समाचार पत्र संस्थानों में मजीठिया वेतनमान लागू हुआ या नहीं उक्त संबंध में श्रम विभाग को जांच करके तीन माह के भीतर रिपोर्ट पेश करने की समय सीमा निश्चित की गई थी लेकिन समय बीत गया अब तक कई राज्य सरकारों ने रिपोर्ट नहीं भेजी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की तारीख का एलान ना होना कई संदेहों को जन्म देता है। इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट अब भी रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि जिन समाचार पत्र संस्थानों के खिलाफ शिकायत की गई उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी नहीं दी तो सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी संस्थान कौन सी है जिसे समाचार पत्र संस्थान जानकारी देंगे। जाहिर सी बात है कि समाचार पत्र संस्थान के मालिकों को किसी का भय नहीं है। अब जब बार-बार नोटिस भेजोगे तो कुछ भी जवाब दें देंगे। जो मूल विषय का संतोषजनक जवाब नहीं होगा।
सभी का इशारा एक तरफ
मजीठिया वेतनमान को लेकर जो लीपापोती हो रही है उसका इशारा एक तरफ जाता है कि किसी ने मजीठिया वेतनमान लागू नहीं किया है। फिर भी है सुप्रीम कोर्ट उक्त मामले में सुनवाई की तारीख का ऐलान क्यों नहीं कर रहा है। उक्त मामले में अनावश्यक देरी होने से वर्षों से न्याय की उम्मीद लगाए पत्रकारों का दर्द बढ़ता जा रहा है। जाहिर सी बात है कि किसी प्रकरण में ज्यादा समय देने का मतलब है कि आरोपी को बचाव के लिए अवसर देना है। इस देरी से केस की दिशा बदल जाएगी और प्रेस मालिक कोई नई परिभाषा गढ़ देंगे।
महेश्वरी प्रसाद मिश्र
पत्रकार
सभी का इशारा एक तरफ
मजीठिया वेतनमान को लेकर जो लीपापोती हो रही है उसका इशारा एक तरफ जाता है कि किसी ने मजीठिया वेतनमान लागू नहीं किया है। फिर भी है सुप्रीम कोर्ट उक्त मामले में सुनवाई की तारीख का ऐलान क्यों नहीं कर रहा है। उक्त मामले में अनावश्यक देरी होने से वर्षों से न्याय की उम्मीद लगाए पत्रकारों का दर्द बढ़ता जा रहा है। जाहिर सी बात है कि किसी प्रकरण में ज्यादा समय देने का मतलब है कि आरोपी को बचाव के लिए अवसर देना है। इस देरी से केस की दिशा बदल जाएगी और प्रेस मालिक कोई नई परिभाषा गढ़ देंगे।
महेश्वरी प्रसाद मिश्र
पत्रकार
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