हिमाचल हाईकोर्ट ने मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को पेंशन दिए जाने का प्रावधान बनाने के आदेश पारित किए हैं। प्रदेश सरकार को यह आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा सरकार की ओर से पत्रकारों को पेंशन दिए जाने बाबत बनाए गए नियमों की तर्ज पर प्रदेश में भी नियम बनाए जाएं। न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के पत्रकारों को यह लाभ देने के लिए 3 माह का समय दिया है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जिन पत्रकारों ने अपनी जिंदगी के अहम दिन इस व्यवसाय में लगा दिए, उन्हें पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए अभी तक कोई भी पेंशन और स्वास्थ्य योजना नहीं बनाई है। पत्रकारों को इस तरह की योजना का लाभ दिया जाना जरूरी है। कोर्ट के अनुसार जिन पत्रकारों ने इस व्यवसाय में कम से कम 20 साल पूरे कर लिए हैं, उन्हें पेंशन जैसा लाभ दिए जाने का प्रावधान बनाया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की एक पीठ ने कहा कि पत्रकारों को अदालतों की कार्यवाही की रिपोर्ट पेश करने के मामले में अतिरिक्त सावधानियां रखनी चाहिए। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की एक पीठ ने अपने आदेश को गलत ढंग से पेश करने के लिए एक अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को रद्द कर दिया है। पीठ ने यह कहते हुए कि 'कलम की ताकत, तलवार की ताकत से अधिक होती है', आगे कहा कि रिपोर्टिंग त्रुटि रहित, वास्तविक और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।
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