ जाते हैं। उन्हें माता- पिता द्वारा किए गए खर्च की चिंता सताने लगती है। उन्होंने कोचिंग संस्थाओं से कहा कि कोई छात्र यदि बीच में जाना चाहता है और उसकी फीस लौटा दी जाए तो बच्चों का तनाव काफी हद तक कम हो सकता है। इसके साथ ही बैठक में कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक सिस्टम विकसित करने पर भी सहमति बनी है। इसका ड्राफ्ट जल्द तैयार कर लिया जाएगा।
इसके जरिए सरकार कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली पर पूरी नजर रखेगी। अभी तक ये संस्थान सरकार के नियमों से बाहर है। बैठक में संस्थानों को बच्चों के स्ट्रेस मैनेजमेन्ट के लिए एक हैल्पलाइन और ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाने के निर्देश भी दिए गए है। यह हैल्पलाइन मुख्य तौर पर दो काम करेगी जिसमें बच्चों को तनाव से दूर रखने के साथ ही स्कूल और कोचिंग साथ-साथ करने की समस्या से निपटने पर भी बात की जाएगी। कोचिंग में तो सिर्फ छह घंटे रहते हैं कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव के सामने यह तर्क दिया कि बच्चे कोचिंग में तो महज छह घंटे ही रहते हैं, और बाकी के अठारह घंटे वे बाहर रहते हैं, ऐसे में सिर्फ उन्हें दोषी ठहराना ठीक नहीं है। लेकिन मुख्य सचिव सीएस राजन ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया। कोचिंग संस्थानों ने कोचिंग पर कोई संकट आने की स्थिति में कोटा की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने का तर्क भी दिया। लेकिन इस तर्क को भी बैठक में खारिज कर दिया गया। अफसरों ने कहा कि एक शहर की इकॉनोमी की खातिर आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में नहीं डाला जा सकता।

Thursday, December 10, 2015

एंड्रॉयड फोन पर बोलकर मैसेज भेजें

जब आप गूगल नाउ को 'OK गूगल। शो मी माय मेसेजेज़' कहेंगे तो वो आपके अंतिम पांच मैसेज पढ़कर सुना देगा। अगर आप चाहेंगे तो इन्हें सुने बिना आप आगे बढ़ सकते हैं।
जब आप किसी मैसेज का जवाब देना चाहते हैं तो बस गूगल नाउ को 'रिप्लाई' बोलें और फिर अपना जवाब बोल दीजिए।भेजने के पहले आप अपना मैसेज पढ़ भी सकते हैं। उसके बाद गूगल नाउ को 'सेंड' बोलिए और मैसेज आपके दोस्त के इनबॉक्स के लिए रवाना हो जाएगा। 

अब रिज्यूमे रिकॉर्ड करके भेजिए

फिल्मों या टेलीविजन सीरियल्स में रोल पाने के लिए उम्मीदवारों को कैमरे के सामने ऑडिशन देते तो देखा गया है लेकिन आजकल कॉर्पोरेट जगत में भी उम्मीदवारों से वीडियो रिज्यूमे मंगवाने का चलन बढ़ रहा है। 
मुंबई की एचआर कंपनी 'मौर‌फिस कंसल्टेन्सी' के मालिक कैलाश साहनी कहते हैं, "वीडियो रिज्यूमे पर जो जोर दिया जा रहा है उसके कई कारण हैं।" वो कहते हैं, "पहली तो ये कि उम्मीदवार को प्रथम चरण के इंटरव्यू के लिए खुद बुलाने की जरूरत नहीं होती है, इससे समय की बचत होती है।" 
साथ ही कंपनी के अहम अधिकारियों को शुरूआत दौर में सभी उम्मीदवारों से व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिलना पड़ता है। मुंबई की ही कंपनी 'इंटरव्यू एअर' के संचालक रोहित तनेजा बताते हैं, "हमारे साथ जुड़े 3000 में से 2500 से भी ज्यादा उम्मीदवारों ने अपना वीडियो रिज्यूमे तैयार कर लिया है।" 
रोहित कहते हैं कि कई कंपनियां वीडियो 'सीवी' के लिए उम्मीद्वारों को सवाल भेजती है और समय सीमा भी तय कर देती है ताकि जो वीडियो जाए वो बिना मतलब के लंबा चौड़ा न हो। 
वीडियो 'सीवी' के फायदे बताते हुए कैलाश कहते हैं, "उम्मीदवारों को पूछे गए सवालों का जवाब देने के लिए मनचाहा समय मिल जाता है। अगर किसी प्रकार की चूक हो भी जाए तो वे उसे दोबारा रिकॉर्ड कर सकते हैं।" रोहित बताते है, "उम्मीदवार को इंटरव्यू के लिए आने जाने में जो खर्च होता है उसकी बचत हो जाती है।" 
एक अच्छा और असरदार वीडियो रिज्यूमे कैसा होना चाहिए? कैलाश कहते हैं, "आप जिस तरह एक व्यक्तिगत इंटरव्यू के लिए अपने आप को प्रदर्शित करते हैं, ठीक उसी तरह वीडियो इंटरव्यू के लिए भी खुद को तैयार करें।" उनका मानना हैं, "उम्मीदवारों को अपने सबसे बड़े अनुभवों को सबसे पहले बताना चाहिए, इसके अलावा अपने वीडियो की लंबाई 40 से 60 सेकेंड के बीच रखें।" एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के मानव संसाधन विभाग के अधिकारी बीबीसी से कहते हैं, "वीडियो रिज्यूमे शुरूआती प्रभाव तैयार करने में मददगार हो सकता इसलिए जरुरी है की आप वीडियो में उत्सुक दिखें।" लेकिन मुंबई में काम कर रही 23 वर्षीय एंजल मुदालिअर कहती हैं, आज भी एक असरदार रिज्यूमे कैसे बनाएं इसपर ठीक तरह से कोई मार्गदर्शन नहीं। वो कहती हैं, "मुझे इंटरव्यू के लिए बुलावा वीडियो रिज्यूमे भेजने के बाद ही आया था लेकिन ये आपको सिर्फ अगले दौर तक पहुंचने में मदद कर सकता है। नौकरी आपको प्रतिभा और कौशल से ही मिलेगी।" 
वीडियो रिज्यूमे का फायदा सिर्फ नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीद्वारों को ही नहीं बल्कि नौकरी का अवसर प्रदान कर रही कंपनी को भी होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि ये ट्रेंड छोटे शहरों में नहीं पहुंचा है लेकिन इंफार्मेशन ऐज में शायद उसमें बहुत वक्त नहीं लगेगा!

Wednesday, December 9, 2015

मजीठिया मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को

 मीडियाकर्मियों के लिए राहत भरी खबर है। माननीय उच्चतम न्यायालय में चल रहे मजीठिया मामले में 15 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। मीडियाकर्मियों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री परमानन्द पाण्डेय ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने से इस मामले में लगातार तारीख पर तारीख लग रही थीं। इसे देखते हुए उन्होंने इस सम्बन्ध में आवश्यक प्रयास किये, जिसके बाद मामले में सुनवाई की तिथि 15 दिसंबर तय हुई है। इस मामले में अखबार मालिकों पर माननीय उच्चतम न्यायालय की अवमानना का आरोप है। गौरतलब है कि इस मामले में लगातार बढ़ रही तारीखों से मीडियाकर्मियों में थोडा निराशा का माहौल था। लेकिन अब इस राहत भरी खबर के आने के बाद जहाँ मीडियाकर्मियों के चेहरे पर ख़ुशी है, वहीँ अखबार मालिकों की सांसें थम गयी हैं। अखबार मालिक लंबे समय से कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग पर उनका जबरदस्त उत्पीड़न कर रहे थे। दैनिक जागरण के मालिकान इसमें सबसे आगे हैं। लेकिन अब यह तय है कि अखबार मालिकों पर कानून का शिकंजा कस चुका है और खुद को भारत के संविधान से ऊपर मानने वाले मालिकानों को कर्मचारियों को उनका हक़ अवश्य देना पड़ेगा।

Tuesday, December 8, 2015

प्रिंटर का कागज कभी खत्‍म नहीं होगा

यदि आप प्रिंटर का उपयोग करते हैं, तो आप कागज खत्‍म होने की समस्‍या से भी दो-चार जरूर हुए होंगे। लेकिन अब एक ऐसा प्रिंटर आया है, जिसमें कागज कभी खत्‍म ही नहीं होगा।
जी हां, इस प्रिंटिंग मशीन का निर्माण एप्‍सन ने किया है और इसे पेपरलैब ऑफिस पेपर-मेकिंग सिस्‍टम पर बनाया गया है। यानी यह मशीन, प्रिंटिंग के साथ ही साथ कागज भी बनाएगी।
दो एटीएम मशीन के आकार की यह प्रिंटिंग मशीन एक मिनट में ए4 आकार के 14 कागज बना सकती है। साथ ही इसकी छपाई क्षमता 20 पेज प्रति मिनट है।
कैसे बनेगा कागज
एप्‍सन की यह प्रिंटिंग मशीन, कॉटन फाइबर से कागज बनाएगी, जिसके लिए इसमें कागज भी रिसाइकिल किए जाएंगे।यह मशीन कागज बनाने के लिए पानी तथा आर्द्रता का उपयोग करेगी, जिससे ईको-फ्रेंडली तरीके से कागज निर्मित होगा। इस वजह से यह मशीन कार्बन उत्‍सर्जन भी कम करेगी। उल्‍लेखनीय है कि एप्‍सन 1960 के दशक से इलेक्‍ट्रॉनिक प्रिंटर्स का निर्माण कर रही है। हालांकि कंपनी की यह नई पेपरलैब मशीन अभी तक बाजार में पेश नहीं की गई है।

एक मिस कॉल से रिचार्ज होगा मोबाइल

जल्द ही एचडीएफसी बैंक एक ऐसी सेवा शुरू करने जा रहे है, जिसके तहत इसके ग्राहक अपना फोन सिर्फ एक मिस कॉल से ही रिचार्ज कर सकेंगे। इसकी घोषणा बैंक के डिजिटल बैंकिंग हेड नितिन चुघ ने की। इसके तहत सबसे पहले ग्राहक को अपना नंबर एक एसएमएस के जरिए एक्टिवेट करना होगा। इसी एसएमएस में यह भी निर्धारित करना होगा कि वह मिस कॉल पर कितने रुपए का रिचार्ज करना चाहता है।एक्टिवेशन के बाद जब भी कोई व्यक्ति बैंक की तरफ से दिए गए नंबर पर बैंक के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के जरिए मिस कॉल करेगा, तो उसका फोन पहले से तय राशि से रिचार्ज हो जाएगा।
नंबर रिचार्ज होते ही ग्राहक के बैंक अकाउंट से उतनी राशि कट जाएगी, जिनते का रिचार्ज उनके मोबाइल पर होगा।इतना ही नहीं, मैसेज के जरिए अन्य नंबर भी रजिस्टर किए जा सकते हैं, जिन पर होने वाले रिचार्ज का पैसा आपके ही अकाउंट से कटेगा। इसका फायदा आपके दोस्तों और परिजनों को मिल सकता है।

Monday, December 7, 2015

धोखेबाज बिल्डर से ऐसे निपटें

आजकल हर जगह फ्लैट सिस्टम बढ़ता ही जा रहा है। कई जगह बिल्डर रो हाउस भी बनाकर दे रहे हैं। शुरूआत में बिल्डर कई तरह के वादे कर लेता है जो बाद में पूरे नहीं कर पाता है। कई बार बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरा कर पजेशन भी नहीं देता। साथ ही ब्रोशर में दी गई सुविधाओं की सूची को भी पूरा नहीं करता है। आज हम आपको ऐसे बिल्डरों निपटने के लिए सलाह दे रहे हैं।
रियल एस्टेट इंडस्ट्री बड़ी तेजी से बढ़ रही है। रेसीडेंसियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है। बाजार में कई तरह के बिल्डर और डेवलपर्स उतर रहे हैं। ये ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के दाने फेंकते हैं। हालांकि इसकी कोई ग्यारटंी नहीं होती कि इस तरह के वादे समय पर पूरे होंगे। ग्राहकों को समय पर पजेशन नहीं मिलना इन बिल्डरों के खिलाफ सबसे आम शिकायत होती है।
बिल्डर के खिलाफ आती हैं इस तरह की शिकायतें
सेवा में दोष की कई तरह की शिकायतें बिल्डर के खिलाफ आती हैं।
वादे के मुताबिक सुविधाएं नहीं देना
छत टपकना
ड्रेनेज सिस्टम की गड़बड़ी
अधूरा फायर सेफ्टी सिस्टम
हल्की इलेक्ट्रिकल वायरिंग
पानी की सुविधाओं में कमी
ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं देना
घर खरीद रहें हैं तो इनका रखें ध्यान
किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले ग्राहक को उसका ठीक तरीके से मुआयना कर लेना चाहिए।
प्रॉपर्टी के ऑरिजनल पेपर मांग कर देखना चाहिए
पिछले कुछ वर्षों के उस प्रॉपर्टी के टाइटल की भी जांच कर लेनी चाहिए
क्या बिल्डर ने कलेक्टर जमीन के लिए गैर कृषि की मंजूरी ले ली है
जमीन के असली मालिक और बिल्डर के बीच हुए डेवलपमेंट एग्रीमेंट को भी जांचे
अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट के तहत ऑर्डर की कॉपी जांचे। बिल्डिंग प्लान पर नगर पालिका, नगर निगम या पंचायत की मंजूरी संबंधी कॉपी को भी देखें
बिल्डिंग की पूर्णता संबंधी सर्टिफिकेट की मांग भी करें
बिल्डिंग की ऊंचाई संबंधी नियमों को भी जाने
शिकायत होने पर क्या करें
अगर आपको किसी बिल्डर से शिकायत है तो सबसे पहले आप अपनी शिकायत को एक लीगल नोटिस के तौर पर बिल्डर को दें
बिल्डर से जवाब आने तक इंतजार करें
जवाब नहीं आने या संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वकील की सलाह पर एक अर्र्जी तैयार करें
इस अर्जी को कंज्यूमर फोरम या कोर्ट में शिकायत के तौर दर्ज कराएं
कहां करे शिकायत
किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले ग्राहक को उसका ठीक तरीके से मुआयना कर लेना चाहिए।
सिविल कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक ग्राहक को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बिल्डर की वादाखिलाफी के खिलाफ सिविल कोर्ट जाने का अधिकार है। अगर कोई बिल्डर कंस्ट्रक्शन में घटिया माल इस्तेमाल करता है या घर की हालत के बारे मे गलत जानकारी देता है तो ग्राहक को कोर्ट जाने का अधिकार है।
कंज्यूमर फोरम
जब कोई ग्राहकों को सुविधा देने के लिए किसी जमीन पर प्रॉपर्टी खड़ी करता है तो ये एक तरह की सर्विस है। जब समय पर पजेशन नहीं दिया जाता है तो ये बिल्डर की तरफ से सेवा में दोष है। अगर कोई भी ग्राहक बिल्डर की सर्विस में कोई खामी पाता है या उसे समय पर पजेशन नहीं मिलता है तो वो कंज्यूमर कोर्ट का रूख कर सकता है। 20 लाख तक के क्लैम के लिए जिला उपभोक्ता फोरम , 20 लाख से 1 करोड़ तक के क्लैम के लिए राज्य उपभोक्ता फोरम और 1 करोड़ से ऊपर के क्लैम के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है। विवाद के 2 साल के भीतर शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। राष्ट्रीय कमीशन ने एक फैसले में कहा है कि अगर प्रोजेक्ट में देरी होती है तो ग्राहक को अधिकार है कि वो प्रोजेक्ट से बाहर होकर अपना पैसा ब्याज सहित रिफंड ले सकता है। फैसले के तहत बिल्डर ब्याज देने से भी मना नहीं कर सकता है।
कंपीटिशन कमीशन
अगर कोई बिल्डर बाजार में अपनी लीडरशीप का फायदा ग्राहक के खिलाफ उठाते हैं तो ग्राहक उस बिल्डर के खिलाफ कंपीटिशन कमीशन में जा सकता है। कमीशन में ऐसे ही बिल्डर के खिलाफ शिकायत की जा सकती है जो बाजार में सबसे बड़ा लीडर हो। कमीशन ने डीलएलफ पर इस तरह के एक मामले में 630 करोड़ की पेनल्टी लगाई है। डीएलएफ ने बिना मंजूरी लिए प्रोजेक्ट का काम शुरू कर दिया था। कंपनी ने प्रोजेक्ट के दौरान ही फ्लोर की संख्या बढ़ा दी।
क्रिमिनल केस
अगर बिल्डर ग्राहकों से झूठे वादे करता है और फिर पूरे नहीं करता तो ग्राहक के पास क्रिमिनल कोर्ट में केस दर्ज कराने का अधिकार है। ग्राहक बिल्डर के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवा सकता है। नोटिस जारी करने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। ऐसी शिकायतों में ग्राहक को हमेशा सबूतों का ध्यान रखना चाहिए।
बिल्डर की खामियां और उनसे निपटने के उपाय
कंस्ट्रक्शन में घटिया माल का इस्तेमाल करना
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक अगर किसी बिल्डर ने बिल्डिंग बनाते समय घटिया माल का इस्तेमाल किया है या घर के बारे में गलत जानकारी दी है तो उसके सेवा देने में दोष है। इसके लिए ग्राहक क्लैम कर सकता है। अगर किसी ग्राहक घटिया घर या फ्लैट मिला है तो वो कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कर सकता है। ऐसे केस में फोरम घर के दोष को निकालकर ग्राहक को मुआवजा दिलाता है।
बिना मंजूरी के कंस्ट्रक्शन करना
अगर किसी प्लॉट पर बिना मंजूरी के और बिना नक्शा पास कराए कोई बिल्डर कंस्ट्रक्शन करता है तो ये भी बिल्डर की गलती मानी जाएगी। इसके लिए ग्राहक कंज्यूमर फोरम या सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। ग्राहक अपना पूरा पैसा रिफंड मांग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़खाल लेक के 5 किलोमीटर के एरिया में कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी थी। एक शिकायतकर्ता का प्लॉट इसी क्षेत्र में आ रहा था। ऐसे में बिल्डर को शिकायतकर्ता को पूरा पैसा ब्याज सहित वापस करना पड़ा।
अवैध तरीके से खरीदी गई जमीन पर कंस्ट्रक्शन
ऐसी स्थिति में भी ग्राहक कंज्यूमर फोरम या सिविल कोर्ट में जा सकता है। ऐसे केस में ग्राहक रिफंड की मांग कर सकता है या बिल्डर से दूसरी जगह देने की मांग भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक बिना जमीन खरीदे उस जमीन पर कंस्ट्रक्शन का विज्ञापन भी नहीं दिया जा सकता।
जमीन का उपयोग बदलना, लेआउट और स्ट्रक्चर में बिना मंजूरी के बदलाव
अगर बिल्डर एग्रीमेंट के अलावा किसी तरह का कंस्ट्रक्शन करता है तो उसे ग्राहक की मंजूरी लेना जरूरी है। साथ ही लेआउट प्लान या ढांचे में किसी तरह के बदलाव करने पर ग्राहक बिल्डर को लीगल नोटिस भेज सकता है। बिल्डर के जवाब नहीं देने पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
छिपे हुए चार्ज
अगर बिल्डर ग्राहक पर कई तरह के छिपे हुए चार्ज लगता है तो उसके खिलाफ सिविल केस दर्ज किया जा सकता है। ग्राहक कंपीटिशन कमीशन में भी इसकी शिकायत कर सकता है। ग्राहक को सबूत के साथ दिखाना होगा कि बिल्डर ने अपनी पोजीशन को बेजा इस्तेमाल किया है।
बढ़े हुए अतिरिक्त डेवलपमेंट चार्ज
किसी बिल्डर के अतिरिक्त या बढ़े हुए डेवलपमेंट चार्ज मांगने पर भी आपको अधिकार है कि आप सिविल कोर्ट में उसके खिलाफ जा सकते हैं।
बुकिंग या प्रोजेक्ट को रद्द करने पर
बुकिंग अमाउंट मिलने के बाद अगर बिल्डर बुकिंग कैंसिल करता है तो ग्राहक उसे लीगल नोटिस भेज सकता है। अगर बिल्डर कोई जवाब नहीं देता है तो ग्राहक कंज्यूमर फोरम में रिफंड के लिए अर्जी दे सकता है।
पजेशन में देरी करने पर
अगर कोई बिल्डर प्रोजेक्ट में देरी करता है और समय पर पजेशन नहीं देता है तो ग्राहक ब्याज सहित अपना पूरा पैसा मांग सकता है। साथ कंज्यूमर फोरम और सिविल कोर्ट में केस लगा सकता है।
ज्यादा देरी और बिल्डर के मार्केट में अपने प्रभुत्व का गलत उपयोग करने पर कंपीटिशन कमीशन में शिकायत की जा सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में तय समय के भीतर पजेशन न देने पर बिल्डर की तरफ से की गई खामी माना है।
कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर
ऐसे केस जिसमें बिल्डर को अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है ग्राहक म्युनसिपल ऑफिस में आरटीआई लगाकर इसकी कॉपी मांग सकता है। अगर बिल्डर को ये सर्टिफिकेट मिल गया है और वो ग्राहक को नहीं देना चाहता है तो ग्राहक कंज्यूमर कोर्ट जा सकता है।
तो अगर आप घर या फ्लैट खरीदने जा रहे हैं तो अपने अधिकारों को पूरी तरह से जाने। बिल्डर के धमकाने में न आएं। सही समय पर उचित फैसला लेकर आप अपना हक पा सकते हैं।

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Saturday, December 5, 2015

कोचिंग के लिए गाइड लाइन बनाने में जुटा केंद्र

देशभर में कोचिंग हब के रूप में विकसित राजस्थान के कोटा में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं पर केंद्र व राज्य सरकार की नींद टूट गई है। एक वर्ष में यहां 19 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इस मामले में जहां राज्यपाल कल्याण सिंह ने संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मांगी है वहीं अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी देशभर के कोचिंग संस्थानों के नियमन की तैयारी शुरू कर दी है।
छात्रों पर मानसिक दबाव कम करने और फीस के मुताबिक कोचिंग संस्थानों में संसाधन और पढ़ाई का स्तर सुनिश्चित करने के लिए आइआइटी रुड़की के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ गवर्नेंस) के अध्यक्ष प्रो. अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई है।
इस छह सदस्यीय समिति ने मंत्रालय से राष्ट्रीय स्तर पर नियामक संस्था के गठन की सिफारिश की है। कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे छात्राओं की आत्महत्या के मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रो. मिश्रा की अध्यक्षता में छह शिक्षाविदों की विशेषज्ञ समिति गठित कर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के मौजूदा स्वरूप के साथ ही कोचिंग संस्थानों की जरूरत और उनमें पढ़ाई के पैटर्न की समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
समिति ने अपनी प्राथमिक सिफारिशें मंत्रालय को सौंप दी हैं। समिति ने प्रवेश परीक्षाओं का पैटर्न बदलने के साथ ही कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर कोचिंग फॉर एंट्रेंस एग्जाम (एआइसीसीईई) के गठन की सिफारिश की है।
छात्रा ने की आत्महत्या कोटा में शुक्रवार को एक कोचिंग की छात्रा ने आत्महत्या कर ली। छात्रा का नाम सताक्षी गुप्ता है जो  यहां मेडिकल प्रवेश की तैयारी के लिए आई हुई थी। इससे पहले गुरुवार को पंजाब के लुधियाना निवासी वरुण ने आत्महत्या की थी। 

12 साल से कम उम्र के बच्चे का भी रेल में पूरा किराया

आर्थिक तंगी के हालात से गुजर रहे रेलवे ने अपनी जेब भरने केलिए बच्चों से भी पूरा किराया वसूलने का फैसला लिया है। अभी तक रेलगाड़ियों में 12 साल से कम उम्र के बच्चों को आधे किराये में ही पूरी सीट मिलती रही है। लेकिन रेल मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि बच्चों के यदि सीट चाहिए तो उसके लिए भी बड़े व्यक्ति के समान पूरा किराया देना होगा।
लेकिन, यदि सीट नहीं चाहिए तो आधा किराया देकर सफर किया जा सकता है। इस बारे में फैसला हो चुका है और इसे 10 अप्रैल 2016 से लागू किया जाएगा। रेलवे बोर्ड के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जब से मंत्रालय का जिम्मा संभाला है, तभी से कम खर्च और अधिक से अधिक कमाई के रास्ते तलाशने के लिए कुछ अधिकारियों को लगा दिया है।उन्हीं अधिकारियों की सलाह पर अब बच्चों से पूरा किराया वसूलने का फैसला किया गया है। भारत में रेल लाने वाली अंग्रेज राज से लेकर अभी तक रेलवे में पांच साल तक के बच्चे फ्री यात्रा और 12 साल के बच्चे आधे किराये में पूरी सीट पाते रहे हैं। नये फैसले के बारे में मंत्रालय से अधिसूचना जारी हो चुकी है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पांच साल के बच्चे पहले की तरह नि:शुल्क यात्रा करते रहेंगे। पांच साल से ऊपर और 12 साल से नीचे केबच्चों को अब आधे किराये में पूरी सीट या बर्थ नहीं मिलेगी।
 बच्चे यदि अपने परिवार के साथ एडजस्ट करके जा सकते हैं तो उनसे आधा किराया लिया जाएगा और यदि उन्हें पूरी सीट चाहिए तो पूरा किराया वसूला जाएगा। रेल मंत्रालय इससे पहले भी आमदनी बढ़ाने के लिए कई अलोकप्रिय फैसले ले चुका है।

ट्रेन में वेटिंग टिकट वाले अब माने जाएंगे बेटिकट

यदि आपका ट्रेन टिकट कंफर्म नहीं हुआ है और आप वेटिंग टिकट लेकर रिजर्व डिब्बे में यात्रा कर रहे हैं तो ठहर जाइए। रेलवे ने इस तरह के टिकटों को यात्रा के लिए वैध दस्तावे
ज की सूची से हटा दिया है।अब यदि ऐसे टिकटों के साथ कोई यात्री ट्रेन के रिजर्व कोच में यात्रा करता है उसे बेटिकट मानते हुए उस पर इसी हिसाब से जुर्माना होगा।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र ने बताया कि किसी भी ट्रेन के वेटिंग टिकट को यात्रा करने के लिए वैध दस्तावेज की सूची से हटा दिया गया है।हालांकि, रेलवे ने वेटिंग टिकट कटाने वालों को एक सहूलियत दी है कि यात्री यदि चाहे तो अनरिजवर्ड कोच मतलब जनरल डिब्बे में वे इस टिकट पर यात्रा कर सकते हैं। इसमें यह नहीं देखा जाएगा कि टिकट स्लीपर क्लास का है या एसी वन, एसी टू या फर्स्ट एसी का। उल्लेखनीय है अभी तक सिर्फ राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों में वेटिंग टिकट पर यात्रा की अनुमति नहीं थी। लेकिन अन्य मेल-एक्सप्रेस और पैसेंजर गाड़ियों में वेटिंग टिकट वाले उसी तरह यात्रा करते थे जैसे कि कंफर्म टिकट वाले। लेकिन इस तरह की शिकायत मिलीं कि वेटिंग टिकट वाले कुछ यात्री रेलगाड़ी में यात्रा भी कर लेते थे और इस पर रिफंड भी ले लेते थे। ऐसे में रेलवे को दोहरा नुकसान होता था। अब तो रेलगाड़ी के रवाना होने से आधा घंटा पहले ही इसे अवैध करार दिया गया है। इसलिए इस पर न तो रिफंड मिलेगा और न ही यात्रा हो सकेगी।
अधिकारी का कहना है कि पिछले महीने वेटिंग लिस्ट वाले टिकटों के बारे में नियम में संशोधन हुआ था, उसी दौरान यह भी तय हुआ था। तभी से वेटिंग टिकट यात्रा के लिए वैध दस्तावेज नहीं है, लेकिन इस बारे में रेलवे के फील्ड अधिकारियों के बीच भ्रम होने की वजह से इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका। अब इस बारे में स्पष्टीकरण जारी किया जा रहा है ताकि कहीं भ्रम की स्थिति नहीं रहे।

पत्रकारों के लिए दिल्‍ली विधानसभा में विधेयक पास

आम आदमी पार्टी ने दिल्‍ली में भाजपा का सफाया क्‍यों कर दिया, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पत्रकार रवीश कुमार के बार-बार आग्रह करने के बावजूद बिहार विधान सभा चुनाव 
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जय हो, पत्रकारों के लिए दिल्‍ली विधानसभा में विधेयक पास आम आदमी पार्टी ने दिल्‍ली में भाजपा का सफाया क्‍यों कर दिया, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पत्रकार रवीश कुमार के बार-बार आग्रह करने के बावजूद बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान पत्रकारों के लिए मजीठिया वेतनमान पर भाजपा नेताओं की बोलती बंद रही। खैर, उसका अंजाम भाजपा को मिल चुका है। आम आदमी पार्टी की बात करें, तो दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों से मुलाकात कर मजीठिया वेतनमान लागू कराने का संकल्‍प किया था। आज उसी संकल्‍प का परिणाम है कि दिल्‍ली सरकार ने पत्रकारों के वेतनमान से संबंधित विधेयक पास कर दिया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने मुझसे कहा था, श्रीकांत जी ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे बड़े-बड़े अखबार मालिकों पर दबाव बनाया जा सके और उन्‍हें मजीठिया लागू करने के लिए बाध्‍य किया जा सके। धन्‍य हैं दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्‍होंने दिल्‍ली विधान सभा में पत्रकारों के लिए विधेयक पास करा दिया। दिल्‍ली सरकार के इस फैसले पर देश के उन तमाम नेताओं को शर्म आनी चाहिए, जो या तो इस समय देश के प्रधानमंत्री हैं या भविष्‍य में प्रधानमंत्री बनने के लिए मुंह बना रहे हैं। अब तो यह लगने लगा है कि देश का अगला प्रधानमंत्री दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को छोड़कर दूसरा कोई नहीं बन सकता, क्‍योंकि उन्‍हें अपने तन से अधिक लोगों के वेतन की परवाह रहती है। केजरीवाल जी, मैं देश की एक अरब जनता की ओर से आपके हौसले को प्रणाम करता हूं। आपके हौसले के सामने दैनिक जागरण जैसे भ्रष्‍ट, मुनाफाखोर और अत्‍याचारी संस्‍थान पानी भरेंगे। केजरीवाल जी के हौसले का ज्‍वलंत दस्‍तावेज वह खबर है, जिसकी कटिंग नीचे दी जा रही है। मैं उस अखबार के मालिक के भी हौसले को प्रणाम करना चाहता हूं, जिसने खबर को विस्‍तार से प्रकाशित किया है। बड़े-बड़े अखबारों की हिम्‍मत इस खबर को छापने में पस्‍त हो गई।

Wednesday, December 2, 2015

पीएफ निकालने के लिए नियोक्ता से सत्यापन जरूरी नहीं

ईपीएफओ ने कर्मचारियों को भविष्य निधि से रकम निकालने के मामले में बड़ी राहत दे दी है। पीएफ दावों के ऑनलाइन निपटारे की दिशा में आगे बढ़ते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने नई व्यवस्था की है। पैसा निकालने के लिए कर्मचारी सीधे ईपीएफओ को अर्जी दे सकेंगे। अब तक कर्मचारियों को मौजूदा या पूर्ववर्ती नियोक्ता को इसके लिए आवेदन करना पड़ता था।
इसके फॉर्म पर नियोक्ता का सत्यापन अनिवार्य था। ईपीएफ ने यह व्यवस्था बदल दी है। यूएएन धारकों को सुविधा बगैर नियोक्ता के सत्यापन के पैसा निकालने की सुविधा उन सभी सदस्यों को मिलेगी, जिन्हें यूनिवर्सल (या पोर्टेबल पीएफ) अकाउंट नंबर (यूएएन) मिल चुका है और जिन्होंने बैंक खाते व आधार नंबर जैसी केवाईसी का ब्योरा ईपीएफ को दे दिया है।
ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त केके जालान ने बताया कि सीधे संगठन को भुगतान के लिए अर्जी दायर करने की इजाजत ऑनलाइन आवेदन की दिशा में बड़ा कदम है। उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सदस्यों को ऑनलाइन पीएफ निकालने की सुविधा मिल सकेगी।
फॉर्म 19, फॉर्म 1 ओसी भरने होंगे
जालान ने बताया कि जिन ईपीएफ सदस्यों के यूएएन नंबर एक्टिवेट हो गए हैं, वे जल्द भुगतान के लिए फॉर्म 19, फॉर्म 1 ओसी और फॉर्म 31 भरकर सीधे भविष्य निधि आयुक्त को बगैर नियोक्ता के सत्यापन के आवेदन सौंप सकेंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
2.13 करोड़ यूएएन एक्टिवेट
ईपीएफओ की वेबसाइट के अनुसार 2.13 करोड़ सदस्यों ने अपने यूएएन नंबर एक्टिवेट कर लिए हैं। संगठन ने अब तक 5.65 करोड़ यूएन नंबर आवंटित कर दिए हैं।