Monday, December 7, 2015

धोखेबाज बिल्डर से ऐसे निपटें

आजकल हर जगह फ्लैट सिस्टम बढ़ता ही जा रहा है। कई जगह बिल्डर रो हाउस भी बनाकर दे रहे हैं। शुरूआत में बिल्डर कई तरह के वादे कर लेता है जो बाद में पूरे नहीं कर पाता है। कई बार बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरा कर पजेशन भी नहीं देता। साथ ही ब्रोशर में दी गई सुविधाओं की सूची को भी पूरा नहीं करता है। आज हम आपको ऐसे बिल्डरों निपटने के लिए सलाह दे रहे हैं।
रियल एस्टेट इंडस्ट्री बड़ी तेजी से बढ़ रही है। रेसीडेंसियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है। बाजार में कई तरह के बिल्डर और डेवलपर्स उतर रहे हैं। ये ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के दाने फेंकते हैं। हालांकि इसकी कोई ग्यारटंी नहीं होती कि इस तरह के वादे समय पर पूरे होंगे। ग्राहकों को समय पर पजेशन नहीं मिलना इन बिल्डरों के खिलाफ सबसे आम शिकायत होती है।
बिल्डर के खिलाफ आती हैं इस तरह की शिकायतें
सेवा में दोष की कई तरह की शिकायतें बिल्डर के खिलाफ आती हैं।
वादे के मुताबिक सुविधाएं नहीं देना
छत टपकना
ड्रेनेज सिस्टम की गड़बड़ी
अधूरा फायर सेफ्टी सिस्टम
हल्की इलेक्ट्रिकल वायरिंग
पानी की सुविधाओं में कमी
ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं देना
घर खरीद रहें हैं तो इनका रखें ध्यान
किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले ग्राहक को उसका ठीक तरीके से मुआयना कर लेना चाहिए।
प्रॉपर्टी के ऑरिजनल पेपर मांग कर देखना चाहिए
पिछले कुछ वर्षों के उस प्रॉपर्टी के टाइटल की भी जांच कर लेनी चाहिए
क्या बिल्डर ने कलेक्टर जमीन के लिए गैर कृषि की मंजूरी ले ली है
जमीन के असली मालिक और बिल्डर के बीच हुए डेवलपमेंट एग्रीमेंट को भी जांचे
अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट के तहत ऑर्डर की कॉपी जांचे। बिल्डिंग प्लान पर नगर पालिका, नगर निगम या पंचायत की मंजूरी संबंधी कॉपी को भी देखें
बिल्डिंग की पूर्णता संबंधी सर्टिफिकेट की मांग भी करें
बिल्डिंग की ऊंचाई संबंधी नियमों को भी जाने
शिकायत होने पर क्या करें
अगर आपको किसी बिल्डर से शिकायत है तो सबसे पहले आप अपनी शिकायत को एक लीगल नोटिस के तौर पर बिल्डर को दें
बिल्डर से जवाब आने तक इंतजार करें
जवाब नहीं आने या संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वकील की सलाह पर एक अर्र्जी तैयार करें
इस अर्जी को कंज्यूमर फोरम या कोर्ट में शिकायत के तौर दर्ज कराएं
कहां करे शिकायत
किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले ग्राहक को उसका ठीक तरीके से मुआयना कर लेना चाहिए।
सिविल कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक ग्राहक को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बिल्डर की वादाखिलाफी के खिलाफ सिविल कोर्ट जाने का अधिकार है। अगर कोई बिल्डर कंस्ट्रक्शन में घटिया माल इस्तेमाल करता है या घर की हालत के बारे मे गलत जानकारी देता है तो ग्राहक को कोर्ट जाने का अधिकार है।
कंज्यूमर फोरम
जब कोई ग्राहकों को सुविधा देने के लिए किसी जमीन पर प्रॉपर्टी खड़ी करता है तो ये एक तरह की सर्विस है। जब समय पर पजेशन नहीं दिया जाता है तो ये बिल्डर की तरफ से सेवा में दोष है। अगर कोई भी ग्राहक बिल्डर की सर्विस में कोई खामी पाता है या उसे समय पर पजेशन नहीं मिलता है तो वो कंज्यूमर कोर्ट का रूख कर सकता है। 20 लाख तक के क्लैम के लिए जिला उपभोक्ता फोरम , 20 लाख से 1 करोड़ तक के क्लैम के लिए राज्य उपभोक्ता फोरम और 1 करोड़ से ऊपर के क्लैम के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है। विवाद के 2 साल के भीतर शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। राष्ट्रीय कमीशन ने एक फैसले में कहा है कि अगर प्रोजेक्ट में देरी होती है तो ग्राहक को अधिकार है कि वो प्रोजेक्ट से बाहर होकर अपना पैसा ब्याज सहित रिफंड ले सकता है। फैसले के तहत बिल्डर ब्याज देने से भी मना नहीं कर सकता है।
कंपीटिशन कमीशन
अगर कोई बिल्डर बाजार में अपनी लीडरशीप का फायदा ग्राहक के खिलाफ उठाते हैं तो ग्राहक उस बिल्डर के खिलाफ कंपीटिशन कमीशन में जा सकता है। कमीशन में ऐसे ही बिल्डर के खिलाफ शिकायत की जा सकती है जो बाजार में सबसे बड़ा लीडर हो। कमीशन ने डीलएलफ पर इस तरह के एक मामले में 630 करोड़ की पेनल्टी लगाई है। डीएलएफ ने बिना मंजूरी लिए प्रोजेक्ट का काम शुरू कर दिया था। कंपनी ने प्रोजेक्ट के दौरान ही फ्लोर की संख्या बढ़ा दी।
क्रिमिनल केस
अगर बिल्डर ग्राहकों से झूठे वादे करता है और फिर पूरे नहीं करता तो ग्राहक के पास क्रिमिनल कोर्ट में केस दर्ज कराने का अधिकार है। ग्राहक बिल्डर के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवा सकता है। नोटिस जारी करने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। ऐसी शिकायतों में ग्राहक को हमेशा सबूतों का ध्यान रखना चाहिए।
बिल्डर की खामियां और उनसे निपटने के उपाय
कंस्ट्रक्शन में घटिया माल का इस्तेमाल करना
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक अगर किसी बिल्डर ने बिल्डिंग बनाते समय घटिया माल का इस्तेमाल किया है या घर के बारे में गलत जानकारी दी है तो उसके सेवा देने में दोष है। इसके लिए ग्राहक क्लैम कर सकता है। अगर किसी ग्राहक घटिया घर या फ्लैट मिला है तो वो कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कर सकता है। ऐसे केस में फोरम घर के दोष को निकालकर ग्राहक को मुआवजा दिलाता है।
बिना मंजूरी के कंस्ट्रक्शन करना
अगर किसी प्लॉट पर बिना मंजूरी के और बिना नक्शा पास कराए कोई बिल्डर कंस्ट्रक्शन करता है तो ये भी बिल्डर की गलती मानी जाएगी। इसके लिए ग्राहक कंज्यूमर फोरम या सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। ग्राहक अपना पूरा पैसा रिफंड मांग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़खाल लेक के 5 किलोमीटर के एरिया में कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी थी। एक शिकायतकर्ता का प्लॉट इसी क्षेत्र में आ रहा था। ऐसे में बिल्डर को शिकायतकर्ता को पूरा पैसा ब्याज सहित वापस करना पड़ा।
अवैध तरीके से खरीदी गई जमीन पर कंस्ट्रक्शन
ऐसी स्थिति में भी ग्राहक कंज्यूमर फोरम या सिविल कोर्ट में जा सकता है। ऐसे केस में ग्राहक रिफंड की मांग कर सकता है या बिल्डर से दूसरी जगह देने की मांग भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक बिना जमीन खरीदे उस जमीन पर कंस्ट्रक्शन का विज्ञापन भी नहीं दिया जा सकता।
जमीन का उपयोग बदलना, लेआउट और स्ट्रक्चर में बिना मंजूरी के बदलाव
अगर बिल्डर एग्रीमेंट के अलावा किसी तरह का कंस्ट्रक्शन करता है तो उसे ग्राहक की मंजूरी लेना जरूरी है। साथ ही लेआउट प्लान या ढांचे में किसी तरह के बदलाव करने पर ग्राहक बिल्डर को लीगल नोटिस भेज सकता है। बिल्डर के जवाब नहीं देने पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
छिपे हुए चार्ज
अगर बिल्डर ग्राहक पर कई तरह के छिपे हुए चार्ज लगता है तो उसके खिलाफ सिविल केस दर्ज किया जा सकता है। ग्राहक कंपीटिशन कमीशन में भी इसकी शिकायत कर सकता है। ग्राहक को सबूत के साथ दिखाना होगा कि बिल्डर ने अपनी पोजीशन को बेजा इस्तेमाल किया है।
बढ़े हुए अतिरिक्त डेवलपमेंट चार्ज
किसी बिल्डर के अतिरिक्त या बढ़े हुए डेवलपमेंट चार्ज मांगने पर भी आपको अधिकार है कि आप सिविल कोर्ट में उसके खिलाफ जा सकते हैं।
बुकिंग या प्रोजेक्ट को रद्द करने पर
बुकिंग अमाउंट मिलने के बाद अगर बिल्डर बुकिंग कैंसिल करता है तो ग्राहक उसे लीगल नोटिस भेज सकता है। अगर बिल्डर कोई जवाब नहीं देता है तो ग्राहक कंज्यूमर फोरम में रिफंड के लिए अर्जी दे सकता है।
पजेशन में देरी करने पर
अगर कोई बिल्डर प्रोजेक्ट में देरी करता है और समय पर पजेशन नहीं देता है तो ग्राहक ब्याज सहित अपना पूरा पैसा मांग सकता है। साथ कंज्यूमर फोरम और सिविल कोर्ट में केस लगा सकता है।
ज्यादा देरी और बिल्डर के मार्केट में अपने प्रभुत्व का गलत उपयोग करने पर कंपीटिशन कमीशन में शिकायत की जा सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में तय समय के भीतर पजेशन न देने पर बिल्डर की तरफ से की गई खामी माना है।
कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर
ऐसे केस जिसमें बिल्डर को अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है ग्राहक म्युनसिपल ऑफिस में आरटीआई लगाकर इसकी कॉपी मांग सकता है। अगर बिल्डर को ये सर्टिफिकेट मिल गया है और वो ग्राहक को नहीं देना चाहता है तो ग्राहक कंज्यूमर कोर्ट जा सकता है।
तो अगर आप घर या फ्लैट खरीदने जा रहे हैं तो अपने अधिकारों को पूरी तरह से जाने। बिल्डर के धमकाने में न आएं। सही समय पर उचित फैसला लेकर आप अपना हक पा सकते हैं।

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