Friday, December 11, 2015

कोचिंग छोड़ने पर फीस वापस,होगी

दिनेश माहेश्वरी 
कोटा। राजस्थान में कोटा और अन्य शहरों के कोचिंग संस्थानो में पढ़ रहे बच्चे यदि बीच में पढ़ाई छोड़ना चाहें तो कोचिंग संस्थान को उनकी फीस वापस करनी होगी। इसके साथ ही इन कोचिंग संस्थाओं को नियमों के दायरे में लाया जाएगा और इसके लिए राज्य स्तर पर नियामक व्यवस्था लागू की जाएगी। कोटा के कोचिंग संस्थाओं में पढ़ रहे बच्चों की लगातार आत्महत्याओं के बाद आखिर गुरूवार को जयपुर में राजस्थान में मुख्य सचिव सी.एस.राजन के स्तर पर बैठक हुई।
बैठक में सम्बन्धित विभागों के अधिकारी, कोटा जिला प्रशासन के अधिकारी और कुछ कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि भी शमिल थे। कोटा में इस वर्ष 26 कोचिंग छात्र-छात्राएं आत्महत्याएं कर चुके हैं और इन संस्थानों में पढ़ाने के तरीके और बच्चो में बढ़ते तनाव को ले कर सख्त नियम बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। बैठक में मुख्य सचिव ने कोचिंग बीच में छोड़ने के इच्छुक छात्रों की बकाया फीस लौटाने सरल एक्जिट सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव का मानना था कि कोचिंग संस्थानों की भारी फीस का दबाव बच्चों पर रहता है। ऐसे में यदि वे नहीं पढ़ पाते तो तनाव में आ जाते हैं। उन्हें माता- पिता द्वारा किए गए खर्च की चिंता सताने लगती है। उन्होंने कोचिंग संस्थाओं से कहा कि कोई छात्र यदि बीच में जाना चाहता है और उसकी फीस लौटा दी जाए तो बच्चों का तनाव काफी हद तक कम हो सकता है। इसके साथ ही बैठक में कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक सिस्टम विकसित करने पर भी सहमति बनी है। इसका ड्राफ्ट जल्द तैयार कर लिया जाएगा।
इसके जरिए सरकार कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली पर पूरी नजर रखेगी। अभी तक ये संस्थान सरकार के नियमों से बाहर है। बैठक में संस्थानों को बच्चों के स्ट्रेस मैनेजमेन्ट के लिए एक हैल्पलाइन और ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाने के निर्देश भी दिए गए है। यह हैल्पलाइन मुख्य तौर पर दो काम करेगी जिसमें बच्चों को तनाव से दूर रखने के साथ ही स्कूल और कोचिंग साथ-साथ करने की समस्या से निपटने पर भी बात की जाएगी। कोचिंग में तो सिर्फ छह घंटे रहते हैं कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव के सामने यह तर्क दिया कि बच्चे कोचिंग में तो महज छह घंटे ही रहते हैं, और बाकी के अठारह घंटे वे बाहर रहते हैं, ऐसे में सिर्फ उन्हें दोषी ठहराना ठीक नहीं है। लेकिन मुख्य सचिव सीएस राजन ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया। कोचिंग संस्थानों ने कोचिंग पर कोई संकट आने की स्थिति में कोटा की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने का तर्क भी दिया। लेकिन इस तर्क को भी बैठक में खारिज कर दिया गया। अफसरों ने कहा कि एक शहर की इकॉनोमी की खातिर आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में नहीं डाला जा सकता।

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