Saturday, December 5, 2015

कोचिंग के लिए गाइड लाइन बनाने में जुटा केंद्र

देशभर में कोचिंग हब के रूप में विकसित राजस्थान के कोटा में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं पर केंद्र व राज्य सरकार की नींद टूट गई है। एक वर्ष में यहां 19 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इस मामले में जहां राज्यपाल कल्याण सिंह ने संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मांगी है वहीं अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी देशभर के कोचिंग संस्थानों के नियमन की तैयारी शुरू कर दी है।
छात्रों पर मानसिक दबाव कम करने और फीस के मुताबिक कोचिंग संस्थानों में संसाधन और पढ़ाई का स्तर सुनिश्चित करने के लिए आइआइटी रुड़की के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ गवर्नेंस) के अध्यक्ष प्रो. अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई है।
इस छह सदस्यीय समिति ने मंत्रालय से राष्ट्रीय स्तर पर नियामक संस्था के गठन की सिफारिश की है। कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे छात्राओं की आत्महत्या के मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रो. मिश्रा की अध्यक्षता में छह शिक्षाविदों की विशेषज्ञ समिति गठित कर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के मौजूदा स्वरूप के साथ ही कोचिंग संस्थानों की जरूरत और उनमें पढ़ाई के पैटर्न की समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
समिति ने अपनी प्राथमिक सिफारिशें मंत्रालय को सौंप दी हैं। समिति ने प्रवेश परीक्षाओं का पैटर्न बदलने के साथ ही कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर कोचिंग फॉर एंट्रेंस एग्जाम (एआइसीसीईई) के गठन की सिफारिश की है।
छात्रा ने की आत्महत्या कोटा में शुक्रवार को एक कोचिंग की छात्रा ने आत्महत्या कर ली। छात्रा का नाम सताक्षी गुप्ता है जो  यहां मेडिकल प्रवेश की तैयारी के लिए आई हुई थी। इससे पहले गुरुवार को पंजाब के लुधियाना निवासी वरुण ने आत्महत्या की थी। 

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