पत्रकार संगठनों में अखबार मालिकों की घुसपैठ हो चुकी है। नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) जिसे हम श्रमजीवी पत्रकारों का संगठन मानते थे। उसमें भी अखबार मालिक पदाधिकारी बन बैठे हैं। ऐसे में लगता नहीं की पत्रकारों के हितों के लिए कोई संघर्ष करेगा। बल्कि मैंने तो यहाँ तक देखा है। पदाधिकारी मालिकों की चापलूसी कर हमेशा अपनी नौकरी बचाने और प्रमोशन पाने के हथकंडे अपनाते हैं। राजस्थान में जार के प्रदेश अध्यक्ष खुद तीन अखबार निकालते हैं। रिछपाल पारीक जो आजतक किसी अख़बार के संवाददाता नहीं रहे, उन्हें जार ने अपना संरक्षक बना रखा है। क्योकि वह आत्मदीप के खास हैं। मजीठिया के लिए बेचारे पत्रकार मालिकों की प्रताड़ना सहने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में अपने हक़ के लिए अकेले ही लड़ रहे हैं।
जबकि होना तो यह चाहिए की सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना चाहिए। हाल ही कोटा में नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) का अधिवेशन हुआ था। उसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से पांच लाख रुपये का डोनेशन और एक वक्त का खाना दिया गया। पदाधिकारी सहायता पाकर बहुत खुश हुए। इस मौके पर बजाये सहायता लेने के सरकार से मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन लागू करने और नहीं लागू करने वाले अखबारों के विज्ञापन बंद करने की बात करते. अभी भी मौका है दिल्ली में संसद पर प्रदर्शन करें। प्रधान मंत्री को ज्ञापन दें. ताज्जुब तो इस बात का है सुप्रीम कोर्ट का आदेश ताक में रखने वाले आदर्शवादी बातें छापते हैं। एक अखबार नो नेगेटिव न्यूज की बात करता है और अपने ही कर्मचारियों का शोषण करता है।
जबकि होना तो यह चाहिए की सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जाना चाहिए। हाल ही कोटा में नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) का अधिवेशन हुआ था। उसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से पांच लाख रुपये का डोनेशन और एक वक्त का खाना दिया गया। पदाधिकारी सहायता पाकर बहुत खुश हुए। इस मौके पर बजाये सहायता लेने के सरकार से मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन लागू करने और नहीं लागू करने वाले अखबारों के विज्ञापन बंद करने की बात करते. अभी भी मौका है दिल्ली में संसद पर प्रदर्शन करें। प्रधान मंत्री को ज्ञापन दें. ताज्जुब तो इस बात का है सुप्रीम कोर्ट का आदेश ताक में रखने वाले आदर्शवादी बातें छापते हैं। एक अखबार नो नेगेटिव न्यूज की बात करता है और अपने ही कर्मचारियों का शोषण करता है।
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